Monthly Archives: December 2017

China ke baad america ne bhi pm narendra modi aasamaan se ooncha ho gaya hai lokapriyata

चीन के बाद अमेरिका ने भी माना पीएम नरेंद्र मोदी का लोहा, कहा आसमान से ऊंची है मोदी की लोकप्रियता

आप सभी लोगों ने सुना ही होगा कि कामायाबी या नाकामी का पैमाना आपका धुर विरोधी तय करता है। अगर आप का विरोधी तारीफ करे तो निश्चित तौर पर आप अपने काम में कामयाब है। इतनी बड़ी भूमिका के बाद अब ये बताना लाजिमी है कि हम किसकी बात कर रहे हैं।

हम बात कर रहे है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन की कर रहे है। सरकारी नियंत्रण वाली चीनी मीडिया शिन्हुआ ने पीएम नरेंद्र मोदी की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। उन्होंने अपने लेख में कहा कि एक शख्स न केवल चीन के लिए चुनौती बना हुआ है, बल्कि वो अपने साहसिक फैसले के जरिए अपने देश में भी लोकप्रियता के शिखर पर बना हुआ है।

चीनी मीडिया ने की पीएम मोदी की तारीफ

PM Narendra Modi

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शिन्हुआ ने “Modi wave works magic for India’s ruling BJP in 2017” शीर्षक वाले लेख में लिखा कि एक शख्स भारत की गद्दी पर साल 2014 में विराजमान होता है और तमाम नकारात्मक माहौल के बीच उस शख्स की लोकप्रियता बरकरार है। साल 2017 का खास जिक्र करते हुए शिन्हुआ का कहना है कि जब सरकारों के खिलाफ आम लोगों में धारणा बनने लगती है। उन परिस्थितियों में भी सात राज्यों में 6-1 की जीत अपने आप में बहुत कुछ कहती है। भाजपा को नरेंद्र मोदी के रूप में ऐसा हथियार मिला है। जिसकी काट मौजूदा समय में भारत में किसी भी विपक्षी दल के पास नहीं है। पीएम नरेंद्र मोदी की छवि साहसिक और नीतिगत फैसला लेने वाले नेता की बनी हुई है। शिन्हुआ के मुताबिक आने वाले समय में नरेंद्र मोदी को चुनौती देने वाला कोई भी नेता नजर नहीं आ रहा है।

यूं ही नहीं कामयाब हैं पीएम मोदी

PM Narendra Modi Successful

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2017 में जिन राज्यों में चुनाव हुए है। वहां पर नरेंद्र मोदी भाजपा के स्टॉर प्रचारक रहे। मोदी की वाकशैली कुछ इस तरह की है कि लोग खुद ब खुद खींचे चले जाते हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि उनकी बातों को लोग ध्यान से सुनते हैं और मतदान केंद्रों पर जाकर मत में परिवर्तित कर देते हैं। इससे साफ है कि ‘मोदी लहर’ जल्दी खत्म होने वाली नहीं है। उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव का खास जिक्र करते हुए शिन्हुआ ने लिखा है कि मोदी जनता को अपनी तरफ खींचने में कामयाब रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी अहम् फैसले के कुछ ही महीनों के बाद हुए चुनाव को विरोधी दल एक परीक्षा की तरह मान रहे थे। जिसमें उन्हें शत प्रतिशत कामयाबी मिली।

अमित शाह ने संगठन को मजबूत बनाया

Amit Shah and PM Narendra Modi

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पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ के साथ ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की भी तारीफ की गई है। शिन्हुआ का मानना है कि उन्होंने संगठन स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मोदी स्वभाविक तौर पर जीत के लिए पहला पिलर हैं, लेकिन संगठन स्तर पर पार्टी अध्यक्ष शाह की अहम भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता। उन्होंने पार्टी को संगठन स्तर पर मजबूत करने के लिए सिर्फ उत्तर प्रदेश में 18 लाख से ज्यादा लोगों को प्राथमिक सदस्य के तौर पर जोड़ा है।

वाशिंगटन पोस्ट ने की तारीफ

PM Narendra Modi and Donald Trump

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चीनी मीडिया के बाद अमेरिकी अखबार वाशिंगटन ने मोदी के कसीदे पड़ते हुए लिखा है कि नोटबंदी और जीएसटी जैसे कठोर फैसलों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता आसमान से भी ऊंची हो गई है। भारत के सवा सौ करोड़ लोगों को इस बात से ख़ुशी हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्षों की नीतिगत जड़ता को तोड़कर देश के विकास के लिए कुछ कर रहे हैं। इतना ही नहीं दीर्घकालिक लाभ के लिए वह अल्पकालिक नुकसान का सामना करने को भी तैयार हैं। भारत की वास्तविक आर्थिक क्षमता को उजागर करने के लिए उन्होंने महत्वाकांक्षी सुधारों के जरिए कुछ कठोर फैसले लिए हैं। पीएम मोदी लोकप्रिय बने हुए हैं और वह उभरते हुए विश्व के ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ हो सकते हैं। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि वाशिंगटन पोस्ट के इस निष्कर्ष के पीछे क्या वजह है।

