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फिर करिश्माई साबित हुए पीएम , 2019 तक जारी रहेगा मोदी का जादू !

अभी पांच राज्यों (उत्तर प्रदेश, गोवा, पंजाब, उत्तराखंड और मणिपुर) में संपन्न हुए चुनाव के मतों की गिनती के आ रहे रुझानों में भाजपा पंजाब को छोड़कर जीत की ओर अग्रसर दिख रही है.

उत्तर प्रदेश में भाजपा की साख दांव पर लगी हुई थी, वहां पार्टी दमदार तरीके से पूर्ण बहुमत की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. सुबह 10 बजे तक की गिनती में भाजपा उत्तर प्रदेश में करीब 260 पर आगे चल रही है. उत्तराखंड में भी भाजपा बहुमत की ओर बढ़ती हुई साफ़ नज़र आ रही है.

गोवा में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुक़ाबला था, जहां भाजपा लीड लेती हुई दिख रही है. पंजाब में कांग्रेस को बहुमत मिल रहा है. मणिपुर में भी बीजेपी आगे चल रही है. जाहिर है भाजपा को 2018 में नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव और 2019 में लोकसभा चुनाव में इसका भरपूर फायदा मिल सकता है.

2018 में इन राज्यों में होने हैं चुनाव

केंद में भाजपा के सत्तारूढ़ होने के बाद करीब तीन सालों में हुए अबतक के विधानसभा चुनावों में अधिकांश राज्‍यों की जीत ने पार्टी का न केवल आत्‍मविश्‍वास बढ़ाया है, बल्‍कि वह जनता का विश्‍वास जीतने में भी सफल हुई है. पार्टी के सबसे बड़े प्रचारक और देश के सबसे लोकप्रिय नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू अब भी बरकरार रहा है.

2014 में लोकसभा चुनाव के बाद हुए चार राज्यों के चुनाव, महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में जीत हासिल हुई. वर्ष 2018 में मप्र, राजस्‍थान, गुजरात, नगालैंड, कर्नाटक, मेघालय, हिमाचल, त्रिपुरा, मिजोरम विधानसभा के चुनाव होने हैं. 2019 में ही लोकसभा के भी चुनाव होने हैं.

मप्र, राजस्‍थान और गुजरात जैसे तीन बड़े राज्य में भाजपा की सरकार है. इन राज्यों में भाजपा का किला भेद पाना फिलहाल कांग्रेस या किसी दूसरी पार्टी के लिए आसान नज़र नहीं आता. आगामी चुनावों में भी भाजपा जीत दर्ज करना चाहेगी. जाहिर है कि लोकसभा चुनाव 2014 के बाद से लेकर अबतक कांग्रेस एक-दो राज्यों को छोड़ दें तो ज्यादातर चुनावों में पिछड़ती हुई नज़र आ रही है. पंजाब में अकाली दल से नाराज़गी की वजह से कांग्रेस को लाभ मिला है.

ये हैं वजहें

भाजपा के जीत का अभियान जारी रहने की वजह उसके आम आदमी के सवाल और उनकी भावनाओं को भुनाना बड़ी वजह रहा है. पीएम मोदी का विधानसभा चुनावों को बहुत गंभीरता से लेना और उसे अपनी नाक का सवाल बनाकर पूरे दम ख़म से चुनाव प्रचार में उतरना भाजपा को जीत दिलाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है.

मोदी अपने सभी फैसलों को जनता और देश के हित में बताते हैं और उसके लिए हर मंच का उपयोग करते रहे हैं. वे जनता को अपने फैसलों के पक्ष में कर पाने में अबतक सफल रहे हैं. बीते साल नवम्बर महीने में नोटबंदी के फैसले को भी वे अपने पक्ष में कर गए. मोदी जनता की बदहाली के लिए चुनाव वाले राज्यों की वर्तमान सरकार व मुख्यमंत्री को और केंद्र में रही कांग्रेस की सरकार के 60 साल को टारगेट करते हैं. जाहिर है उनके ये तर्क जनता के दिलों में उतर रहे हैं.

हिंदुत्व का कार्ड भी मतों के भाजपा के पक्ष में धुर्वीकरण करने में अपनी भूमिका भी निभा ही रहे हैं. कमजोर विपक्षी दलों ओर अपनी वाकपटुता का लाभ इन चुनावों से आगे 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी और पार्टी ले पायेगी, ये तो भविष्य ही बता पायेगा.

Exit Poll Results 2017: विधानसभा चुनाव में बीजेपी और मोदी की हुंकार का दिखा असर

पिछले कुछ महीनों से भारत के पांच राज्य उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड में चुनाव के चलते माहौल काफी गर्मा गर्म रहा है। लेकिन अब इन राज्यों के चुनाव खत्म होने के बाद एक्जिट पोल के नतीजों से माहौल को ओर भी गर्म कर दिया है। इस समय तीन राज्यों में बीजेपी भारी बहुमत से विजय की ओर बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। जिसका पूरा श्रेय मा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तूफानी चुनाव प्रचार और उनके काम करने के तरीको को दिया जा रहा है। यहाँ हम आपको इन पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों पर किए गए “एक्जिट पोल 2017” को विस्तार से बता रहे है।

Uttar Pradesh Exit Poll 2017:

