Monthly Archives: July 2017

इस्राइल दौरे पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भारतीय समुदाय को दिए ये तीन गिफ्ट

पीएम नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय यात्रा पर इस्राइल के दौरे पर हैं. यहां पीएम मोदी ने भारतीयों को तीन तोहफे दिए. उन्होंने घोषणा की कि इस्राइल में भारतीय मूल के लोगों को भारत के प्रवासी नागरिक (ओसीआई) का कार्ड मिलेगा, भले ही उन्होंने यहां अनिवार्य सैन्य सेवा दी हो. दूसरा दिल्ली, मुंबई और तेल अवीव के बीच सीधी विमान सेवा शुरू की जाएगी ताकि लोगों के बीच आपसी संबंधों को प्रोत्साहित किया जा सके. उन्होंने कहा कि यहां भारतीय समुदाय की पुरानी मांग को पूरा करते हुए इस्राइल में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र भी खोला जाएगा. (मेरी सरकार का मंत्र है रिफॉर्म-परफॉर्म-ट्रांसफॉर्म : इस्राइल में भारतीय समुदाय से पीएम मोदी)

पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने भारतीय मूल के लोगों को ओसीआई कार्ड लेने में आने वाली समस्याओं के बारे में सुना है. प्रधानमंत्री ने दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा कि भारत सरकार ने नियमों को सरल कर दिया है और इस्राइल में अनिवार्य सैन्य सेवा देने वालों को भी ओसीआई कार्ड दिया जाएगा.

70 साल तक कोई भारतीय पीएम यहां नहीं आया
मोदी ने भारत की पूर्ववर्ती सरकारों पर स्पष्ट निशाना साधते हुए कहा कि इस्राइल से भारत के सदियों पुराने संबंध हैं लेकिन 70 साल में यहां किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने यात्रा नहीं की. यह तथ्य सवाल खड़े करता है. उन्होंने मोदी, मोदी के नारों के बीच कहा, 70 साल में पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री यहां आपका आशीर्वाद लेने आया है. पीएम मोदी ने नेतन्याहू को ‘मेरा मित्र’ करार दिया और कहा कि उनके कल यहां आने के बादे से उनका जिस गर्मजोशी से स्वागत किया गया है, उसे भुलाया नहीं जा सकता.

देश की संख्या और आकार मायने नहीं रखता, भावना मायने रखती है
उन्होंने इस्राइल, खासकर उसके नवोन्मेषों एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश ने यह दिखा दिया है कि संख्या या आकार मायने नहीं रखता बल्कि भावना मायने रखती है.

मोशे से भी मिले थे पीएम मोदी
वर्ष 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमलों के दौरान एक भारतीय आया ने 11 वर्षीय मोशे होल्त्जबर्ग की जान बचाई थी. पीएम मोदी ने मोशे का जिक्र करते हुए कहा कि यह दर्शाता है कि जीवन ने किस प्रकार आतंकवाद पर विजय प्राप्त की. उन्होंने दिन में मोशे से मुलाकात की थी.

इज़राइल में इस पहाड़ी शेफ ने जीत ल‌िया पीएम मोदी का द‌िल, जान‌िए क्या कहा

पीएम मोदी के इजराइल दौरे पर देश ही नहीं बल्कि दुनिया की नजर भी है। नरेन्द्र मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने इजराइल का दौरा किया। इस दौरान भारत के इस शेफ ने पीएम मोदी का द‌िल जीत ल‌िया। जान‌िए उन्होंने क्या कहा.

