Monthly Archives: January 2019

Pm narendra modi ne ki students se pariksha pe charcha

पीएम मोदी ने “परीक्षा पे चर्चा” कार्यक्रम में दिए छात्रों को सफलता के मंत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इस साल होने वाली बोर्ड परीक्षाओं से पहले छात्र-छात्राओं को तनाव से मुक्‍त रहने के टिप्‍स देने के लिए उनसे ‘परीक्षा पे चर्चा 2.0’ की। पीएम मोदी ने इस दौरान कहा ‘मेरे लिए ये कार्यक्रम किसी को उपदेश देने के लिए नहीं है। मैं यहां आपके बीच खुद को अपने जैसा, आपके जैसा और आपकी स्थिति जैसा जीना चाहता हूं, जैसा आप जीते हैं।’


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम के जरिए छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से रूबरू हुए। इस इंटरैक्टिव सेशन में पीएम मोदी ने कई ऐसे सवालों के जवाब दिए जो एग्जाम से पहले छात्रों को परेशान करते हैं। उन्होंने डिप्रेशन और उम्मीदों के प्रेशर पर भी लंबी चर्चा की।

यहां पढ़ें परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम की कुछ खास बातें।

निशान चूक जाए तो माफी है, लेकिन निशान नीचा रखने की कोई माफी नहीं


गुजरात में हम कहावत सुनते हैं- निशान चूक जाते हैं तो माफ हो सकता है, लेकिन निशान नीचा रखते हैं तो उसके लिए माफी नहीं हो सकती। लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जो पहुंच में हो लेकिन पकड़ में न हो।

कुछ खिलौनों के टूटने के बचपन नहीं मरा करता


परीक्षा का महत्व होता है इसलिए मैं यह नहीं कहूंगा कि छोड़ो यार जो होगा देखा जाएगा। लेकिन सिर्फ एक क्लास की परीक्षा है, जिंदगी की नहीं। अभी नहीं तो कभी नहीं जैसी कोई बात नहीं होती। परीक्षा के बाहर भी बहुत बड़ी दुनिया होती है। कुछ खिलौनों के टूटने से बचपन नहीं मरा करता, एकाध एग्ज़ाम में इधर-उधर हो जाये तो ज़िंदगी ठहर नहीं जाती।

बच्चे के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड न बनाए पेरेंट्स

दबाव से परिस्थिति बिगड़ जाती है। आपने कुछ बनाया है तो बच्चा उसे मन से खाएगा। लेकिन अगर आप पीछे पड़ जाओ कि खाओ, खाओ, खाओ तो उसका मन उठ जाएगा। कई बार माता-पिता किसी फंक्शन में जाते हैं तो अपने बच्चे के रिपोर्ट का कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड बनाकर पेश करते हैं। ऐसा न करें। बच्चे की सफलता-असफलता को अपनी नाक का सवाल न बनाएं।

पैरेंट्स का सकारात्मक नजरिया बच्चों के लिए ताकत बन जाता है


अभिभावकों का सकारात्मक नजरिया बच्चों की ताकत बन जाता है। माता-पिता को अपने बच्चे की दूसरों के बच्चे से तुलना करने की आदत छोड़नी चाहिए। इसका बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बच्चा 90 क्यों नहीं लाया इसके लिए उसे कोसने की बजाए हमें उसे 55 से 60 लाने के लिए बधाई देनी चाहिए। उसकी गलतियां बताएं लेकिन प्यार से।

कसौटी कसती है, वह कोसने के लिए नहीं होती

छोटी-छोटी परीक्षाओं से बड़ी परीक्षा की तैयारी होती। जब आपकी जिंदगी में कोई कसौटी आती है तो आपका कोई न कोई टैलेंट उभरकर सामने आता है। इसलिए कसौटी को कोसें नहीं, क्योंकि वह आपको कसने आती है। नॉलेज के लिए पढ़ें परीक्षा के लिए नहीं। हम नंबरों के पीछे भागते हैं और जिंदगी पीछे छूटती जाती है। जिंदगी के के पीछे भागें नंबर खुद आपके पीछे आएंगे।

जिसके अंदर आत्मविश्वास होता है उसे तालियों की आवाज से फर्क नहीं पड़ता

जिसके अंदर आत्मविश्वास होता है कि उसे इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि कितनी तालियां बजी। वह अपनी सफलता को लेकर आश्वस्त होता है। उसके अंदर ये विश्वास होता है कि एक न एक दिन मैं कुछ न कुछ ऐसा करूंगा कि टीचर खुद मुझे नोटिस करेंगे।

Modi doing great job for the connection between India and NRIs

प्रवासी भारतीयों को भारत से जोड़ने के कार्य में सेतु का कार्य कर रहे हैं पीएम मोदी

आज़ादी के पहले भारत कई छोटे छोटे रियायतों में बंटा हुआ था। महात्मा गांधी ने पूरे भारत में घूम घूम कर आम लोगों में भारतीयता का संचार किया। जिसके परिणाम स्वरूप सन 1947 में भारत को स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई। कुछ ऐसी ही भारतीयता का फैलाव वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने विश्वभर में रह रहे भारतीयों के मध्य किया है। जब से मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं तबसे उनकी जितनी भी विदेश यात्राएं हुई हैं उन सभी यात्राओं में उन्होंने उस देश में रह रहे भारतीयों से मुलाक़ात की है। इस प्रकार वे विश्व भर में रह रहे भारतीयों को भारत से जोड़ने वाले सेतु की तरह कार्य कर रहे हैं।