डोकलाम पर दुनिया ने देखा भारत का सामर्थ्य

Doklam Issue

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अमेरिका के प्रतिष्ठित थिंक-टैंक हडसन इंस्टिट्यूट के सेंटर ऑन चाइनीज स्ट्रैटजी के डायरेक्टर माइकल पिल्स्बरी का कहना है कि चीन की बढ़ती ताकत के समक्ष मोदी अकेले खड़े हैं। दरअसल ये टिप्पणी उन्होंने ‘वन बेल्ट, वन रोड’ परियोजना को ध्यान में रखते हुए कहा था।

उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी टीम चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के इस महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट के खिलाफ मुखर रही है। दरअसल अमेरिकी थिंक टैंक का मानना बिल्कुल सही है, क्योंकि भारत ने चीन को डोकलाम विवाद में भी अपनी दृढ़ता का परिचय करा दिया है और चीन को अपनी सेना वापस बुलाने पर मजबूर होना पड़ा। चीन ने भारत को युद्ध की भी धमकी दी थी। लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी की नीतियों से चीन अकेला हो गया और पश्चिमी देशों ने उसे संयम बरतने की सलाह दी। अमेरिका, फ्रांस, जापान, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भारत के साथ खड़े रहे।

china media ne kaha saal 2017 raha brand modi ke naam

चीनी मीडिया ने भी बताया ‘मोदी लहर’ का असर, साल 2017 रहा ‘ब्रैंड मोदी’ के नाम

बात-बात पर भारत की तरफ आंखें तरेरने वाला ड्रैगन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के प्रति जो भी अपनी राय रखता हो, लेकिन वहां की सरकारी मीडिया नरेंद्र मोदी जी का लोहा मान रही है। चीन की सरकारी मीडिया शिन्हुआ की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख में पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ में जमकर कसीदे पढ़े गए।

‘मोदी वेव वर्क्स मैजिक फॉर इंडियाज रूलिंग बीजेपी इन 2017’ शीर्षक से प्रकाशित लेख में कहा गया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को 3 साल पूरे हो गए हैं। यह वर्ष अंतिम पड़ाव पर है, अगर हम देश की सियासी जंगों पर नजर डालें तो भारत की राजनीति में यह साल ‘ब्रैंड मोदी’ का रहा है।

आर्टिकल में लिखा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर से साल 2014 की शुरुआत में आम चुनावों में बीजेपी को जबरदस्त जीत हासिल हुई थी। इसके बाद पार्टी ने कई और राज्यों में भी जीत दर्ज की है। इस वर्ष जितने भी राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए, उनमें भी मोदी ही स्टार चेहरा और मास्टर स्ट्रोक रहे जो कि पिछले कुछ वर्षों में जनता के लोकप्रिय नेता बनकर उभरे है। यही वजह है कि भगवा पार्टी ने 2017 के बाद 17 राज्यों में हुए चुनावों में से 9 में जीत दर्ज हासिल की। जिनमें हाल ही में उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और गुजरात हुए विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत शामिल है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा से ठीक पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी के फैसले का भी जिक्र किया। इसी के साथ ही टैक्स सुधार के लिए उठाए गए कदम जीएसटी के बारे में भी लिखा गया है। लेख में कहा गया है कि देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने नोटबंदी और जीएसटी का जमकर विरोध किया है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  मैजिक के आगे जनता पर उसका असर कुछ भी नहीं हुआ है।

लेख में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य होने के नाते केंद्र की राजनीति में बड़ी अहमियत रखता है। यहां पर लोकसभा की सीटें 80 है। राज्य में क्षेत्रीय दलों जैसे कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का जातिगत समीकरणों के कारण बोलबाला रहा है। बीजेपी ने विधानसभा चुनावों के वक्त सीएम उम्मीदवार का ऐलान भी नहीं किया था। इसके बावजूद भी बीजेपी ने 312 सीटों पर अपना परचम लहराकर भारी अंतर से क्षेत्रीय दलों के मुंह से जीत छीन ली थी। इसका श्रेय भी नरेंद्र मोदी जी को ही जाता है, क्योंकि वही सूबे में चुनाव के वक्त स्टार चेहरे के तौर पर आगे रहे।