Uttar Pradesh Exit Poll 2017

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सी वोटर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के लिए C वोटर द्वारा किये गये एग्जिट पोल में किसी भी पार्टी को स्पष्ट रूप से विजय होने का अनुमान नहीं लगाया जा रहा है। ऐसे में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बन सकती है। बीजेपी को 161 सीटों के साथ सबसे आगे बताया जा रहा है, जबकि दूसरे नंबर पर 141 सीटों के साथ कांग्रेस-एसपी गठबंधन को दिखाया जा रहा है। बीएसपी को जहां 87 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है, वहीं अन्य को 14 सीटें मिल सकती हैं।

टाइम्स नाउ-वीएमआर

टाइम्स नाउ-वीएमआर के एग्जिट पोल के मुताबिक यूपी में बीजेपी  190 से 210 सीटें हासिल कर भारी बहुमत से सरकार बना सकती है। यहां सत्ताधारी एसपी को 110 से 130 सीटें मिलने की आशा जताई जा रही है। वहीं बीएसपी को महज 57 से 74 सीटों पर ही सिमटना पड़ सकता है, जबकि अन्य को 8 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है। सर्वे के मुताबिक पश्चिम यूपी, अवध, रुहेलखंड, बुंदेलखंड और पूर्वी यूपी के अधिकतर हिस्सों में बीजेपी बढ़त बनाती दिखाई दे रही है।

एबीपी न्यूज

एबीपी न्यूज द्वारा किये गये एग्जिट पोल में भी यूपी में किसी को भी भारी बहुमत से विजय प्रप्त होता दिखाई नहीं दे रहा है, लेकिन उनका मनना है कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने वाली है। एबीपी न्यूज के एग्जिट पोल में बीजेपी को 164-176, एसपी-कांग्रेस- 156-169, बीसएपी – 60-72, अन्य – 2-6 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है।

न्यूज एक्स-एमआरसी

यूपी विधानसभा चुनाव पर न्यूज एक्स-MRC के एग्जिट पोल में बीजेपी को 185, एसपी-कांग्रेस को 120 जबकि बीएसपी को 90 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है।

न्यूज 24-चाणक्य

24-चाणक्य के एग्जिट पोल की मानें तो उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी बहुत अधिक वोटों से विजय होते दिखाई दे रही है। यूपी विधानसभा की 403 सीटों में सर्वे के मुताबिक बीजेपी को 285 सीटें आने का अनुमान लगाया है। समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन को 88 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी तीसरे नंबर पर पहुंच गई है।

Uttarakhand Exit Poll 2017:

Uttarakhand Exit Poll 2017

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एबीपी न्यूज के अनुसार, उत्तराखंड की 70 सीटों में से बीजेपी 34-42 सीट मिलने की आशंका है, कांग्रेस को 23-29 सीटें मिल सकती हैं।

न्यूज 24 द्वारा जारी किये एग्जिट पोल के मुताबिक कुल 70 विधानसभा सीटों में बीजेपी को 53 सीटें, कांग्रेस को 15 से अधिक सीटें मिल सकती है।

इंडिया टुडे एक्सिस के एग्जिट पोल को देखें तो बीजेपी 46-53 सीटें, कांग्रेस को 12-21 सीटें, बीएसपी को 1-2 सीट और अन्य 1 से 4 सीटें मिलने का अनुमान है।

Goa Exit Poll 2017

Goa Exit Poll 2017

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इंडिया टीवी सी वोटर के अनुसार गोवा राज्य की 40 सीटों में से बीजेपी को 15 से 21 सीटे, आप 4 सीटे व कांग्रेस को 12 से 18 सीटे मिल सकती है। यहां अन्य के खाते में 2 से 8 सीटे जा सकती है।

इंडिया न्यूज-MRC के पोल के मुताबिक गोवा में बीजेपी को 15, कांग्रेस को 10, आप को 7 और अन्य को 6 सीटें मिल सकती है।

इंडिया टुडे के एक्सिस माइ इंडिया के अनुसार कांग्रेस कों 10, बीजेपी को 15, आप को 7 और अन्य को 8 सीटे जाती दिखाई दे रही हैं।

Punjab Exit Poll 2017

Punjab Exit Poll 2017

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इंडिया टुडे-एक्सिस के अनुसार पंजाब में 117 सीटों में से भाजपा और अकाली दल को 4 से 7 सीटे। वही कांग्रेस को 62 से 71 व आम आदमी पार्टी को 42 से 51 सीटे मिल सकती है।

इंडिया न्यूज़-MRC के एग्जिट पोल में कांग्रेस और आप को 55 सीटें मिलने का अनुमान है। जबकि  बीजेपी की सिर्फ सात सीटों ही मिल पाएगी।

न्यूज़ 24-चाणक्य के पोल में बीजेपी को 9, कांग्रेस को 54 और आम आदमी पार्टी को 54 और अन्य को 0 सीटें मिलने का अनुमान है।

इंडिया टीवी-सीवोटर के अनुसार बीजेपी को 3-13, कांग्रेस को 41-49, आप 59-67 और अन्य को 0-3 सीटें मिलने का अनुमान है।