भारत की विविधता को एकता के सूत्र में बांधने का काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले पांच सालों में किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने देश के अलग-अलग क्षेत्रों और राज्यों में रहने वालों को विकास की मुख्यधारा से ही नहीं जोड़ा है बल्कि विश्व के विभिन्न देशों में बसे भारतवासियों को भी भारत के विकास और संस्कृति से जोड़ने का काम किया है। भारत के साथ प्रवासी भारतीयों के भावनात्मक संबंध को प्रधानमंत्री मोदी ने दिल से समझा और उसे जीवंतता दी है। उन्होंने इसके लिए व्यक्तिगत स्तर पर तो कदम उठाये ही साथ ही साथ सरकार के स्तर पर भी कई कदम उठाए हैं।

जैसा की आपको ज्ञात होगा हर साल प्रवासी भारतीयों के लिए भारत में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन किया जाता है। इस साल इस समारोह का भव्य समारोह प्राचीन सांस्कृतिक नगरी काशी में किया गया। काशी को भारत की सांस्कृतिक राजधानी के नाम से भी विश्व भर में जाना जाता है। ऐसे में इस शहर में आकर प्रवासी भारतीयों ने खुद को भारत की संस्कृति से जुड़ा हुआ पाया। यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की दूरदृष्टि भी है की उन्होंने काशी को इस प्रकार के आयोजन के लिए चुना वह भी ऐसे वक़्त में जब काशी से कुछ ही दूरी पर स्थित प्रयागराज शहर में भारतीय संस्कृति का महोत्सव कुम्भ लगा हुआ है।


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री के बाद से ही प्रवासी भारतीयों से सतत संवाद की शुरुआत कर दी थी जो आज भी जारी है चाहे वो विदेशों में प्रवासी भारतीयों से मिलना हो या भारत में उनका स्वागत करना हो मोदी जी हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। इस तरह के समारोहों से प्रवासी भारतीयों को अपने देश के प्रति अपनेपन का अहसास होता है और वे भारत के प्रति अपने दायित्व को समझते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने प्रवासी भारतीयों को भारत से जोड़ने के लिए उनकी सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा है। आज प्रवासी भारतीय को वीजा के लिए एम्बेसी के ज्यादा चक्कर नहीं लगाने होते हैं और कुछ ही मिनटों में उनका काम हो जाता है। यही नहीं, आने-जाने के लिए हवाई सेवाओं की सुविधा को भी प्रवासी भारतीयों के लिए सुगम बना दिया गया है। सोशल मीडिया के माध्यम से विदेश मंत्रालय हर समस्या का समाधान करने को तत्पर रहता है जिससे विदेशों में रह रहे भारतीयों को तुरंत मदद पहुंचाई जा सके।


आज प्रवासी भारतीय मोदी जी द्वारा बेहतर किये गए माहौल में भारत में निवेश के लिए प्रेरित हो रहे हैं। शायद इसी का परिणाम है कि आज प्रवासी भारतीय देश की इकोनॉमी में करोड़ों डॉलर का निवेश कर रहे हैं। ऐसा निवेश पहले संभव नहीं था पर अब मोदी जी के नेतृत्व में ईज आफ डूईंग बिजनेस की सूची में भारत को कई पायदान आगे कर दिया है जिस कारण बहुत सारे निवेशक भारत की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं।


बहरहाल ये सब तो शुरुआत भर है, अभी विदेशों में रह रहे भारतीयों और भारत के बीच सेतु का कार्य कर रहे मोदी जी इस गठजोड़ को और ज्यादा मज़बूती देंगे और एक दिन ऐसा आएगा जब पूरे विश्व के भारतीय भारत में रह रहे भारतीयों के साथ कंधे से कंधा मिला कर आगे बढ़ेंगे।

pm modi ke kushal netratwa me ho raha sabka saath sabka vikas

कुछ ऐसे हो रहा है प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में ‘सबका साथ सबका विकास’

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने जब 2014 लोकसभा चुनावों का प्रचार अभियान आरम्भ किया था तभी से ‘सबका साथ सबका विकास’ नारा उनके व्यक्तित्व को परिभाषित करने लग गया। हालांकि इस नारे का कार्यान्वयन वे अपने गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए करते आये थे, पर अखिल भारतीय स्तर पर ये सबकुछ कर पाना इतना भी आसान नहीं था। परन्तु जिस तरह गुजरात के भुज में आये भयानक भूकंप की तबाही के बाद मोदी जी ने गुजरात को सफलता के पथ पर तीव्रता से बढ़ाया था उसी प्रकार यूपीए सरकार के दौरान भ्रष्टाचार वाले दल-दल में डूबे भारत को मोदी जी ने बहुत हद तक सफलता के सफर पर अग्रसर कर दिया।

आज सरकार विकास की तेज रफ्तार में समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चल रही है जिससे किसी एक विशेष वर्ग को लाभ मिलने के बजाय पूरा भारत एक साथ आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दलितों और पिछड़े वर्ग के साथ साथ सामान्य वर्ग के वंचित लोगों तथा महिलाओं के विकास का भी पूरा पूरा ख्याल रखा है। यही तो प्रधानमंत्री मोदी जी के उस ‘सबका साथ-सबका विकास’ वाले नारे का मूल मन्त्र भी है और यही मन्त्र उनकी योजनाओं और कार्यक्रमों में भी बखूबी नजर आता है।

