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Prime Minister Modi gave his parliamentary constituency Kashi in the last 5 years many beautiful gif

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र काशी को पिछले 5 सालों में दिए हैं कई खूबसूरत उपहार

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने शुक्रवार को वाराणसी लोकसभा सीट से अपना नामांकन भरा। अपने नामांकन के एक दिन पहले ही जब पीएम मोदी वाराणसी पहुंचे तो लोगों में उनके प्रति उत्साह देखने लायक था। यहाँ पर उनकी लोकप्रियता चरम पर रही। यह भी माना जा रहा है कि विपक्ष ने यहाँ से उन्हें वॉकओवर दे दिया है।

2014 में वाराणसी अर्थात काशी को अपनी लोकसभा सीट के रूप में चुनने में श्री नरेंद्र मोदी जी ने काफी समझदारी दिखाई थी। उन्हें पता था कि उत्तर प्रदेश को साधना है तो पहले काशी को साधना ज़रूरी है। यदि सर्वाधिक लोकसभा सीट वाला उत्तर प्रदेश नियंत्रण में होगा तो पूरा देश नियंत्रण में होगा। 2014 में जब उन्होंने यहाँ से पर्चा भरा तो कहा था कि ‘न किसी ने मुझे भेजा है, न मैं यहाँ आया हूँ, मुझे तो गंगा मां ने बुलाया है।’

प्रधानमंत्री मोदी जी पर भरोसा करते हुए काशी की जनता ने उन्हें प्रचंड मतों से विजय दिलाई थी। अपने कार्यकाल के दौरान मोदी जी ने भी यहाँ के लोगों के हितों के मद्देनज़र बहुत सी योजनाओं को कार्यरूप दिया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी काशी को जापान की धार्मिक नगरी क्योटो की तरह विकसित करना चाहते हैं। प्रधानमंत्री मोदी काशी को स्वच्छता के मामले में देश में नं. 1 बनाना चाहते हैं। उनका सपना है कि काशी एक स्मार्ट सिटी बने।

अभी काशी और उसके आसपास के इलाकों में विकास के लिए 24000 करोड़ रूपये तक की योजनाएं चल रही हैं। यहाँ के ऐतिहासिक स्मारकों और धरोहर को संजोने के लिए ‘हृदय योजना’ भी चल रही है।

प्रधानमंत्री जी काशी को क्योटो की तरह विकसित करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने जापान के प्रधानमंत्री श्री शिंजो आबे से भी बात की है। इसके अलावा जापान के विशेषज्ञों की एक टीम ने भी काशी का दौरा किया है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के विकास के प्रति काफी उत्साहित हैं। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है। यह कॉरिडोर विश्वनाथ मंदिर, ललिता घाट और मणिकर्णिका घाट के बीच 25000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में बन रहा है। इसके अंतर्गत रिवर फ्रंट, फ़ूड स्ट्रीट और सड़कों के चौड़ीकरण का कार्य भी किया जा रहा है। इसके पूरा होने पर बेहतर स्ट्रीट लाइट, पीने का पानी और साफ सुथरी सड़कें मिलेंगी।

बुनकरों के हित के लिए हस्तकला संकुलों की स्थापना पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। काशी के आठ उत्पादों को बौद्धिक सम्पदा अधिकार के अंतर्गत जीआई (geographical indication) का दर्जा दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने संकल्प किया है कि वे बनारस के बुनकरों और शिल्पकारों के कौशल को वैश्विक स्तर पर शिखर पर लेकर जायेंगे। इसके लिए उनके द्वारा बड़ा लालपुर में दीन दयाल हस्तकला संकुल खोला गया है।

काशी को देश का सबसे अधिक स्वच्छ शहर बनाने के लिये भी प्रधानमंत्री मोदी जी कटिबद्ध है। स्वच्छ होने पर शहर के प्रति पर्यटकों का आकर्षण भी बढ़ेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संकल्प और समर्पण का परिचय देते हुए अस्सी घाट की सीढ़ियों पर खुद फावड़ा चलाया था। श्री मोदी ने जगन्नाथ मंदिर की गलियों में झाड़ू भी लगाई थी। यह शहर 2016 में स्वच्छता के मामले में 65 में स्थान पर था लेकिन 2018 में इसने ऊँची छलांग मारी और ये 29 वें स्थान पर पहुँच गया।

प्रधानमंत्री श्री मोदी 2017 में ऊर्जा गंगा योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के लिए पीएनजी पाइपलाइन बिछाने का काम गेल (GAIL) ने शुरू कर दिया है। वाराणसी में इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत 1000 करोड़ रूपये खर्च करने की योजना है।

काशी में एक और परियोजना शुरू की गई है जिसका नाम है आईपीडीएस परियोजना है। इसके अंतर्गत शहर की गलियों में लटकते बिजली के तारों को कम करने का काम किया जा रहा है। कई मुहल्लों और कॉलोनियों के बिजली के तारों को भूमिगत किया जा रहा है।