लेख में उत्तर पूर्व में मिली बीजेपी को कामयाबी का भी जिक्र है, जहां अर्से से कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों का दबदबा रहा है। लेख में गुजरात चुनावों के बारे में बताते हुए कांग्रेस के नए अध्यक्ष राहुल गांधी का भी जिक्र किया गया है। लेख में कहा गया है कि राहुल गांधी ने जब कांग्रेस की कमान अपने हाथ में ली, तब गुजरात में मोदी लहर खत्म होती सी दिख रही थी। पार्टी में गुटबाजी होने के कारण बीजेपी की जीत इस बार मुश्किल लग रही थी। यह केवल मोदी का ही करिश्मा रहा कि गुजरात समेत हिमाचल में भी बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की।

गुड मॉर्निंग के साथ दिया मैसेज नहीं पढ़ते सांसद, मोदी ने लगाई क्लास

संसद में तीन तलाक बिल पेश होने से पहले भारतीय जनता पार्टी की संसदीय दल की बैठक हुई। संसद में हुई इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत सभी बीजेपी सांसदों ने बैठक में भाग लिया। पीएम ने इस दौरान सांसदों को संबोधित किया, और एक नसीहत भी दे डाली।

पीएम नरेंद्र मोदी ने सांसदों को कहा कि उन्हें समय समय पर नरेंद्र मोदी एप्लीकेशन को देखना चाहिए और उसका इस्तेमाल करना चाहिए। पीएम ने सांसदों को उनकी शिकायत भी की। मोदी ने कहा कि वह कई बार सुबह सांसदों को गुड मॉर्निंग के मैसेज के साथ एक संदेश भेजते हैं। लेकिन कुछ सांसदों के अलावा कई तो उसे देखते तक नहीं है।

आपको बता दें कि ये पहली बार नहीं है कि जब पीएम मोदी ने सांसदों के रवैये के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की है। इससे पहले भी इस साल के अगस्त महीने में संसदीय दल की बैठक के दौरान उन्होंने सांसदों को डांट लगाई थी। उस दौरान उन्होंने कहा था कि अब अध्यक्ष राज्यसभा में आ गए हैं, आपके मौज-मस्ती के दिन बंद हो जाएंगे।  मोदी ने कहा कि आप लोग अपने आपको क्या समझते हैं, आप कुछ भी नहीं हैं, मैं भी कुछ नहीं हूं जो है बीजेपी एक पार्टी है।

2019 में देखूंगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये 3 लाइन का व्हिप क्या है, बार-बार व्हिप क्यों देना पड़ता है। अटेंडेंस के लिए क्यों कहा जाए। जिसको जो करना है करिए, 2019 में मैं देखूंगा। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत सभी बीजेपी सांसदों ने बैठक में हिस्सा लिया। इस बैठक में पीएम मोदी ने अमित शाह को लड्डू खिलाकर स्वागत किया।

आपको बता दें कि संसद में चल रहा गतिरोध अब थम गया है। जिसके बाद सरकार आज लोकसभा में तीन तलाक पर बिल पेश कर रही है। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी सांसदों को पहले ही व्हिप जारी कर दिया था। साथ ही बिल को पास कराने में सरकार को कांग्रेस का भी साथ मिल सकता है।

तीन तलाक विधेयक, क्या मिल पायेगा मुस्लिम महिलाओं को न्याय !

हर धर्म से कुछ ना कुछ रूढ़िवाद जुड़े होते हैं जिसे तथाकथित धर्म के ठेकेदार हमेशा धर्म से जोड़कर सभी धर्मावलम्बी को डरा कर रखते हैं। मध्यकाल के बाद भारत में कई ऐसे बुद्धिजीवी हुए जिन्होंने हिन्दुधर्म में व्याप्त कुप्रथाओं को बंद करवाया।

राजाराम मोहन राय और ईश्वर चंद विद्यासागर आदि जैसे समाज सुधारकों का तत्कालीन धार्मिक मठाधीशों ने बहुत विरोध किया फिर भी वो अपने पथ से डिगे नहीं और उनके निश्चय के कारण हीं हम आज हिन्दू धर्म में सती प्रथा, विधवा पुनर्विवाह ना किये जाने की प्रथा और बाल विवाह जैसे कुप्रथाओं से निजात पा चुके हैं।