अगर बात दलितों के उत्थान की करें तो ‘दलित एट्रोसिटी एक्ट’ पर संविधान संशोधन करना, मुंबई, दिल्ली और लंदन आदि शहरों में बाबा साहब भीम राव अंबेडकर जी के स्मारक बनाना, मुंबई में बाबा साहब की 250 मीटर ऊंची प्रतिमा का निर्माण करवाना आदि कुछ ऐसे कदम रहे जो अहम् माने जा सकते हैं। इसके अलावा दलित आरक्षण के बारे में विपक्ष द्वारा अफवाह फैलाने पर सरकार द्वारा दृढ़ता से ये कहना कि ‘दलितों को मिलने वाला आरक्षण कोई हटा नहीं सकता’ दलित वर्ग में मोदी जी को और ज्यादा लोकप्रिय बना गया।

जहाँ बात पिछड़ा वर्ग की आती है तो मोदी जी की सरकार ने ‘पिछड़ा वर्ग आयोग’ को संसद से संवैधानिक दर्जा दिलाया वो भी तब जब इसमें विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्यसभा में रोड़े भी अटकाये थे, फिर भी सरकार ने इस बिल को पास करवाया। इसके अलावा ओबीसी कोटे में सबसे पिछड़ी जातियों की सब कैटेगरी बनाने की तैयारी भी पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए एक अच्छी पहल मानी जा सकती है।

हाल ही में मोदी जी की सरकार ने सामान्य/मध्यम वर्ग जिन्हें अनारक्षित वर्ग भी कहा जाता था, को 10 फीसदी आरक्षण देने का बिल पास करवाया। इस बिल से सामान्य वर्ग के वंचितों को एक उम्मीद दिखी है कि सरकार उनके लिए भी सोचती है। इसके अलावा मिडिल क्लास को पहली बार मिली होम लोन में छूट और मुद्रा, उड़ान जैसी योजनाओं का भी सबसे ज्यादा फायदा इसी वर्ग के लोगों को मिला है।

हर सरकार महिला वर्ग के उत्थान की बात करती है पर ज्यादातर सरकारों में महिलाओं की उपस्थिति कम रहती है। मोदी जी ने अपने कैबिनेट में 7 अहम मंत्रालय महिलाओं को दिए हुए हैं। पहली बार रक्षा मंत्रालय का प्रभार एक महिला मंत्री को दिया गया है। उज्जवला योजना, सुरक्षित मातृत्व अभियान, सुकन्या समृद्धि योजना, वुमन हेल्पलाइन आदि कई अन्य योजनाओं की सबसे ज्यादा लाभार्थी महिलाएं ही हैं। इससे हम मान सकते हैं कि मोदी सरकार ने कहने से ज्यादा किया है और सही मायनों में महिला सशक्तिकरण किया है।

PM Narendra Modi speaks at BJP National Convention in Delhi

भाजपा राष्ट्रीय अधिवेशन में बोले पीएम मोदी, विपक्ष चाहता है मजबूर सरकार, लेकिन देश चाहता है मजबूत सरकार

रामलीला मैदान में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में चुटकी लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरा मन आज ज्‍यादा बोलने का है। उन्‍होंने कहा कि कभी दो कमरों से चलने वाली पार्टी, दो सांसदों वाली पार्टी आज इस विशाल स्वरूप में अपना राष्ट्रीय अधिवेश कर रही है जो अपने आप में अद्भुत और अविस्मरणीय है। यह राष्ट्रीय परिषद की पहली बैठक है जो अटलजी के बिना हो रही है। वो आज जहां से भी हमें देख रहे होंगे, उन्हें अपने बच्चों की इस ऊर्जा औ राष्ट्र के प्रति समर्पण को देखकर संतोष हो रहा होगा।


कांग्रेस पर सीधा प्रहार करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘2014 से पहले देश उस स्थिति में था जब बैंकों में अपना पैसे जमा करने वालों की कोई कद्र नहीं थी। जिनके पास जनता के पैसे की रक्षा की जिम्मेदारी थी, वो ही जनता का पैसा लुटा रहे थे, कांग्रेस की सरकार में जनता का पैसा घोटालेबाजों को लोन के रूप में दिया जा रहा था। कांग्रेस के समय लोन लेने के दो तरीके थे। एक था कॉमन प्रोसेस और दूसरा कांग्रेस प्रोसेस। कॉमन प्रोसेस में आप बैंक से लोन मांगते थे और कांग्रेस प्रोसेस में बैंकों को कांग्रेस के घोटालेबाज मित्रों को लोन देने के लिए मजबूर किया जाता था। आजादी से लेकर 2008 तक 60 सालों में बैंकों ने मात्र 18 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया था। लेकिन 2008 से 2014 तक ये आंकड़ा बढ़कर 52 लाख करोड़ हो गया यानि कांग्रेस के आखरी 6 साल में 34 लाख करोड़ के लोन दिए गए। हमने कांग्रेस प्रोसेस वाली लोन व्यवस्था पर लगाम लगाई है। इसका परिणाम है कि जहां पहले बैंकों का पैसा जा रहा था, वहीं अब बैंकों का पैसा वापस आ रहा है।’


