अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कॉल किया। राष्ट्रपति ट्रंप की कॉल कई मायनों में भारत के लिए अहम है। ट्रंप ने बातचीत में भारत को अमेरिका का ‘सच्चा दोस्त’ कहा है। वहीं ट्रंप की कॉल इस बात को भी बयां करती हैं कि अमेरिका की नई सरकार भारत के साथ संबंधों को पूरी तरजीह दे रही है।
पुतिन को अभी तक कॉल का इंतजार
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नवंबर 2016 में चुनाव जीता और फिर 20 जनवरी को आधिकारिक तौर पर ऑफिस संभाल लिया। जब उन्होंने चुनाव जीता था तो हर कोई यह कयास लगा रहा था कि ऑफिस संभालते ही वह रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन को कॉल कर सकते हैं। चुनावों से पहले वह राष्ट्रपति पुतिन और रूस की काफी तारीफ कर रहे थे। साथ ही उन्होंने वादा किया था कि उनके आने के बाद रूस और अमेरिका के रिश्ते भी बेहतर होंगे। फिलहाल अभी तक राष्ट्रपति ट्रंप ने क्रेमलिन को कॉल नहीं किया है। यहां यह जानना काफी अहम है कि ट्रंप ने पहले जिन चार राष्ट्राध्यक्षों से फोन पर बात की है, उनमें इजरायल वह देश है जिसके खिलाफ यूनाइटेड नेशंस में आए प्रस्ताव पर ट्रंप काफी नाराज थे। मैक्सिको वह देश है जिससे लगी सीमा पर ट्रंप दीवार बनवाने की बात की थी। इजिप्ट वह देश है जहां आईएसआईएस की मौजूदगी है और वहीं कनाडा वह देश है जो व्यापार जैसे मुद्दों को लेकर अमेरिका के साथ काफी करीब है और अब टीपीपी को लेकर एक अहम कदम उठाने की तैयारी में है। ऐसे में अगर देखा जाए जो अगला नंबर रूस का हो सकता था लेकिन नंबर आया भारत का। फिर आखिर क्यों राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस, चीन की जगह भारत को चुना।
रिश्तों को और मजबूत करने की पहल
राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस के अलावा अभी तक यूरोपियन यूनियन के किसी सदस्य देश को भी फोन नहीं किया है। ऑफिस संभालने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप भी पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की तरह चाहते हैं कि अमेरिका और भारत के रिश्तों में मधुरता जारी रहे और इसमें और करीबी आए। अमेरिका ने पिछले वर्ष भारत को सबसे बड़े रक्षा खरीदार का दर्जा दिया है।
सबसे पहले पीएम मोदी ने किया था फोन
नवंबर में जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव जीता था तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के पहले नेता थे जिन्होंने ट्रंप को बधाई दी थी। इसके अलावा राष्ट्रपति ट्रंप खुद भी पीएम मोदी की कई मौकों पर तारीफ कर चुके हैं। वर्ष 2014 में पहले भारत आने पर और फिर वर्ष 2015 की शुरुआत में उन्होंने ब्यूरोक्रेसी को सुधारने के लिए पीएम मोदी की पीठ थपथपाई थी। ट्रंप, पीएम मोदी को एक ऊर्जावान नेता बता चुके हैं और उनके साथ काम करने को लेकर काफी उत्साहित नजर आए थे।
दो नेता लेकिन एक जैसी कई बातें
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तुलना कई बार पीएम मोदी से की जाती है। चुनावी अभियान में उनका, ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ वाला काफी हिट हुआ। इसके बाद जब 20 जनवरी को उन्होंने शपथ ली तो कई लोगों ने उनकी स्पीच को पीएम मोदी की स्पीच जैसा बताया। ऐसे में शायद ट्रंप खुद भी चाहते थे कि वह पीएम मोदी से ऑफिस संभालने के बाद जल्द जल्द बात करें।
खुद को बताया हिंदुओं का सच्चा दोस्त
अक्टूबर 2016 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान के दौरान जब दीपावली का दिया न्यू जर्सी के एडीसन में जलाया तो भारत के लिए एक वादा भी किया। ट्रंप ने यहां पर एक चैरिटी इवेंट में अमेरिका के साथ भारत की स्पेशल रिलेशनशिप की बात की। इस प्रोग्राम को रिपब्लिकन हिंदू कोऑलिशन की ओर से आतंकवाद से पीड़ित कश्मीर पंडितों और बांग्लादेशी हिंदूओं के लिए आयोजित किया गया था। ट्रंप ने कहा, ‘ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन के तहत भारत, अमेरिका की दोस्ती और बेहतर होगी और हम ‘बेस्ट फ्रेंड’ बनेंगे।
पाकिस्तान पर सख्त ट्रंप
बड़ी हैरानी की बात है कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी आज से दो वर्ष पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत आना तो स्वीकार किया लेकिन पाकिस्तान जाने से बचे। राष्ट्रपति ट्रंप ने भी दो वर्ष बाद पाकिस्तान को लेकर अभी तक कोई सकारात्मक इशारा नहीं किया है। हां, उन्होंने यह जरूर कहा है कि वह हर उस देश से चरमपंथी इस्लामिक आतंकवाद को खत्म करके रहेंगे जहां पर इन्हें पनाह मिली हुई है। दिलचस्प है कि पाकिस्तान ने दिसंबर में दावा किया था राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को कॉल किया है। वहीं ट्रंप की ट्रांजिशन टीम से इससे साफ इंकार कर दिया।