जी हां, पीएम मोदी के तीन द‌िन दौरे के लिए भारतीय शेफ्स को खाने – पीने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिनमें उत्तराखंड के शेफ धरेन्द्र पंवार भी शामिल हैं। धरमेंद्र ने ही पीएम मोदी के खाना बनाया।

एक न्यूज वैबसाइट के मुताब‌िक, धर्मेंद्र उत्तराखंड के टिहरी जिले के बुढ़ाकेदार के रहने वाले हैं। पिछले पांच सालों से धर्मेद्र इजराइल में हैं और यहां के एक होटल में शेफ हैं। उन्होंने खाने की तारीफ की तो वहां धमेंद्र को सामने कर द‌िया गया।

धर्मेद्र के दोस्त सावन पंवार के मुताब‌ि‌क जब पीएम ने धमेंद्र से पूछा क‌ि कहां से हो, तो उसने कहा उत्तराखंड। इस पर पीएम ने उत्तराखंड की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा क‌ि उत्तराखंड के लोग बहुत अच्छे हैं। तुम भी अच्छा काम कर रहे हो।

पीएम नरेंद्र मोदी की इस्राइल यात्रा पर करीब से नजर रख रहा है पाकिस्तान : रिपोर्ट

पाकिस्तान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस्राइल की ऐतिहासिक यात्रा पर निकटता से नजर रख रहा है, क्योंकि इससे क्षेत्र में सामरिक स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं.

‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ के अनुसार, पाकिस्तान अन्य सरकारों के प्रमुखों और राष्ट्राध्यक्षों की द्विपक्षीय यात्राओं पर आधिकारिक रूप से टिप्पणी नहीं करता है, लेकिन वह पीएम मोदी की यात्रा पर निकटता से नजर रखे हुए है, क्योंकि इसके क्षेत्र की रणनीतिक स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं.

समाचार पत्र में कहा गया है, ‘इस्राइल भारत को लंबे समय से हथियारों एवं अन्य रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करता आया है और इन सौदों को दोनों पक्षों ने जानबूझकर गोपनीय रखा है. दोनों देश अपने गहरे रक्षा सहयोग पर अब अधिक खुलकर एवं सार्वजनिक रूप से बात करते हैं’.

अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ डॉ. जफर नवाज जसपाल ने कहा कि भारत एवं इस्राइल के बीच बढ़ता रक्षा सहयोग दक्षिण एशियाई क्षेत्र में सामरिक संतुलन बिगाड़ेगा.

भारत-इजराइल का साथ मित्रता का है, मिलने में 70 साल लग गए पीएम मोदी के भाषण की 10 खास बातें

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपनी इजराइल यात्रा के दौरान कन्वेन्शन सेंटर में भारतीय कम्युनिटी के बीच जाकर उन्हें संबोधित किया. इस मौके पर इजरायल पीएम बेंजामिन नेतन्याहू भी उनके साथ मौजूद रहे. मोदी ने अपने स्पीच की शुरुआत हिब्रू में की और इजरायली लोगों का अभिवादन किया. पेश है प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की 10 खास बातें –

