प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिला पर 70वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के बाद पिछले वर्ष की ही तरह इस बार भी बच्चों को निराश नहीं किया, जो उनसे मिलने की प्रतीक्षा कर रहे थे. अपने संबोधन के समापन पर पीएम मोदी 17वीं सदी के इस स्मारक की प्राचीर से नीचे उतरे और करीब 9:13 बजे वहां से निकलने के बाद सुरक्षा बाड़े से कुछ ही मीटर की दूरी पर खड़े बच्चों को देख उन्होंने अपने काफिले को रुकवाया और बच्चों से मिले.
कड़े सुरक्षा घेरे को तोड़कर प्रधानमंत्री मोदी उन बच्चों से जाकर मिले, उनका अभिवादन स्वीकार किया और उनसे हाथ भी मिलाया. शहर के एक स्कूल से आई एक 12-वर्षीय छात्रा पूजा ‘प्रधानमंत्री से मुलाकात’ का सुअवसर मिलने के बाद अत्यंत प्रफुल्लित थी.
उसने कहा, ‘मैंने उन्हें पिछले साल टीवी पर देखा था कि कैसे वे कुछ छात्रों से मिलने उनके पास पहुंच गए थे, इसलिए मैं उम्मीद कर रही थी कि वे आज भी हमलोगों से मिलेंगे। लेकिन जैसे ही उनका काफिला चलना शुरू हुआ तो मुझे लगा कि वे हमसे नहीं मिलेंगे, लेकिन कुछ ही पल बाद वे हमसे मिले और उनसे मिलकर मुझे काफी खुशी महसूस हो रही है.’ एक और छात्र, राजेश पिछली पंक्ति में बैठने की वजह से पीएम मोदी से हाथ नहीं मिला पाया, जिससे वह काफी उदास लग रहा था. उसने कहा, ‘फिर भी उन्हें काफी नजदीक से देखने पर मैं काफी खुश हूं.’
सभी बच्चे पीले और गहरे नीले रंग की पोशाक पहने हुए थे और आजादी की इस सत्तरवीं सालगिरह पर 70 की आकृति बनाकर बैठे हुए थे. वे मोदी जी के 90 मिनट के भाषण के दौरान बीच-बीच में तालियां भी बजा रहे थे.
जब प्रधानमंत्री ने पेशावर के स्कूल में हुए हमले पर भारत की ‘मानवीय’ प्रतिक्रिया का जिक्र किया और कहा कि उस दिन भारत का हर एक स्कूल रोया था’, तो उस समय वहां से सबसे ज्यादा आवाजें आईं. दिसंबर, 2014 में पाकिस्तान के इस शहर में आर्मी पब्लिक स्कूल पर हुए आतंकी हमले में करीब 150 छात्र मारे गए थे.