Monthly Archives: August 2018

Pm narendra modi ne di Karunanidhi ko shraddhanjali

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी करुणानिधि को श्रद्धांजलि, अंतिम दर्शन को उमड़े समर्थक

दक्षिण की राजनीति के पितामह कहे जाने वाले डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि अब इस दुनिया में नहीं रहे। मंगलवार शाम 6.10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन के साथ ही पूरे राज्य में उनके समर्थकों का रो-रो कर बुरा हाल था। करुणानिधि के निधन की खबर के साथ ही देश के तमाम दिग्गज नेताओं और हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।


बुधवार को करुणानिधि के पार्थिव शरीर को चेन्नई के राजाजी हॉल में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चेन्नई पहुंच करुणानिधि के अंतिम दर्शन किए। उन्होंने वहां पहुंच कर करुणानिधि के बेटे स्टालिन और बेटी कनिमोझी से मुलाकात की। उनके अलावा भी कई नेता आज चेन्नई पहुंचे। सुपरस्टार रजनीकांत, कमल हसन ने भी करुणानिधि को श्रद्धांजलि दी।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह समेत कई हस्तियों ने ट्वीट कर करुणानिधि को श्रद्धांजलि दी।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करुणानिधि के देहांत पर दुख जताते हुए कहा कि उनको देश हमेशा याद रखेगा। उन्होंने ट्वीट किया, ‘करुणानिधि के निधन से बेहद दुखी हूं। वो भारत के सबसे सीनियर नेताओं में से एक थे। हमने जमीन से जुड़े जननायक को खो दिया। महान विचार और लेखक को खो दिया। उनका जीवन गरीब और वंचित लोगों के लिए समर्पित था।’


पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदना करुणानिधि के अनगिनत समर्थकों और परिजनों के साथ है। भारत और खासकर तमिलनाडु उनको हमेशा याद रखेगा। उनकी आत्मा को शांति मिले।’ मोदी ने कहा, ‘मुझे करुणानिधि से कई अवसरों पर मिलने का अवसर मिला। उनको पॉलिसी की अच्छी समझ थी और वो समाज कल्याण के कार्यों पर जोर देते थे। वो लोकतंत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध थे। आपातकाल के खिलाफ उनका कड़ा विरोध हमेशा याद किया जाएगा।’


मुथुवेल करुणानिधि, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके पार्टी प्रमुख का 94 साल की उम्र में एक लंबी बिमारी के बाद चेन्नई में निधन हो गया। तमिलनाडु की राजनीति में करुणानिधि का पांच दशक लंबा सफर रहा। इन पांच दशकों के दौरान करुणानिधि ने डीएमके को न सिर्फ राज्य की सत्ता पर कई बार काबिज किया बल्कि केन्द्र की राजनीति में भी बड़ी भूमिका अदा की। 3 जून, 1924 को नागापट्टिनम जिले के थिरूकुवलई में जन्म हुआ था।

डीएमके में बतौर कार्यकर्ता अपनी स्पीच और स्क्रिप्ट लिखने की क्षमता के चलते करुणानिधि लगातार आगे बढ़ते रहे। लेकिन उनके राजनीतिक सफर का टर्निंग प्वाइंट तब आया जब डीएमके ने कालाकुडी रेलवे स्टेशन का नाम एक कारोबारी के नाम पर डिलमियापुरम करने का विरोध किया। इस प्रदर्शन के दौरान उन पर 35 रुपये का जुर्माना लगाया गया और 5 महीने की जेल की सजा का आदेश हुआ। करुणानिधि ने जुर्माना अदा करने से मना कर दिया और एक साल तक जेल में सजा काटी। इस एक प्रदर्शन ने करुणानिधि को पार्टी के शीर्ष नेताओं में लाकर खड़ा कर दिया।

