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Budget 2018:- hausing or iphraastrakchar par sarakaar ka focus barakaraar

बजट 2018: हाउसिंग और इफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार का फोकस बरकरार

इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के राज में भी भारी प्राथमिकता थी। वित्त मंत्री एक बार नहीं, कई बार कह चुके हैं कि बैंकों के बेकाबू खराब कर्जों में (एनपीए) मनमोहन सिंह राज के दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को दिए गए अंधाधुंध कर्जों का सबसे बड़ा हाथ है. पर पीएम मोदी के राज में भी इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश सर्वोच्च प्राथमिकताओं में बना हुआ है और इंफ्रास्ट्रक्चर में सरकारी निवेश भारी इजाफा हुआ है।

पिछले चार सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर में सरकारी निवेश मनमोहन सिंह के समय से दोगुने से ज्यादा हो गए हैं। इस क्षेत्र में स्मार्ट सिटीज, बुलेट ट्रेन, भारतमाला, सागरमाला जैसी लाखों करोड़ रुपए के कार्यक्रमों की घोषणा की गई। साल 2022 तक कमजोर तबकों को सबसे मकान देने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकारी सहायता और ब्याज सब्सिडी का दायरा भी बढ़ाया गया। ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर को भी चौकस करने के लिए काफी यत्न किए गए हैं।

आगामी बजट 2018-19 पर अनेक राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दबाव हैं। इस बजट में मिडिल क्लास को आयकर में छूट देनी है। किसानों के बढ़ते असंतोष को दूर करने के लिए कृषि बजट का आवंटन बढ़ाना है। कॉरपोरेट क्षेत्र भी तमाम राहत चाहता है। अर्थव्यवस्था और जीडीपी ग्रोथ में छायी सुस्ती को तोड़ने के लिए भी इंफ्रास्ट्रक्चर में सरकारी निवेश बढ़ाना सरकार की अनिवार्यता है। पिछले बजट में इस निवेश में 24 फीसदी की वृद्धि की गयी थी। जाहिर है कि आगामी बजट में भी इंफ्रास्ट्रक्चर के सरकारी निवेश में बढ़ोतरी बरकरार रखी जाएगी।

इंफ्रा व्यय में दोगुने से अधिक वृद्धि

वित्त वर्ष 2013-14 में सरकारी खाते में इंफ्रास्ट्रक्चर को 1.66 लाख करोड़ रुपए दिए गए थे, जो 2016-17 में बढ़ कर 2.21 लाख करोड़ रुपए हो गए. 2017-18 में यह राशि बढ़ कर 3.96 लाख करोड़ रुपए हो गई। यानी चार सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर में व्यय पर दोगुने से अधिक की वृद्धि की गई। २०१७-18 में रेलवे को 1.31 लाख करोड़ रुपए मिले, जो बजट इतिहास में अब तक की सर्वाधिक राशि है। राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए बजट में 64 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया।

एक लाख करोड़ रुपए की लागत से आगामी पांच सालों में एक लाख करोड़ रुपए से रेल सुरक्षा कोष के निर्माण की घोषणा की गयी था। २०१९ से 2022 तक नए राष्ट्रीय राजमार्गों को बनाने के लिए 3.43 लाख करोड़ रुपए की जरूरत होगी। यानी सड़क निर्माण को आगामी बजट में तकरीबन 20-25 हजार करोड़ रुपए अधिक मिल सकते हैं।

सड़क यातायात और राजमार्ग और मंत्रालय के मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार आगामी पांच सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर में 25 लाख करोड़ रुपए निवेश की आवश्यकता होगी। सड़क जहाजरानी समेत इंफ्रास्ट्रक्चर के इस निवेश से जीडीपी ग्रोथ तीन फीसदी बढ़ जाएगी।

बदल जाएगी देश की तस्वीर

भारतमाला, सागरमाला और प्रस्तावित सीप्लेन योजना से देश की तस्वीर बदल जाएगी. यह कहना है केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का. भारतमाला केंद्र सरकार एक बड़ा महत्वकांक्षी कार्यक्रम है। इसके तहत 2022 तक 6.92 लाख करोड़ के निवेश से 83 हजार 677 किलोमीटर नई सड़कें बनाई जानी हैं। इसके पूरा हो जाने के बाद आर्थिक गतिविधियों के बढ़ने से 2.2 करोड़ नए रोजगार पैदा होंगे और इससे लॉजिस्टिक लागत जैसे यातायात, भंड़ारण आदि की लागत एक तिहाई रह जाएगी।

सागरमाला कार्यक्रम से देश के बंदरगाहों, जल परिवहन और तटवर्ती क्षेत्रों की तस्वीर भी पूरी तरह बदल जाएगी।  इस कार्यक्रम में 415 परियोजनाएं शामिल हैं. जिन पर तकरीबन 8 लाख करोड़ (नितिन गडकरी के अनुसार 16 लाख करोड़ रुपए) खर्च होंगे। इसके तहत 6 नए बंदरगाहों का निर्माण होगा। मौजूदा बंदरगाहों का आधुनिकीकरण होगा जिन पर एक लाख 42 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे।

