ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने गोवा घोषणापत्र को पारित किया है जिसमें हमारे सहयोग के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण पेश किया गया है. घोषणापत्र में इसके साथ ही देशों से कहा गया है कि वे आतंकवाद से सफलतापूर्वक मुकाबले के लिए एक ”समग्र” रुख अपनाएं. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई का आह्वान किया और पाकिस्तान को आतंकवाद के पोषण की भूमि बताया.
ब्रिक्स ने कहा कि आतंकवाद के वित्त पोषण के स्रोतों जैसे धनशोधन, मादक पदार्थ की तस्करी, आपराधिक गतिविधियों जैसे संगठित अपराधों, आतंकवादी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के साथ ही आतंकवादी इकाइयों द्वारा सोशल मीडिया सहित इंटरनेट के दुरुपयोग से मुकाबले पर जोर होना चाहिए.”
घोषणापत्र में कहा गया, ”आतंकवाद से सफलतापूर्वक निपटने के लिए एक समग्र रुख की जरूरत है. आतंकवाद के खिलाफ सभी कदमों में अंतरराष्ट्रीय कानून बरकरार रखा जाना चाहिए और मानवाधिकारों का सम्मान होना चाहिए.”
ब्रिक्स ने आतंकवाद के खिलाफ बहुपक्षीय दृष्टिकोण के समन्वय में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका पर जोर देते हुए सभी देशों से आग्रह किया कि वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों को प्रभावी तरीके से लागू करें और संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधक रूपरेखा की प्रभावशीलता बढ़ाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहरायें. घोषणापत्र में ब्रिक्स ने कहा कि वह धनशोधन और आतंकवाद के वित्त पोषण एवं प्रसार से मुकाबले में एफएटीएफ (वित्तीय कार्रवाई कार्यबल) के अंतरराष्ट्रीय मानकों के प्रति प्रतिबद्धता दोहराता है. ब्रिक्स ने इसके साथ ही आतंकवाद के वित्त पोषण से मुकाबले के लिए एफएटीएफ को जल्द, प्रभावी और सार्वभौमिक रूप से लागू करने का भी आह्वान किया.
ब्रिक्स ने कहा, ”हम एफएटीएफ और एफएटीएफ जैसे क्षेत्रीय निकायों में अपना सहयोग बढ़ाना चाहते हैं.” ब्रिक्स ने अपने घोषणापत्र में मादक पदार्थ के उत्पादन और तस्करी से उत्पन्न वैश्विक खतरे से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने का भी आह्वान किया.
उसने कहा, ”हम गहरी चिंता के साथ मादक पदार्थ तस्करी और आतंकवाद, धनशोधन और संगठित अपराध के बीच बढ़ते संबंध पर गौर करते हैं.” उसने कहा कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी इस्तेमाल में सुरक्षा बढ़ाने में प्रयासों को मजबूत करने का एक समझौता भी है.