Pm narendra modi ne kaha bjp har sal 1 se 7 ko manayegi august kranti saptaah

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, बीजेपी हर साल 1-7 अगस्त को मनाएगी अगस्त क्रांति सप्ताह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी संसदीय पार्टी की बैठक में कहा कि OBC आयोग को संवैधानिक दर्जा और एससी-एसटी बिल का पास होना, सामाजिक न्याय के क्षेत्र में “अगस्त क्रांति” है। पीढ़ियों तक जो नहीं किया गया वह हमने किया है। हम हर साल 1 अगस्त से 7 अगस्त तक अगस्त क्रांति सप्ताह मनाएंगे। इसके अलावा बीजेपी संसदीय दल में फैसला हुआ कि 15 अगस्त से 30 अगस्त तक बीजेपी पूरे देश में सामाजिक न्याय पर्व मनायेगी। सत्र ख़त्म के बाद सभी सांसदों को अपने अपने क्षेत्र में जाकर OBC और SC/ST बिल के बारे में जनता को बताने का निर्देश भी दिया गया। इसके पहले संसदीय दल की बैठक शुरू होने पर बीजेपी के OBC सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सम्मान किया। इस अवसर पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद थे।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को सोमवार को संसद की मंजूरी मिल गयी। राज्यसभा ने इससे संबंधित ‘संविधान (123वां संशोधन) विधेयक को 156 के मुकाबले शून्य मतों से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। संविधान संशोधन होने के नाते विधेयक पर मत विभाजन किया गया जिसमें सभी 156 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के बाद राज्यों के अधिकारों के हनन होने के संबंध में कुछ सदस्यों ने जो आशंका व्यक्त की है, वह निर्मूल है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की केंद्रीय और राज्य सूची एक समान होती है। लेकिन ओबीसी के मामले में यह अलग अलग है।

उन्होंने कहा कि राज्य अपने लिए ओबीसी जातियों का निर्णय करने के बारे में स्वतंत्र हैं। इस विधेयक के कानून बनने के बाद यदि राज्य किसी जाति को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल करना चाहते हैं तो वे सीधे केंद्र या आयोग को भेज सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आश्वस्त करता हूं कि आयोग की सिफारिशें राज्य के लिए बाध्यकारी नहीं होंगी।’’ गहलोत ने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पहले ही भाषण की प्रथम पंक्ति में कहा था कि उनकी सरकार पिछड़ों और गरीबों के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इसी प्रतिबद्धता के चलते मोदी सरकार ने पिछड़ों और गरीबों के कल्याण के लिए तमाम कदम उठाये हैं। इनमें घुमंतु आयोग का गठन शामिल हैं जो देश की घुमंतु जातियों से संबंधित है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मोदी सरकार आरक्षण के लिए न केवल प्रतिबद्ध थी, बल्कि है और रहेगी। उन्होंने कहा कि इस प्रतिबद्धता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और स्वयं वह कई बार व्यक्त कर चुके हैं।

उन्होंने कहा कि क्रीमी लेयर वाला प्रावधान वर्तमान सरकार ने नहीं बल्कि पूर्ववर्ती सरकार ने बनाया था। उन्होंने कहा कि सरकार ने उप वर्गीकरण के संबंध में एक आयोग बनाया है। उस आयोग की रिपोर्ट आने पर सरकार सकारात्मक कदम उठायेगी।

गहलोत ने स्पष्ट किया कि ओबीसी आयोग में महिला को सदस्य बनाये जाने का प्रावधान इस विधेयक के नियमों में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने मौजूदा विधेयक में उसी प्रक्रिया और प्रावधानों को अपनाया है जो अनुसूचित जाति आयोग तथा अनुसूचित जनजाति आयोग के लिए अपनायी गयी हैं।

उन्होंने कहा कि आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से समुदाय के लोगों की विभिन्न जरूरतें पूरी होंगी और कई ऐसी समस्याओं का भी समाधान हो पाएगा जिनका हल अभी तक नहीं हो सका है।

Bhim app ke istemaal par modi sarkar de rahi hai cash back

भीम ऐप के इस्तेमाल पर मोदी सरकार दे रही है कैशबैक, जानिए इसके बारे में

जीएसटी काउंसिल ने शनिवार को हुई बैठक में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए रुपे कार्ड और भीम ऐप से भुगतान करने पर टैक्स में 20% की छूट देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत ग्राहकों को कम से कम 100 रुपए तक का कैशबैक दिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को शुरुआत में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कई राज्यों में लागू किया जाएगा।

वित्त वर्ष 2016-17 के मुकाबले 2017-18 में रुपे कार्ड के जरिए ट्रांजेक्शन में 135% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। 2018 में 46 करोड़ लोगों ने पॉस (प्वॉइंट ऑफ स्केल) मशीनों में 46 करोड़ लोगों ने रुपे कार्ड का इस्तेमाल किया था, जबकि 2016-17 में ये आंकड़ा 19.5 करोड़ था। नोटबंद की बाद डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए 30 दिसंबर 2016 को भीम ऐप को लॉन्च किया गया था। 1 जनवरी 2018 तक 2.26 करोड़ लोगों ने भीम ऐप डाउनलोड किया। इसलिए आज हम भीम ऐप से जुड़ी हर वो बात बताने जा रहे हैं, जिसे जानना जरूरी है।

जानें कैसे करें भीम ऐप का इस्तेमाल?