Manipur Exit Poll 2017

Manipur Exit Poll 2017

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इंडिया टुडे के एक्सिस माइ इंडिया के अनुसार कांग्रेस को 30-36 सीटें मिल सकती है और बीजेपी को 16 से 22 सीटें मिल सकती है और अन्य उम्मीदवार को 6 से 11 सीटों मिल सकती हैं।

इंडिया टीवी सी-वोटर के अनुसार मणिपुर राज्य में 60 सीटों में से बीजेपी को 25 से 31 व कांग्रेस को 17 से 23 व अन्य को 9 से 15 सीटे मिलने का अनुमान है।

एनडीटीवी पोल ऑफ पोल्स के मुताबिक मणिपुर में सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा को क्रमश: 26 और 24 सीटें मिलने के आसार हैं।

Elections 2017: नरेंद्र मोदी यानी भारतीय राजनीति के ‘रॉकस्‍टार’

Exit Poll के नतीजों पर भले ही लोगों में मत-भिन्‍नता हो लेकिन इस बार के पोल से एक खास चीज यह उभर कर आई है कि लगभग सभी ने एक सुर में यह माना है कि यूपी समेत अधिकांश जगहों पर बीजेपी ही सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर आएगी. विशेष रूप से यूपी में यदि ऐसा होता है तो यह अपने आप में बड़ी बात इस मायने में होगी क्‍योंकि एक तो यूपी के सियासी बियाबान में पिछले 14 साल से भटक रही बीजेपी एक बार फिर सत्‍ता में लौटेगी. दूसरी बड़ी बात यह है कि पिछले दिनों सत्‍तारूढ़ सपा परिवार के कलह में हुई घमासान के बाद जिस तरह ब्रांड अखिलेश उभर कर के सामने आए उससे अक्‍टूबर-नवंबर के महीने में जो भी ओपिनियन पोल आए उसमें अखिलेश सबसे पसंदीदा नेता बनकर उभरे. उसके बाद कांग्रेस के साथ गठबंधन को उनका ‘मास्‍टर स्‍ट्रोक’ करार दिया गया. उधर बीजेपी ने कोई अपना मुख्‍यमंत्री घोषित नहीं किया था. टिकट बंटवारे को लेकर भी सबसे ज्‍यादा पार्टी में असंतोष दिखा और चुनाव शुरू होने से ऐन पहले यह माना जाने लगा कि अखिलेश सबसे पर भारी पड़ सकते हैं.

लेकिन यूपी चुनाव शुरू होने के साथ पूरा माहौल बदलना शुरू हो गया. चुनाव प्रचार का जिम्‍मा उन्‍होंने खुद उठाया. रिकॉर्डतोड़ रैलियां करनी शुरू कर दीं और अपने तरकश से नित नए तीर निकालकर विरोधियों पर हमले करने लगे. विपक्षी पीएम नरेंद्र मोदी की गति, ऊर्जा को देखकर हैरान रह गए. दरअसल सपा और बसपा को लगता था कि संभवतया बिहार से सबक लेते हुए बीजेपी शायद यूपी में उनको उस तरह से प्रचार के लिए नहीं उतारे लेकिन विरोधियों को हैरान करते हुए पीएम मोदी ने चुनावी कमान को पूरी से अपने हाथों में ले लिया और नेतृत्‍व करने लगे. देखते ही देखते तीसरे चरण के चुनाव से माहौल बदलने लगा और अंतिम चरण से पहले तो पूर्वांचल की धुरी बनारस में तीन दिन तक रोड शो और रैलियां कर उन्‍होंने विरोधियों को हांफने पर मजबूर कर दिया.

ऐसे में यदि बीजेपी जीतती है या सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती है तो उसका पूरा श्रेय पार्टी को नहीं बल्कि पीएम मोदी को जाएगा. जिस तरह से उन्‍होंने पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह के साथ इस बार का यूपी चुनाव लड़ा है, उससे मीडिया में भी यह कहा जाने लगा कि ऐसा लग रहा है कि यह भारतीय राजनीति का अंतिम चुनाव है. ऐसा चुनाव प्रदेश की राजनीति में पहले कभी नहीं लड़ा गया. इस लिहाज से 11 तारीख को नतीजे आने के बाद भी इस चुनाव में मोदी के अनोखे अंदाज को लंबे समय तक सियासी बिसात पर याद रखा जाएगा.

दरअसल पीएम मोदी के बारे में राजनीतिक विश्‍लेषकों का मानना है कि वह पूरी तरह से जन भावना को समझते हैं और उसके अनुरूप ही फैसले लेते हैं. इसके चलते जनता के जेहन में इस दौर में वह पूरी तरह से हावी हो चुके हैं. शायद यही कारण है कि नोटबंदी जैसे सख्‍त फैसले लेने के बाद भी लोगों का अपार समर्थन उनको हासिल हो जाता है और सीमापार सर्जिकल स्‍ट्राइक जैसे फैसले लेकर जनता का दिल जीत लेते हैं.

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा- 100 से ज्यादा जिले खुले में शौच से हो चुके हैं मुक्त

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ट्वीट करके कहा कि स्वच्छ भारत अभियान एक जन आंदोलन बन गया है और देश के 100 से ज्यादा जिले ऐसे हैं, जो खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं. पीएम मोदी ने ट्विटर पर कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि स्वच्छ भारत अभियान एक जन आंदोलन बन गया है और 100 से ज्यादा जिले अब खुले में शौच से मुक्त हो गए हैं.’’ प्रधानमंत्री द्वारा ट्विटर पर साझा की गई जानकारी के अनुसार, देश में खुले में शौच से मुक्त तीन राज्य, 101 जिले और 1,67,226 गांव हैं. घरों में कुल 3,48,79,320 शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है.