बंदरगाहों के जुड़े क्षेत्रों के औद्योगिकीकरण की 33 परियोजनाएं हैं जिन  पर 4 लाख 20 हजार करोड़ रुपए का व्यय होगा। यह कार्यक्रम कई चरणों में 2035 तक पूरा होगा। इस कार्यक्रम से देश के निर्यातों को काफी प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है और जीडीपी में 2 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है।

गांवों में भी उड़ेंगे हवाई जहाज

सपने दिखने में नितिन गडकरी का कोई जवाब नहीं। हवाई क्षेत्र उनका मंत्रालय नहीं है। लेकिन उनका कहना है कि सीप्लेन (जलचर हवाई जाहज) यातायात के विकास से देश में यातायात की सूरत ही बदल जाएगी। जलचर हवाई जहाज ऐसा विमान होता है जिसमें पहिए नहीं होते हैं और यह जल सतह से उड़ सकता है और उस पर उतर सकता है।

गडकरी का कहना है कि देश में 3-4 लाख तालाब हैं, सैंकड़ों बांध हैं, 2 हजार से ज्यादा नदी पोर्ट हैं. सी प्लेन एक फुट गहरे पानी पर उतर सकता है और उड़ान भरने के लिए महज 300 मीटर की जल सतह चाहिए. यह 400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। गडकरी के इस प्रस्ताव के अमल होने पर आप गांवों की यात्रा भी हवाई जहाज से कर पाएंगे। गडकरी का कहना है कि सी प्लेन, क्रूइस, इलेक्ट्रिकल व्हीकल, पोंड टैक्सी, बेड़ों (कैटामारैन), एक्सप्रेस मार्गों के साथ 16 लाख करोड़ रुपए की सागरमाला और 7 लाख करोड़ रुपए की भारतमाला से देश की सूरत ही बदल जाएगी।

लक्ष्य में पीछे गडकरी

गडकरी मोदी मंत्रिमंडल के तेज तर्रार मंत्री माने जाते हैं। उनके ही मंत्रालय को इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश का बड़ा हिस्सा मिलता है। मोदी सरकार में उनके कामकाज को बेहतर माना जाता है। पर गडकरी अपने लक्ष्य से काफी पीछे चल रहे हैं। उनके मंत्रालय को रोजाना तकरीबन 41 किलोमीटर सड़कों के निर्माण से 2017-18 में 15 हजार किलोमीटर राजमार्ग का निर्माण करना है।

लेकिन बीते नवंबर तक प्राप्त जानकारी के अनुसार 4944 किलोमीटर के नए राजमार्ग का निर्माण ही हो पाया है, तकरीबन रोजाना 20 किलोमीटर सड़क का निर्माण यानी लक्ष्य का लगभग आधा. इस गति से मार्च 2018 तक महज 2451 किलोमीटर के नए राजमार्ग और बन पाएंगे।

यदि उन्हें 2017-18 में तय लक्ष्य 15 हजार किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण करना है, शेष चार महीनों में तकरीबन 83 किलोमीटर रोजाना के हिसाब से सड़क निर्माण करना होगा.मौजूदा इस रफ्तार से तो 2022 तक भारतमाला का सपना साकार होना बेहत कठिन लगता है।

रेलवे भी पटरी से उतरी

सार्वजनिक निवेश का सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय रेलवे को मिलता है। 2017-18 में रेलवे के खाते में 1.31 लाख करोड़ रुपए आए हैं। लेकिन रेलवे का कार्य निष्पादन निराशाजनक ही रहा है। वैसे नई पटरी डालने में रेलवे का ट्रैक रिकॉर्ड पिछली सरकार से बेहतर रहा है, पर उतना नहीं, जितना दावा किया जाता है।

प्रधानमंत्री मोदी भी दो बार दावा कर चुके हैं, कि नई रेल पटरियों डालने की गति यूपीए काल से दोगुनी हो चुकी है। पर उनका दावा उपलब्ध तथ्यों पर पूरा नहीं सही है। 2017-18 में रोजाना नई पटरी डालने की रफ्तार में गिरावट आई है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार 17 अगस्त 2017 तक चालू साल के 139 दिनों में 717 किलोमीटर की नई पटरियां डाली गई हैं। यानी रोजाना 5.5 किलोमीटर रोजाना जो 2016-17 पटरी डालने की रफ्तार 7.8 किलोमीटर रोजाना से काफी कम है।

2017-18 में रेलवे का 3500 किलोमीटर पटरी डालने का लक्ष्य है। यानी शेष अवधि में इस लक्ष्य को पाने के लिए रेलवे को रोजाना 12.20 किलोमीटर की नई पटरियां डालनी होंगी, जो संभव नहीं दिखाई देता है। फिर भी रेलवे ने इस बार 1.46 लाख करोड़ रुपए की मांग वित्त मंत्री से की है।

सबको आवास और एनपीए का बोझ

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2022 तक देश के हर कमजोर को छत मुहैया कराना है। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत 2022 तक तीन करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य है। पहले चरण में 2019 तक एक करोड़ मकानों का निर्माण होना है।