  1. ”मैं आपसे मेरी बात की शुरुआत इसी कन्फेशन से करना चाहता हूं. वाकई, बहुत दिन बाद मिले. दिन भी कहना ठीक नहीं है. सच यह है कि मिलने में हमें कई साल लग गए. 10-20-50 नहीं, 70 साल लग गए.
  2. आजादी के 70 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री आज आप सभी के आशीर्वाद ले रहा है. इस अवसर पर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू यहां मौजूद हैं.” इजरायल में किसी भारतीय नेता का इस तरह का पहला इवेंट है.
  3. जो सम्मान मुझे दिया वह भारत के सवा सौ करोड़ लोगों का सम्मान है. हम दोनों ही अपने अपने देशों की स्वतंत्रता के बाद पैदा हुए हैं. भारतीय भूमि के प्रति उनका प्यार..उन्हें भारत खींच लाने वाला है.
  4. भारत और इजराइल कई साल से गहराई से जुड़े हुए हैं. आज भी यह जगह येरुशलेम और भारत के संबंधों का प्रतीक है. भारत-इजराइल का साथ परंपराओं, संस्कति, विश्वास, मित्रता का है.
  5. मैं इजराइल की शौर्यता को प्रणाम करता हूं. किसी भी देश का विकास, आकार उसके नागरिकों का भरोसा तय करता है. संख्या बढ़ाना उतना मायने नहीं रखता ये इजराइल ने कर दिखाया है. हाइफा की आजादी में भारतीय सैनिकों का हाथ है.
  6. हमारे त्योहारों में भी अद्भुत समानता है. भारत में होली की तरह यहां भी ऐसा ही त्योहार मनाया जाता है. भारत में दिवाली तो यहां हनुका मनाया जाता है.
  7. शौर्य इजराइल के विकास का आधार रहा है. किसी भी देश का विकास और आकार उसके देश के नागरिकों के भरोसे पर तय होता है. संख्या और आकार मायने नहीं रखती, यह इजराइल साबित किया है.
  8. एलिश एस्टन को द इंडियन के नाम से भी जान जाता है. ब्रिटिश काल के दौरान उन्होंने मराठा इन्फ्रेंट्री में काम किया था. प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान हाइफा को आजाद कराने में भारतीयों की भूमिका रही है. मेरा सौभाग्य है कि मैं उन वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देने हाइफा जा रहा हूं.
  9. मैं भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जफरयाब जैकब का जिक्र करना चाहता हूं. उनके पुरखे बगदाद से भारत आए. 1971 में जब बांग्लादेश पाक से आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था, तब उन्होंने पाक सैनिकों का समर्पण कराने में अहम भूमिका निभाई है यहूदी लोग भारत में कम संख्या में रहे लेकिन जिस भी क्षेत्र में रहे, उन्होंने उपस्थिति अलग से दर्ज कराई. सिर्फ सेना ही नहीं, साहित्य, संस्कृति, फिल्म में भी यहूदी लोग अपनी इच्छाशक्ति के दम पर आगे बढ़े हैं.
  10. मेरी सरकार का एकमात्र फॉर्मूला – रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफ़ॉर्म है.

इजरायल में मोदी का ‘जय जवान’, हाइफा वॉर मेमोरियल पर दी श्रद्धांजलि

पहले विश्व युद्ध में ओटोमन साम्राज्य से हाइफा की हिफाजत करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारतीय जवानों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी अपनी इजरायल यात्रा के तीसरे और आखिरी दिन हाइफा के दौरे पर हैं. ये पहला मौका है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री चीन के दौरे पर है. पीएम मोदी ने 99 साल पहले पहले विश्वयुद्ध के दौरान शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देने हाइफा पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी मौजूद रहे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार की सुबह येरूशलम से हेलिकॉप्टर के जरिए हाइफा के लिए उड़ान भरी. हाइफा पहुंचने के बाद दोनों नेताओं ने शहीदों को सलामी दी और मौन श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान बैंड ने भी श्रद्धांजलि धुन बजाई. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीदों के स्मारक पर पुष्प गुच्छ अर्पित किए.

हाइफा स्थित शहीद स्मारक जाने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘शहर की रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले 44 भारतीय जवानों के लिए यह आखिरी जगह थी, जहां उन्होंने विश्राम किया था.’

भारतीय सेना हर साल 23 सितंबर को हाइफा दिवस के रूप में मनाती है. यह दिन दो कैवेलरी रेजिमेंट की बहादुरी और साहस की याद में मनाया जाता है. इन दोनों रेजिमेंट्स ने हाइफा को ओटोमन साम्राज्य से बचाने में अपना सर्वस्व झोंक दिया था. ये दोनों कैवेलरी 5वीं इम्पीरियल सर्विस कैवेलरी ब्रिगेड का हिस्सा थीं.

1918 के पतझड़ में मित्र देशों की सेना का हिस्सा रहे भारतीय ब्रिगेड ने बहादुरी और साहस से भरी एक महान कैवेलरी कैंपेन को अंजाम दिया था.

 PM Modi and PM Netanyahu unveil plaque commemorating Major Dalpat Singh(WW1 hero) in Haifa #IndiaIsraelFriendship pic.twitter.com/HViNGcqnwj

— ANI (@ANI_news) 6 July 2017

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजरायल दौरे का आज आखिरी दिन और तीसरा दिन है.