ऐसी हीं कुछ कुप्रथाएं दूसरे धर्मों में भी मौजूद रहे हैं पर उसका विरोध कोई नहीं कर पाया। मसलन इस्लाम में व्याप्त तीन तलाक़ की कुप्रथा, भारतीय मुस्लिम समाज में अपनी पत्नी से तलाक़ लेने का वो ज़रिया जिसके अंतर्गत एक मुसलमान पुरुष अपनी पत्नी को तीन बार “तलाक़ तलाक़ तलाक़” कहकर अपनी शादी (निकाह) को किसी भी समय बिना किसी कारण के रद्द कर सकता है। इस कुप्रथा का नरेंद्र मोदी सरकार के पहले तक किसी ने विरोध नहीं किया था।

तीन तलाक़ मुद्दे पर पिछली सरकारें

पिछली सभी सरकारों ने कभी भी इस्लामिक मुद्दे को हाँथ हीं नहीं लगाया। इसका सबसे बड़ा कारण था वोटबैंक की राजनीति। मुस्लिम वोटों की चाहत में कभी किसी सरकार ने मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर कोई कठोर कदम नहीं उठाये, जैसा वो सदियों पहले करते थे वैसा हीं उन्हें अभी भी करने दिया गया।

एक बार जब राजीव गाँधी की कॉंग्रेस सरकार को शाहबानो प्रकरण के समय मौका भी मिला की इस मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं को समर्थन दे पर तब ऐन वक़्त पर राजीव गाँधी सरकार ने अपने हाथ खींच लिए और इतिहास में मुस्लिम महिलाओं की नज़रों में खलनायक बनकर उभरे।

शाहबानो प्रकरण

62 साल की मुसलमान महिला शाहबानो पाँच बच्चों की माँ भी थीं जिनको 1978 में उनके शौहर ने तालाक दे दिया था।अपनी और अपने पांच बच्चों की जीविका का कोई प्रबंध न हो सकने पर शाहबानो ने अपने पति से गुज़ाराभत्ता मांगने के लिये अदालत का दरबाजा खटखटाया । उच्चतम न्यायालय तक इस मामले को पहुँचते पहुँचते सात साल बीत गए थे, इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने अपराध दंड संहिता की धारा 125 के तहत निर्णय लिया जो शाहबानों के साथ साथ हर किसी पे लागू होता है चाहे वो किसी धर्म, जाति या फिर संप्रदाय का हो। न्यायालय के आदेश में कहा गया कि शाहबानो को निर्वाह-व्यय के समान कोई जीविका दी जाय।

उस समय भारत के रूढ़िवादी मुसलमानों के नज़रों में यह निर्णय इस्लामिक संस्कृति और विधानों पर बेंजा हस्तक्षेप था। इससे उनमे असुरक्षा की भावना का अनुभव हुआ और उन्होंने इसका देश भर में विरोध किया। तब के इस्लामिक नेता तथा प्रवक्ता एम जे अकबर और सैयद शहाबुद्दीन थे। इन लोगो ने ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड नाम की एक इस्लामिक संस्था बनाई और देश के सभी प्रमुख शहरों में बड़े आंदोलन की धमकी दी। इसके बाद उस समय के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उनकी मांगें मान लीं और शाहबानो पे सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया।

Late Shahbano and Late Rajiv Gandhi

Image =”scoopwhoop”

तब की कॉंग्रेस सरकार को संसद में पूर्ण बहुमत प्राप्त थी, प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने एक कानून पास कर दिया, जिससे शाहबानों प्रकरण में दिए गए उच्चतम न्यायलय को पलट दिया गया। चुकी सरकार पूर्ण बहुमत में थी, इसी कारण उच्चतम न्यायलय के निर्णय को पलटने वाला तलाक़ अधिकार संरक्षण कानून 1986 किसी भी अड़चन के बिना पास हो गया।

दूसरे मुस्लिम देशों में तीन तलाक़

इस मुद्दे पर अगर भारत से इतर दुनिया के बाकी मुस्लिम देशों पर नजर दौड़ाई जाए तो हमे पता चलेगा की तकरीबन 22 मुस्लिम-बहुल देश, जिनमें पडोसी देश पाकिस्तान तथा बांग्लादेश भी शामिल हैं, अपने यहां तीन बार तलाक की इस पुरानी कुप्रथा को खत्म कर चुके हैं।

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के अंतर्राष्ट्रीय इस्लामिक विश्विद्यालय में प्राध्यापक डॉ मुहम्मद मुनीर ने अपने एक शोध में बताया कि श्रीलंका में तीन तलाक के खिलाफ बना कानून एक बड़ा हीं आदर्श कानून है।