काशी को कार्गो हब के रूप में विकसित करने के लिए गंगा में इलाहाबाद से हल्दिया के बीच जल परिवहन योजना पर कार्य चल रहा है। इसके लिए रामनगर मल्टी मॉडल टर्मिनल भी बन रहा है। इसमें बेवरेज हॉउस, कोल्ड स्टोरेज और पैकिंग की सुविधा भी होगी। काशी के कार्गो हब के रूप में विकसित हो जाने पर रेल, सड़क और जलमार्ग से उत्पादों का परिवहन पूरे भारत में किया जा सकेगा।

गंगा को स्वच्छ करने में प्रधानमंत्री मोदी ने अलग से एक मंत्रालय का गठन किया है। गंगा में होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार के द्वारा कई कदम उठाये गए हैं। अपने जन्म दिन पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने काशी के निवासियों को कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की सौगात दी है। इन योजनाओं में कुल 600 करोड़ रूपये खर्च करने का अनुमान है। इन योजनाओं में नागपुर ग्राम पेयजल योजना, विद्युत हब स्टेशन और अटल इंक्यूबेशन सेंटर को भी शामिल किया गया है।

प्रधानमंत्री मोदी के शासनकाल में विश्व के कई बड़े नेता काशी की यात्रा कर चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी विदेशी मेहमानों को बड़े चाव से काशी का दौरा कराते हैं। अब तक श्री मोदी के साथ जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों वाराणसी घूम चुके हैं।

प्रधानमंत्री बनने के बाद अब तक श्री नरेंद्र मोदी जी 20 बार वाराणसी का दौरा कर चुके हैं। वे इससे पहले काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का शिलान्यास करने वाराणसी आये थे।

Remember that before Modi era when every now and then bomb blasts used to happen in the country

याद करो वो मोदी जी के सत्ता में आने से पहले का समय, जब आये दिन होते थे देश में बम ब्लास्ट

आजकल देश भर में हर तरफ चुनावी माहौल देखने को मिल रहा है। पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर निशाना साधे हुए है। चलिए आज हम आपको कुछ ऐसी यादे ताज़ा करवाते हैं जो की मोदी जी के सत्ता में आने के पहले की है। अटल जी की सरकार 22 मई 2004 को औपचारिक रूप से विदा हुई थी और फिर श्री मनमोहन सिंह जी को गांधी परिवार ने प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया था। इसके बाद अगले दस साल तक कांग्रेस पार्टी की सरकार वर्ष 2014 तक केंद्र में रही।