Jerusalem, Israel: PM Narendra Modi leaves for Haifa along with his Israeli counterpart Benjamin Netanyahu. pic.twitter.com/OUwVg65nya

— ANI (@ANI_news) 6 July 2017

हाइफा वो जगह है, जहां पहले विश्व युद्ध में भारतीय जवानों ने अपने शौर्य का जौहर दिखाया था. भारतीय जवानों ने आधुनिक हथियारों से लैस ओटोमन तुर्कों के खिलाफ लड़ते हुए हाइफा की हिफाजत की थी. घुड़सवार भारतीय सैनिकों ने तलवार और भालों से ही दुश्मन सेना को शिकस्त दी थी. इस दौरान कई भारतीय जवान शहीद हो गए थे.

ये लड़ाई 23 सितंबर 1918 को हुई थी. आज भी इस दिन को इजरायल में हैफा दिवस के रूप में मनाया जाता है. साथ ही भारतीय सेना भी इस दिन अपने जवानों के शौर्य को सलाम करती है.

पीएम मोदी का आज का कार्यक्रम

  1. भारतीय समयानुसार दोपहर 2 बजे भारतीय शहीदों को हाइफा में श्रद्धांजलि देंगे.
  2. इसके बाद मोदी 30 सीईओ के साथ लंच करेंगे.
  3. हाइफा से दोनों पीएम कार से राजधानी तेल-अवीव लौटेंगे और रास्ते में एक बीच पर रुकेंगे.
  4. इसके बाद पीएम मोदी इजरायल की संसद को भी संबोधित करेंगे.
  5. भारतीय समयानुसार शाम 7.30 बजे पीएम मोदी जी-20 समिट में शामिल होने के लिए जर्मनी रवाना हो जाएंगे.

इससे पहले पीएम मोदी ने अपने इजरायल दौरे के दूसरे दिन भारतीय समुदाय को संबोधित किया. राजधानी तेल अवीव के कन्वेंशन सेंटर में प्रधानमंत्री को सुनने करीब पांच हजार भारतीय पहुंचे. इस दौरान प्रधानमंत्री ने वहां अपनी सरकार की तमाम उपलब्धियां तो गिनवाई हीं, साथ ही साथ तीन बड़ी सौगातें भी दीं. मोदी ने मंच से ओसीआई कार्ड के नियमों में राहत, इंडियन कल्चरल सेंटर खोलने की घोषणा तो की ही भाषण के अंत में उन्होंने दिल्ली-मुंबई-तेल अवीव विमान सेवा जल्द शुरू होने की घोषणा भी की.

पीएम मोदी ने बेंजामिन नेतन्याहू को दिया केरल से लाया हुआ यह विशेष तोहफा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इस्राइली समकक्ष बेंजामिन नेतन्याहू को केरल से ले जाए ऐतिहासिक अवशेषों के दो सेटों के प्रतिरूप भेंट किए. ये सेट भारत में यहूदी धर्म के लंबे इतिहास से जुड़े पुरावशेष हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी ट्वीट में कहा गया कि इस भेंट में तांबे की प्लेटों के दो अलग-अलग सेट थे. ऐसा माना जाता है कि इन्हें नौवीं-दसवीं सदी में अंकित किया गया था. तांबे की प्लेटों का पहला सेट भारत में कोचीन के यहूदियों की निशानी है. समझा जाता है कि इसमे हिंदू राजा चेरामन पेरूमल द्वारा यहूदी नेता जोसेफ रब्बन को अनुवांशिक आधार पर दिए गए विशेषाधिकारों का वर्णन है. यहूदियों के पारंपरिक दस्तावेजों के अनुसार, बाद में जोसेफ रब्बन को शिंगली का राजकुमार बना दिया गया था. शिंगली एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है जो कोदन्गुल्लूर के समकक्ष होता है. कोदन्गुल्लूर वह स्थान है, जहां यहूदी लोग सदियों तक धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्वायत्ता का आनंद लेते रहे हैं. इसके बाद वे कोचीन और मालाबार के अन्य स्थानों पर चले गए थे. इन प्लेटों के प्रतिरूप कोच्चि स्थित परदेसी सिनगॉग के सहयोग से हासिल किए गए. तांबे की प्लेटों का दूसरा सेट भारत के साथ यहूदियों के व्यापार के इतिहास का प्राचीन दस्तावेजीकरण है.