पहले गूगल प्ले स्टोर या एपल ऐप स्टोर से भीम ऐप डाउनलोड और इंस्टॉल करें। इसके बाद अपनी भाषा चुनें। अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से बैंक सिलेक्ट करें। 4 डिजिट का एप्लीकेशन पासवर्ड सेट करें। फिर अपने बैंक अकाउंट को भीम ऐप से लिंक करें। 6 डिजिट का यूपीआई पिन सेट करें। और इसके जरिए ट्रांजेक्शन करें।

क्या है भीम ऐप?

भीम ऐप का पूरा नाम भारत इंटरफेस फॉर मनी है, जिसका नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडर के नाम पर रखा गया है। भीम ऐप एंड्रॉयड और आईओएस दोनों ही यूजर्स के लिए अवेलेबल है। इसे नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने बनाया है, जो यूपीआई पर काम करता है। यूपीआई IMPS इंफ्रास्ट्रक्चर के ऊपर काम करता है और इसके जरिए एक बैंक से दूसरे बैंक तक स्मार्टफोन से ही पैसों को ट्रांसफर किया जा सकता है।

इस ऐप के जरिए ट्रांजेक्शन करने की कोई फीस नहीं लगती, लेकिन हो सकता है कि बैंक इसके लिए चार्ज वसूले।

इसे इस्तेमाल करने के लिए नेट बैंकिंग होना जरूरी नहीं है। लेकिन जिस नंबर के जरिए इसमें लॉग-इन करेंगे, वो नंबर बैंक अकाउंट में रजिस्टर होना चाहिए।

इस ऐप के जरिए न सिर्फ ट्रांजेक्शन कर सकते हैं। बल्कि अपने बैंक अकाउंट का बैलेंस भी चेक कर सकते हैं। इसके साथ ही ट्रांजेक्शन डीटेल भी इसके जरिए पता कर सकते हैं।

भीम ऐप के जरिए एक दिन में सिर्फ 20 बैंक तक ट्रांजेक्शन कर सकते हैं। इसके साथ ही एक दिन में सिर्फ 20 हजार रुपए तक का ही ट्रांजेक्शन कर सकते हैं। अगर एक ही अकाउंट में 20 हजार रुपए भेजे हैं, तो फिर दूसरे अकाउंट में ट्रांजेक्शन नहीं कर सकते।

इसके लिए भीम कैशबैक स्कीम शुरू की गई है। जिसके तहत अगर कोई यूजर पहली बार इस ऐप के जरिए ट्रांजेक्शन करता है, तो उसे 150 रुपए तक का कैशबैक मिलता है। इसके साथ ही अगर 10 अलग-अलग अकाउंट में कम से कम 50 रुपए का ट्रांजेक्शन होता है तो भी कैशबैक मिलता है।

सबसे पहले भीम ऐप को डाउनलोड करें और फिर अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से अपना बैंक सिलेक्ट करें। बैंक सिलेक्ट होने के बाद अपना यूपीआई पिन सेट करें। इतना करने के बाद होम पेज पर जाकर ट्रांजेक्शन कर सकते हैं। इस ऐप के जरिए किसी दूसरे बैंक अकाउंट में पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं।

अगर आपके पास कोई बैंक अकाउंट नहीं है तो भीम ऐप का इस्तेमाल नहीं कर सकते।

आपके पास अगर किसी भी बैंक में अकाउंट है तो इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। भीम ऐप में 93 बैंक रजिस्टर्ड हैं।

भीम ऐप में अभी सिर्फ एक ही बैंक अकाउंट को लिंक किया जा सकता है। अगर आपके पास एक से ज्यादा बैंक अकाउंट लिंक हैं, तो उनमें सिर्फ पैसे भेज सकते हैं लेकिन अगर पैसा आता है तो वो सिर्फ डिफॉल्ट बैंक अकाउंट में ही सेव होगा।

Dogune raftaar se sadak nirmaand ka kaary kar rahi hai modi sarkar

दोगुनी रफ्तार से सड़क निर्माण का कार्य कर रही है मोदी सरकार

मोदी सरकार ने मनमोहन सरकार के मुकाबले दो गुना तेज गति से सड़कों का निर्माण किया है। मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में औसतन रोजाना 12 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गो और 69 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण हुआ था। जबकि मोदी सरकार ने अपने अभिनव तौर तरीकों की बदौलत चार वर्षो में ही रोजाना 27 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग और 134 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनाकर दिखा दी हैं। इन आंकड़ों में अभी और सुधार की उम्मीद है।