कांग्रेस पर तंज कसते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल ने ये साबित किया है कि सरकार बिना भ्रष्टाचार के भी चलाई जा सकती है और सत्ता के गलियारों में टलहने वाले दलालों को भी बाहर किया जा सकता है। भाजपा सरकार के कार्यकाल ने ये साबित किया है कि देश सामान्य नागरिक के हित में बदल सकता है। भाजपा की सरकार का मूलमंत्र है सबका साथ-सबका विकास और एक भारत-श्रेष्ठ भारत। जब हम एक भारत-श्रेष्ठ भारत की बात करते हैं तो उनमें क्षेत्रीय अस्मिताओं और आकांक्षाओं के लिए पूरा स्थान है। सामान्य श्रेणी के गरीब युवाओं को शिक्षा और सरकारी सेवाओं में 10% आरक्षण नए भारत के आत्मविश्वास को आगे बढ़ाने वाला है। ये सिर्फ आरक्षण नहीं है, बल्कि एक नया आयाम देने की कोशिश है।


पीएम मोदी ने कहा कि भाजपा के हर कार्यकर्ता को इस व्यवस्था के पीछे के भाव और इसके लाभ को समाज के भीतर व्यापक चर्चा करनी चाहिए। कुछ लोग कोशिश कर रहे है कि इस बारे में भ्रम फैला कर असंतोष की आग लगाते रहे। हमें उनकी साजिशों को भी नाकाम करते चलना है। बेटियां सक्षम हैं और शक्ति का रूप भी हैं। यही कारण है कि भारत के इतिहास में पहली बार सशस्त्र बलों में बेटियों की भागीदारी सुनिश्चित हो रही है, बेटियां फाइटर प्लेन उड़ा रही हैं। जब हम किसानों की समस्या के समाधान की बात करते हैं तो पहले की सच्चाइयों को स्वीकार करना जरूरी है। पहले जिनके पास किसानों की समस्याओं का हल निकालने का जिम्मा था, उन्होंने शॉर्टकट निकाले, उन्होंने किसानों को सिर्फ मतदाता बना रखा। हम अन्नदाता को ऊर्जादाता भी बनाना चाहते हैं। हमारी सरकार ने स्वामिनाथन आयोग की सिफारिशों को न सिर्फ लागू किया बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि किसानों को एमएसपी का डेढ़ गुना दाम मिले। पहले दाल की कीमतों को लेकर कितना हल्ला मचाया जाता था। अब कितने दिन हो गए कि टीवी पर दाल की कीमतों पर ब्रेकिंग न्यूज नहीं आई। यह संभव हुआ क्योंकि हमारी सरकार ने नई नीतियां बनाई हैं। यूपीए सरकार ने अपने आखिरी पांच साल में किसानों से 7 लाख मीट्रिक टन दलहन और तिलहन की खरीद की। हमने बीते साढ़े चार साल में 95 लाख मीट्रिक टन उपज किसान से खरीदी। अब भी हम किसानों के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं।


उन्‍होंने बताया कि पहले से जिनको आरक्षण की सुविधा मिल रही थी उनके हक को छेड़े बिना, छीने बिना भाजपा सरकार द्वारा सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण का प्रावधान किया गया है। आज के युवा को पता है कि उसकी आवाज सुनी जा रही है। वह जानता है कि उसके देश की शान मजबूत हो रही है। वह जानता है कि देश की आर्थिक और सामरिक हैसियत मजबूत हो रही है।


पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब सरकार भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा है। हम सब इस बात पर गर्व कर सकते हैं। जो परिपाटी अटल जी हमारे लिए छोड़ गए हैं, उसे हमें मजबूत करना है। केंद्र में बीजेपी की सरकार और राज्यों में 16 राज्यों में हम सरकार चला रहे हैं या गठबंधन में हैं। देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब सरकार भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा है। हम सब इस बात पर गर्व कर सकते हैं। पहले की सरकार उसने देश को बहुत अंधेरे में धकेल दिया था। अगर मैं कहूं कि भारत में 2004-2014 के अहम दस साल घोटालों और भ्रष्टाचार के आरोपों में गंवा दिए तो गलत नहीं होगा। सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के पहले पीएम बनते तो देश की तकदीर कुछ अलग होती।

जीएसटी को अर्थव्‍यवस्‍था के लिए उचित कदम बाते हुए पीएम मोदी ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद अगर सरदार बल्लभ भाई पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री बनते तो देश की तस्वीर कुछ और ही होती, वैसे ही 2000 के चुनाव के बाद अगर अटल जी प्रधानमंत्री बने रहते तो आज भारत कहीं और होता। इतने सारे लोगों का स्वेच्छा से रियायतें छोड़ देना, उद्यमियों का जीएसटी से जुड़ते जाना और आयकर भरने वालों की संख्या में जुड़ते जाना.. यह इसलिए हो रहा है कि देश के निर्माण में हर कोई आगे आ रहा है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साढ़े चार साल में भाजपा के नेतृत्व में जिस तरह हमारी सरकारें चली है, उससे जनमानस में यह भाव स्थापित हुआ है कि देश को ऊंचाई पर अगर कोई दल ले जा सकता है तो वह सिर्फ और सिर्फ भाजपा है। राष्ट्रीय परिषद में किसान, गरीब और वर्तमान राजनीति से जुड़े प्रस्ताव रखे गए हैं। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हमें इन प्रस्तावों में लिखी एक-एक बात याद हो। ये बातें घर-घर तक पहुंचनी चाहिए।


