‘देश में आनंद होगा और असम में सर्वानंद।’ असम में चुनावी सभाओं के दौरान बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार सर्वानंद सोनोवाल का परिचय कराते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह जुमला बार-बार दोहराते थे। नतीजों के बाद उनकी यह बात सही साबित हुई है। आइए जानते हैं सर्वानंद के जीवन से जुड़ीं 10 बातें…
- 54 वर्षीय सर्वानंद की गिनती असम के युवा तेजतर्रार नेताओं में होती है। उनका जन्म डिब्रूगढ़ जिले के दिनजन में 31 अक्टूबर 1962 को हुआ। वे 1992 से 1999 तक आल असम स्टूडेंट यूनियन (AASU) के अध्यक्ष रहे। बाद में असम गण परिषद (एजीपी) की सदस्य रहे। 2001 में वे पहली बार इस पार्टी से विधायक बने।
- वर्ष 2004 में उन्होंने पहली बार लोकसभा में एंट्री की। तब उन्होंने डिब्रूगढ़ से कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन सिंह घटोवार को पराजित किया था।
- एजीपी की सीनियर लीडरशिप के रवैये से नाखुश होकर सर्वानंद 2011 में बीजेपी में शामिल हुए। असम में किसी असरदार चेहरे की तलाश कर रही बीजेपी ने उन्हें हाथों हाथ लिया। वे असम बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं।
- 2014 के लोकसभा चुनाव में सर्वानंद ने असम की लखीमपुर सीट से जीत हासिल की जबकि इस विधानसभा चुनाव में वे माजुली से उम्मीदवार थे। गौरतलब है कि माजुली असम का लोकप्रिय पर्यटक स्थल भी है लेकिन यहां बुनियादी सुविधाओं के लिए हर रोज जूझना पड़ता है। ब्रह्मपुत्र नदी में बार-बार आने वाली बाढ़ के कारण कई बार यह क्षेत्र देश के बाकी हिस्सों से अलग-थलग हो जाता है।
- वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में एनडीए की सरकार आने के बाद सर्वानंद सोनोवाल को खेल मंत्री बनाया गया। सोनोवाल खेलों के अच्छे जानकार हैं।
- सर्वानंद सोनोवाल असम के कछारी जनजातीय समुदाय से आते हैं। उन्हें ‘जातीय नायक’ भी कहा जाता है। यह उपमा उन्हें राज्य के सबसे पुराने छात्र संगठन AASU ने दी थी।
- सोनोवाल के पास एलएलबी की डिग्री है। अपने एक दशक से अधिक के सियासी करियर के दौरान उनकी छवि साफसुथरी रही है और कभी भी उनका नाम विवादों में नहीं आया।
- सर्वानंद की गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास सिपहसालारों में की जाती है। पीएम खुद कह चुके हैं कि सर्वानंद के सीएम बनने की स्थिति में यह असम का ‘गेन’ होगा और केंद्रीय कैबिनेट का एक काबिल मंत्री ‘गंवाने’ के तौर पर मेरा ‘लॉस’।
- बीजेपी के दूसरे नेताओं की ही तरह अवैध बांग्लादेशी अप्रवासियों को लेकर सर्वानंद सोनोवाल का रुख बेहद सख्त है और वे बांग्लादेशियों की भारत में ‘घुसपैठ’ का मसला सुप्रीम कोर्ट में भी उठा चुके हैं।
- सर्वानंद के नेतृत्व में मिली असम की इस बड़ी कामयाबी के साथ बीजेपी ने पूर्वोत्तर के किसी राज्य में पहली बार जीत हासिल की है।