यह योजना सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अपने लक्ष्य के अनुरूप चल रही है, जो मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। पर प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी अपने लक्ष्य से काफी पीछे चह रही है। इस योजना के तहत शहर के कमजोर वर्ग को संशोधित लक्ष्य के अनुसार 2022 तक 1.2 करोड़ मकान बनाने हैं।

कई सरकारी राहत और सहायता के बावजूद 2017-18 में महज 12 लाख मकानों का ही निर्माण हो पाएगा। पिछले साल यानी 2016-17 में केवल 1.49 लाख मकानों का ही निर्माण हो पाया। यानी अब चारों सालों में तकरीबन एक करोड़ मकान मोदी सरकार को बनाने होंगे और मूल लक्ष्य के अनुसार तकरीबन 1.6 करोड़ मकान. योजना की मौजूदा हालात से लगता है कि यह योजना विफलता के कगार पर खड़ी है।

पर प्रधानमंत्री आवास योजना में लक्ष्य हासिल करने की हड़बड़ी में बैंकों के छोटे आवास कर्ज देने में एनपीए (खराब कर्ज) खातों की संख्या तेजी से बढ़ रही हे। इस योजना में नगद सहायता व राहतों के बावजूद इन कर्जों में एनपीए का बढ़ना बैंकों के लिए खतरे की नई घंटी है।

प्रधानमंत्री आवास योजना में सरकार कमजोर वर्ग (जिनकी आय सालाना तीन लाख रुपए है) के लिए 6.5 फीसदी की ब्याज सब्सिडी भी देती है। इसके बावजूद 2 लाख रुपए तक के आवास कर्जों में से 10 फीसदी कर्ज खराब यानी एनपीए हो चुके हैं, जबकि कुल आवास कर्ज में खराब कर्जों का प्रतिशत महज 1.1 फीसदी है। बैंक विशेषज्ञों को डर है कि अब ब्याज दर बढ़ने से ऐसे कर्जों के खराब होने की संख्या में और बढ़ोतरी हो सकती है।

नहीं मिलते सितारें

इसमें कोई संदेह नहीं है कि मोदी राज में इंफ्रास्ट्रक्चर, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर और आवास योजनाओं के व्यय में इजाफा हुआ है। सामान्य धारणा है कि सार्वजनिक निवेश खास कर इंफ्रास्ट्रक्चर, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर के बढ़ने से जीडीपी ग्रोथ में वृद्धि होती है और अर्थव्यवस्था में चमक रहती है।

लेकिन मोदी राज के चारों सालों में यह निवेश तो बढ़ा, लेकिन जीडीपी ग्रोथ भी चार सालों में न्यूनतम तक पहुंच गयी। ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर और कृषि में भी इस दरमियान निवेश में काफी इजाफा हुआ है, पर कृषि विकास दर साल 1991 के बाद सबसे कम  हो गयी है। किसानों में, ग्रामीणों में भारी असंतोष है जो मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी परेशानी का सबब है।

रोजगार सृजन भी औसत रूप से काफी कम है। लगता है कि इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश और प्रधानमंत्री मोदी के सितारों में छत्तीस का आंकड़ा है.पर इसक समाधान ज्योतिष में नहीं,अर्थव्यवस्था में ही छुपा हुआ है। अर्थव्यवस्था में पर्याप्त मांग और निजी निवेश की कमी से इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश का अपेक्षित लाभ मोदी सरकार  को नहीं मिल पा रहा है।

Pm narendra modi or bjp one nation one election ko vastavikta me badalen

एक राष्ट्र एक चुनाव, अपनी ताकत का इस्तेमाल कर पीएम मोदी और बीजेपी इसे वास्तविकता में बदलें

लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव को एकसाथ कराने के गुणों से सभी भलीभांति परिचित हैं। अगर भविष्य में कभी ऐसा होता है तो यह काफी फायदेमंद होगा।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते वक्त इस मसले का जिक्र किया था, ऐसे में इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि सरकार इस पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक साल से भी ज्यादा वक्त इस बात पर जोर दे रहे हैं।

राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कहा, ‘नागरिकों में देश के किसी न किसी हिस्से में लगातार होने वाले चुनावों को लेकर चिंता है। इससे अर्थव्यवस्था और विकास पर बुरा असर पड़ता है। बार-बार होने वाले चुनावों से न सिर्फ मानव संसाधन पर भारी बोझ पड़ता है, बल्कि इससे आदर्श आचार संहिता लागू होने से विकास के काम भी रुक जाते हैं। ऐसे में एकसाथ चुनावों के विषय पर एक सतत बहस की जरूरत है और सभी पार्टियों को इस मसले पर आम सहमति बनानी चाहिए.’