केंद्र की सत्ता संभालने के बाद से ही मोदी सरकार का एजेंडा पर देश में सड़क निर्माण प्राथमिकता पर रहा है। यही वजह है कि अपने शुरुआती चार साल में ही सरकार 28531 किलोमीटर सड़क बनाने में सफल रही है। जबकि इससे पहले की संप्रग सरकार अपने आखिरी चार साल में केवल 16505 किलोमीटर सड़कों का ही निर्माण कर पाई थी। इस तरह जहां मनमोहन सरकार ने अपने आखिरी वित्त वर्ष रोजाना 11.6 किलोमीटर की दर से राष्ट्रीय राजमार्ग बनाए थे। वहीं मोदी सरकार ने एक वर्ष पहले ही 26.9 किलोमीटर रोजाना का आंकड़ा हासिल कर लिया है।

मोदी सरकार की ये उपलब्धि यूं ही हासिल नहीं हुई है। इसके लिए कई मोर्चो पर काम हुआ है। इनमें सड़क क्षेत्र में सरकारी खर्च बढ़ाने, रुकी परियोजनाओं की बाधाएं दूर करने, बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को आश्वस्त करने तथा सड़क निर्माता कंपनियों को वित्तीय संकट से उबारने के उपाय शामिल हैं। मौजूदा सरकार के आने से पूर्व सड़क परियोजनाओं का हाल बेहाल था।

सड़क परियोजनाओं की मंजूरी की प्रक्रिया बेहद लंबी और उबाऊ थी। जिसमें योजना आयोग से लेकर वित्त मंत्रालय, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, पीएमओ और कैबिनेट समेत कई प्रकार के अड़ंगे होते थे। राज्य स्तर पर भूमि अधिग्रहण के पचड़ों के कारण अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाएं अटकी हुई थीं। परिणामस्वरूप कोई बैंक इस क्षेत्र में पैसा लगाने को तैयार नहीं था। बजटीय समर्थन भी खास नहीं था। ऐसे में न तो सड़क मंत्रालय कोई खास उत्साह दिखा पा रहा था और न ही एनएचएआइ की बाजार से ज्यादा धन जुटाने की हिम्मत हो रही थी। लेकिन वर्तमान सरकार के आते ही स्थितियां तेजी से बदलने लगीं।

नितिन गडकरी ने इस मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलते ही सबसे पहले बैंकों को रुकी परियोजनाओं को कर्ज जारी के लिए राजी किया। फिर अपने मंत्रालय के मंजूरी के अधिकार बढ़वाकर एक हजार करोड़ तक तक सड़क परियोजनाओं की मंजूरी सीधे अपने हाथ में ले ली।

इसके अलावा नई परियोजनाओं को रफ्तार देने के लिए उन्होंने निजी के बजाय सरकारी निवेश को बढ़ावा देने का फार्मूला अपनाया। बीओटी के बजाय ईपीसी और एन्यूटी के बजाय हाइब्रिड-एन्यूटी मॉडल की शुरुआत की गई। इससे सड़क क्षेत्र में कुल निवेश तीन गुना बढ़कर 1.58 लाख करोड़ रुपये हो गया। न केवल सड़क मंत्रालय ने सड़कों पर खर्च बढ़ा दिया बल्कि एनएचएआइ को भी ज्यादा कर्ज जुटाने के लिए बाध्य किया। इसके बावजूद मोदी सरकार संतुष्ट नहीं है और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के काम पैनी निगाह रखे हुए हैं।

स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘प्रगति’ बैठकों के जरिए हर महीने इन परियोजनाओं की समीक्षा करते हैं। सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए 67 फीसद ज्यादा अर्थात 16,418 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने का लक्ष्य अफसरों को दे दिया है। इसमें से 9698 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग सड़क मंत्रालय, 6000 किलोमीटर एनएचएआइ तथा 720 किलोमीटर एनएचआइडीसीएल द्वारा निर्मित किए जाएंगे।

सरकार ने अब व्यावसायिक स्थलों को जोड़ने के लिए ‘भारतमाला’ और आर्थिक परिवहन को सुगम बनाने के लिए लॉजिस्टिक्स पार्क की श्रृंखला स्थापित करने जैसी महाकाय परियोजनाओं को समय पर पूरा करने का बीड़ा उठाया है। सड़क निर्माण के काम का अंतर इसी से पता लगता है कि जिस दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर विचार में ही यूपीए सरकार ने दस वर्ष गुजार दिये, मौजूदा सरकार चार वर्षों में उसे आधे मुकाम पर पहुंचा दिया है।