स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री ने 2 अक्तूबर 2014 को की थी. इस अभियान का लक्ष्य वर्ष 2019 तक खुले में शौच करने के चलन को खत्म करना है. यह महत्वाकांक्षी अभियान दो श्रेणियों में बंटा हुआ है. ये श्रेणियां हैं- स्वच्छ भारत अभियान :ग्रामीण: और स्वच्छ भारत अभियान :शहरी:.

पीएम नरेंद्र मोदी ने सलाह दी, सोमनाथ मंदिर की साजसज्जा और बढ़ाई जाए…

गुजरात दौर के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुझाव दिया कि मशहूर सोमनाथ मंदिर की साजसज्जा और बढ़ाई जाए. उन्होंने इसका प्रबंधन देख रहे न्यास से अपील की कि वह आसपास के शहरों में नकदी रहित लेन-देन के बारे में जागरूकता फैलाए.

श्री सोमनाथ न्यास (एसएसटी) के न्यासियों की 116वीं बैठक में मोदी ने ये सुझाव दिए. न्यास यहां से करीब 400 किलोमीटर दूर गिर सोमनाथ जिले में इस प्राचीन मंदिर की देखभाल करता है. इसके न्यासियों में प्रधानमंत्री भी शामिल हैं और गुजरात दौरे के दूसरे दिन उन्होंने बैठक में हिस्सा लिया.

बैठक के दौरान यह भी निर्णय किया गया कि पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल 2017 के लिए न्यास अध्यक्ष बने रहेंगे. मोदी के अलावा अन्य न्यासी, लाल कृष्ण आडवाणी, अमित शाह, केशुभाई पटेल, पी के लाहिड़ी, जे डी परमार और हर्ष नेवतिया भी बैठक में मौजूद रहे.

प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार पीएम नरेंद्र मोदी सोमनाथ मंदिर पहुंचे. इससे पूर्व मंगलवार को पीएम मोदी आज अपनी मां हीराबेन से मिलने पहुंचे थे.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार रात छोटे भाई के आवास पर अपनी 97 वर्षीय मां से भेंट की. प्रधानमंत्री के छोटे भाई प्रांतीय राजधानी गांधीनगर के बाहर रायसान में रहते हैं. उनके छोटे भाई पंकज ने कहा कि मोदी मां हीराबा और परिवार के अन्य लोगों से मिलने आये थे. उन्होंने बताया कि वह करीब 20 मिनट रुके.

महिला दिवस: राष्ट्रपति और PM मोदी ने किया लैंगिक समानता का आह्वान

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज देश के विकास में महिलाओं के अमूल्य योगदान की सराहना की और लोगों से लैंगिक समानता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए कहा।

राष्ट्रपति ने ट्विटर पर लिखा, ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भारत और दुनिया के सभी हिस्सों में रहने वाली महिलाओं का हार्दिक अभिनंदन और शुभकामनाएं। भारतीय महिलाओं की विभिन्न पीढ़ियों ने हमारे देश के विकास और प्रगति में अमूल्य योगदान दिया है।’ मुखर्जी ने कहा, ‘आज के दिन मैं भारत के लोगों से आह्वान करता हूं कि वे लैंगिक समानता और महिलाओं के वास्तविक सशक्तिकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएं।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने संदेश में नारी-शक्ति की अदम्य साहस, प्रतिबद्धता और समर्पण की सराहना की।

मोदी ने कहा कि जहां तक महिलाओं की बात है, केंद्र सरकार की विभिन्न पहलें आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक समानता को सुगम बनाने की कोशिश करती हैं। प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर कहा, ‘जहां तक नारी-शक्ति की बात है, भारत सरकार की विभिन्न पहलें आर्थिक सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता और सामाजिक समानता को सुगम बनाने की कोशिश करती हैं।’ उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अदम्य साहस, प्रतिबद्धता और समर्पण को सलाम करता हूं।’

लड़कियों की रक्षा सभी की सामाजिक, राष्ट्रीय एवं मानवीय जिम्मेदारी : PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कन्या भ्रूण हत्या रोकने में महिला सरपंचों से अहम भूमिका निभाने की अपील करते हुए बुधवार को कहा कि बच्ची की रक्षा करना सभी की ‘सामाजिक, राष्ट्रीय एवं मानवीय जिम्मेदारी’ है।

प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर यहां आयोजित राष्ट्रीय महिला सरपंच सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि लड़कियों के प्रति भेदभावपूर्ण मानसिकता को बदलने जाने की आवश्कयता है। उन्होंने कहा, देश में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ के लिए काफी कुछ किए जाने की आवश्यकता है। कम से कम जिन गांवों में महिला सरपंच हैं, वहां कन्या भ्रूण हत्या का कोई मामला नहीं होना चाहिए। यदि सरपंच जागरूकता पैदा करने का निर्णय लेती है तो वह ऐसा कर सकती है।’

