‘मन की बात’ में पीएम नरेंद्र मोदी ने छात्रों को दिया मंत्र- ‘स्‍माइल मोर, स्‍कोर मोर’

चुनाव आयोग की हरी झंडी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल की पहली ‘मन की बात’ की. मन की बात की शुरुआत में उन्होंने हाल ही में जम्मू-कश्मीर में हिमस्खलन की चपेट में आने से जान गंवाने वाले जवानों को श्रद्धांजलि दी. इसके बाद पीएम के मन की बात का पूरा फ़ोकस छात्रों की होने वाली परीक्षाओं पर रहा.

प्रधानमंत्री ने छात्रों और उनके अभिभावकों को परीक्षा से पहले तनावमुक्त रहने की सलाह दी. इसके साथ ही कहा कि परीक्षा को उत्सव की तरह मनाएं, इसे जीवन-मरण का सवाल न बनाएं. पीएम ने छात्रों को स्माइल मोर, स्कोर मोर का मंत्र दिया.

पीएम की ‘मन की बात के मुख्‍य अंश…

  • अधिकार और कर्तव्य की दो पटरी पर ही, भारत के लोकतंत्र की गाड़ी तेज़ गति से आगे बढ़ सकती है.
  • शहीदों को सम्‍मान दिया गया है.
  • युवा सोशल मीडिया पर वीर सैनिकों, शहीदों के पराक्रम को लिखें.
  • मैं शहीद हुए जवानों को नमन करता हूं.
  • हिमस्‍खलन में जवानों का खोना दुखद.
  • आज मैं बच्‍चों से बात करने आया हूं.
  • परीक्षा में परेशानी का वातावरण.
  • युवाओं से विस्‍तार से बात करूंगा.
  • बच्‍चों ने अपनी परेशानियों को शेयर की हैं. इन परेशानियों को शेयर कर रहा हूं.
  • परीक्षा अपने आप में, एक खुशी का अवसर होना चाहिए. परीक्षा एक उत्सव है, परीक्षा को ऐसे लीजिए जैसे मानों त्योहार है.
  • ज्‍यादातर के लिए परीक्षा परेशानी हैं.
  • परीक्षा में उत्‍सव का माहौल बने. उत्‍सव से दबाव कम हो जाएगा. माता-पिता बच्‍चों की मदद करें.
  • स्‍माइल मोर, स्‍कोर मोर. जितने ज्‍यादा खुश रहेंगे, उतने ज्‍यादा आपको अंक प्राप्‍त होंगे.
  • तनाव में सारे दरवाजे बंद होते हैं. तनामुक्‍त रहने से परेशानी कम होती हैं.
  • रिलैक्‍स रहेंगे तो चीजें याद रहेंगी. तनाव में ज्ञान नीचे दब जाता है.
  • गुड मार्कशीट के लिए हैप्‍पी माइंड.
  • परीक्षा जीवन की कसौटी नहीं है.
  • परीक्षा जीवन-मरण का सवाल नहीं है.
  • विफलता से घबराना नहीं चाहिए.
  • अधिकार के साथ कर्तव्‍य पर भी ध्‍यान दें.
  • परीक्षा को सही संदर्भों में देखना जरूरी है. हमारे सामने,हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम  प्रेरक उदाहरण हैं.
  • जीवन को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिस्‍पर्धा काम नहीं आती है. जीवन को आगे बढ़ाने के लिए अनुस्‍पर्धा काम आती है.
  • खुद के साथ मुकाबला करें, दूसरों के साथ नहीं. पीएम ने इस संदर्भ में क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर का उदाहरण भी दिया.
  • प्रतिस्‍पर्धा में पराजय, हताशा, निराशा और ईर्ष्या को जन्म देती है, लेकिन अनुस्‍पर्धा आत्मंथन, आत्मचिंतन का कारण बनती है.
  • अभिभावक अपेक्षा ज्‍यादा करते हैं. बच्‍चों से अपेक्षा कम करें, ठीक रहेगा.
  • मैं अभिभावकों से इतना ही कहना चाहूंगा- तीन बातों पर हम बल दें… स्वीकारना, सिखाना, समय देना.
  • नकल आपको बुरा बनाती है, इसलिए नकल न करें.
  • नकल जीवन को विफल बनाने के रास्‍ते की तरफ घसीटकर ले जाती है.
  • कभी-कभी मुझे लगता है कि अभिभावकों की जो अपेक्षाएं होती हैं, उम्मीदें होती हैं, वो बच्चे के स्‍कूल बैग से भी ज़्यादा भारी हो जाती हैं.
  • स्वीकृति समस्याओं के समाधान का रास्ता खोलती है. अपेक्षाएं राह कठिन कर देती हैं.
  • मैं अभिभावकों से कहना चाहूंगा कि परीक्षा के दिनों में बच्चों को हंसी-ख़ुशी का भी माहौल दें. आप देखिए, वातावरण बदल जाएगा.
  • सर्वांगीण विकास करना है, तो किताबों के बाहर भी एक जिंदगी होती है और वो बहुत विशाल होती है.
  • अपने संकल्प को याद करते हुए, अपने पर विश्वास रखते हुए, परीक्षा के लिए जाइए, मेरी बहुत शुभकामनाएं हैं.
  • हर कसौटी से पार उतरने के लिए कसौटी को उत्सव बना दीजिए. फिर कभी कसौटी, कसौटी ही नहीं रहेगी. इस मंत्र को लेकर आगे बढ़ें.
  • पीएम ने भारतीय तटरक्षक बल के अधिकारियों और सैनिकों ने देश के प्रति उनकी सेवा के लिए धन्‍यवाद दिया.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं दीं.
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By admin , January 30, 2017

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