सड़क निर्माण की तेज रफ्तार
रोजाना सड़क निर्माण
2010-14 12 किलोमीटर
2014-18 27 किलोमीटर

सड़क निर्माण पर सरकार का खर्च
2013-14 40425 करोड़ रुपये
2017-18 166709 करोड़ रुपये

कुल सड़क निर्माण
2010-14 16505 किलोमीटर
2014-18 28531 किलोमीटर

ग्रामीण सड़क निर्माण
2010-14 69 किलोमीटर रोजाना
2014-18 134 किलोमीटर रोजाना

राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के ठेके
2013-14 3169 किलोमीटर
2017-18 17055 किलोमीटर

Modi Sarkar ki ayushman bharat yojana se 10 hajar logo ko milege naukri

मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना से 10 हजार लोगों को मिलेगी नौकरी

केंद्र की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन (एबी-एनएचपीएम) लागू होने से रोजगार के कम से कम 10 हजार अवसर पैदा होंगे। इस योजना का उद्देश्य 10 करोड़ गरीब परिवारों को प्रति परिवार प्रति वर्ष पांच लाख रुपये की सुरक्षा मुहैया कराना है।

एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक योजना के तहत निजी और सरकारी दोनों अस्पतालों में एक लाख आयुष्मान मित्रों को तैनात किया जाएगा, जो कि स्वास्थ्य केंद्र में आने वाले मरीजों को पैकेज का लाभ उठाने में सहायता प्रदान करेंगे।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक लाख आयुष्मान मित्रों की भर्ती के लिए कौशल विकास मंत्रालय के साथ एक समझौता किया है। अधिकारी ने बताया, सभी सूचीबद्ध अस्पताल में रोगियों की सहायता के लिए आयुष्मान मित्र होगा, जो लाभार्थियों और अस्पताल के बीच समन्वय करेगा। वे सहायता डेस्क संचालित करेंगे और योजना में पंजीकृत करने एवं पात्रता की पुष्टि के लिए दस्तावेजों की जांच करेंगे। उन्होंने बताया,योजना के तहत निजी और सरकारी अस्पतालों दोनों में करीब एक लाख आयुष्मान मित्रों को तैनात किया जाएगा।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने योजना के क्रियान्वयन के लिए अस्पतालों को पैनल में शामिल करने की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू कर दी है। पैनल में शामिल होने के लिए कम से कम दस बिस्तर का अस्पताल होना चाहिए। हालांकि, राज्यों की मांग पर इसमें और छूट दी जा सकती है।

केंद्र सरकार लाभार्थियों की पहचान का काम भी तेजी से कर रहा है। सामाजिक, आर्थिक और जातिय जनगणनना (एसईसीसी) के तहत 80 फीसदी ग्रामीण और 60 फीसदी शहरी लाभार्थियों की पहचान की जा चुकी है।

Pm narendra modi 21 august ko india post payments bank ko launch karenge

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 अगस्त को इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की शुरुआत करेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 अगस्त को बहुप्रतीक्षित भारतीय डाक के भुगतान बैंक आईपीपीबी का शुभारंभ करेंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक की प्रत्येक जिले में कम से कम एक शाखा होगी और यह ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करेगा। संचार मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने आईपीपीबी के उद्घाटन के लिए 21 अगस्त को समय दिया है। बैंक की दो शाखाएं पहले से परिचालन में हैं। शेष 648 शाखाएं देश के प्रत्येक जिले में शुरू की जाएंगी।’’

अधिकारी ने कहा कि आईपीपीबी 1.55 लाख डाकघर शाखाओं के जरिये ग्रामीण इलाकों के लोगों को बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराएगा। अधिकारी ने कहा कि सरकार इस साल के अंत 1.55 लाख डाकघर शाखाओं को आईपीपीबी सेवाओं से जोड़ने का प्रयास कर रही है। इससे देश का सबसे बड़ा बैंकिंग नेटवर्क अस्तित्व में आएगा जिसकी गांवों के स्तर तक मौजूदगी होगी।

आईपीपीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुरेश सेठी ने पिछले सप्ताह कहा था कि आईपीपीबी 650 शाखाओं के साथ शुरू होगा। इसके अतिरिक्त डाकघरों में 3,250 एक्सेस पॉइंट होंगे और साथ ही 11,000 डाकिये होंगे। ये ग्रामीण और शहरी इलाकों दोनों में घर के दरवाजे पर बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराएंगे। आईपीपीबी को 17 करोड़ डाक बचत बैंक खाते को अपने खाते से जोड़ने की अनुमति है।