रामलीला मैदान में भारतीय जनता पार्टी की अब तक की सबसे बड़ी दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक जारी है। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के गृहमंत्री राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ, अरुण जेटली समेत कई दिग्गज नेता शामिल हैं। कार्यक्रम की शुरुआत से पहले पीएम मोदी ने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।

इससे पहले बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने कहा कि हमारी सरकार आने से पहले वाली सरकार की भ्रष्टाचार और खराब नीतियां सरकार का अहम हिस्सा थी। हम जब से सत्ता में आये हैं, हमने सुशासन और व्यापार सुगमता को बढ़ावा दिया है। हमने अपने सारे वादे पूरा करने की कोशिश की है। वहीं रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘2014 के बाद से अब तक मोदी सरकार ने आतंकियों को शांति भंग करने का एक मौका नहीं दिया। उधर राष्ट्रीय परिषद की बैठक में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमने डेढ़ साल में धर्म और जाति को परे रखते हुए 18 लाख गरीबों को घर दिया है। पांच साल में समाजवादी पार्टी ने सिर्फ 63,000 घर बनाये थे।

बता दें कि कुछ ही दिन पहले शाह ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए 17 कमेटी भी बनाई है। राज्यों के प्रभारियों और सह प्रभारियों की नियुक्ति भी हो चुकी है।

general category reservation bill is a great milestone

आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग के वंचितों को आरक्षण देने का निर्णय एक मील का पत्थर है

आरक्षण के मुद्दे पर अक्सर हम सामान्य वर्ग में आने वाले सभी लोगों से एक बात सुनते हैं कि ‘जब गरीबी जाति देखकर नहीं आती, तो आरक्षण जाति देखकर क्यों दिया जाता है?’ हालांकि आज़ादी के बाद जातिगत तौर पर आरक्षण देने की जो भी वजह रही हो, उस वजह को स्वीकार करते हुए भी इस तर्क को नकारा नहीं जा सकता है कि गरीबी किसी की जाति नहीं देखती है और आरक्षण दिए जाने के अब तक के इसी विरोधाभास को हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की कुशल सरकार ने समझा और इसे दुरुस्त करने हेतु अपने कदम आगे बढ़ा दिए हैं।


आज़ादी के बाद से चले आ रहे जातीय आरक्षण के बहुत सारे फायदे हुए होंगे पर एक जो नुकसान हुआ वो है सामान्य वर्ग के वंचित और ग़रीबों के बीच इसका गलत संदेश जाना। सामान्य वर्ग के वंचितों को अब तक ऐसा लगता था की उनकी गुहार कोई भी सरकार नहीं सुनती, उनकी बेहतरी की तरफ किसी सरकार का कोई ध्यान नहीं है। पर अब जातीय आरक्षण से जाने वाले इस गलत संदेश को सही किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने सामान्य वर्ग के वंचितों के लिए 10% के आरक्षण की व्यवस्था कर उन वंचितों की आँखों में भी उम्मीद की किरण भर दी है जिन्हे किसी भी सरकार पर भरोसा नहीं बचा था।

आज कल के परिवेश में जब विपक्ष हर मुद्दे पर अनर्गल रोड़े अटकाता रहता है ऐसे में इस 10% आरक्षण के बिल को सफलता से संसद के दोनों सदन में पास करवाना भी एक टेढ़ी खीर थी पर सरकार ने इसे बड़े आराम से पास करवा लिया इसके लिए सरकार की तारीफ़ की जानी चाहिए। इस बिल की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि यह बिल पूरे भारत को एक सूत्र में जोड़ता है। इस बिल में ना किसी जाति का बंधन है और ना ही किसी धर्म का बंधन है। इस बिल में हर धर्म से आने वाले सामान्य वर्ग के आर्थिक तौर से वंचित लोगों के लिए आरक्षण की सुविधा मुहैया करवाने की बात की गई है जो इस बिल की सबसे बड़ी खूबी है।

भारतीय इतिहास में आर्थिक तौर से वंचित लोगों को सहायता देने के लिए इस बिल को एक उदाहरण की तरह देखा जाएगा। इस निर्णय से आने वाले भविष्य में हर वर्ग और हर धर्म के वंचित लोगों के विकास के लिए सरकार द्वारा किसी प्रकार के निर्णय लेने में कोई मुश्किल नहीं आएगी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का नारा ‘सबका साथ सबका विकास’ इस निर्णय के बाद सबके समक्ष विशेष तौर से प्रतिफलित हुआ है जो भारत के विकास में एक नई इबारत लिखेगा। ये तो बस शुरुआत है, हमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में आने वाले सालों में और ज्यादा तरक्की करनी है और भारत को पुनः विश्व गुरु बनाना है।

Oppositions unity can't cant be possible against pm narendra modi

पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ सभी विपक्षी दलों का राहुल गांधी के नेतृत्व में लामबंद होना है दूर की कौड़ी