चलिए जानते है उस दौरान क्या क्या हुआ था।

  • शुरुआत करते है 15 अगस्त 2004 से, इस दिन असम के धिमजी स्कूल में एक बम ब्लास्ट हुआ था जिसमे 18 लोग मारे गए थे और 40 लोग घायल हुए थे।
  • इसके बाद 5 जुलाई 2005 को अयोध्या में राम जन्मभूमि पर आतंकवादियों द्वारा हमला किया गया जिसमे 6 लोगो की जाने गई और इस हमले में दर्जनों लोग घायल भी हुए।
  • यह सिलसिला थमा नहीं और उसी साल 28 जुलाई 2005 को श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में जौनपुर क्षेत्र में RDX की मदद से बम विस्फोट हुआ जिसमे 13 लोगो की मौत हो गई और 50 लोग घायल हुए।
  • 29 अक्टूबर 2005 को दीपावली के दो दिन पूर्व ही दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाके गोविंदपुरी, पहाड़गंज और सरोजनी नगर आदि में सीरियल ब्लास्ट हुए जिसमे 70 मासूम लोगों के परखच्चे उड़ गए और इसमें 250 से अधिक लोग घायल हुए।
  • इसके बाद 28 दिसम्बर 2005 को एक आतंकवादी हमला बैंगलोर के इंस्टीट्यूट आफ साइंस पर किया गया जिसमे 1 व्यक्ति की मौत हो गई और 4 लोग घायल हुए।
  • 7 मार्च 2006 को 3 बम ब्लास्ट हुए जो की भीडभाड वाले कैंट रेलवे स्टेशन पर और वाराणसी के प्रसिद्ध संकटमोचन मंदिर में हुए इसमें 28 श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई और 101 लोग घायल हो गए।
  • इसके बाद 11 जुलाई 2006 को मुम्बई में एक साथ कई जगह बम ब्लास्ट हुए जिसमे माहिम, माटुंगा रोड, खार रोड, बांद्रा, जोगेश्वरी, बोरिवली, भाइंदर जैसे स्टेशनों की लोकल ट्रेन को निशाना बनाया गया और इन जगहों पर सीरियल ब्लास्ट किये गए। जिसके चलते 209 लोगो मारे गए और 700 से अधिक लोग घायल हुए।
  • इसी साल 8 सितंबर 2006 में मालेगांव की मस्जिद में एक सीरियल ब्लास्ट हुआ। इस ब्लास्ट ने 37 लोगों को मौत के घाट उतार दिया और 125 लोग घायल हुए।
  • 18 फरवरी 2007 को समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट हुआ और 68 लोगो की जाने गई साथ ही साथ 50 लोग इस ब्लास्ट में घायल हुए।
  • 14 अक्टूबर 2007 को लुधियाना के एक थियेटर में ब्लास्ट किया गया जिसमे 6 लोग मारे गए।
  • 4 नवम्बर 2007 में सीरियल बम बलास्ट किये गए जो की उत्तर प्रदेश में लखनऊ, अयोध्या और बनारस के न्यायालयों में हुए जिसमे 16 लोग मरे और 79 घायल हुए।
  • 1 जनवरी 2008 रामपुर उत्तर प्रदेश में CRPF के कैम्प पर हमला हुआ जिसमे 8 लोग मरे और 7 लोग घायल हुए।
  • 13 मई 2008 को सीरियल ब्लास्ट हुए जिसमे RDX का इस्तेमाल किया गया। ये ब्लास्ट जयपुर के छोटी चौपड़, बड़ी चौपड़, जौहरी बाजार, मानकपुर पुलिस स्टेशन एरिया, त्रिपोलिया बाजार, कोतवाली क्षेत्र जैसे 9 अलग अलग जगहों पर किये गए। इसमें मरने वालों की संख्या 63 थी और 200 लोग घायल हुए।
  • 25 जुलाई 2008 को फिर से बैंगलुरु में 8 सीरियल ब्लास्ट किये गए जिसमे 2 लोग मरे और 20 लोग घायल हुए।
  • 26 जुलाई 2008 को सीरियल बम ब्लास्ट हुए जिसमे गुजरात के अहमदाबाद में 17 जगहों को निशाना बनाया गया। इसमें 35 लोग मारे गए और 110 लोग घायल हुए।
  • 13 सितंबर 2008 को फिर से दिल्ली के कुछ इलाके जिनमे बारहखम्भा रोड, गफ्फार मार्केट, सेंट्रल पार्क, GK1 आदि शामिल थे, में 31 मिनट के अंदर 5 बम ब्लास्ट हुए। इस दौरान 4 अन्य बम निष्क्रिय भी किये गए। इस ब्लास्ट में 33 लोगो मृत्यु हो गई और 150 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
  • 27 सितंबर 2008 को दिल्ली के महरौली में स्थित इलेक्ट्रानिक मार्केट में भी दो बम ब्लास्ट हुए जिसमे 3 लोग मारे गए और 33 लोग घायल हुए।
  • इसके बाद 1 अक्टूबर 2008 को अगरतल्ला में बम विस्फोट हुए जिसमे 4 लोगो की जाने गई और 100 घायल भी हुए।
  • 21 अक्टूबर 2008 को भी बम घमाका हुआ। यह धमाका इम्फाल में में हुआ जिसमे 17 लोग मरे और 50 घायल हुए।
  • 30 अक्टूबर 2008 को फिर से असम क्षेत्र में बम विस्फोट हुए जिसमे 81 लोग मरे और 500 से अधिक घायल हुए।
  • 26 नवंबर 2008 को भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई आतंकवादी हमला हुआ। यह हमला मुम्बई स्थित ओबेराय होटल, ताज होटल, कामा हॉस्पिटल, लियोपोल्ड कैफे, नरीमन हाउस, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस जैसे भीड़ भाड़ वाले क्षेत्रों में हुआ। इसमें 166 लोग मारे गए और 600 से अधिक घायल भी हुए।
  • 1 जनवरी 2009 को गुवाहाटी में बम ब्लास्ट हुआ जिसमे 6 लोग मरे और 67 लोग घायल हुए।
  • 6 अप्रैल 2009 को गुवाहाटी फिर से आतंकी हमला हुआ जिसमे 7 लोग मरे और 62 लोग घायल हुए।
  • 13 फरवरी 2010 को पुणे की जर्मन बेकरी में ब्लास्ट हुआ जिसमे 17 लोग मरे और 70 से अधिक लोग घायल हुए।
  • 7 दिसम्बर 2010 को गंगा आरती के समय बनारस के दशाश्वमेध घाट पर हुआ जिसमे 3 लोग मरे और 36 लोग घायल हुए।
  • 13 जुलाई 2011 को फिर से मुंबई के जावेरी बाज़ार, ओपेरा हाउस, दादर एरिया आदि में ब्लास्ट किये गए जिसमे 26 लोग मारे गए और 130 लोग घायल भी हुए।
  • 7 सितंबर 2011 को दिल्ली के हाईकोर्ट में भी बम ब्लास्ट किया गया। इसमें 17 लोग मरे और 180 से ज्यादा लोग घायल हुए।
  • इसके बाद 13 फरवरी 2011 को इजराइली डिप्लोमेट की कार को उड़ाने का प्रयास किया गया लेकिन बम नहीं फटा। लेकिन इसमें 4 लोग घायल हुए।
  • 1 अगस्त 2012 को पुणे में ब्लास्ट किया गया।
  • 21 फरवरी 2013 को हैदराबाद में दो बम ब्लास्ट हुए जिसमे 18 लोग मरे और 131 लोग घायल हुए।
  • 17 अप्रैल 2013 को बैंगलोर में भी बम ब्लास्ट किये गए जिसमे 14 लोग घायल हुए।
  • 7 जुलाई 2013 को बिहार के बोधगया मे ब्लास्ट हुआ जिसमे 5 लोग घायल हुए।
  • 27 अक्टूबर 2013 को पटना में इंडियन मुजाहिद्दीन द्वारा नरेंद्र मोदी की रैली में आठ बम ब्लास्ट करवाए गए जिसमे 6 लोग मरे और 85 लोग घायल हुए।
  • 1 मई 2014 में भी ब्लास्ट का सिलसिला चलता रहा और चेन्नई में गुवाहाटी बैंगलोर एक्सप्रेस में बम बलास्ट हुआ जिसमे 2 लोग मरे और 14 लोग घायल भी हुए।