बैंक की शुरुआत में 650 शाखाएं और करीब 17 करोड़ खाते होंगे। बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक से कामकाज शुरू करने की अनुमति मिल गई है। बैंक के एमडी और सीईओ सुरेश सेठी ने कहा, ‘हम परिचालन शुरू करने की उपयुक्त तारीख देख रहे हैं। परिचालन, तकनीक और बाजार की दृष्टि से हम कामकाज शुरू करने के लिए तैयार हैं।’ उन्होंने कहा कि उसकी पूरी प्रणाली की जांच के बाद रिजर्व बैंक से अनुमति मिलने की पुष्टि की है। बस इसे शुरू करने की अंतिम मंजूरी रिजर्व बैंक से मिलना बाकी है।

पोस्ट ऑफिस में डिजिटल बैंकिंग सर्विस शुरू होने से खाताधारक अपने अकाउंट से किसी भी बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर कर सकेंगे। आपको बता दें, पोस्ट ऑफिस में कुल 34 करोड़ बचत खाताधारक हैं। इनमें से 17 करोड़ पोस्ट ऑफिस सेविंग्स बैंक अकाउंट्स हैं। बाकी बचत खातों में मंथली इनकम स्कीम और रेकरिंग डिपॉजिट शामिल हैं।

खाताधारकों को अपने आईपीपीबी अकाउंट से सुकन्‍या समृद्धि, रेकरिंग डिपॉजिट, स्‍पीड पोस्‍ट जैसे प्रोडक्‍टस के लिए पेमेंट का ऑप्‍शन मिलेगा। इसके अलावा, आईपीपीबी जल्‍द ही मर्चेंट्स का रजिस्‍ट्रेशन शुरू करेगा, जो कि उसके कमस्‍टर्स का पेमेंट ऐप के जरिए कर सकेंगे। आईपीपीबी जल्‍द ही अपना ऐप बेस्‍ड पेमेंट सिस्‍टम लाएगा। इसके जरिए ग्रॉसरी, टिकट आदि का पेमेंट हो सकेगा।

Modi sarkar ki pradhanmantri fasal bima yojana ke bare me jane

मोदी सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, जाने कौन और कैसे उठा सकते हैं इस योजना का लाभ?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 जनवरी 2016 को देश के किसानों को सुरक्षा देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की। हर साल प्राकृतिक आपदा के चलते किसानों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए उन्हें मुश्किल के वक्त में मदद देने के मकसद से इस योजना की शुरुआत की। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत किसानों को खरीफ और रबी फसल के प्रकृतिक आपदाओं के कारण खराब होने पर सुरक्षा दी जाती है। योजना के तहत खरीफ फसल के लिये 2 फीसदी प्रीमियम और रबी की फसल के लिये 1.5% प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है।

इस योजना के बारे में विस्तार से जानें, पढ़ें कौन, कब और कैसे इस योजना का लाभ उठा सकता है।

क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केंद्र सरकार द्वारा किसानों की सुरक्षा के लिए शुरू की गई योजना है। इस योजना की मदद से प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, तूफान, बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि आदि से फसल बर्बाद होने पर किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की जाती है। योजना में प्रीमियम राशि खरीफ फसलों के लिए 2 प्रतिशत और रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत है। वहीं हॉर्टिकल्चर फसलों के लिए 5 प्रतिशत रखी गई है। किसानों के अलावा शेष प्रीमियम राशि के भुगतान के लिए राज्य एवं केंद्र सरकार बराबर-बराबर योगदान करती है। केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए 5501 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।

फसल बीमा योजना का उद्देश्य

इस योजना को किसानों के कल्याण के लिए बनाया गया है। इसका लक्ष्य देश में कृषि को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों की आर्थिक मदद करना है। इस फसल बीमा योजना से किसानों को मदद मिलती है, जिससे सरकार किसानों की आत्महत्या को रोकना चाहती है। इस योजना की मदद से किसान बेहद मामूली दर पर अपनी फसल का बीमा करवा सकते हैं। सरकार ने इसके लिए प्रीमियम काफी कम रखी है। किसान आसानी से PMFBY ले सकें इसके लिए प्रीमियम काफी कम रखी गई है। इस योजना की मदद से प्रकृतिक आपदा, कीड़े और रोग की वजह से फसल खराब होने पर किसानों को आर्थिक मदद मिलती है। इससे किसानों की खेती में रुचि बनी रहेगी। वहीं किसानों को कृषि में आधुनिक पद्धतियों और तकनीक अपनाने का प्रोत्साहन मिलता है। इसके साथ-साथ उनके लिए आसानी से लोन उपलब्ध करवाना हो।