जब से केंद्र की सत्ता पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी आसीन हुए हैं तभी से वे सभी विपक्षी दलों की आँखों में खटकने लगे थे। यही वो मुख्य कारण है कि पिछले करीब साढ़े चार साल के कालखंड में अलग अलग मंचों पर एक दूसरे के धुर विरोधी दल भी महागठबंधन के नाम पर अपना गठजोड़ करते पाए गए। जहाँ एक तरफ पश्चिम बंगाल में एक दूसरे के खिलाफ जहर उगलने वाले वाम दल और तृणमूल कांग्रेस मोदी का मुकाबला करने के लिए एक मंच पर कांग्रेस के साथ नजर आये तो वही उत्तरप्रदेश में हमेशा एक दूसरे का विरोध करने वाली सपा और बसपा भी गठजोड़ करने को हामी भर चुकी है।

अब सवाल उठता है कि इन गठजोड़ों से वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को कितनी बड़ी चुनौती मिल सकती है और क्या ये सारे दल अपनी अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं को दरकिनार कर किसी एक नेता के पीछे लामबंद हो सकते हैं! ये सब कुछ ऐसे ही हो जाना इतना भी आसान नहीं जान पड़ता है क्योंकि कोई भी क्षेत्रीय नेता अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं को कभी भी पूरी तरह से दरकिनार नहीं कर सकता हैं।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और चारा घोटाले में जेल में बंद लालू यादव से जब एक बार संवाददाताओं ने पूछा था कि क्या आप प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं? तब इस सवाल के जवाब में मजाकिया अंदाज में लालू यादव ने कहा था की ‘जो भी राजनीति में है वो प्रधानमंत्री बनना चाहता हैं, मैं भी बनना चाहता हूँ। लालू यादव ने सवाल का जवाब देते हुए बिना लाग लपेट अपने दिल की बात बता दी थी, पर इस तरह से खुलकर कोई दूसरा नेता सामने आकर नहीं कह पाता है, हालांकि सारे नेताओं के दिल में ऐसी ख़्वाहिश ज़रूर रहती है, शायद इसीलिए जब भी राहुल गांधी या किसी नेता का नाम विपक्ष के तरफ से पीएम कैंडिडेट की तरफ से उछलता है तब उसे विपक्षी दलों में से ही कई नेताओं द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है और यह कह दिया जाता है की वक़्त आने पर इस बारे में निर्णय लिया जाएगा।

यही अनिर्णय की स्थिति विपक्ष की एकता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर देती है। चाहे पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी हों या फिर उत्तरप्रदेश से मायावती और मुलायम सिंह कोई भी राहुल गांधी के नाम पर एकजुट नहीं हो सकते हैं। यही कारण है कि फिलहाल उत्तरप्रदेश में सपा और बसपा गैर-कांग्रेसी/गैर-भाजपा मोर्चा बनाने के फिराक में है। इससे कम से कम उत्तरप्रदेश जो सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाला राज्य है वहां कांग्रेस की दाल गलती हुई नजर नहीं आ रही है। बहरहाल आगामी लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को अपने विकास कार्यों को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित करने की जरुरत है। जहाँ तक विपक्ष की बात है तो विपक्ष के पास कोई एजेंडा ही नहीं हैं अतः वे अपनी आपसी कलह में ही जूझते रह जाएंगे।

pm modi ne diya Jai Jawan Jai Kisan Jai Vigyan Jai Anusandhan ka naara

पीएम नरेंद्र मोदी जी ने दिया ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान’ का नया नारा

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने जब चीन युद्ध के बाद देश की सत्ता सम्हाली थी तब देश बहुत बुरे दौर से गुजर रहा था। ना सिर्फ हमारे सैन्य संसाधन खत्म थे बल्कि देश के खाद्य भंडार भी खाली हो गए थे। ऐसे समय में शास्त्री जी ने ‘जय जवान – जय किसान’ का नारा देकर देश में सैन्य और कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने का कार्य किया। यही वजह थी कि जब साल 1965 में भारत को कमजोर समझकर पाकिस्तान ने युद्ध छेड़ा तो शास्त्री जी के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को नाकों चने चबवा दिए और साथ ही साथ कृषि क्षेत्र में हरित क्रांति का सूत्रपात कर भारत को खाद्य क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनाने का कार्य किया।

‘जय जवान जय किसान’ नारे में आज से 20 साल पहले पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जय विज्ञान जोड़ते हुए भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बनाया। अब इसी नारे में वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने एक नया शब्द ‘जय अनुसंधान’ जोड़ा है। दरअसल प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी गुरूवार के दिन जालंधर में स्थित लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में चल रहे ‘इंडियन साइंस कांग्रेस’ के उदघाटन समारोह में भाषण दे रहे थे तभी उन्होंने ये नया नारा देश को दिया।


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इस दौरान सैकड़ों वर्ष से देश के विकास में अहम भूमिका निभा रहे भारतीय वैज्ञानिकों का भी धन्यवाद किया। इंडियन साइंस कांग्रेस ने इस साल ‘भविष्य का भारत, विज्ञान और तकनीक’ थीम चुना था, जिस पर प्रधानमंत्री जी ने अपने विचार रखे। मोदी जी ने यहां छात्रों को किसान हित की दिशा में कार्य करने को कहा। उन्होंने कहा, ‘हमारे देश में कई ऐसे किसान हैं जिनके पास दो हेक्टेयर से भी कम जमीन है। उनको कम श्रम से अधिक पैदावार के लिए उन्नत टेक्नोलॉजी की जरूरत है। हमने कृषि विज्ञान में काफी तरक्की कर ली है, पैदावार और गुणवत्ता भी बढ़ी है, लेकिन न्यू इंडिया की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। बिग डेटा, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन से जुड़ी तमाम टेक्नोलॉजी का कम कीमत में कारगर इस्तेमाल खेती में कैसे हो इस पर हमारा फोकस होना चाहिए।

