प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर प्रशासन को करदाताओं के अनुकूल सहज बनाने और कर चोरी रोकने की पुख्ता व्यवस्था करने के लिए टैक्स अधिकारियों को पांच-सूत्रीय मंत्र दिया है। प्रधानमंत्री ने टैक्स अधिकारियों को आयकरदाताओं की संख्या दोगुनी कर 10 करोड़ करने को भी कहा है। इसके अलावा पीएम ने टैक्स अधिकारियों को लोगों के मन से आयकर विभाग का भय दूर करने का आह्वान भी किया है।
प्रधानमंत्री ने गुरुवार को यहां आयकर और परोक्ष कर के शीर्ष अधिकारियों को संबोधित करते हुए कही। यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के अधिकारियों की संयुक्त बैठक ‘राजस्व ज्ञान संगम’ को संबोधित किया है। खास बात यह है कि पीएम ने न सिर्फ टैक्स अधिकारियों की इस शीर्ष बैठक को संबोधित किया बल्कि 15 अधिकारियों ने पीएम के समक्ष अपने सुझाव भी रखे।
पीएम ने अधिकारियों से साफ कहा कि वे दो दिन तक चलने वाले ‘राजस्व ज्ञानसंगम’ में निकलने वाले निष्कर्षो को ‘कर्मसंगम’ के रूप में लागू करें। प्रधानमंत्री ने पांच सूत्रीय मंत्र ‘रैपिड’ (आरएपीआइडी) देते हुए कहा कि टैक्स अधिकारी अपनी प्राथमिकता में राजस्व (रेवेन्यू), जवाबदेही (अकाउंटेबल), सत्यनिष्ठा (प्रोबिटी), सूचना (इन्फॉरमेशन) और डिजिटाइजेशन को ध्यान में रखकर काम करें। पीएम ने यह भी कहा कि टैक्स अधिकारियों को आने वाले दिनों में आयकरदाताओं की संख्या बढ़ाकर 10 करोड़ करनी चाहिए। फिलहाल आयकरदाताओं की संख्या 5.43 करोड़ है। साथ ही उन्होंने करदाताओं और टैक्स विभाग के बीच विश्र्वास के अभाव को दूर करने की जरूरत पर भी बल दिया।
‘राजस्व ज्ञानसंगम’ में पीएम के संबोधन के बारे में जानकारी देते हुए राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने कहा कि पीएम का कहना था कि 92 प्रतिशत आयकर राजस्व लोग खुद ही भुगतान करते हैं जबकि आयकर विभाग में 42000 कर्मचारी होने के बाद भी मात्र 8 प्रतिशत राजस्व ही जांच और छानबीन से वसूल होता है। इसका मतलब है कि अधिकांश लोग स्वत: ही टैक्स का भुगतान करते हैं। कर चोरी करने वालों की संख्या कम है।
अढिया ने कहा कि पीएम ने करदाताओं के मन से टैक्स अधिकारियों के भय को निकालने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि टैक्स अधिकारियों की भूमिका आक्रांता की नहीं बल्कि परामर्शदाता की होनी चाहिए। पीएम ने इस संबंध में उदाहरण देते हुए कहा कि मनरेगा मजदूर का बेटा भी आइआइटी में दाखिले की आकांक्षा रखता है। कर प्रशासन को ऐसे वृक्षों को खाद-पानी देकर बढ़ाना चाहिए। उन्होंने एक करोड़ लोगों के गैस सब्सिडी छोड़े जाने का उदाहरण देते हुए कहा कि देश के लोग ईमानदार हैं और वे खुद ही कर का भुगतान करेंगे।
टैक्स अधिकारियों को उनके अनुकूल व्यवस्था बनानी चाहिए।पीएम ने इस मौके पर कर व्यवस्था में खामियों की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि अगर गूगल पर सर्च करें कि भारत में टैक्स का भुगतान कैसे करें तो इसके 7 करोड़ परिणाम सामने आते हैं। वहीं अगर यह सर्च करें कि भारत मेें टैक्स कैसे न चुकाएं तो इसके 12 करोड़ नतीजे दिखाई पड़ते हैं। इससे पता चलता है कि कर व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है।बैठक में टैक्स अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को सुझाव भी दिए। एक अधिकारी ने देश में कर सुविधा कानून बनाने का सुझाव दिया।