मोदी ने यहां महात्मा मंदिर में आयोजित स्वच्छ शक्ति 2017 कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘विभिन्न राज्यों में 1000 पुरूषों के मुकाबले 800, 850 या 900 महिलाएं हैं। यदि समाज में इस प्रकार का असंतुलन पैदा होता है तो वह विकास कैसे करेगा? यह समाज की जिम्मेदारी है और महिला सरपंच समाज की मानसिकता को बदलने में संभवत: अधिक सफल हो सकती हैं।’

उन्होंने कहा, ‘बेटी बचाओ हमारी सामाजिक, राष्ट्रीय, मानवीय जिम्मेदारी है।’ मोदी ने कहा, ‘भेदभावपूर्ण मानसिकता से लड़ने और इसे दृढ़ता के साथ बदलने की आवश्यकता है। बदलाव हो रहा है। हमारी बेटियों ने ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीते और हमें गौरवान्वित किया। बोर्ड परीक्षाओं में केवल लड़कियां सूची में शीर्ष पर देखी जा रही हैं।’

उन्होंने कहा, ‘मैं महिला सरपंचों से अनुरोध करूंगा कि वे लड़कियों का स्कूल जाना सुनिश्चित करें।’ मोदी ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ में महिलाओं के योगदान की प्रशंसा की। उन्होंने तकनीकी रूप से सक्षम ग्रामीण भारत के निर्माण की अपील की। उन्होंने ग्रामीण भारत को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की संभावना पर संसद में प्रश्न उठाने वाले विपक्ष के सदस्यों को आड़े हाथों लिया।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नारी शक्ति को किया नमन

 

 

भारत की आध्यात्मिकता उसकी ताकत है: प्रधान मंत्री मोदी

योगी परिवार के सभी महानुभाव आज 7 मार्च है, ठीक 65 साल पहले एक शरीर हमारे पास रह गया और एक सीमित दायरे में बंधी हुई आत्‍मा युगों की आस्‍था बनकर फैल गई ।

आज हम 7 मार्च को एक विशेष अवसर पर एकत्र आए है| मैं श्रीश्री माता जी को भी प्रणाम करता हूं कि मुझे बताया गया कि वहां लॉस एंजेलस में वो भी इस कार्यक्रम में शरीक हैं |

जैसा कि स्‍वामी जी बता रहे थे कि दुनिया के 95 प्रतिशत लोग अपनी मातृभाषा में योगी जी की आत्‍मकथा को पढ़ सकता है लेकिन उससे ज्‍यादा मुझे इस बात पर मेरा ध्‍यान जाता है क्‍या कारण होगा कि दुनिया में जो इंसान जो न इस देश को जानता है, ना यहां की भाषा को जानता है, न इस पहनाव का क्‍या अर्थ होता है ये भी उसको पता नहीं, उसको तो ये एक कास्‍टूयम लगता है, क्‍या कारण होगा कि वो उसको पढ़ने के लिए आकर्षित होता होगा। क्‍या कारण होगा कि उसे, अपनी मातृभाषा में तैयार करके औरों तक पहुंचाने का मन करता होगा। इस आध्‍यात्मिक चेतना की अनुभूति का ये परिणाम है कि हर कोई सोचता है कि मैं ही कुछ प्रसाद बांटू, हम मंदिर में जाते हैं थोड़ा सा भी प्रसाद मिल जाता है तो घर जाकर भी थोड़ा-थोड़ा भी जितने लोगों को बांट सकें बांटते हैं। वो प्रसाद मेरा नहीं है, न ही मैंने उसको बनाया है लेकिन ये कुछ पवित्र है मैं बांटता हूं तो मुझे संतोष मिलता है।

योगी जी ने जो किया है हम उसे प्रसाद रूप लेकर के बांटते चले जा रहे हैं तो एक भीतर के आध्‍यत्मिक सुख की अनुभूति कर रहे हैं। और वही मुक्ति के मार्ग वगैरह की चर्चा हमारे यहां बहुत होती है, एक ऐसा भी वर्ग है जिसकी सोच है कि इस जीवन में जो है सो है, कल किसने देखा है कुछ लोग हैं जो मुक्ति के मार्ग को प्रशस्‍त करने का प्रयास करते है लेकिन योगी जी की पूरी यात्रा को देख रहे हैं तो वहां मुक्ति के मार्ग की नहीं अंतरयात्रा की चर्चा है। आप भीतर कितने जा सकते हो, अपने आप में समाहित कैसे हो सकते हो। त्रुटिगत विस्‍तार एक स्‍वभाव है, अध्‍यात्‍म भीतर जाने की एक अधिरत अनंत मंगल यात्रा है और उस यात्रा को सही मार्ग पर, सही गति से उचित गंतव्‍य पर पंहुचाने में हमारे ऋषियों ने, मुनियों ने, आचार्यों ने, भगवतिंयों ने, तपस्वियों ने एक बहुत बड़ा योगदान दिया है और समय समय पर किसी न किसी रूप में ये परंपरा आगे बढ़ती चली आ रही है।