तलाक़ की प्रथा ख़त्म करने वाले देशों की सूची में साइप्रस और तुर्की भी शामिल हैं जहाँ धर्मनिरपेक्ष पारिवारिक कानूनों को अपनाया गया है। ट्यूनीशिया, मलेशिया और अल्जीरिया के सारावाक प्रांत में इस कानून के बाहर किसी तरह के तलाक को मान्यता हीं नहीं दी जाती है। शिया कानूनों के तहत ईरान में तीन तलाक की प्रथा का कोई मान्यता हीं नहीं है। कुल मिलाकर महिलाविरोधी यह प्रथा इस समय भारत के अलावा दुनियाभर के सिर्फ कुछ सुन्नी मुसलमान बहुल देश में हीं बची हुई थी।

कितना असरदार होगा तीन तलाक़ विरोधी विधेयक

नरेंद्र मोदी जी की वर्तमान सरकार ने तीन तलाक़ के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई शुरू कर दी है। जिस कार्य को करने की इक्षाशक्ति पिछली किसी सरकार में नहीं थी उस कार्य में मोदी जी ने हाँथ लगा कर फिर एक बार अपनी सबल इक्षाशक्ति का प्रदर्शन किया है।

सरकार द्वारा तीन तलाक़ के खिलाफ लायी गई विधेयक एक सकारात्मक और ईमानदार पहल है जो मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

इस विधेयक के अंतर्गत अगर कोई पुरुष अपनी पत्नी को तीन तलाक़ देता है तो वो मान्य नहीं माना जाएगा और साथ हीं साथ तलाक़ देने वाले पुरुष को तीन साल तक की सजा का भी प्रावधान इस विधेयक के अंतर्गत किया गया है। किसी भी परिस्थिति में दिया गया तीन तलाक… चाहे वो मौखिक हो या लिखित या फिर इलेक्ट्रॉनिक हो गैरकानूनी हीं कहलायेगा। तीन तलाक से पीड़ित महिला अपने लिए और अपने नाबालिक बच्चों के लिए गुजाराभत्ता और मुआवज़ा मांग सकती है, गुजाराभत्ते और मुआवजे का निर्णय मजिस्ट्रेट द्वारा किया जायेगा।

इस विधेयक को शुरुआती सफलता लोकसभा में मिल चुकी है, विधेयक लोकसभा से थोड़े बहुत विरोध के बाबजूद पास करवा लिया गया है। पर इसे राजयसभा से बह पास करवाना जरुरी है। इसके बाद हीं ये विधेयक कानून की शक्ल लेने की ओर अग्रसर होगा।

विधेयक को मिलने वाली चुनौतियाँ

Asaduddin Owaisi and Mamta Banerjee

वैसे तो वर्तमान सरकार लोकसभा में पूर्ण बहुमत में है और लोकसभा से ये विधेयक आसानी से पास भी हो चुकी है पर राजयसभा से पास कराने के लिए विपक्ष की भी मदद की जरुरत पड़ेगी। शाहबानो केस के समय मुँह की खा चुकी कॉंग्रेस अब दूध का जली अब छांछ भी फूंक फूंक के पी रहा है इसीलिए इस मुद्दे पर वो सरकार के साथ खड़ा नजर आ रहा है। पर ममता बनर्जी और ओबैसी बंधू ने इस क़ानून पर विरोध दर्ज करवाया है। इनके विरोध के बाबजूद भी इस बार ऐसी सम्भावना है की सरकार इस विधेयक को आसानी से कानून का रूप दे देगी।

2018 me bharat banega dhuniya ki 5th sabse badi economy

2018 में फ्रांस और ब्रिटैन को पछाड़कर भारत बनेगा दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी इकॉनमी

साल 2018 में भारतीय इकोनॉमी के काफी अहम साबित होने वाला है। नए साल में भारत की इकोनॉमी दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरेगा। नए साल में यह ब्रिटेन और फ्रांस को भी पीछे छोड़ देगा। यह कहना है कि सेंटर फॉर इकोनॉमिक्‍स एंड बिजनेस रिसर्च (Cebr) कंसलटेंसी का Cebr ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2027 तक भारतीय इकोनॉमी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगी।

कसलटेंसी के डेप्यूटी चेयरमैन डगलस मैकविलियम्स ने वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबल का हवाला देते हुए कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के शुरुआती झटकों के बावजूद 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था ब्रिटेन और फ्रांस को पीछे छोड़ते हुए (डॉलर में ) दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा।

