Pm narendra modi ne di Karunanidhi ko shraddhanjali

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी करुणानिधि को श्रद्धांजलि, अंतिम दर्शन को उमड़े समर्थक

दक्षिण की राजनीति के पितामह कहे जाने वाले डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि अब इस दुनिया में नहीं रहे। मंगलवार शाम 6.10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन के साथ ही पूरे राज्य में उनके समर्थकों का रो-रो कर बुरा हाल था। करुणानिधि के निधन की खबर के साथ ही देश के तमाम दिग्गज नेताओं और हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।


बुधवार को करुणानिधि के पार्थिव शरीर को चेन्नई के राजाजी हॉल में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चेन्नई पहुंच करुणानिधि के अंतिम दर्शन किए। उन्होंने वहां पहुंच कर करुणानिधि के बेटे स्टालिन और बेटी कनिमोझी से मुलाकात की। उनके अलावा भी कई नेता आज चेन्नई पहुंचे। सुपरस्टार रजनीकांत, कमल हसन ने भी करुणानिधि को श्रद्धांजलि दी।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह समेत कई हस्तियों ने ट्वीट कर करुणानिधि को श्रद्धांजलि दी।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करुणानिधि के देहांत पर दुख जताते हुए कहा कि उनको देश हमेशा याद रखेगा। उन्होंने ट्वीट किया, ‘करुणानिधि के निधन से बेहद दुखी हूं। वो भारत के सबसे सीनियर नेताओं में से एक थे। हमने जमीन से जुड़े जननायक को खो दिया। महान विचार और लेखक को खो दिया। उनका जीवन गरीब और वंचित लोगों के लिए समर्पित था।’


पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदना करुणानिधि के अनगिनत समर्थकों और परिजनों के साथ है। भारत और खासकर तमिलनाडु उनको हमेशा याद रखेगा। उनकी आत्मा को शांति मिले।’ मोदी ने कहा, ‘मुझे करुणानिधि से कई अवसरों पर मिलने का अवसर मिला। उनको पॉलिसी की अच्छी समझ थी और वो समाज कल्याण के कार्यों पर जोर देते थे। वो लोकतंत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध थे। आपातकाल के खिलाफ उनका कड़ा विरोध हमेशा याद किया जाएगा।’


मुथुवेल करुणानिधि, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके पार्टी प्रमुख का 94 साल की उम्र में एक लंबी बिमारी के बाद चेन्नई में निधन हो गया। तमिलनाडु की राजनीति में करुणानिधि का पांच दशक लंबा सफर रहा। इन पांच दशकों के दौरान करुणानिधि ने डीएमके को न सिर्फ राज्य की सत्ता पर कई बार काबिज किया बल्कि केन्द्र की राजनीति में भी बड़ी भूमिका अदा की। 3 जून, 1924 को नागापट्टिनम जिले के थिरूकुवलई में जन्म हुआ था।

डीएमके में बतौर कार्यकर्ता अपनी स्पीच और स्क्रिप्ट लिखने की क्षमता के चलते करुणानिधि लगातार आगे बढ़ते रहे। लेकिन उनके राजनीतिक सफर का टर्निंग प्वाइंट तब आया जब डीएमके ने कालाकुडी रेलवे स्टेशन का नाम एक कारोबारी के नाम पर डिलमियापुरम करने का विरोध किया। इस प्रदर्शन के दौरान उन पर 35 रुपये का जुर्माना लगाया गया और 5 महीने की जेल की सजा का आदेश हुआ। करुणानिधि ने जुर्माना अदा करने से मना कर दिया और एक साल तक जेल में सजा काटी। इस एक प्रदर्शन ने करुणानिधि को पार्टी के शीर्ष नेताओं में लाकर खड़ा कर दिया।

D Ranjan
By D Ranjan , August 8, 2018

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