योगी जी के जीवन की विशेषता, जीवन तो बहुत अल्‍प काल का रहा शायद वो भी कोई अध्‍यात्मिक संकेत होगा। कभी कभी हठियों को बुरा माना जाता है लेकिन वो प्रखर रूप से हठ योग के सकारात्‍मक पहलुओं के तर्क वितर्क तरीके से व्‍याख्‍या करते थे। लेकिन हर एक को क्रिया योग की तरफ प्रेरित करते थे अब मैं मानता हूं योग के जितने भी प्रकार है उसमें क्रिया योग ने अपना एक स्‍थान निश्चित किया हुआ है। जो हमें हमारे अंतर की ओर ले जाने कि लिए जिस आत्‍मबल की आवश्‍यकता होती है। कुछ योग ऐसे होते है जिसमें शरीर बल की जरूरत होती है क्रिया योग ऐसा है जिसमें आत्‍मबल की जरूरत होती है जो आत्‍मबल की यात्रा से ले जाता है और इसलिए, और जीवन का मकसद कैसा, बहुत कम लोगों के ऐसे मकसद होते हैं योगी जी कहते थे भाई मैं अस्‍पताल में बिस्‍तर पर मरना नहीं चाहता। मैं तो जूते पहनकर के कभी महाभारती का स्‍मरण करते हुए आखिरी विदाई लूं वो रूप चाहता हूं। यानि वे भारत को विदाई, नमस्‍ते करके चल दिए पश्चिम की दुनिया को संदेश देने का सपना लेकर के निकल पड़े। लेकिन शायद एक सेकंड भी ऐसी कोई अवस्‍था नहीं होगी कि जब वो इस भारत माता से अलग हुए हों।

मैं कल काशी में था, बनारस से ही मैं रात को आया और योगी जी के आत्‍मकथा में बनारस में उनके लड़क्‍कपन की बातें भरपूर मात्रा में, शरीर तो गोरखपुर में जन्‍म लिया लेकिन बचपन बनारस में बीता और वो मां गंगा और वहां की सारी परंपराएं उस आध्‍यात्मिक शहर की उनके मन पर जो असर था जिसने उनके लड़क्‍कपन को एक प्रकार से सजाया, संवारा, गंगा की पवित्र धारा की तरह उसका बहाया और वो आज भी हम सबके भीतर बह रहा है। जब योगी जी ने अपना शरीर छोड़ा उस दिन भी वो कर्मरथ थे अपने कर्तव्‍य पद पर। अमेरिका जो भारत के जो राजदूत थे उनका सम्‍मान समारोह चल रहा था और भारत के सम्‍मान समारोह में वो व्‍याख्‍यान दे रहे थे और उसी समय शायद कपड़े बदलने में देर लग गई उतनी ही देर नहीं लगी ऐसे ही चल दिए और जाते-जाते उनके जो आखिरी शब्‍द थे, मैं समझता हूं कि देशभक्ति होती है मानवता का, अध्‍यात्‍म जीवन की यात्रा को कहां ले जाती है उन शब्‍दों में बड़ा अद्भुत रूप से, आखिरी शब्‍द हैं योगी जी के और उसी समारोह में वो भी एक राजदूत का, सरकारी कार्यक्रम था, और उस कार्यक्रम में भी योगी जी कह रहे हैं जहां गंगा, जंगल, हिमालय, गुफायें और मनुष्‍य ईश्‍वर के स्‍वपन देखते है यानि देखिए कहां विस्‍तार है गुफा भी ईश्‍वर का स्‍वपन देखता है, जंगल भी ईश्‍वर का स्‍वपन देखता है, गंगा भी ईश्‍वर का स्‍वपन देखता है, सिर्फ इंसान नहीं ।

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मैं धन्‍य हूं कि मेरे शरीर ने उस मातृभूमि को स्‍पर्श किया। जिस शरीर में वो विराजमान थे उस शरीर के द्वारा निकले हुए आखिरी शब्‍द थे। फिर वो आत्‍मा अपना विचरण करके चली गई जो हम लोगों में विस्‍तृत होती है। मैं समझता हूं कि एकात्‍मभाव:, आदि शंकर ने अदैत्‍व के सिंद्धात की चर्चा की है। जहां द्वैत्‍य नहीं है वही अद्वैत्‍य है। जहां मैं नहीं, मैं और तू नहीं वहीं अद्वैत्‍य है। जो मैं हूं और वो ईश्‍वर है वो नहीं मानता, वो मानता है कि ईश्‍वर मेरे में है, मैं ईश्‍वर में हूं, वो अद्वैत्‍य है। और योगी जी ने भी अपनी एक कविता में बहुत बढि़या ढंग से इस बात को, वैसे मैं इसको, इसमें लिखा तो नहीं गया है। लेकिन मैं जब उसका interpretation करता था, जब ये पढ़ता था तो मैं इसको अद्वैत्‍य के सिंद्धात के साथ बड़ा निकट पाता था।

और उसमें योगी जी कहते है, ‘’ब्रह्म मुझ में समा गया, मैं ब्रह्म में समा गया’’। ये अपने आप में अद्वैत्‍य के सिंद्धात का एक सरल स्‍वरूप है- ब्रह्म मुझ में समा गया, मैं ब्रह्म में समा गया। ‘’ज्ञान, ज्ञाता, ज्ञै:’’ सब के सब एक हो गए। जैसे हम कहते है न ‘’कर्ता और कर्म’’ एक हो जाए, तब सिद्धि सहज हो जाती है। कर्ता को क्रिया नहीं करनी पड़ती और कर्म कर्ता का इंतजार नहीं करता है। कर्ता और कर्म एकरूप हो जाते है तब सिद्धि की अनोखी अवस्‍था हो जाती है।