Cebr ने वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबली के 9वें संस्करण में कहा कि वैसे तो जीवनयापन के कुछ मानकों को देखें तो भारत पहले ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। लेक‍िन 2018 में पहली बार भारत फ्रांस और ब्रिटेन को (डॉलर में) पीछे छोड़ देगा। यह टेबल दुनियाभर की इकोनॉमी को अलग-अलग आकार की गणना करता है और अगले 15 सालों में हो रहे बदलाव को लेकर अपना अनुमान बताता है।

कंसलटेंसी ने कहा है कि भारतीय इकोनॉमी के लिए यह काफी बड़ी बात है रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2000 में भारतीय अर्थव्यवस्था यूएस इकोनॉमी के 12 फीसदी के बराबर ही थी। रिपोर्ट में जीडीपी की रफ्तार का अनुमान डॉलर में लगाया गया है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए साल 2018 काफी फायदेमंद साबित होने की उम्मीद है। Cebr की तरह ही अन्य कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने 2018 में इकोनॉमी के लिए अच्छे दिनों के आने की बात कही है। विश्व बैंक, नोमुरा और आईएमएफ समेत अन्य संस्थाओं ने नये साल में नोटबंदी और जीएसटी का बुरा असर खत्म होने की बात कही है और इकोनॉमी के बढ़ने का अनुमान लगाया है।

Jairam Thakur ne cm pad ki shapth li

जयराम ठाकुर ने CM पद की शपथ ली, पीएम नरेंद्र मोदी रहे मौजूद

हिमाचल प्रदेश में एक नए इतिहास का गवाह बना है। यहां पहली बार मंडी के विधायक जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की और इस शपथ ग्रहण समारोह के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी पहली बार मौजूद रहे। शिमला के रिज मैदान पर हो रहे शपथ ग्रहण कार्यक्रम में राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने जयराम ठाकुर को पद और गोपनीयता की शपथ दिलवाई।

Himachal CM Take Oath

जयराम ठाकुर ने खुले मैंदान में जनता के सामने शपथ ग्रहण की और उनके बाद 10 कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ग्रहण की। मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने वालों में महेंद्र सिंह ठाकुर, सुरेश भारद्वाज, रामलाल मरकंडा, सरवीण चौधरी, राजीव सैजल, अनिल शर्मा, विपिन परमार, वीरेंद्र कंवर, विक्रम सिंह, गोविंद सिंह।

पिता की आई याद

शपथ ग्रहण से पहले जयराम ठाकुर को अपने पिता की याद आ और उन्होंने कहा कि आज मेरे पिता जी होते तो बड़े खुश होते। उनका एक साल पहले निधन हो गया। मेरे माताजी भी अस्वस्थ्य हैं लेकिन उनका आशीर्वाद मेरे साथ है यही बड़ी बात है। लोगों ने हममें विश्वास दिखाया है हम उस पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे।

PM Narendra Modi and Himachal CM

Image Source =”narendramodi.in”

वहीं जयराम ठाकुर की पत्नी साधना ने भी कहा कि यह आम लोगों के विश्वास की जीत है। सरकार से ढेर सारी उम्मीदें हैं कि वो लोगों की समस्याओं को समझकर उन्हें सुलझाने का प्रयास करेंगे।

मंडी के लोगों के लिए खास दिन

यह दिन मंडी के लोगों के लिए विशेष है क्योंकि पहली बार इस सीट का कोई विधायक राज्य का मुख्यमंत्री बनने जा रहा है। छोटा राज्य होने के कारण यहां कैबिनेट में 11 मंत्री रहते हैं। लेकिन माना जा रहा है कि आज के शपथ ग्रहण में ठाकुर के साथ 6 से 8 मंत्री शपथ ले सकते हैं।

शपथ ग्रहण समारोह का गवाह बनने के लिए शिमला के रिज मैदान पर सुबह से ही लोगों की भीड़ बढ़ने लगी है। शपथ ग्रहण कार्यक्रम में शामिल होने के लिए केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, नितिन गडकरी, अंनत कुमार गीते, थावर चंद गहलोत मंच पर मौजूद हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा शिमला पहुंच चुके हैं। पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण अाडवाणी के अलावा राज्यों के मुख्यमंत्री व 6 राज्यों के उप-मुख्यमंत्री शामिल हुए। शपथ ग्रहण समारोह में प्रदेश के विभिन्न भागों से करीब 50 हजार लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।

PM Narendra Modi and Himachal CM With Cabinet Ministers

हिमाचल शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने वाले पहले प्रधानमंत्री बने मोदी