बहरहाल घटनाएं सिर्फ यहीं नहीं थी, इसके अलावा भी कांग्रेस सरकार के दौरान आतंकियों के हौसले बुलंद थे और वे जहाँ चाहते थे वहां बम धमाके कर देते थे। जबकि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार आने के बाद आतंकी हमलों को सीमावर्ती क्षेत्रों तक सिमित कर दिया गया और पूरा देश सुरक्षित रहा।

What is the hope of the country from the second term of Prime Minister Shri Narendra Modi

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की दूसरी पारी से क्या है देश को उम्मीदें?

2019 के लोकसभा चुनाव शुरू हो गए हैं। भाजपा अपने पूरे दमखम से मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रही है। श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में पार्टी ने पिछले पांच साल में देश को एक मज़बूत सरकार प्रदान की है। पर अब देश और देशवासी आने वाले पांच साल की बात पर ज्यादा चर्चा करने लगे हैं। इस हेतु भाजपा ने अपने घोषणा-पत्र को संकल्प-पत्र का नाम देकर फिर से देशवासियों का दिल जीत लिया है। अगर सबकुछ ऐसे ही चलता रहा तो मोदी जी को पुनः प्रधानमंत्री बनने से कोई रोक नहीं सकता। आइये जानते हैं मोदी जी से देश को क्या क्या आशाएं हैं और आने वाले पांच सालों में मोदी जी किस प्रकार से विकास कार्यों को आगे बढ़ा सकते हैं!

भाजपा ने अपने संकल्प-पत्र में आतंकवादियों से निपटने से खुली छूट की नीति को जारी रखने का वादा किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के साहसिक प्रयासों से और खुली छूट वाली नीति के परिणामस्वरूप ही सेना अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन कर सकी और आतंक फ़ैलाने वालों को पनाह देने वाले पाकिस्तान को कड़ी सीख मिली। प्रधानमंत्री मोदी जी के अनुसार आतंकवादियों को यकीन हो गया है कि यदि वे कोई गलती करते हैं तो अब उनको उसकी सजा भी भुगतनी पड़ेगी। भाजपा ने अपने संकल्प-पत्र में स्पष्ट किया की उनकी आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को जारी रखा जायेगा।

किसानों के लिए भी श्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने संकल्प-पत्र में ख़ास वादे और योजनाएं शामिल की हैं ताकि किसानों की ख़ुशहाली सुनिश्चित हो सके और उनके लिए कृषि एक लाभदायक व्यवसाय सिद्ध हो सके। श्री मोदी जी द्वारा वादा किया गया है कि कृषि क्षेत्र में उत्पादकता में वृद्धि के लिए 25 लाख करोड़ रूपये तक का निवेश किया जायेगा। भाजपा सरकार के द्वारा ये भी सुनिश्चित किया जायेगा कि देश में सभी किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ प्राप्त हो। संस्थागत कृषि को बढ़ावा देने के लिए और छोटे किसानों को आधुनिक कृषि तकनीक का लाभ देने के लिए भाजपा के द्वारा 10000 नए किसान उत्पादक संगठन में सहायता का वादा किया गया है। श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का वादा भी किया है।

किसानों की सामाजिक सुरक्षा को मद्देनज़र रखते हुए 60 वर्ष से अधिक उम्र के छोटे खेतिहर किसानों को पेंशन भी दी जायेगी। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में सिंचाई का रकबा बढ़ाने और भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण को भी प्रमुखता दी है। भाजपा का वादा है कि हर गांव हर मौसम में सड़कों से जुड़ा रहेगा। किसानों को अपने उत्पाद का लाभदायक मूल्य मिले इसके लिए किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का वादा भी भाजपा के इस संकल्प पत्र में किया गया है।