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बजट सत्र से पहले संसद को संबोधित करते हुए

मूलरूप में वो वही कह रहे थे। जो पीएम नरेंद्र मोदी जी कुछ वक्त से कहते आ रहे हैं। अब तक यह बात केवल प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी कह रही थी। बीजेपी एकमात्र पार्टी ऐसी है जो कि इस आइडिया पर जोर दे रही है। हकीकत यह है कि बीजेपी के पास लोकसभा में मजबूत बहुमत है और पार्टी राज्यसभा में अपनी अधिकतम संख्या में है । 14 राज्यों में बीजेपी के मुख्यमंत्री हैं और 5 अन्य राज्यों में उसके सहयोगी एनडीए पार्टनर्स की सरकारें हैं। ऐसे में इस तरह का आइडिया काफी मजबूत हो जाता है। बीजेपी के एक सीनियर लीडर ने एक पत्रकार को बताया कि जब वो हमसे या हम उनसे निजी तौर पर बात करते हैं। तो वो इस आइडिया पर सहमति जताते हैं, लेकिन सार्वजनिक तौर पर चर्चा में वो इसके विरोध में उतर आते हैं।

कुछ राज्यों में कांग्रेस कमजोर पड़ी और इंदिरा गांधी केंद्र में सत्ता में आईं, चीजें बदल गईं

हकीकत यह है कि सन 1967 तक संसद और राज्यों के विधानसभा चुनाव में एकसाथ होते थे, लेकिन जैसे ही कुछ राज्यों में कांग्रेस कमजोर पड़ी और इंदिरा गांधी केंद्र में सत्ता में आईं, चीजें बदल गईं।

कोई भी इस बात का अनुमान नहीं लगा सकता कि अगर यह आइडिया लागू हुआ भी तो ऐसा कब होगा। यह एक बड़ा काम है जिसके साथ कई जटिलताएं जुड़ी हुई हैं। इसकी शुरुआत चुनाव आयोग को करनी होगी और इसके लिए संवैधानिक संशोधन करना होगा। इसके जरिए राज्य विधानसभाओं और संसद की अवधि को 5 साल के लिए तय करना होगा और इस पर किसी सरकार के बीच में गिरने का कोई फर्क नहीं पड़ेगा। ऐसे वक्त पर जबकि सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों के बीच संबंध बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं, इस मसले पर संसद और राज्यों में आम सहमति बना पाना आसान नहीं होगा, लेकिन फिर यह भी सत्य है कि राजनीति मुमकिन बनाने की कला का नाम है।

भारत में चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर है

इस मसले पर कई तरह के तर्क और इनके विरोधी तर्क दिल्ली के सत्ता गलियारों में चल रहे हैं और इनमें वास्तविक संभावनाएं क्या बनेंगी यह कहना मुश्किल है।

आम सहमति के नहीं बन पाने और एक साथ चुनावों को मुमकिन कराने को लेकर एक भरोसेमंद और ठोस तर्क के लिए (ऐसा करने के लिए कुछ विधानसभाओं के टेन्योर कम करने होंगे, जबकि कुछ की अवधि बढ़ानी पड़ सकती है और ऐसा ही कुछ केंद्र में भी करना पड़ सकता है) मोदी सरकार एक आसान उपाय कर सकती है। सरकार किसी एक साल में होने वाले सभी चुनावों को एकसाथ करा सकती है। अगर ऐसा करने में सरकार को सफलता मिलती है तो यह इस प्रयास को और आगे ले जाने में मददगार साबित होगा।

चुनाव आयोग ने 2017 के शुरू में 5 राज्यों में चुनावी तारीखों का ऐलान किया था

साल 2017 में किस तरह से चुनाव हुए उन पर नजर डालते हैं।  चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में चुनावी तारीखों का ऐलान 5 जनवरी को किया।  पंजाब और गोवा में फरवरी में मतदान के साथ चुनाव शुरू हुए और इनका अंत 9 मार्च को यूपी के साथ हुआ। यह चुनाव 7 चरणों में हुए है। इसके बाद 13 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश के लिए चुनावी तारीख घोषित की और यहां 9 नवंबर को मतदान हुआ, लेकिन इसके नतीजे गुजरात के साथ 19 दिसंबर को आए।  2017 में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के भी चुनाव हुए।

साल 2018 में 8 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के 2 महीने के बाद त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में चुनाव हो सकते हैं। सवाल यह है कि चुनाव आयोग हिमाचल, गुजरात और तीन पूर्वोत्तर राज्यों के चुनाव एकसाथ क्यों नहीं करा सकता था। जबकि इन 5 राज्यों में 4 महीने के भीतर चुनाव होने थे।

त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में चुनाव पूरा होने के 2 महीने बाद ही कर्नाटक में चुनावी प्रक्रिया शुरू होनी है। कर्नाटक में अप्रैल-मई में चुनाव होने वाले हैं। इसके 4 महीने बाद चुनावों का एक ओर दौर शुरू होगा। इसमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में चुनाव होंगे। इन 4 राज्यों में चुनाव अक्टूबर – नवंबर में कराए जा सकते हैं। चुनाव आयोग ने इन 4 राज्यों और कर्नाटक में होने वाले चुनाव एकसाथ कराने पर विचार कर सकता है।