हिमाचल में मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाले पहले पीएम बने हैं। इससे पहले किसी भी प्रधानमंत्री ने शिमला में जाकर शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत नहीं की है। पीएम मोदी के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री, कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी समारोह में मौजूद रहे। देश भर से शिमला आ रहे गणमान्य लोगों के आगमन को लेकर भाजपा कार्यकर्ता खासे उत्साहित दिखे।

pakistan ki jail me band ek aam hindustani kulbhushan Jadhav

पाकिस्तान की जेल में बंद एक आम हिंदुस्तानी “कुलभूषण”

भारत के आज़ादी के साथ साथ पाकिस्तान भी आज़ाद हुआ। जहाँ एक तरफ भारत ने तरक्की की राह पकड़ी वहीं पाकिस्तान का हमेशा से एकसूत्री एजेंडा रहा की वो कैसे भारत की जमीन पे कब्ज़ा करे और भारत में अस्थिरता पैदा करे। पिछले 70 सालों में हमारे बीच चार बड़े युद्ध हो चुके हैं और सरहद पे कोई ऐसा दिन नहीं जाता जब गोलियां नहीं चलती हो।

दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए अलग अलग समयों पर कई प्रयास किये गए, पर शुरूआती सफलता के बाद हर पहल के परिणाम सिफर हीं निकले। शिमला समझौता हो या ताशकंद समझौता, अटल जी के समय में भारत पकिस्तान के बीच शुरू हुई बस यात्रा हो या फिर वर्तमान में मोदी जी के द्वारा शपथ ग्रहण में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को बुलाना हो.. ये सारे पहल भारत की पाकिस्तान से संबंधों को ले कर अच्छी नियत दिखाती है, पर हर पहल के बाद कोई न कोई चिंगारी उठती है और सारे किये धरे पर पानी फेर देती है।

वर्तमान समय की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो अच्छी पहल की पाकिस्तान से संबंधों को बेहतर करने के लिए, पहली जहाँ शपड़ह ग्रहण में सार्क देशों के सभी नेताओं को आमंत्रित किया जिसमे एक पाकिस्तान भी था तो दूसरी बार तब जब अफगानिस्तान से लौटते समय बिना किसी पूर्व सुचना के पाकिस्तान जा कर पाकिस्तानी राष्ट्रपति नवाज शरीफ को उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं दी।

पर मोदी जी के इन पहलों का सिला पाकिस्तान ने कभी पठानकोट बेस कैम्प पर हमला कर के तो कभी कुलभूषण जैसे आम भारतीय का अपहरण कर के उसे दहशतगर्त बता के दिया।

कौन है कुलभूषण जाधव ?

सन 1970 में कुलभूषण जाधव का जन्म महाराष्ट्र के सांगली में हुआ, उनके पिता सुधीर जाधव महाराष्ट्र पुलिस में डीएसपी थे। कुलभूषण ने 1987 में नेशनल डिफेन्स एकेडमी में प्रवेश लिया और 4 साल बाद 1991 में भारतीय नौसेना में शामिल हो गए। 14 साल नौसेना की सेवा में गुज़ारने के बाद उन्होंने समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया और वह 2003 में रिटायर हो गए। रिटायर होने के बाद कुलभूषण ने ईरान में अपना व्यापार शुरू किया और उसमे सफलता भी पाई।

कुलभूषण की गिरफ्तारी

बहरहाल पाकिस्तान कहता है की कुलभूषण जाधव एक भारतीय जासूस है और उसे उन्होंने ईरान पाकिस्तान सरहद पर पाकिस्तान में घुसपैठ करते हुए पकड़ा। पाकिस्तान ने आरोप लगाए कि जाधव पाकिस्तान को अस्थिर करना और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जंग छेड़ना चाहते थे, कुलभूषण को 3 मार्च 2016 को ईरान से पाक में अवैध घुसपैठ के चलते गिरफ़्तार किया गया।

भारत का पक्ष

वहीं भारत की तरफ से दिए गए ऑफिशियल बयान में कहा गया की कुलभूषण का ईरान से अपहरण कर के पाकिस्तान ले जाया गया और उनका सरकार के साथ अब कोई सम्बन्ध नहीं है। कुछ सूत्र बताते हैं की कुलभूषण का अपहरण दरअसल तालिबान ने किया और पाकिस्तान को बेच दिया।

कब क्या क्या घटा !