श्री मोदी जी ने अपनी दूरदर्शी सोच से शिक्षा को आधुनिक करने का प्रयास किया है और इस तरफ वे आगे भी ध्यान रखेंगे। इसके लिए उन्होंने देश के उत्कृष्ट प्रबंधन, इंजीनियरिंग और विधि संस्थानों में सीटों की संख्या बढ़ाने का निश्चय किया है।

देश में बुनियादी ढांचा बढ़ाने के लिए भाजपा और श्री मोदी जी ने कई महत्वपूर्ण संकल्प अपने घोषणा-पत्र में किये हैं। देश के तीव्र विकास के लिए इसका पूरा होना बहुत आवश्यक है। बुनियादी ढांचे के अंतर्गत हर परिवार के लिए पक्के मकान की व्यवस्था की जाएगी। सभी घर में स्वच्छ पेयजल हो तथा शौचालय की उत्तम व्यवस्था हो ये सुनिश्चित किया जायेगा। बिजली की अनिवार्यता को देखते हुए सभी घरों में 100 प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्य रखा गया है।

देश में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई को दोगुना करने का वादा भी भाजपा ने अपने इस घोषणा-पत्र में किया है। गाँव और शहरों में ओडीऍफ़ + और ओडीऍफ़ + + दर्जा प्राप्त करने के लिए 100% कचरे के संग्रहण को सुनिश्चित करने का वादा भाजपा ने किया है। श्री नरेंद्र मोदी जी हर गाँव को हाई स्पीड ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से भी जोड़ना चाहते हैं। वे देश के प्रमुख शहरों और छोटे शहरों को पाइप लाइन के ज़रिये गैस की आपूर्ति करना चाहते हैं।

हवाई यात्रा को तेज और असरदार बनाने के लिए 150 नए हवाई अड्डों के निर्माण का लक्ष्य श्री नरेंद्र मोदी जी ने रखा है। बंदरगाहों की क्षमता को बढ़ाकर 2500 करोड़ तक वार्षिक करने का लक्ष्य रखा गया है। देश की ऊर्जा ज़रूरतों के मद्देनज़र 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को विकसित करने का लक्ष्य भी श्री मोदी जी ने तय किया है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो भाजपा तथा मोदी जी की सरकार अगर पुनः देश की सत्ता सम्हालती है तो इससे देश के विकास को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। इससे देश के सभी क्षेत्रों के समुचित विकास पर ध्यान दिया जा पायेगा और हम जिस गति से विकास कर रहे हैं उससे दोगुनी गति को से विकास हासिल कर पाएंगे।

PM Narendra Modis successful foreign policy opened the doors of Islamic countries to India

पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी की सफल विदेश नीति ने भारत के लिए खोले इस्लामिक देशों के द्वार

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के साथ ही श्री नरेंद्र मोदी जी ने मध्य-पूर्व के देशों के साथ अपने संबंध बेहतर करने के सारे प्रयास तेज कर दिए थे। पुरानी उदासीन नीति को दरकिनार करते हुए मोदी जी ने सऊदी अरब, इज़राइल और यूएई से अपने रिश्तों को प्रगाढ़ करने की शुरुआत की है। प्रधानमंत्री को इसमें अच्छी सफलता भी मिली है। मोदी जी ने अपनी दूरदर्शी कूटनीतिक प्रयासों के चलते मध्य-पूर्व के देशों में अपनी एक अलग छवि बनाई है।

श्री नरेंद्र मोदी जी को हाल ही में 4 मुस्लिम देशों से सम्मानित भी किया गया है। मोदी जी को यूएई के द्वारा अपने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘जायेद मेडल’ से भी नवाज़ा गया है। दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास मज़बूत करने के लिए उन्हें ये सम्मान दिया गया था।

मुस्लिम देशों का मोदी प्रेम उस समय बहुत खुल कर सामने आया जब ओआईसी (आर्गेनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक कॉर्पोरेशन) ने मोदी को बतौर ‘गेस्ट ऑफ ओनर’ आमंत्रित किया। अपने स्वभाव के अनुरूप पाकिस्तान ने इसका विरोध किया लेकिन ओआईसी पर इसका कोई असर नहीं हुआ। मुस्लिम देशों के बीच भारत का बढ़ता हुआ कद अब पाकिस्तान को खटकने लगा है। लेकिन वहीं प्रधानमंत्री मोदी को मिले इस सम्मान के कारण भारत की विश्व में छवि और चमकदार हो गई है।

सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने मोदी से प्रभावित होकर उन्हें ‘बड़ा भाई’ तक कह दिया। ये इस बात का संकेत है कि भारत और सऊदी अरब के बीच संबंधों में मधुरता आ रही है। जब फरवरी में सऊदी अरब के प्रिंस ने भारत की यात्रा की तो उन्होंने भारत में अगले 2 सालों में 100 अरब डॉलर के निवेश की संभावना की बात कही। भारत की तेल कंपनी ओएनजीसी ने अबू धाबी में ऑइल कंसेशन के 10 फ़ीसदी शेयर भी 600 लाख डॉलर में ख़रीद लिये हैं।

भारत और इज़राइल के संबंध – प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और इसके पहले भाजपा के ही पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इज़राइल के साथ संबंधों पर विशेष ज़ोर देने की नीति अपनाई है। वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने न केवल व्यापार और निवेश बल्कि सुरक्षा क्षेत्र में भी इज़राइल के साथ दोस्ताना संबंधों की पैरवी की है। भारत सैन्य और रक्षा क्षेत्र में अपनी मज़बूती के लिए इज़राइल से 54 ड्रोन, ज़मीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल तंत्र (कम दूरी और लंबी दूरी) और बराक-8 ख़रीद रहा है। भारत की इज़राइल के साथ बढ़ती नज़दीकियों से ईरान के साथ संबंधों में थोड़ी उदासी आयी है लेकिन इस पर थोड़ी दूरदर्शिता और कूटनीतिक समझ से निपटा जा सकता है।

भारत और ईरान के संबंध
भारत को ईरान से अपने संबंधों के कारण अमेरिका के दबाव का सामना करना पड़ा है लेकिन कुल मिलाकर देखा जाए तो दोनों से संबंध अभी भी अच्छे हैं। भारत और ईरान के बीच एनर्जी और इंफ्रास्ट्रक्चर पर अरबों डॉलर की संधि पर काम चल रहा है। इनमें ईरान के चाबहार पोर्ट को मॉर्डन बनाने को भी शामिल किया गया है। ईरान भारत से रेलवे, पेट्रोकेमिकल प्लांट और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट वाली योजनाओं में भी निवेश चाहता है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने वर्ष 2016 के अपने ईरान दौरे में चाबहार पोर्ट के डेवलपमेंट के लिए 50 करोड़ डॉलर के निवेश की बात कही थी।

भारत की तेल की ज़रूरतों को पूरा करने में ईरान का बहुत बड़ा योगदान है इसलिए भारत नहीं चाहता कि ईरान से उसके संबंध किसी भी कारण से ख़राब हों। 2016 में अमेरिका और यूरोपीय संघ के दबाव के चलते भारत ने ईरान से तेल का आयात कम किया था लेकिन फिर भी दोनों देशों के रिश्ते दोस्ताना बने हुए हैं। भारत की नीति भी यही है कि ईरान से उसके रिश्तों में खटास न आये। लेकिन यदि भारत ईरान को नज़रअंदाज़ करता है तो इसका लाभ दूसरे देश जैसे रूस और चीन उठा सकते हैं और भारत फरजाद बी गैस फील्ड हाथ से गंवा सकता है। इसके अलावा भारत की चाबहार में वर्तमान स्थिति में भी कमज़ोर आ सकती है। इन सब के मद्देनज़र ही प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने दक्षिण पूर्व के देशों के साथ एक संतुलित नीति का पालन करते हुए अपने रिश्तों को आगे बढ़ाया है जो देश के विकास के लिए बेहद जरूरी है।

Modi For PM 2019

अटल जी से मोदी जी तक, भाजपा का सफर नहीं था इतना आसान, कई चुनौतियों का करना पड़ा सामना

अब 2019 के आम चुनाव अपने मुहाने पर आ पहुंचे हैं और भाजपा फिर एक बार प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की नेतृत्व में पूरे दमखम से साथ इस चुनाव को जीतने की तैयारी कर रही है। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर साल 2014 वाला जोश पार्टी में नयी ऊर्जा भर रहा है रहा है। ज्यादातर चुनावी विशेषज्ञ मोदी जी की जीत पर ही अपना दाव लगा रहे हैं। भाजपा आज अपने इतिहास का सबसे बेहतर समय देख रहा है पर हमेशा ऐसा नहीं था। भाजपा को अस्सी के दशक में 2 लोकसभा सीटों से पूर्ण बहुमत प्राप्त करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। आइये जानते हैं अपने जन्म के बाद से अपने स्वर्णिम काल तक भाजपा कैसे देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई!

