भारत में यहूदियों का छोटा सा समुदाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस्राइल यात्रा को लेकर आशान्वित है और उम्मीद कर रहा है कि इससे भारत में यहूदियों को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा. भारत में करीब छह हजार भारतीय यहूदी हैं. 2000 साल से यह समुदाय भारत में रह रहा है. दिल्ली के अलावा पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, केरल और गुजरात के शहरों में यहूदी समुदाय के लोग रहते हैं.
समुदाय का कहना है कि उन्होंने कभी भारत में धर्म की वजह से किसी तरह के भेदभाव का सामना नहीं किया है, वहीं 4 जुलाई से शुरू हो रही प्रधानमंत्री की इस्राइल यात्रा से उन्हें यहूदियों को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलने की उम्मीद सबसे ज्यादा है.
राष्ट्रीय राजधानी में यहूदियों के एकमात्र उपासनागृह जुदाह हयाम सिनगॉग के धर्मगुरु एजेकील मर्केल ने कहा, हम प्रधानमंत्री की यात्रा को सकारात्मक तरीके से देख रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में यहूदियों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है और केंद्रीय स्तर पर भी इस तरह का कदम उठाया जाना चाहिए. फिलहाल देश में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय अल्पसंख्यक समुदाय के तौर पर अधिसूचित हैं.
उन्होंने कहा, हमारे लिए भारत हमारी मातृभूमि है. हम पहले भारतीय हैं और बाद में यहूदी. अगर इस्राइल हमारे दिलों में हैं तो भारत हमारे खून में है. कोच्चि के मचेरी इलाके में रहने वाले पांच आखिरी यहूदियों में शामिल क्वीनी हैलीगुआ ने भी इसी तरह के विचार रखे. उन्होंने कहा कि जिन यहूदियों ने इस्राइल जाने के बारे में सोचा था वो हो रहे जुल्मों की वजह से फिर भारत से नहीं गये.
उन्होंने कहा, वे बहुत खुश थे. अच्छी तरह रह रहे थे. लेकिन वे अपने देश में रहना और मरना चाहते थे. कोलकाता में प्रेसीडेंसी यूनिवसर्टिी में सहायक प्रोफेसर नवरस जे आफ्रीदी ने भारत और इस्राइल के बीच और ज्यादा सीधी उड़ानों की जरूरत बताई.
मुंबई में भारतीय यहूदी फेडरेशन के अध्यक्ष जोनाथन सोलोमन ने मोदी की इस्राइल यात्रा के संदर्भ में कहा, हम इस बात से गौरवान्वित हैं कि हमारे प्रधानमंत्री एक छोटे देश में जाने की परेशानी उठाएंगे. यह उनके इरादों और दोनों देशों के बीच सौहार्द के माहौल को दर्शाता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत सरकार यहूदी समुदाय के इस्राइल के साथ संपर्को को संरक्षित करने में हरसंभव मदद करेगी.