ये प्लेटें स्थानीय हिन्दू शासक द्वारा चर्च को दिए गए जमीन और कर संबंधी विशेषाधिकारों के बारे में बताती हैं. इसके अलावा ये कोल्लम से पश्चिमी एशिया के साथ होने वाले व्यापार और भारतीय व्यापार संघों का भी वर्णन करती हैं. इन प्लेटों का प्रतिरूप हासिल करना केरल के तिरूवला स्थित मालंकर मार थोमा सीरियन चर्च के सहयोग से संभव हुआ.

इस्राइल में बेबी मोशे से मिलेंगे पीएम नरेंद्र मोदी, 26/11 हमले में आया ने बचाई थी जान

इस्राइल दौरे पर गए पीएम नरेंद्र मोदी आज (बुधवार) 10 साल के बेबी मोशे होल्त्जबर्ग से मिलेंगे. 26/11 मुंबई हमले में बेबी मोशे के सिर से मां-बाप का साया उठ गया था. मारे गए 173 लोगों में उसके माता-पिता भी थे. उसके माता-पिता मुंबई के नरीमन हाउस में रहते थे. जब हमला हुआ तब उसके माता-पिता वहीं थे. तब 2 साल का रहा बेबी मोशे भी वहीं था. मोशे के माता-पिता इस हमले में मारे गए थे. वह उनके शवों के पास बैठा रो रहा था. तभी आया ने मोशे की आवाज सुनी और मोशे को वहां से निकालकर जान बचाई.

इस दर्दनाक वाकये के करीब 8 साल बाद पीएम मोदी से मिलने को लेकर बेबी मोशे, उसके ग्रैंडपेरेन्ट्स और उसकी आया सैंड्रा काफी उत्साहित हैं. मोशे की मां रिवका और पिता गैवरूल होल्त्जबर्ग की मुंबई आतंकी हमले में दर्दनाक मौत हो गई थी. 2008 में हुए इस हमले में उसकी मां और पिता समेत छह अन्य इस्राइली नागरिकों की मौत हो गई थी.

क्या हुआ था उस रात

बेबी मोशे और उसके इस्राइली माता-पिता मुंबई के नरीमन हाउस (अब चबाड हाउस) में रहते थे. सैंड्रा सैमुअल मोशे की आया के तौर पर काम करती थीं. 2008 में 26 नवंबर को मुंबई पर लश्कर तैयबा के हमले में नरीमन हाउस को भी निशाना बनाया गया. सैंड्रा सैमुअल ने उस रात की सारी घटना एक इंटरव्यू में बताई थी. उन्होंने कहा कि उनके अपने दो बेटों से मिलने वह हर बुधवार को जाती थीं लेकिन उस रात वह नहीं गई थीं. उनका कहना था कि भगवान ने उन्हें उस रात वहां ठहरने को मजबूर किया क्योंकि उसे पता था कि क्या होने वाला है. सैंड्रा ने बताया कि जब उन्होंने गोलियों की आवाज सुनी तो, उन्होंने नीचे का फोन उठाया, ऊपर से ढेर सारी आवाजें आ रही थीं. उन्होंने फोन का तार निकाल दिया और लॉन्ड्री रूम में जाकर छिप गईं. वह कहती हैं मुझे कुछ समझ नहीं आया. मैं तब निकली जब अगली सुबह बेबी मोशे की आवाज आई. मैं ऊपर कमरे में गई. मैंने देखा मोशे के माता-पिता खून में लथपथ थे. उनकी मौत हो चुकी थी. बेबी मोशे उनके पास बैठा हुआ था. मैंने चुपचाप उसे उठाया और बिल्डिंग से बाहर भागकर अपनी और उसकी जान बचाई.