अगले साल देश में आम चुनाव होने वाले हैं। 5 राज्यों में – ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में भी संसदीय चुनावों के साथ विधानसभा चुनाव होंगे। लोकसभा चुनाव कराने के बाद चुनाव आयोग महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड (सभी बीजेपी शासित राज्य) में चुनाव कराने की तैयारियों में जुट जाएगा।  चुनाव आयोग हरियाणा और झारखंड में चुनावों को थोड़ा पहले कराकर इन्हें लोकसभा चुनावों के साथ जोड़ सकता है।

कम से कम एक साल, एक चुनाव को तो वास्तविकता के धरातल पर ला ही सकते हैं

शब्दों से आगे बढ़कर पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अगर राजनीतिक प्रतिबद्धता दिखाएं तो वो इस दिशा में कदम उठा सकते हैं।  जब तक एक राष्ट्र, एक चुनाव की कल्पना हकीकत में बदले, तब तक कम से कम एक साल, एक चुनाव को तो वास्तविकता के धरातल पर ला ही सकते हैं।

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पीएम मोदी बुधवार को ‘खेलो इंडिया’ स्कूल गेम का उद्घाटन करेंगे

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने बुधवार को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में खेलो इंडिया स्कूल खेल का उद्धाटन करेंगे। सप्ताह भर चलने वाले इस अंडर – 17 प्रतियोगिता में 16 खेलों के खिलाडी भाग लेंगे । जिसमें तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, मुक्केबाजी, फुटबॉल, जिमनास्टिक्स, हॉकी, जूडो, कबड्डी, खो-खो, निशानेबाजी, तैराकी, वॉलीबॉल, भारोत्तोलन और कुश्ती शामिल हैं। इस प्रतियोगिता में 199 स्वर्ण, 199 रजत और 275 कांस्य पदक दाव पर हैं। देश में जमीनी स्तर पर खेलों को पुनर्जीवित करने के लिए खेलो इंडिया कार्यक्रम को शुरू किया जा रहा।

उम्मीद है कि इससे विभिन्न खेलों में स्कूली स्तर पर प्रतिभा की पहचान कर उन्हें भविष्य के लिए तैयार किया जायेगा। इसके तहत प्राथमिकता वाले खेलों में प्रतिभावान खिलाड़ियों को 8 साल तक हर साल पांच – पांच लाख रुपए की वित्तीय मदद दी जाएगी ।

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बच्चों का टैलेंट निखारने के लिए सरकार की पहल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया ‘खेलो इंडिया’ स्कूल गेम्स का इनॉगरेशन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में ‘खेलो इंडिया स्कूल गेम्स’ का इनॉगरेशन किया। इस पहल के तहत सरकार स्पोर्ट्स में बच्चों के टैलेंट को पहचानने और निखारने का काम करेगी। लॉन्चिंग के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा की ओलिम्पिक में देश को मजबूत बनाने के लिए ये पहला कदम है। बता दें कि इस प्रोग्राम में 17 साल और इससे कम उम्र के बच्चे हिस्सा ले रहे हैं। सरकार देश में स्पोर्ट्स कल्चर को बढ़ावा देना चाहती है। देशभर के युवा अलग – अलग इवेंट्स में 199 गोल्ड, 199 सिल्वर और 275 ब्रॉन्ज मेडल्स जीतने के लिए हिस्सा ले रहे हैं।

पीएम ने क्या कहा?

नरेन्द्र मोदी ने कहा, “देश के सबसे अच्छे एथलीटों को सरकार की तरफ से बेहतरीन ट्रेनिंग और सबसे अच्छे कोचेस मुहैया कराए जाएंगे। अगर जरूरत पड़ी तो हम उन्हें और अच्छी ट्रेनिंग के लिए विदेश भी भेजेंगे।”

“इस प्रोग्राम का मकसद है कि कोई भी गरीब खिलाड़ी कभी पैसों की कमी की वजह से खेलना ना छोड़े।”

किन खेलों में हिस्सा ले रहे युवा?

युवाओं के टैलेंट को बढ़ावा देने के लिए प्रोग्राम में आर्चरी(तीरंदाजी), बैडमिंटन, बॉस्केटबॉल, स्विमिंग, शूटिंग, वॉलीबॉल, वेटलिफ्टिंग, रेसलिंग, खो-खो, जूडो, कबड्डी, जिम्नास्टिक्स, हॉकी, फुटबॉल और बॉक्सिंग जैसे खेल शामिल किए गए हैं।

स्पोर्ट्स कल्चर को बढ़ावा देगी सरकार

प्रोग्राम के तहत एक हाई-पावर्ड कमेटी कुछ चुनिंदा प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को 8 साल तक 5 लाख रूपए प्रतिवर्ष के हिसाब से आर्थिक मदद देगी।

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चीन ने कहा, नरेन्द्र मोदी सरकार के आने के बाद से बढ़ रही भारत की जोखिम लेने की क्षमता

डोकलाम में भारत के दबाव में पीछे हटने को मजबूर हुए चीन ने मोदी सरकार की विदेश नीति पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। चीन ने कहा है कि मोदी सरकार में भारत की विदेश नीति काफी जीवंत और मुखर हुई है। चीन के एक प्रमुख सरकारी थिंक-टैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भारत की जोखिम लेने की क्षमता बढ़ रही है। चाइना इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल स्टडीज (CIIS) के उपाध्यक्ष रोंग यिंग ने कहा कि पिछले 3 साल से ज्यादा समय में भारत की डिप्लोमैसी काफी दृढ़ हुई है।