मोदी जी ने कहा, ‘जिस तरह हम ईज ऑफ डूइंग बिजनस में आगे बढ़ रहे हैं, उसी तरह सवा सौ करोड़ भारतीयों के लिए ईज ऑफ लिविंग पर भी काम करना होगा।’ उन्होंने कहा कि अपने देश में कम बारिश वाले इलाके में बेहतर ढंग से सूखा प्रबंधन करने पर ध्यान देना होगा। इससे किसानों के साथ साथ अनेक जिंदगियां बचेंगी। इसी के साथ बच्चों में कुपोषण रोकने के लिए, चिकुनगुनिया और इंसेफ्लाइटिस मुक्त करने के लिए इलाज ढूंढना होगा।

इसके साथ ही साथ पीएम मोदी जी ने आने वाले भविष्य में विज्ञान के क्षेत्र में भारत की सफलता की कामना की है। मोदी जी ने इस दौरान ‘उन्नत भारत, आधुनिक भारत, वैज्ञानिक भारत’ का भी नारा दिया। जिस प्रकार आज भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है और विश्व में अपनी अलग पहचान बना रहा है उससे लगता है भारत के आने वाले भविष्य की कहानी विज्ञान ही लिखेगा।

Modi government has tightened the rein on corruption

मोदी सरकार ने कस रखी है भ्रष्टाचार पर लगाम

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने 2014 के लोकसभा चुनावों हेतु किये गए चुनाव प्रचार के दौरान ही पिछली सरकारों की शह पर हो रहे बड़े बड़े घोटालों से जुड़े भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाये थे और मोदी जी की सरकार आने के बाद भी हमेशा सरकार ने इन मुद्दों पर अपनी सख़्ती दिखाई है।

मोदी सरकार ने अपने अब तक के कार्यकाल में कालेधन और बेनामी संपत्ति के मुद्दे पर अभियान छेड़ा हुआ है। सरकारी विभाग जैसे आयकर विभाग आदि ने भी सख्त रवैया अपनाया है। आयकर विभाग कई बकायेदारों को कोर्ट के द्वारा सजा दिलाने में भी सफल हुआ है। कई मामलों में विभाग को भारी जुर्माने की भी रकम मिली है। आयकर विभाग द्वारा मुख्यतः उन लोगों पर कार्यवाई की जाती है जो आयकर रिटर्न सही समय पर नहीं भरते हैं या जान बूझकर आयकर की चोरी करते हैं या आय के स्रोत में फर्जी जानकारी भरते हैं या फिर आयकर देते ही नहीं है।

जानिए मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ क्या क्या कदम उठाये?

भ्रष्टाचार पर GST का प्रहार

साल 2017 के 1 जुलाई से देशभर में लागू हुआ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स अर्थात GST ने देशवासियों को अलग अलग तरह के बहुत सारे करों के जंजाल से बाहर निकाल दिया है। इससे टैक्स का संग्रह करना भी आसान हुआ है। टैक्स प्रक्रिया बिलकुल पारदर्शी हो गई है। GST के लागू होने से कच्चे बिल से होने वाली लेन देन पर भी एक हद तक लगाम लगी है। आने वाले वक़्त में कच्चे बिल वाली समस्या बिलकुल खत्म हो जायेगी क्योंकि हर व्यापार में उत्पादन से लेकर उपभोक्ता तक के मध्य होने वाले सभी सामान्य व्यक्ति को भी अपना GST रजिस्ट्रेशन करवाना ज़रुरी हो गया है। ऐसी परिस्थिति में अब हर स्तर पर लीगल बिल की जरुरत पड़ती है। लीगल या पक्के बिल की जानकारी अकाउंट में होने वाली लेन देन से जुड़ी होती है, जिस पर सरकार आसानी से नजर रख सकती है और इससे किसी भी तरह की धोखाधड़ी होने की संभावना नगण्य हो जाती है।

दो लाख से ज्यादा फर्जी कंपनी के रजिस्ट्रेशन खारिज किये गए

2016 में लागू की गई नोटबंदी के दौरान कई धोखेबाजों ने अलग अलग तरह से अपने कालेधन को सफ़ेद करने की कोशिश की। इन्ही कोशिशों में से एक थी, फर्जी कंपनियां बनाकर कालेधन को सफ़ेद करने में इस्तेमाल करना। मोदी जी की सरकार ने इन शेल कंपनियों पर नकेल कसते हुए करीब तीन लाख से भी ज्यादा ऐसी कंपनियों को चिन्हित किया। जांच में पाया की इनमें से ज्यादातर कम्पनियाँ व्यापारियों और नेताओं के कालेधन को सफ़ेद करने के लिए बनाई गई थी। सरकार ने इनमें से करीब दो लाख से ज्यादा कंपनियों पर कार्रवाई करते हुए उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया। जांच में ऐसी कम्पनियाँ भी सामने आई जहाँ एक ही पते पर 400 कंपनियाँ एक साथ चलाई जा रही हैं।