फिर दिखा मोदी का वही अंदाज, नेतन्याहू से बार-बार मिले गले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के जिस भी नेता से मिलते हैं, उससे एक पर्सनल कनेक्ट बनाने की कोशिश करते हैं. इजरायल दौरे पर भी ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला, जब मोदी इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मिले. मोदी और बेंजामिन अपने शुरुआती 10 मिनट में ही तीन बार गले मिले.

मोदी के विदेश दौरों पर उनके गले मिलने के अंदाज को बड़ी उत्सुकता के साथ देखा जाता है. अपने तीन साल के कार्यकाल में मोदी ने ज्यादातर विदेशी नेताओं को अपने खास अंदाज में गले लगाया है. प्रधानमंत्री मोदी जिन नेताओं से गले मिले हैं उनमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शामिल हैं.

हाल ही में अपने वाशिंगटन दौरे पर जब मोदी गले मिलने के लिए आगे बढ़े तो ऐसा लगा कि ट्रंप पीछे मुड़ गए हैं हालांकि वह मोदी से गले मिले. नेतन्याहू ने भी प्रधानमंत्री मोदी के गले मिलने के भाव का उसी गर्मजोशी के साथ जवाब दिया.

दुनिया के कई नेताओं से मिले गले

ट्रंप से पहले मोदी ने सेंट पीटर्सबर्ग की यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को भी पूरी गर्मजोशी के साथ गले लगाया था. ओबामा के राष्ट्रपति रहने के दौरान उनसे हुई हर मुलाकात के दौरान मोदी ने उन्हें गले लगाया. मोदी ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों, फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद, जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे, अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी और यूएई के युवराज शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से भी अपने चिर-परिचित अंदाज में गले मिले थे. इसी तरह जब दिसंबर, 2015 में मोदी लाहौर गए थे तब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से भी इसी अंदाज में मिले थे.

इजरायल: मोदी जिस कमरे में ठहरे हैं उस पर बम-केमिकल हमले का भी नहीं होता असर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐतिहासिक दौरे पर इजरायल में हैं. पीएम मंगलवार को वहां पहुंचे, इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने खुद एयरपोर्ट पर आकर उनका स्वागत किया. इजरायल हथियारों के लिहाज से सबसे ताकतवर देश माना जाता है, वहीं कई देशों की इजरायल पर टेढ़ी नजर भी रहती है. पीएम मोदी इजरायल में जिस होटल में ठहरे हैं, वह होटल कुछ खास है. होटल के अंदर मोदी का कमरा किसी भी कैमिकल, बम या ड्रोन हमले को झेल सकता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, पीएम मोदी इजरायल में किंग डेविड होटल में ठहरे हैं. जो कि सुरक्षा के लिहाज से काफी मजबूत है. होटल के मैनेजर ने टाइम्स को बताया कि अगर पूरा होटल भी किसी हमले में तबाह हो जाता है, फिर भी पीएम के कमरे को आंच नहीं आएगी. उन्होंने बताया कि पीएम मोदी समेत भारत के पूरे डेलिगेशन के लिए कुल 110 कमरे बुक किए गए हैं.

उन्होंने बताया कि इससे पहले हमारे होटल में अमेरिका के कई राष्ट्रपति वहां ठहर चुके हैं, जिनमें बिल क्लिंटन, जॉर्ज बुश, बराक ओबामा और हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप. पीएम मोदी के लिए यहां पर पूरी तरह से वेज खाने की व्यवस्था की गई है.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिनों की इजरायल यात्रा पर पहुंचे. पीएम भारतीय समयानुसार मंगलवार शाम करीब साढ़े 6 बजे तेल-अवीव के बेन गुरियन एयरपोर्ट पहुंचे, जहां इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रोटोकॉल तोड़कर बड़ी गर्मजोशी से खुद एयरपोर्ट पर पीएम का स्वागत किया. पीएम ने पहुंचते ही इजरायल के पीएम को गले लगाया और फिर दोनों देशों का राष्ट्रगान हुआ.पीएम बेंजामिन ने हाथ जोड़कर हिंदी में कहा, ‘आपका स्वागत है मेरे दोस्त.’

