किसानों के लिए बिजली की अलग फीडर लाइन पर बातें तो पिछले डेढ़ दशक से हो रही है। लेकिन अब इस पर अमल की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस मामले में राज्यों के स्तर पर हो रही देरी और केंद्रीय बिजली मंत्रालय के भी ठंडे रवैये से नाराज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समय सीमा तय कर दी है। बिजली मंत्रालय को कहा गया है कि वह जुलाई, 2018 तक पूरे देश में किसानों के लिए अलग फीडर लाइन बनाने का काम पूरा करे। पीएम नरेंद्र मोदी के इस निर्देश को अमल में लाने के लिए अब उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, राजस्थान समेत कई राज्यों को बहुत तेजी से काम करना पड़ेगा।
सरकारी जानकारों के मुताबिक, बिजली सुधार की दिशा में पिछले दो सालों में बेहद जबरदस्त कामयाबी के साथ अब यह सुनिश्चित करना है कि देश के निचले तबके तक इसका फायदा पहुंचे। इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी एक तरह की सहज बिजली योजना को हर घर योजना लांच की है। इसका फायदा ग्रामीण क्षेत्रों को खास तौर पर होगा। लेकिन किसानों को फायदा देने के लिए अब फीडर लाइन अलग किया जाएगा। कई राज्यों में ऐसा हो चुका है, लेकिन उत्तर व मध्य भारत के अधिकांश राज्यों में यह काम काफी पीछे चल रहा है। सरकार मानती है कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए यह जरूरी है कि उन्हें पर्याप्त मात्रा में बिजली की आपूर्ति की जाए। इससे किसानों के खातों में सीधे बिजली सब्सिडी देने का काम भी आसान होगा।
सरकार ऐसा करने में कामयाब हो जाती है। तो यह उसके लिए अगले चुनाव में दिखाने के लिए एक बड़ा कदम होगा। केंद्र की पहले से ही पूरी तैयारी है कि मई, 2019 में होने वाले आम चुनाव से पहले हर घर को बिजली कनेक्शन देने की योजना को भी अमली जामा पहना दिया जाए। ऐसे में सरकार बिजली क्षेत्र में दो बड़ी उपलब्धियों के साथ चुनाव में उतरेगी। अभी तक महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों में किसानों के लिए अलग बिजली की फीडर लाइन की व्यवस्था हो चुकी और इसके काफी बेहतर परिणाम देखने को मिले है। इससे किसानों को बिजली सब्सिडी सीधे बैंक खाते में देने की व्यवस्था भी शुरू हो चुकी है। साथ ही किसानों को समय पर पर्याप्त बिजली की आपूर्ति भी सुनिश्चित हो चुकी है।
सनद रहे कि बिजली सुधार पर मोदी सरकार का रिकॉर्ड दूसरे कई क्षेत्रों से बेहतर रहा है। वर्ष 2015 में दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और सितंबर, 2017 में लांच की गई पीएम सहज बिजली हर घर योजना से दिसंबर, 2018 तक हर घर को बिजली कनेक्शन मिलने के आसार है। इसके अलावा तीन वर्ष पहले राज्यों की खस्ताहाल बिजली वितरण कंपनियों की माली हालात सुधारने के लिए लांच की गई उदय योजना के भी सकारात्मक असर दिखाई देने लगे हैं। ताजे आंकड़े बताते हैं कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों की हानि अब कम होने लगी है। बिजली आपूर्ति की स्थिति भी काफी सुधरी है।