कैसे ले सकते हैं PMFBY योजना का लाभ

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उठाने के लिए आपको फॉर्म भरना होगा। आप ऑफलाइन या ऑनलाइन दोनों तरीकों से फॉर्म भरना होगा। ऑफलाइन तरीके से आवेदन करने के लिए आपको बैंक जाकर फॉर्म भरना होगा, जबकि ऑनलाइन फॉर्म भरने के लिए आपको इस लिंक https://pmfby.gov.in/ पर जाना होगा।

Modi sarkar ne 28 month me pura kiya ujjwala yojana ka 5 crore connection ka lakshy

मोदी सरकार ने 28 महीने में पूरा किया उज्ज्वला योजना का 5 करोड़ कनेक्शन का लक्ष्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गरीब महिलाओं को धूएं भरी रसोई से निजात दिलाने के लिए चलायी गई ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ ने एक नया मुकाम हासिल कर लिया है। सरकार ने इस योजना के तहत पांच करोड़ परिवारों को मुफ्त रसोई गैस उपलब्ध कराने का लक्ष्य आठ महीने पहले ही पूरा कर लिया है। लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन आज शाम (शुक्रवार) इस स्कीम के पांच करोड़वें ग्राहक को संसद भवन परिसर में कनेक्शन सौंपेंगी। सरकार ने मार्च 2019 तक पांच करोड़ लोगों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन देने का ऐलान किया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया से इस स्कीम की शुरुआत की थी। इसके तहत गरीब महिलाओं को एक रसोई गैस सिलेंडर, चूल्हा और रेगुलेटर बिना किसी दाम के उपलब्ध कराया जाता है। सरकार ने प्रत्येक ग्राहक के लिए 1600 रुपये का प्रावधान इस स्कीम के तहत किया है। सरकार ने इसके लिए 8000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। देश के 715 जिलों में चलायी गई इस स्कीम का लक्ष्य सरकार ने केवल 28 महीने में प्राप्त कर लिया है। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पहले ही कहा था कि सरकार इस लक्ष्य को समय से बहुत पहले प्राप्त कर लेगी।

इस स्कीम के तहत प्रत्येक ग्राहक को बिना दाम पर गैस कनेक्शन दिया जाता है और इसकी भरपाई ब्याज मुक्त लोन के जरिए की जाती है। लेकिन ग्राहक को इसके लिए कोई भुगतान नहीं करना होता है। सरकार इसकी भरपाई ग्राहक को दिये जाने वाले सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी से करती है। अप्रैल में ही सरकार ने इस मामले में एलपीजी ग्राहकों को राहत देते हुए छह सिलेंडर रिफिल होने तक इस लोन की किस्त नहीं काटने का फैसला किया है। यानी छह महीने तक ग्राहकों को पूरी सब्सिडी पर सिलेंडर उपलब्ध होगा। इससे इन ग्राहकों को करीब 250-300 करोड़ रुपये की बचत होगी।

सरकार की इस स्कीम ने गरीब महिलाओं के लिए कई अवसर प्रदान किये हैं। खाना बनाने के लिए ईंधन जुटाने से लेकर पकाने में लगने वाले समय की बचत होने से अधिकांश महिलाएं घर पर ही छोटा मोटा काम करने लगी हैं। इससे उनके परिवार की आर्थिक स्थितियों में भी सुधार हो रहा है।

Obc aayog ko mila sanvaidhaanik darja kai dalo ne pm narendra modi ko di badhai

OBC आयोग को मिला संवैधानिक दर्जा, कई दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी बधाई

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (ओबीसी) को गुरुवार को संवैधानिक दर्जा मिल गया। इससे जुड़ा संविधान संशोधन विधेयक गुरुवार को लोकसभा में दो तिहाई से अधिक बहुमत के साथ पारित कर दिया गया।

लोकसभा में मतविभाजन (वोट डिविजन) के दौरान विधेयक के पक्ष में 406 सदस्यों ने वोट दिया। विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा। सरकार के संशोधनों को भी सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया।

लोकसभा में करीब पांच घंटे तक चली चर्चा के दौरान 32 सदस्यों ने हिस्सा लिया। विधेयक के पारित होते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में मौजूद थे। इससे पहले बीजू जनता दल (बीजेडी) के भर्तृहरि महताब की ओर से पेश संशोधन को सदन ने 84 के मुकाबले 302 मतों से नकार दिया।

