प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को श्रीलंका को उसकी राष्ट्र निर्माण पहल में भारत के पूर्ण सहयोग का आश्वान देते हुए कहा कि नई दिल्ली उसका मित्र और सहयोगी बना रहेगा. प्रधानमंत्री ने श्रीलंकाई नागरिकों की आर्थिक समृद्धि एवं द्विपक्षीय विकास सहयोग को गहरा बनाने पर जोर दिया.
अंतरराष्ट्रीय बैसाख दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि वह मानते हैं कि सामाजिक न्याय और सतत विश्व शांति की विचारधारा बुद्ध के उपदेशों से मेल खाती है. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही हमारे क्षेत्र का सौभाग्य है कि हमने दुनिया को भगवान बुद्ध और उनकी शिक्षा का तोहफा दिया. भगवान बुद्ध का संदेश आज 21वीं सदी में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना वह ढाई हजार साल पहले था.
श्रीलंका के राष्ट्रनिर्माण पहल में समर्थन का दिया भरोसा
प्रधानमंत्री ने कहा, बौद्ध धर्म और उसके विभिन्न पंथ ‘हमारे प्रशासन, संस्कृति और सिद्धांतों’में गहरी पैठ बनाए हुए हैं. मोदी ने कहा कि दक्षिण, मध्य, दक्षिण पूर्व और पूर्व एशिया को उनके बौद्ध धर्म आधारित संबंधों पर गर्व है जो बुद्ध की धरती से जुड़ी है. प्रधानमंत्री ने श्रीलंका को उसकी राष्ट्र निर्माण पहल में भारत के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया.
मोदी ने कहा वह मानते हैं कि भारत और श्रीलंका अपने संबंधों के महान अवसर के मुहाने पर खड़े हैं. उन्होंने कहा, ‘आप भारत को अपने मित्र, सहयोगी के रूप में पायेंगे जो आपके राष्ट्र निर्माण पहल में आपका सहयोग करेगा.’उन्होंने दोनों देशों को भगवान बुद्ध के शांति, सामंजस्य और करुणा के मूल्यों का नीतियों एवं आचार में समावेश करने पर जोर दिया.
‘दोनों देशों के बीच सहयोग को गहरा बनाने का है लक्ष्य’
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीलंका के साथ भारत का 2.6 अरब डॉलर के विकास सहयोग का मकसद लंका का अपने लोगों के शांतिपूर्ण, समृद्ध और सुरक्षित भविष्य के निर्माण के लिए है. उन्होंने कहा कि भारत का तीव्र विकास सम्पूर्ण क्षेत्र के लिए लाभकारी है विशेष तौर पर श्रीलंका में आधारभूत संरचना, कनेक्टिविटी, परिवहन और ऊर्जा के क्षेत्र में हम सहयोग को आगे बढ़ा रहे हैं. मोदी ने कहा कि भारत, श्रीलंकाई नागरिकों की आर्थिक समृद्धि एवं द्विपक्षीय विकास सहयोग को गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम अपने संबंधों के महान अवसर के समक्ष हैं और हमारे लिये हमारी मित्रता की सफलता का अहम कसौटी हमारी प्रगति और सफलता है. उन्होंने कहा कि करीबी पड़ोसी के रूप में हमारे संबंध बहुस्तरीय हैं . यह बौद्ध धर्म से जुड़े मूल्यों से जुड़ी अनंत संभावनाओं के जरिये हमारे साझे भविष्य की मजबूती से संबंधित है. हमारी मित्रता हमारे लोगों के दिलों में बसती है.
श्रीलंका की आर्थिक समृद्धि के प्रति भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए मोदी ने कहा, ‘मेरे श्रीलंकाई भाइयों एवं बहनों, हम हमारे विकास सहयोग को गहरा बनाने एवं सकारात्मक बदलाव लाने के लिए निवेश जारी रखेंगे.’ उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि कारोबार, निवेश, प्रौद्योगिकी और विचारों का प्रवाह सीमाओं से परे होता है और हमारे लिए साझा लाभ प्रदान करने वाला होता है.’ उल्लेखनीय है कि भारत और श्रीलंका सामरिक रूप से महत्वपूर्ण त्रिंकोमाली बंदरगाह पर तेल टैंकों का परिचालन संयुक्त रूप से करने पर बात कर रहे हैं. इस बारे में समझौते की अभी घोषणा होना बाकी है. इसका कुछ विपक्षी दल और मजदूर संघ विरोध कर रहे हैं.
मोदी ने हालांकि कहा, ‘आधारभूत संरचना, कनेक्टिविटी, परिवहन और ऊर्जा के क्षेत्र में हमारा सहयोग बढ़ेगा.’उन्होंने कहा कि हिन्द महासागर क्षेत्र में चाहे जमीन हो या जल, हमारे समाजों की सुरक्षा सर्वोपरि है.
हिंद महासागर में चीन की नजर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी ऐसे समय में महत्वपूर्ण मानी जा रही है जब श्रीलंका में चीन के पैर जमाने का प्रयास करने के कारण हिन्द महसागर और सुरक्षा का विषय महत्वपूर्ण हो गया है. श्रीलंका हंबनतोता बंदरगाह का 80 प्रतिशत हिस्सा 99 वर्ष के पट्टे पर चीन को देने की योजना को अंतिम रूप दे रहा है. इस संबंध में चीन की पनडुब्बी के 2014 में श्रीलंका के बंदरगार पर लंगर डालने का मुद्दा भी अहम है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बाद में भारतीय मूल के तमिलों को संबोधित करते हुए कहा कि विविधता उत्सव मनाने का विषय है, संघर्ष का नहीं और भारत मध्य लंका में तमिलों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए श्रीलंका की ओर से उठाये गए सक्रिय कदमों का पूरा समर्थन करता है.