चीन के विदेश मंत्रालय से संबद्ध थिंक-टैंक के अधिकारी ने कहा कि भारत ने काफी अलग और अद्वितीय ‘मोदी डॉक्ट्रीन’ बनाई है। नए हालात में एक महाशक्ति के तौर पर भारत के उभार की यह एक रणनीति है। CIIS जर्नल में लिखे एक लेख में ये बातें कही गई हैं। मोदी सरकार पर किसी भी चीनी थिंक-टैंक द्वारा इस तरह की यह पहली टिप्पणी है। रोंग बतौर चीनी राजनयिक भारत में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

उन्होंने काफी गहराई से भारत के चीन, दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ संबंधों और अमेरिका व जापान के साथ घनिष्ठ रिश्तों की समीक्षा की है। उनका कहना है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की विदेश नीति काफी मुखर होती जा रही है, हालांकि इससे पारस्परिक लाभ हो रहा है। भारत – चीन संबंध पर रोंग ने कहा कि जबसे  नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, दोनों देशों के बीच संबंध स्थिर बने हुए हैं।

भारत – चीन संबंधों पर कही ये बड़ी बात

उन्होंने कहा, ‘चीन – भारत सीमा पर सिक्किम क्षेत्र में डोकलाम की घटना से न केवल बॉर्डर का मुद्दा प्रकाश में आया बल्कि इससे दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे।’ CIIS के सीनियर रिसर्च फेलो ने कहा कि भारत और चीन को एक दूसरे के विकास के लिए पारस्परिक सहयोग को लेकर रणनीतिक सहमति बनानी चाहिए।भविष्य में संबंधों पर उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों साझेदार और प्रतिद्वंद्वी हैं। उन्होंने कहा, ‘यहां सहयोग में प्रतिस्पर्धा है और प्रतिस्पर्धा में सहयोग है। सहयोग और प्रतिस्पर्धा का साथ-साथ होना आदर्श बन जाएगा। यह भारत – चीन संबंधों में यथास्थिति है, जिसे टाला नहीं जा सकता है।’

बोले – भारत के विकास में चीन बाधा नहीं

रोंग ने आगे कहा कि दोनों नेताओं में कूटनीतिक तौर पर सर्वसम्मति बनाने की जरूरत है। चीनी विशेषज्ञ ने कहा कि भारत के विकास में चीन कोई बाधा नहीं है बल्कि भारत के लिए एक बड़ा अवसर है। रोंग ने कहा, ‘कोई भी भारत के उत्थान को रोक नहीं सकता है। भारत के विकास में सबसे बड़ी बाधा भारत खुद है।’ हालांकि उन्होंने इसे स्पष्ट नहीं किया। उन्होंने कहा कि भारत के विशाल बाजार की क्षमता चीन की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा मौका प्रदान करेगी। इससे चीनी उद्यमों को ग्लोबल होने में मदद मिलेगी।

सर्जिकल स्ट्राइक का भी किया जिक्र

रोंग ने मोदी द्वारा शपथ ग्रहण समारोह में दक्षिण एशिया के सभी पड़ोसी देशों के नेताओं को बुलाने की उनकी नीति की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि पुराने प्रशासन की तुलना में मोदी डॉक्ट्रीन ने अपनी अथॉरिटी के साथ ही पड़ोसियों को लाभ पहुंचाने पर फोकस किया। इसके साथ ही दक्षिण एशिया में भारत के प्रभाव बढ़ाने की भी कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को लेकर भारत सख्त है। मोदी सरकार को पीओके से भारत के खिलाफ काम कर रहे आतंकियों के बेस पर हमला करने में थोड़ी भी हिचकिचाहट नहीं हुई। उन्होंने म्यांमार सीमा पर भारतीय सैनिकों की कार्रवाई का भी जिक्र किया।

modi sarkar ke liye saal 2018 kyon hai behad khaas

जानिए, मोदी सरकार के लिए साल 2018 क्यों है बेहद खास

मोदी सरकार के लिए साल 2018 में कई मायनों में बेहद खास माना जा रहा है। इस साल 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव और कई जगह पर लोकसभा के उपचुनाव होने वाले हैं। इतना ही नहीं अगले साल 2019 में आम चुनाव होने वाले है और केंद्र सरकार अब एक रणनीति के तहत आगे बढ़ना चाहेगी।

फरवरी माह में नॉर्थ – ईस्ट के राज्य मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड में विधानसभा चुनाव होने वाले है। साथ ही मिजोरम में भी इसी साल चुनाव होने वाले है। इतना ही नहीं बीजेपी शासित राज्य छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होंगे और बीजेपी यहां फिर से सत्ता पर काबिज होने का मौका हासिल करने की हर कोशिश में है। वहीं दक्षिण भारत के 224 विधानसभा सीटों वाले कर्नाटक में भी चुनाव होने वाले है।