डिजिटल इंडिया के माध्यम से डिजिटलीकरण को बढ़ावा दिया

साल 2016 में लगाई गई नोटबंदी के दौरान से सरकार ने डिजिटल इंडिया प्रोग्राम को बहुत बढ़ावा दिया। मोदी सरकार ने डिजिटल रिवोल्युशन तथा डिजिटल भुगतान की व्यवस्था के लिए भीम एप्प, पीओसी और स्वाइप मशीन जैसे डिजिटल प्रोडक्ट्स को अपनाया। आज आम जनता भी इन प्रोडक्ट्स को आराम से इस्तेमाल कर रही है। इन सब माध्यमों से देश में डिजिटल तथा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान बढ़ा है। डिजिटल भुगतान से शासन प्रशासन के कार्यों में भी पारदर्शिता आ गई है।

जनधन योजना

आम लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने के लिए बनाई गई इस योजना के तहत अभी तक 32 करोड़ से ज्यादा नए बैंक खाते खोले जा चुके हैं। इससे सबसे बड़ा लाभ उन वंचित वर्ग के लोगों को हुआ है जिन्हें सरकार के द्वारा दी जा रही अलग अलग तरह की सब्सिडी के पैसे मिलते हैं। पहले ये पैसे उन्हें बिचौलिए के माध्यम से मिलते थे, जिससे कई बार वास्तविक व्यक्ति तक पैसा पहुँच ही नहीं पाता था। पर अब हर सब्सिडी का पैसा सीधे उस व्यक्ति के बैंक खाते में चला जाता है।

नोटबंदी

कालेधन पर रोकथाम के लिए मोदी जी की सरकार के द्वारा उठाया गया एक बड़ा कदम था नोटबंदी। 8 नवम्बर 2016 की रात बारह बजे से ये पूरे देश में एक साथ लागू कर दिया गया। इसके जरिये कालेधन के अलग अलग स्रोतों का पता लगा। करीब तीन लाख फर्जी कंपनियां सामने आई जो कालेधन का व्यापार करती थीं। इनमें से 2 लाख कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इसके साथ ही नोटबंदी का एक ओर सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में की जा रही टेरर फंडिंग की भी कमर टूट चुकी है।

बेनामी संपत्ति रोकथाम कानून

नोटबंदी के कुछ दिन बाद ही मोदी सरकार ने बेनामी सम्पत्ति वालों पर भी नकेल कसा। नोटबंदी के कारण ही सरकार के पास बेनामी संपत्तियों की पुख्ता जानकारी आ गई। कांग्रेस सरकार द्वारा कई सालों से लटका रखे गए बेनामी लेन देन रोकथाम क़ानून को लागू किया गया और इस कानून के अंतर्गत आये सभी लोगो पर कार्रवाई चल रही है।

रियल स्टेट में 20,000 रुपये से ऊपर की नगद लेन देन पर पाबंदी

Real Estate

सबसे ज्यादा कालाधन रियल स्टेट व्यापार में निवेश किया जाता है। ये सर्वमान्य है फिर भी पिछली किसी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने इस विषय को समझा और नगद लेन देन की सीमा निर्धारित कर दी। अब इस निर्णय से रियल स्टेट में लगने वाली कालेधन पर भी रोकथाम हो गई है।

राजनैतिक दान या चंदा

राजनीति में भी कालेधन का बहुत ज्यादा प्रयोग होता है। इस पर भी मोदी जी की सरकार ने ऐक्शन लिया और कैश में राजनीतिक चंदे की रकम 2000 तक सीमित कर दी। इससे ज्यादा की रकम के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड लाने की जरुरत पड़ेगी। प्रधानमंत्री जी के इस निर्णय से राजनीति में कालेधन के प्रयोग पर भी एक हद तक लगाम लग गई है।

पैसे के स्रोत पर टैक्स

मोदी जी की सरकार ने दो लाख रुपये से अधिक के नगद भुगतान और जमा पर रोक लगा दी। इससे अधिक राशि के भुगतान और जमा के लिए बैंकिंग व्यवस्थाओं जैसे चेक, ड्राफ्ट और ऑनलाइन आदान प्रदान की सहायता ली जा सकती है। यह निर्णय भी कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए अहम साबित हुआ है।

आधार कार्ड से पैन नंबर का जुड़ना

कालेधन की रोकथाम में आधार कार्ड से पैन नंबर के जुड़ने का निर्णय एक मील का पत्थर साबित हुआ है। इसके माध्यम से छोटे लेवल के भ्रष्टाचारियों पर नकेल कस दी गई है। आपके द्वारा की जाने वाली किसी भी प्रकार की लेन देन की खबर अब आपके आधार कार्ड के माध्यम से सरकार तक पहुँच जाती है।

बहरहाल इतने सारे कड़े निर्णयों से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कम समय में बहुत ज्यादा करके दिखाया है। हो सकता है कि कुछ निर्णयों में एक-आध त्रुटियां भी हुई हों पर मोदी जी ने दिखाया की अगर सोच सही हो तो निर्णय लेने में संकोच नहीं होता। यहीं पिछली सरकारें मोदी जी की सरकार से मीलों पीछे नजर आती है। हमें विश्वास है कि मोदी जी ऐसे ही आने वाले सालों में हमें और देश को अपना नेतृत्व प्रदान करते रहेंगे।