उसी प्रकार से योगी जी आगे कहते है, शांत, अखंड, रोमांच सदा, शांत, अखंड, रोमांच सदा, शांत, अखंड, रोमांच सदा के लिए जीती-जागती, नित्‍य-नूतन शांति, नित्‍य-नवीन शांति। यानि कल की शांति आज शायद काम न आए। आज मुझे नित्‍य, नूतन, नवीन शांति चाहिए और इसलिए यहां स्‍वामी जी ने आखिर में अपने शब्‍द कहे, ‘’ओउम् शांति-शांति’’। ये कोई protocol नहीं है, एक बहुत तपस्‍या के बाद की हुई परिणिती का एक मुकाम है। तभी तो ’ओउम् शांति, शांति, शांति की बात आती है। समस्‍त आशा और कल्‍पनाओं से परे, समस्‍त आशाओं और कल्‍पनाओं से परे आनंद देने वाला समाधि का परमानंद। ये अवस्‍था का वर्णन जोकि एक समाधि कविता में, योगी जी ने बड़े, बखूबी ढंग से हमारे सामने प्रस्‍तुत किया है और मैं समझता हूं कि इतनी सरलता से जीवन को ढाल देना और पूरे योगी जी के जीवन को देखे, हम हवा के बिना रह नहीं सकते। हवा हर पल होती है पर कभी हमें हाथ इधर ले जाना है तो हवा कहती नहीं है कि रुक जाओ, मुझे जरा हटने दो। हाथ यहा फैला है तो वो कहती नहीं कि रुक जाओ मुझे यहां बहने दो। योगी जी ने अपना स्‍थान उसी रूप में हमारे आस-पास समाहित कर दिया कि हमें अहसास होता रहे, लेकिन रुकावट कहीं नहीं आती है। सोचते है कि ठीक है आज ये नहीं कर पाता है कल कर लेगा। ये प्रतीक्षा, ये धैर्य बहुत कम व्‍यवस्‍थाओं और परम्‍पराओं में देखने को मिलता है। योगी जी ने व्‍यवस्‍थाओं औ को इतना लचीलापन दिया और आज शताब्‍दी हो गई, खुद तो इस संस्‍था को जन्‍म दे करके चले गए। लेकिन ये एक आंदोलन बन गया, आध्‍यात्‍मिक चेतना की निरन्‍तर अवस्‍था बन गया और अब तक शायद चौथी पीढ़ी आज इसमें सक्रिय होगी। इसके पहले तीन-चार चली गई।

लेकिन न delusion आया और न diversion आया। अगर संस्‍थागत मोह होता, अगर व्‍यवस्‍थाकेंद्री प्रक्रिया होती तो व्‍यक्ति के विचार, प्रभाव, समय इसका उस पर प्रभाव होता। लेकिन जो आंदोलन काल कालातीत होता है, काल के बंधनों में बंधा नहीं होता है अलग-अलग पीढि़यां आती है तो भी व्‍यवस्‍थाओं को न कभी टकराव आता है, न दुराव आता है वो हल्‍के-फुल्‍के ढंग से अपने पवित्र कार्य को करते रहते है।

योगी जी का एक बहुत बड़ा एक contribution है कि एक ऐसे व्‍यवस्‍था दे करके गए जिस व्‍यवस्‍था में बंधन नहीं है। तो भी जैसे परिवार को कोई संविधान नहीं है लेकिन परिवार चलता है। योगी जी ने भी उसकी ऐसी व्‍यवस्‍था रची कि जिसमें सहज रूप से प्रक्रियाएं चल रही है। उनके बाहर जाने के बाद भी वो चलती रही और आज उनके आत्‍मिक आनंद को पाते-पाते हम लोग भी इसको चला रहे है। मैं समझता हूं ये बहुत बड़ा योगदान है। दुनिया आज अर्थजीवन से प्रभावित है, technology से प्रभावित है और इसलिए दुनिया में जिसका जो ज्ञान होता है, उसी तराजू से वो विश्‍व को तोलता भी है। मेरी समझ के हिसाब से मैं आपका अनुमान लगाता हूं। अगर मेरी समझ कुछ और होगी तो मैं आपका अनुमान अलग लगाऊंगा, तो ये सोचने वाले की क्षमता, स्‍वभाव और उस परिवेश का परिणाम होता है। उसके कारण विश्‍व की दृष्टि से भारत की तुलना होती होगी तो जनसंख्‍या के संबंध में होती होगी GDP के संदर्भ में होती होगी, रोजगार-बेरोजगार के संदर्भ में होती होगी। तो ये विश्‍व के वो ही तराजू है। लेकिन दुनिया ने जिस तराजू को कभी जाना नहीं, पहचाना नहीं, भारत की पहचान का एक ओर मानदंड है, एक तराजू है और वही भारत की ताकत है, वो है भारत को आध्‍यात्‍म। देश का दुर्भाग्‍य है कि कुछ लोग आध्‍यात्‍म को भी religion मानते है, ये और दुर्भाग्‍य है। धर्म, religion, संप्रदाय ये और आध्‍यात्‍म बहुत अलग है। और हमारे पूर्व राष्‍ट्रपति अब्‍दुल कलाम जी बार-बार कहते थे कि भारत का आध्‍यात्मिकरण यही उसका सामर्थ है और ये प्रक्रिया निरंतर चलती रहनी चाहिए। इस आध्‍यात्‍म को वैश्विक फलक पर पहुंचाने का प्रयास हमारे ऋषियों-मुनियों ने किया है। योग एक सरल entry point है मेरे हिसाब से| दुनिया के लोगों को आप आत्मवत सर्वभूतेषु समझाने जाओगे तो कहाँ मेल बैठेगा, एक तरफ जहां eat drink and be merry की चर्चा होती है वहा तेन त्यक्तेन भुन्जिता: कहूंगा तो कहा गले उतरेगा।