विधानसभा चुनावों के अलावा कई राज्यों में लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे। उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर, बिहार की अररिया, जम्मू-कश्मीर में अनंतनाग, महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीटों पर फरवरी के बीच उपचुनाव होंगे।

pm narendra modi ke ramalla daure ka palestinian ko intezaar

पीएम मोदी के ऐतिहासिक रामल्ला दौरे का फलस्तीनियों को बेसब्री से इंतजार

भारत को बढ़ते आर्थिक महाशक्ति के रूप में वर्णित करते हुए फलस्तीन के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी का अगले महीने में पश्चिमी तट का ऐतिहासिक दौरा न केवल दोनों पक्षों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और बढ़ाने के लिए जारी रहेगा बल्कि फलस्तीनियों को भी मोदी के ऐतिहासिक रामल्ला दौरे का भी बेसब्री से इंतजार है।

फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के कूटनीतिक सलाहकार मजदी खाल्दी ने कहा कि इस्राइल और फलीस्तीन के संबंध में डी-हाइफनिंग संबंधों की रणनीति का पालन करते हुए नरेंद्र मोदी 10 फरवरी को फलस्तीन आ रहे हैं। वह वेस्ट बैंक में फलस्तीन के रामल्ला का दौरा करेंगे। हालांकि अपनी तीन देशों की यात्रा के दौरान इस बार मोदी इस्राइल नहीं जा रहे हैं। वह फलस्तीन के अलावा संयुक्त अरब अमीरात और ओमान की भी यात्रा करेंगे।

खाल्दी ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक यात्रा है। उनकी यह महत्वपूर्ण यात्रा है, जिससे हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत किया जाएगा। इससे पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2016 में इस्राइल का दौरा किया था। यह उनका द्विपक्षीय दौरा था।

इस बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री पहली बार फलस्तीन आ रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सन 2015 में जॉर्डन, फलस्तीन और इस्राइल के अपने दौरे के दौरान रामल्ला का दौरा किया था। वहीं, इस महीने की शुरुआत में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भारत के दौरे पर आए थे।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन करने वाले हैं। 9 से 12 फरवरी के बीच फिलिस्तीन, यूएई और ओमान की यात्रा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। फिलहाल संयुक्त अरब अमीरात में सिर्फ एक ही हिंदू मंदिर है, जो दुबई में स्थित है। पीएम नरेंद्र मोदी की साल 2015 में यात्रा के दौरान यूएई सरकार ने अबू धाबी में मंदिर निर्माण के लिए जमीन के आवंटन का ऐलान किया था। सरकार ने अल-वाथबा इलाके में मंदिर के निर्माण के लिए 20,000 स्क्वेयर मीटर आवंटित की थी।

इस मंदिर के निर्माण के लिए प्राइवेट तौर पर फंडिंग की जा रही है। यूएई में करीब 26 लाख भारतीय रहते हैं, जो वहां की आबादी का 30 फीसदी हिस्सा हैं। पीएम नरेंद्र मोदी 10 फरवरी की शाम को अबू धाबी पहुंचेंगे और अगले दिन दुबई जाएंगे। 11 फरवरी, रविवार को वह दुबई ओपेरा में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित भी कर सकते हैं। इस इवेंट में तकरीबन 1,800 लोग हिस्सा ले सकते हैं।

इसके अलावा 11 फरवरी से ही शुरू हो रहे तीन दिनों के वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट में भी पीएम नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लेंगे। बता दें कि सन 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूएई दौरे के बाद से ही भारत के साथ उसके आर्थिक और रक्षा संबंधों में तेजी आई है। गौरतलब है कि सन 2017 में रिपब्लिक डे परेड में भी अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहयान चीफ गेस्ट भी थे।

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बजट सत्र से पहले पीएम नरेंद्र मोदी बोले – तीन तलाक बिल पास कर मुस्लिम महिलाओं को तोहफा

संसद का बजट सत्र आज से शुरू हो रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ ही सत्र की शुरुआत होगी, जिसके बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेंगे। बजट सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इस बजट सत्र में मैं सभी राजनीतिक दलों से अपील करूंगा कि तीन तलाक बिल को पास करवाएं। और मुस्लिम महिलाओं को नए साल का तोहफा दें।

बजट सत्र के बारे में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये सत्र महत्वपूर्ण है, पूरा विश्व भारत की अर्थव्यवस्था के प्रति आशावान हैं। भारत की प्रगति पर दुनिया की सभी एजेंसियों ने मुहर लगाई है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये बजट देश की तेज गति से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था को और भी ऊर्जा देगा। उन्होंने कहा कि बजट के बाद अलग-अलग कमेटियों में इस पर चर्चा होगी। जिसमें विपक्ष कमियां बताएगा और सत्ता पक्ष तारीफ करेगा। बजट पर एक अच्छी बहस की उम्मीद है। हमने ऑल पार्टी मीटिंग में भी इस बात पर चर्चा की थी।