आरम्भ

1980 में अपने गठन के साथ ही भाजपा को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। अपने गठन के 4 वर्ष बाद ही भाजपा ने आम चुनाव में कांग्रेस को टक्कर देने की कोशिश की। इस कोशिश से भाजपा को कोई सफलता प्राप्त नही हुई। 1984 के चुनावों के थोड़े समय पहले ही इंदिरा गांधी की हत्या होने के कारण देश की जनता ने कांग्रेस के साथ सहानुभूति दिखाई और उसे कुल 403 सीटों के साथ जीत दिलाई। इस चुनाव में भाजपा को सिर्फ 2 सीटें ही मिल सकीं। संयमित राष्ट्रवाद, गांधीवादी समाजवाद और जन संघ से जुड़ाव वाली नीति भाजपा के काम न आयी।

शुरूआती सफलता

भाजपा को पहली बड़ी सफलता उस समय मिली जब उसने 1989 के आम चुनावों में कुल 86 सीटें प्राप्त की। भाजपा ने इस समय समान विचारधारा वाली वी पी सिंह की पार्टी ‘नेशनल फ्रंट’ का समर्थन किया और सरकार बनाने में मदद की। इस समय तक पार्टी ने पिछले चुनाव से सीख लेते हुए कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन कर दिए थे। अब भाजपा हिंदुत्व को अपना मुख्य मुद्दा बना चुकी थी। भाजपा की इस विचारधारा का नेतृत्व पार्टी के तात्कालिक अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी कर रहे थे।

पहली बड़ी सफलता

भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनावों में फिर से एक बड़ी सफलता 1996 में मिली जब उसे आम चुनावों में 161 सीटें प्राप्त थीं। इस समय पार्टी ने प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी को चुना था। भाजपा के नेतृत्व वाली ये सरकार बहुमत कायम नही रख सकी और महज 13 दिनों में ही गिर गयी।

वाजपेयी सरकार

वाजपेयी सरकार के गिर जाने के बाद 1998 में मध्यावधि चुनाव हुए। इन चुनावों में भाजपा ने समता पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, एआईएडीएमके और बीजू जनता दल आदि के साथ मिलकर राजग (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन) बनाया। राजग गठबंधन की पार्टियों में शिव सेना की विचारधारा भाजपा के ज़्यादा मिलती जुलती थी। वाजपेयी जी के नेतृत्व में राजग ने तेलुगु देशम पार्टी के बाहरी समर्थन से सरकार बना ली। जब एआईएडीएमके की प्रमुख जयललिता ने राजग (एन डी ए) से अपना समर्थन वापिस ले लिया तो ये सरकार भी गिर गई।

1999 में फिर से हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व में राजग ने एआईएडीएम के के समर्थन के बिना ही चुनाव लड़ा। इस बार भाजपा की मेहनत रंग लाई और पहली बार 303 लोकसभा सीटों के साथ राजग को पूर्ण बहुतमत प्राप्त हुआ। राजग की 303 सीटों में भाजपा की कुल 183 सीटें थीं। भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने पहली बार अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। इस दौरान उसने रक्षा मामलों में, आतंक के खिलाफ लड़ाई, वैश्वीकरण और आर्थिक विकास को अपनी नीतियों के केंद्र में रखा।

वाजपेयी जी के नेतृत्व में हार

2004 में अपने तय समय से 6 महीने पहले ही सरकार ने चुनाव कराने की घोषणा कर दी। इस चुनाव में राजग ‘भारत उदय’ के नारे के साथ चुनावी मैदान में उतरी। इस समय भाजपा को हार का सामना करना पड़ा क्योंकि उसके प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के गठबंधन को इन चुनावों में 222 सीटें प्राप्त हुई। भाजपा को राजग की 186 सीटों के साथ हार का मुँह देखना पड़ा।

मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा का स्वर्ण काल

2014 में नरेंद्र मोदी के ओजस्वी नेतृत्व में भाजपा फिर से सत्ता पर काबिज़ हो गयी। इस बार मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने पूर्ण बहुमत प्राप्त किया जो पार्टी के लिए एक अप्रत्याशित सफलता थी। 2014 के चुनावों में पहली बार देश की सबसे अनुभवी पार्टी कांग्रेस को शर्मनाक हार मिली। 2014 में भाजपा को लोकसभा में कुल 282 सीटें मिली जबकि उसकी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस पार्टी महज 44 सीटें मिलीं।

वर्तमान में भाजपा देश के कई प्रमुख राज्यों में भी सत्ता पर विराजमान है। अरुणाचल प्रदेश, असम, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र, मणिपुर, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और गोवा आदि राज्यों में अभी भाजपा के सरकारें हैं। यह विश्वास भी प्रबल है की पार्टी 2019 के चुनावों में भी श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में 2014 से भी बेहतर प्रदर्शन करेगी।

Rahul Gandhi to contest from Wayanad in Kerala along with Amethi

अमेठी का डर केरल के सुरक्षित वायनाड सीट से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं राहुल गांधी!

पिछले दो तीन दिनों से यह खबर खूब चर्चा में है की राहुल गांधी अपने पारंपरिक सीट अमेठी के साथ साथ केरल के सुरक्षित सीट माने जा रहे वायनाड से भी लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इसके पीछे कांग्रेस पार्टी हालाँकि दक्षिण भारतीय राज्यों के वोट साधने की युक्ति बता रही है पर जब हम वायनाड सीट के वोटरों के बारे में समझते हैं तो हमें पता चलता है की आखिर यह सीट कांग्रेस पार्टी द्वारा सुरक्षित क्यों माना जा रहा है!