कुलभूषण की गिरफ्तारी के कुछ दिन के बाद पाकिस्तान ने एक विडिओ जारी किया जिसमे कुलभूषण ने ये मान लिया है की वो भारतीय नौसेना अधिकारी हैं और भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ के निर्देश पर पाकिस्तान को अस्थिर करने की गतिविधियों में शामिल थे।

हालांकि, भारत ने इस वीडियो में किये गए कबुलनामे को अस्वीकार किया है। भारत के अनुसार, “यह पाकिस्तान के द्वारा बनाया गया एक नकली विडियो है। पाकिस्तान भारत को बदनाम करने के लिए कहानियां और ऐसे नकली वीडियो बना रहा है।”भारतीय अधिकारियों के मुताबिक, जाधव का ईरान में कार्गो का व्यवसाय था और वो बंदर अब्बास और चाबहार बंदरगाहों से बाहर काम करता था। “ऐसा संभव है कि वो पाकिस्तानी जल में भटक गए हों लेकिन एक संभावना ये भी है कि उन्हें कुछ समय पहले बहाने से पाकिस्तान बुलाया गया और आईएसआई द्वारा नकली कागजातों का निर्माण किया गया।”सुरक्षा प्रतिष्ठान में एक अन्य अधिकारी के अनुसार, जाधव को पाकिस्तान के सुरक्षा अधिकारियों ने इनकी पृष्ठभूमि के बारे में पता लगा कर फंसाया और फिर योजना अनुसार कागजातों का निर्माण किया जिसे बाद में चमन से गिरफ्तारी में दिखाया जा सके।”

कुलभूषण जाधव के कबूलनामे के बाद 10 अप्रैल 2017 को इस मसले पर पाकिस्तानी फ़ील्ड जनरल कोर्ट मार्शल ने फांसी की सजा का एलान कर दिया। ये मुकदमा करीब साढ़े तीन महीने तक चला जिसमे जाधव पे पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध, भारत के खिलाफ जासूसी, राज्य को अस्थिर करने और आतंकवाद को प्रायोजित करने के लिए दोषी माना गया ।

फांसी की सजा के ऐलान के बाद भारत ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त ‘अब्दुल बासित’ को बुलवा कर अपना विरोध जताते हुए कहा की ये सारी न्याय प्रक्रिया बस एक चाल है, सजा के लेकर अपनाई गई कार्यवाईयों में लापरवाही बरती गई और भारत इस फैसले के अमल को फर्स्ट डिग्री मर्डर के तौर पर देखेगा।

भारतीय संसद ने 11 अप्रैल 2017 को जारी की गई एक बयान में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने ये बात दोहराई की जाधव को ईरान की धरती से पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसियों अपहरण लिया और रॉ एजेंट बता कर ट्रायल चलाते रहे। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मुद्दे पर कहा की जाधव के किसी तरह के गलत कार्य में सम्मलित रहने के कोई सबूत नहीं मिले हैं इसलिए फांसी की सजा एक “पूर्वनिर्धारित हत्या” का कृत्य कहलायेगा। इसके आगे स्वराज ने कहा की अगर ये सजा पाकिस्तान लागू करेगा तो दोनों देशों के बीच के द्विपक्षीय सम्बन्ध बेहतर नहीं रह पाएंगे।

वर्तमान प्रगति

Current Progress

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इस मुद्दे पर दिसम्बर 2017 के आखिरी हफ्ते में पकिस्तान ने जाधव की माँ और पत्नी को कुलभूषण से मिलने दिया, ये एक अच्छी पहल हो सकती थी पर इस मौके पर भी पकिस्तान ने कई चूक कर दी जिससे से पूरी दुनिया में पाकिस्तान की थू थू हो गई। हुआ यूँ की जब जाधव की माँ जाधव से मिलने पाकिस्तान पहुंची तो उनके साथ वहां के अधिकारीयों ने बुरा व्यवहार किया। माँ और पत्नी के कपडे बदलवा दिए, बिंदी चूड़ी मंगलसूत्र और जूते तक उतरवा लिए गए, उनके खिलाफ आपत्तिजनक नारे लगाए गए।

एक मिलन पाकिस्तान के लिए अपनी छवि सुधारने का एक मौका हो सकता था, पर पकिस्तान ने अपनी हीं बेवकूफियों से इस मौके को जाया कर दिया।

भविष्य की संभावनाएं

हालांकि भारत सरकार अपनी तरफ से सारी कोशिशें कर रहा है जाधव को बचाने की पर पाकिस्तान की नियत का कुछ कहा नहीं जा सकता है। पिछली सरकार के दौरान पाकिस्तानी जेल में बंद एक और भारतीय सरबजीत सिंह को बचाने की कोशिशों में हुई चूक को सुधार कर जाधव को बचाने का रोडमैप बनाना चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगवाने में भारत सरकार को मिली सफलता एक उम्मीद जगती भी है की शायद इस बार हम पहले की गई चूक दोहराएंगे नहीं।