प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी हर समय कुछ नया करने और कुछ नया सोचने के लिए जाने जाते हैं। आज पूरे विश्व की निगाहें उनकी ओर आँखे गड़ाए बैठी है कि मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में क्या नया करने वाली है।
पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही यह तो साफ कर दिया है कि वे पुराने सरकारी तौर – तरीकों और योजनाओं के प्रबंधन को ज्यादा समय तक खींचने के बजाय उन्हें नया रूप देने वाले हैं। अब यह लगभग तय है कि सार्वजनिक क्षेत्र में निजी प्रबंधन के फ़ॉर्मूले लागू किये जायेंगे और अन्य देशों के अनुभव को भी साथ लेकर आगे बढ़ा जायेगा ताकि कम समय में ज्यादा कार्य किया जा सके और सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त किये जा सके। साथ ही सरकारी योजनाओं के प्रोजेक्ट टेंडर आदि की प्रक्रिया में निजी कंपनी के तौर-तरीकों का इस्तेमाल कर सरकारी तंत्र को आसान और बेहतर बनाने का कार्य किया जायेगा।
शनिवार को हुई नीति आयोग की पाँचवीं बैठक में एक रिपोर्ट सभी राज्यों को सौंपी गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे, निर्माण, आईटी, सड़क परिवहन, पावर, कोल सेक्टर, हेल्थ, शहरी विकास, संचार, माइंस, सिविल एविएशन, डिफेंस और हैवी इंडस्ट्री आदि क्षेत्रों में रियल टाइम कम्युनिकेशन और रियल टाइम डाटा मैनेजमेंट जैसी बातों का पालन कर किसी भी काम को तय समय से पहले और निर्धारित राशि से कम खर्च में पूरा किया जाएगा।
We’ve been having extensive and insightful deliberations in the 5th Governing Council meeting of @NITIAayog.
In my remarks, spoke of issues including poverty alleviation, creating jobs, eliminating corruption, combating pollution and more. pic.twitter.com/DBFrdxKxbs
— Narendra Modi (@narendramodi) June 15, 2019
इस रिपोर्ट को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की ओर से कहा गया है कि सरकारी योजनाओं के तय समय पर पूरा न होने के पीछे सबसे बड़ा कारण उसके प्रबंधन और क्रियान्वयन के तौर तरीकों में उचित बदलाव नहीं होना है। देखने में आया है कि अधिकांश सरकारी महकमे पुराने तौर – तरीकों के साथ ही आज भी काम कर रहे है। जिस कारण चाहे निर्माण कार्य हो या आईटी प्रोजेक्ट निर्धारित समय सीमा पर पूरे नहीं हो पाते हैं और संबंधित प्रोजेक्ट की लागत भी कई गुना बढ़ जाती है। जिसका सीधा असर सरकारी खज़ाने पर पड़ता है।
वर्तमान समय में किसी निर्माण या सरकारी योजना के क्रियान्वयन के लिए कागजी कार्रवाई और निर्माण के दौरान काफी समय लेट-लतीफी के कारण बर्बाद होता है। जो आगे चलकर सरकार के लिए नुकसान का सबब बन जाता है। सरकार को इसके नुकसान से बचाने और किसी प्रोजेक्ट को समय से पूर्व पूरा कर मोदी सरकार एक नई शुरुआत करने के लिए तैयार नजर आ रही है।
ऐसे बदलेगा सरकारी विभागों के कामकाज का तरीका
सरकारी विभागों के तौर तरीकों में बदलाव के लिए मोदी सरकार एक विस्तृत योजना के तहत कार्य करने वाली है। इस योजना के मुताबिक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट को सीनियर सेकेंड्री स्तर पर पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। स्नातक स्तर पर इसका पूर्ण कोर्स भी शुरू होगा। डिप्लोमा प्रोग्राम भी प्रारम्भ किया जा रहा है। पीजी कोर्स के लिए यूजीसी और एआईसीटीई से राय ली गई है। इसमें अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के आधार पर प्रोजेक्ट मैनेजमेंट के कोर्स रहेंगे।
इस योजना के शुरूआती दौर में सभी सरकारी एवं निजी विभागों में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट योजना को लागू किया जा रहा है। इसके लिए रिफ्रेशर कोर्स शुरू कर अधिकारियों को पूरी जानकारी दी जाएगी। इसके दायरे में सभी सरकारी विभाग, निगम और बोर्ड आएँगे। प्रोजेक्ट मैनेजमेंट योजना के क्रियान्वयन के लिए सरकार ऐसी व्यवस्था कर रही है कि सभी विभागों को उनके परिसर में ही इसका परीक्षण दिया जा सके। इसके साथ ही अगर किसी प्रोजेक्ट को तय समय से पहले शुरू करना है तो उसके लिए अलग से मापदंड तैयार होंगे। इस कार्य में क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया की मदद ली जाएगी। नेशनल प्रोजेक्ट-प्रोजेक्ट मैनेजमेंट पॉलिसी फ्रेमवर्क के तहत ये सभी योजनायें पूरी होंगी।