दरअसल वायनाड सीट पर हिन्दू वोटरों की संख्या महज 49% है वहीं अल्पसंख्यक वोटरों की बात करें तो वे 51% हैं। इस क्षेत्र में मुस्लिम और ईसाई वोटर अच्छी संख्या में हैं और राहुल गांधी शायद इन्हीं वोटरों के विश्वास पर अमेठी से यहाँ चले आये हैं। हिन्दू वोटरों के सामने कांग्रेस की सिमटती साख इसी बात से पता चलती है की जो कांग्रेस पार्टी 5 साल पहले तक हिन्दू आतंकवाद और हिन्दू देवी देवताओं के अस्तित्व पर सवाल उठाते थे वो खुद पिछले कुछ सालों से हर मंदिर पर माथा टेक आते हैं ताकि हिन्दुओं का विश्वास कांग्रेस पार्टी पर पुनः बन पाए।

बहरहाल राहुल गांधी का अमेठी के साथ साथ सुरक्षित वायनाड सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय सिर्फ इसलिए भी नहीं है की वायनाड सीट पर अल्पसंख्यक वोट ज्यादा हैं बल्कि इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है राहुल गांधी का अमेठी सीट पर खुद को असुरक्षित महसूस करना। राहुल कई बार अमेठी के सांसद रह चुके है, इससे पहले सोनिया और राजीव गांधी भी यहाँ से चुनाव लड़े और जीते हैं. पर इसके बावज़ूद भी अमेठी का बेहतर विकास नहीं हो पाया है। जिससे अमेठीवासी गांधी परिवार से इस बार नाराज नजर आ रहे हैं।

साल 2014 के लोकसभा चुनावों में इस सीट से भाजपा की कद्दावर नेत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को अच्छी टक्कर दी थी। चुनाव हारने के बाद भी स्मृति ने अमेठी से मुंह नहीं मोड़ा और पिछले पांच सालों में दर्जनों बार क्षेत्र का भ्रमण किया और लोगों की समस्याओं का समाधान भी किया। स्मृति जी के इस सेवा भाव से अमेठी वासियों का झुकाव उनकी तरफ हुआ है और आने वाले चुनावों में वे यहाँ से राहुल गांधी को अच्छी टक्कर देती हुई नजर आ रही हैं। ऐसे में राहुल गांधी के अंदर असुरक्षा का भाव आया और वे केरल की तरफ अपने लिए सुरक्षित सीट ढूंढने लगे। अब देखना दिलचस्प होगा की स्मृति ईरानी और राहुल गांधी के बीच मुकाबला कैसा रहता है।

Mission Shakti: Congress Feared, PM Modi’s Courage Made it Successful

On 27 March 2019, a new record was set in the history of India and the world. This day, India marked a great space achievement. India made a successful test in space by destroying a live satellite 300 km away in low earth orbit with the sheer hard work of our talented scientists. India developed and launched an Anti Satellite (A-Sat) Missile System to shoot down the live satellite in low earth orbit.

Moreover, we can understand the significance of this test by the fact that India is the fourth nation to achieve this feat. Prime Minister Shri Narendra Modi Ji addressed the nation to announce this proud achievement.

He tweeted-

“India has today registered its name in the name of space superpower.”


In his message, PM Shri Narendra Modi Ji mentioned-

“India has achieved a phenomenal accomplishment today. India today registered its name as ‘Space Power.’ So far, Russia, the United States, and China had achieved this status; India has also achieved this now.”


PM Shri Narendra Modi Ji in his message said that this test would strengthen India. Assuring the world community that this technology is not a threat to anyone, he said-

“Anti-Satellite (A-Sat) missile of today will provide new strength to India from the perspective of the country’s security and development journey. I also assure the world community that this new achievement of our nation is not against anyone. It is a defense initiative of the rapidly growing India. India has always opposed the competition of weapons in the space and this technology has not brought any changes to this policy.”


According to the experts, India could have achieved this space feat ten years ago but the Congress government that was ruling at that time did not give it a go ahead. Previous governments lacked the courage to make such decisions because they were afraid of the world communities and feared to offer approval for any tests.

Not only ‘Mission Shakti,’ but it also took place during the Pokhran test when Congress governments could not approve the tests due to global pressure. During the Atal Ji-led BJP government, India conducted this test and became a nuclear power rich nation.

Similar to Pokhran Nuclear test, the Anti-Satellite missile test conducted under ‘Mission Shakti’ was also a major task which was successfully achieved under the leadership of Prime Minister Shri Narendra Modi Ji. After this test, any rival nation would think twice before interfering with India satellites as their satellites would now be under the eye of our Indian missiles.