बतौर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का यह पहला अभिभाषण होगा। राष्ट्रपति का अभिभाषण दरअसल केंद्र सरकार का दस्तावेज होता है। जिसमें केंद्र सरकार की पिछले साल की उपलब्धियों के साथ-साथ आगामी वित्तीय वर्ष के लिए सरकार के विज़न, योजनाओं और एजेंडे का खाका होता है। बजट सत्र का पहला भाग 29 जनवरी से 9 फरवरी तक चलेगा, वहीं दूसरा हिस्सा 6 मार्च से 6 अप्रैल तक चलेगा।

लोकलुभावन बजट की संभावना कम

आपको बता दें कि हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे संकेत दिए थे। कि यह बजट लोकलुभावन नहीं होगा। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आगामी आम बजट कोई लोकलुभावन बजट नहीं होगा और सरकार सुधारों के अपने एजेंडे पर ही चलेगी, जिसके चलते भारतीय अर्थव्यवस्था “पांच प्रमुख” कमजोर अर्थव्यवस्थाओं की जमात से निकलकर दुनिया का “आकर्षक गंतव्य” बन गया है।

एक फरवरी को पेश होगा बजट

1 फरवरी 2018 को यानी गुरुवार के दिन वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली आम बजट पेश करेंगे। वित्त मंत्री के साथ इस बजट को तैयार करने में कई लोग लगे हुए हैं। हंसमुख अध‍िया वित्त सच‍िव हैं। 1981 के गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। बजट टीम में अध‍िया सबसे अनुभवी अध‍िकारी हैं। वह इस साल टीम की अगुवाई कर रहे हैं।

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पीएम मोदी ने NCC कैडेट्स से कहा- भ्रष्‍टाचार से लड़ने के लिए मेरे सैनिक बनो, आज कई भ्रष्‍ट CM जेल में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनसीसी की रैली को संबोधित करते हुए कहा कि एनसीसी कैडेट्स को करीब एक महीना अनेक नए मित्रों के साथ मिलने का मौका मिलता है। हर कोई अपने-अपने साथ अपनी विवधिताओं को लेकर आता है। महीने भर में ऐसा माहौल बन जाता है कि आप सबके बीच अटूट सा नाता बन जाता है। जब आप दूसरे राज्‍यों के कैडेट्स से मिलते होंगे तो आपको विविधता को जानने का मौका मिलता है। यहां आकर आपको देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिलती है। यहां आकर जो आप सीखते हैं वह जिंदगी भर आपके साथ रहता है।

उन्‍होंने कहा कि लोगों को लगाता था कि अमीर लोगों को कुछ नहीं हो सकता है. लेकिन आज चीजें बदल चुकी हैं। उन्‍होंने कहा कि आज भ्रष्‍टाचार करने वाले मुख्‍यमंत्री जेल में हैं। उन्‍होंने कहा कि भ्रष्‍टाचार और ब्‍लैक मनी के खिलाफ लड़ाई बंद नहीं होनी चाहिए क्‍योंकि यह युवा भारत की लड़ाई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह लड़ाई रुकने वाली नहीं है। भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ लड़ाई देश के नौजवानों के भविष्य के लिए है। भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ लड़ाई नहीं रुकेगी। उन्होंने कहा कि वह देश के नौजवानों, एनसीसी कैडेटों से कुछ मांगना चाहते हैं और उन्हें उम्मीद है कि वे उन्हें निराश नहीं करेंगे।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं आपसे वोट देने और राजनीतिक प्रगति के लिए नहीं भारत को इस भ्रष्‍टाचार रूपक दीमक से मुक्ति दिलाने के लिए मदद मांग रहा हूं। आपको लगता होगा कि हम ज्‍यादा से ज्‍यादा किसी से कुछ लेंगे नहीं या फिर देंगे नहीं। इससे कुछ होगा नहीं। आपको साल में 100 नए परिवार को इसके लिए जोड़ना होगा। इतना ही नहीं आप जब कुछ खरीदने जाएं तो वहां कैश से पेमेंट नहीं करें। हम मोबाइल वाले हो गए हैं और भीम एप से पेमेंट करें। इतना ही नहीं जहां जाएंगे वहां भी लोगों और दुकानदारों से इसका उपयोग करने को कहें। इससे हम भ्रष्‍टाचार मुक्‍त भारत की तरफ कदम उठा पाएंगे। कैडेट्स मिशन मोड में इस मिशन को उठा लें। उन्‍होंने कहा कि एनसीसी 70 साल की हो गई है और इससे सेंस ऑफ मिशन मिलता है। हमारा युवा आज भ्रष्‍टाचार को सहने के लिए तैयार नहीं है।

उन्‍होंने कहा कि हम अपने भीतर विशाल भारत को संजोने लगते हैं। भारत के लिए कुछ करने का जज्‍बा कैसे पैदा हो जाता है पता भी नहीं चलता है। इससे पहले पीएम मोदी ने एनसीसी निदेशालयों की टु‍कडियों को सलमी ली और सलामी गारद का निरीक्षण किया। इस कार्यक्रम में रक्षामंत्री, सेना, वायुसेना और नौसेना के अध्‍यक्ष भी मौजूद थे।