लेकिन मैं अगर ये कहूं कि भई तुम नाक पकड़ करके ऐसे बैठो थोड़ा आराम मिल जाएगा तो वो उसको लगता है चलो शुरू कर देते है। तो योग जो है वो हमारी आध्‍यात्मिक यात्रा का entry point है कोई इसे अंतिम न मान लें।लेकिन दुर्भाग्‍य से धन बल की अपनी एक ताकत होती है धनवृत्ति भी रहती है। और उसके कारण उसका भी कमर्शियलाइजेशन भी हो रहा है इतने डालर में इतनी समाधि होगी ये भी… और कुछ लोगों ने योग को ही अंतिम मान लिया है|

योग अंतिम नहीं है उस अंतिम की ओर जाने के मार्ग का पहला प्रवेश द्वार है और कहीं पहाड़ पर हमारी गाड़ी चढ़ानी हो वहां धक्‍के लगाते हैं गाड़ी बंद हो जाती है लेकिन एक बार चालू हो जाए तो फिर गति पकड़ लेती है, योग का एक ऐसा एन्‍ट्रेस पांइट कि एक बार पहली बार उसको पकड़ लिया निकल गए फिर तो वो चलाता रहता है। फिर ज्‍यादा कोशिश नहीं करनी पड़ती है वो प्रक्रिया ही आपको ले जाती है जो क्रिया योग होता है।

हमारे देश में फिर काशी की याद आना बड़ा स्‍वाभाविक है मुझे संत कबीर दास कैसे हमारे संतो ने हर चीज को कितनी सरलता से प्रस्‍तुत किया है संत कबीर दास जी ने एक बड़ी मजेदार बात कही है और मैं समझता हूं कि वो योगी जी पर पूरी तरह लागू होती है, उन्‍होंने कहा है अवधूता युगन युगन हम योगी…आवै ना जाय, मिटै ना कबहूं, सबद अनाहत भोगी …कबीर दास कहते हैं योगी, योगी तो युगों युगों तक रहता है… न आता है न जाता है… न ही मिटता है। मैं समझता हूं आज हम योगी जी के उस आत्मिक स्‍वरूप के साथ एक सहयात्रा की अनुभूति करते हैं तब संत कबीर दास की ये बात उतनी ही सटीक है कि योगी जाते नहीं हैं, योगी आते नहीं है वो तो हमारे बीच ही होते हैं |

उसी योगी को नमन करते हुए आपके बीच इस पवित्र वातावरण में मुझे समय बिताने का सौभाग्‍य मिला, मुझे बहुत अच्‍छा नहीं लगा फिर एक बार योगी जी की इस महान परंपरा को प्रणाम करते हुए सब संतों को प्रणाम करते हुए और आध्‍यत्मिक यात्रा को आगे बढ़ाने में प्रयास करने वाले हर नागरिक के प्रति आदर भाव व्‍यक्‍त करते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं। धन्‍यवाद|

पीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात के भरूच में देश के सबसे लंबे केबल पुल का उद्घाटन किया, तस्वीरों के साथ जानें इसकी खासियत

पीएम नरेंद्र मोदी आज से दो दिनों के गुजरात दौरे पर हैं. इस दौरान पीएम ने कई कार्यक्रमों और बैठकों में हिस्सा लिया. पीएम ने भरूच जिले में नर्मदा नदी पर चार लेन के एक पुल का उद्घाटन किया. इस पुल का निर्माण अहमदाबाद-मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात को सुगम बनाने के लिए किया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- यह देश का सबसे लंबा एक्स्ट्रा डाज्ड केबल ब्रिज है. इसकी लंबाई 1344 मीटर है और चौड़ाई 20.8 मीटर है. इसे बनाने में 2 साल लगे जबकि 379 करोड़ रुपये का खर्च हुआ.

इसके अहमदाबाद-मुंबई नेशनल हाइवे-8 पर भरूच में लगने वाले जाम से मुक्ति मिलेगी. इस ब्रीज पर हमेशा से जाम लगता रहा है लेकिन दो साल से ज्यादा लग रहा था क्योंकि यहां ब्रीज का काम चल रहा था.

इसके बाद अगले दिन पीएम सोमनाथ मंदिर का भी दौरा करेंगे. साथ ही पीएम अंतराराष्ट्रीय महिला दिवस के मौक़े पर महिला सरपंच के राष्ट्रीय सम्मेलन का भी उद्घाटन करेंगे. पीएम बनने के बाद पहला मौका होगा जब वह सोमानाथ मंदिर पहुंचेंगे.