वह स्कूल जिसने हमारे देश के प्रधानमंत्री को जीवन का ककहरा सिखाया। अगर ये स्कूल न होता तो शायद मोदी वह न होते जो वो आज हैं। जी हां! हम बात कर रहे हैं गुजरात के वड़नगर स्थित महाराज श्री भगवताचार्य नारायणाचार्य हाईस्कूल की। इसी स्कूल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शैक्षिक जीवन की शुरुआत की थी।
वैसे तो शुरुआत में वह पढ़ाई लिखाई में काफी औसत ही रहे, लेकिन स्कूल के नाटकों में वह बढ़-चढ़ कर भाग लेते थे। वाद-विवाद प्रतियोगिता में वह हमेशा अव्वल आते थे। इसी दौरान उन्होंने स्कूल में एनसीसी भी ज्वॉइन कर लिया।
जिंदगी के उतार-चढ़ाव ने उन्हें चायवाला भी बनाया। मोदी 7 साल की उम्र से ही अपने पिताजी के साथ रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने जाते थे। स्कूल का कोई पीरियड खाली होने पर मोदी स्टेशन पहुंचकर चाय बेचने में पिता की मदद करते और पीरियड खत्म होते ही वापस आकर पढ़ाई करते।
लेकिन चाय ही उनके आरएसएस से जुड़ने का माध्यम भी बना। दरअसल मोदी की चाय की दुकान पर अक्सर आरएसएस के लोग आते थे। मोदी की उनसे अच्छी बातचीत होती थी। मोदी बातचीत में तो माहिर थे ही, आरएसएस के लोग उनकी इस क्षमता से खासे प्रभावित थे।
एक दिन लक्ष्मण राव इनामदार मोदी की दुकान में चाय पी रहे थे। मोदी की वाकपटुता से वह इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मोदी को आरएसएस से जुड़ने की सलाह दे डाली। आरएसएस से जुड़ने के साथ-साथ उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी। 1980 में मोदी ने गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर परीक्षा दी और एमएससी की डिग्री हासिल की। इसके बाद वह राजनीति में पूरी तरह से समर्पित हो गए।