संविधान में अब सामाजिक और शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग नाम का एक नया आयोग होगा। आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होंगे। इस प्रकार नियुक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेवा शर्तें और कार्यकाल ऐसे होंगे जो राष्ट्रपति नियम से तय होंगे।

आयोग को अपनी खुद की प्रक्रिया बनाने की शक्ति होगी। आयोग को पिछड़े वर्गों के सुरक्षा उपाय से जुड़े मामलों की जांच और निगरानी का अधिकार होगा। इसके अलावा आयोग पिछड़े वर्गों के सामाजिक और आर्थिक विकास में भाग लेगा और सलाह देगा।

केंद्र और हरेक राज्य सरकार पिछड़े वर्गों को प्रभावित करने वाले मामलों पर आयोग से परामर्श करेगी।

केंद्र सरकार ने मार्च 2017 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को भंग कर दिया था। इसके बाद राष्ट्रीय आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीएसईबीसी) के गठन को मंजूरी दी गई थी। नया आयोग सिविल कोर्ट की शक्तियों से लैस होगा। इस शक्ति से वह आरोपी को समन कर सकता है। सजा भी दे सकता है। जैसा कि राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग करता है।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पारित होने के बाद लोकसभा में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई दलों के नेताओं ने बधाई दी। लोकसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत के जवाब के बाद संविधान (123वां संशोधन) विधेयक, 2017 को सर्वसम्मति से पारित किया गया। विधेयक पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अग्रिम पंक्ति में ही बैठे गहलोत के पास जाकर उन्हें बधाई दी।

इसके बाद अन्नाद्रमुक के एम तंबिदुरै, लोक जनशक्ति पार्टी नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, लोजपा सांसद चिराग पासवान, आरपीआई (ए) सांसद और केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले, तेलंगाना राष्ट्र समिति के बी एन गौड़ और भाजपा के हुक्मदेव नारायण यादव समेत कई सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास जाकर उन्हें बधाई दी।

Modi fir se pm bane isliye 90km pet ke bal chalkar jalabhishek karenge antar singh

मोदी 2019 में फिर से पीएम बने इसलिए, 90 KM पेट के बल चलकर जलाभिषेक करेंगे ये बुजुर्ग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चाहने वालों के दिलों में उनका जलवा किस कदर है, इसका जीता-जागता उदाहरण चरखी दादरी में देखने को मिला। भिवानी जिले के गांव सहरीयारपुर निवासी 56 वर्षीय अतर सिंह मोदी के भक्त हैं। उन्‍होंने मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने के लिए अपने निवास स्थान से महेंद्रगढ़ के बाघोत धाम तक जाने के लिए पेट के बल लेटकर यात्रा शुरू की है।

अतर सिंह 9 अगस्त को 90 किलोमीटर पेट के बल चलकर धाम पर जलाभिषेक करेंगे। यात्रा में उसके साथ गांव के दो व्यक्ति भी शामिल हैं। मूल रूप से भिवानी के लोहारू तहसील के गांव सहरीयारपुर निवासी 56 वर्षीय अतर सिंह खेती-बाड़ी और मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। अतर सिंह ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दोबारा पीएम बनाने और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करने के लिए दो वर्ष से भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर रहे हैं।

इस बार वे अपने गांव के दो अन्य व्यक्तियों को साथ लेकर महेंद्रगढ़ के बाघोत स्थित शिव मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए पेट के बल यात्रा शुरू की है। करीब 60 किलोमीटर दूरी की यात्रा तय करते हुए चरखी दादरी पहुंचा है। दादरी से बाघोत शिव मंदिर धाम की ओर जा रहे गांव आदमपुर के पास अतर सिंह अपने दो अन्य साथियों के साथ पेट के बल चला है।

अतर सिंह ने बताया कि वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भक्त हैं और वर्ष 2019 में उन्हें फिर से प्रधानमंत्री के पद पर देखना चाहते हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लिए कई ऐतिहासिक कार्य कर विश्व में विशेष पहचान बनाई है। हालांकि बाघोत शिव मंदिर देशभर में विशेष पहचान रखता है। यहां शिव लिंग स्वयं प्रकट हुआ था। इसलिए वे भगवाल शिव के मंदिर में 9 अगस्त को पहुंचकर रात 1 बजे जलाभिषेक करेंगे।

इस दौरान वे भगवान से दुआ कर नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए अरदास करेंगे। अतर सिंह 9 अगस्त को मोदी के नाम का जलाभिषेक कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का समय मांगेंगे। उन्हें यकीन है कि देश के प्रधानमंत्री उन्हें निराश नहीं करेंगे।