69 साल, 15 PM, मोदी से पहले इजरायल क्यों नहीं जा पाया कोई भारतीय प्रधानमंत्री?

इजरायल बनने के 69 साल बाद पहली बार भारत का कोई प्रधानमंत्री इजरायल गया है. पिछले 69 सालों में देश ने एक के बाद 15 पीएम देखे लेकिन कोई प्रधानमंत्री इजरायल जाने की हिम्मत नहीं दिखा पाया और इसके पीछे बड़ी वजह देश की राजनीति और अरब देशों के साथ हमारे संबंध रहे हैं.

दरअसल मोदी से पहले भी भारतीय प्रधानमंत्रियों ने अगर कभी इजरायल को गले लगाने की सोची होगी तो दो ख्यालों ने उसे रोक दिया होगा एक तो मुस्लिमों के मन में इजरायल को लेकर कड़वाहट है तो इजरायल के साथ खड़े कैसे हुआ जाए और दूसरी तरफ 80 लाख भारतीय श्रमिक अरब देशों में काम कर रहे है तो कहीं 70 के दशक की तर्ज पर अरब वर्ल्ड इजरायल का साथ देने वालों के खिलाफ ना हो जाए.

एक अहम वजह ये भी थी कि कांग्रेस इजरायल के गठन के विचार के ही खिलाफ थी. देश में ज्यादातर वक्त कांग्रेस सत्ता में रही और कांग्रेस को हमेशा लगा कि इजरायल से संबंध बढ़ाने का मतलब अरब देशों को खफा करना होगा, और इजरायल से संबंध भारत में रह रहे मुसलमानों को भी पार्टी से दूर करेगा यानी राजनयिक संबंधों की डोर का एक सिरा घरेलू राजनीति के वोट बैंक से भी जुड़ गया.

बीजेपी को नहीं पड़ेगा कोई फर्क!

दूसरी तरफ बीजेपी के लिये मुस्लिम वोट बैंक कोई मायने नहीं रखता है. 2014 के चुनाव नतीजे इसका सबूत हैं. 2014 के चुनाव में कांग्रेस को 37.60 फीसदी मुस्लिम वोट मिले लेकिन उसे महज 44 लोकसभा सीट मिलीं दूसरी ओर बीजेपी को 282 सीटों पर जीत मिली जबकि उसे महज 8.4 फीसदी मुस्लिम वोट मिला.

मुस्लिम वोट बैंक का खतरा!

वैसे, इजरायल से संबंध बढ़ाने पर मुस्लिम वोट बैंक छिटक सकता है ये डर तो राजनयिक संबंध बनते वक्त भी उठा था, जब 23 जनवरी 1992 को केंद्रीय कैबिनेट ने इजरायल से राजनयिक संबंध बनाने का अनुमोदन किया था. उस वक्त तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह ने चेताया था कि कैबिनेट देख ले कि इससे कहीं मुस्लिम वोट बैंक न छिटके. इस बात का जिक्र तत्कालीन विदेश सचिव जे एन दीक्षित ने अपने संस्मरण में किया है.

ओवैसी ने उठाया सवाल

अब विदेश नीति बदल रही है तो मुस्लिम नेता सवाल भी उठा रहे हैं. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि दुनिया में धर्म के आधार पर दो ही देश बने हैं एक पाकिस्तान और दूसरा इजरायल. ओवैसी ने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई भारतीय प्रतिनिधि दल इजरायल जा रहा है और बिना फिलीस्तान गए लौट आएगा. ओवैसी ने कहा कि भारत की नीति कभी इस तरह से नहीं रही है. पीएम मोदी की इस हरकत से इजरायल फिलिस्तीन को और ज्यादा दबाएगा.

ओवैसी के सवाल अपनी जगह है लेकिन सच्चाई ये है कि संबंधो की नई लकीर पुरानी लकीर को मिटा रही है. विदेश नीति में नई परंपराएं स्थापित हो रही हैं. उम्मीद यही रखनी चाहिए कि इसमें भारत के हित सर्वोपरि रहेंगे.