सरकार के तीन साल पूरा होने पर विभिन्न मंत्रालयों के अपनी उपलब्धियां गिनाने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय कैबिनेट मंत्रियों के प्रदर्शन की बारीकी से पड़ताल करने जा रहा है। पीएमओ ने मंत्रियों से गत तीन साल के दौरान फाइलों को आगे बढ़ाने के बारे में जानकारी देने को कहा है। खास तौर पर यह पूछा गया है कि कोई फाइल उनके कार्यालय में कितने समय तक अटकी रही।
पीएमओ ने उन पत्रों पर भी कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है, जो प्रधानमंत्री को उनकी ई-मेल आईडी या पीएमओ के लोक शिकायत पोर्टल या उनके कार्यालय को लिखे गए थे और जिन्हें संबद्ध मंत्रालयों को भेजा गया था। कई मंत्रालय इसे कैबिनेट में फेरबदल से पहले की कवायद के तौर पर देख रहे हैं। ऐसी संभावना है कि राष्ट्रपति चुनाव के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है।
मंत्रियों से कहा गया है कि वे पहली जून 2014 से 31 मई, 2017 के बीच अपने कार्यालयों में मिली फाइलों का ब्योरा सौंपें। यह अवधि मोदी सरकार के कार्यभार ग्रहण करने के पांच दिन बाद से शुरू होती है। पीएमओ ने जानना चाहा है कि किस अवधि के भीतर फाइलों को मंजूरी दी गई। साथ ही उन फाइलों का ब्योरा भी मांगा गया है, जो 31 मई 2017 तक लंबित थीं। ऐसा समझा जाता है कि प्रधानमंत्री ने हालिया कैबिनेट बैठक में यह निर्देश दिया है, जिसके बाद फॉर्म संबंधित मंत्रियों को भेजे गए थे।
पांच कॉलम में बंटा है फार्म
फाइलों का ब्यौरा देने के लिए जो फार्म दिया गया है, इसके विभिन्न उप शीर्षक हैं – मसलन, ओपनिंग बैलेंस, अवधि के दौरान मिली फाइलें, कुल फाइल, निस्तारण, अवधि खत्म होने पर लंबित फाइल और लंबित फाइलों का ब्रेकअप। यही नहीं, लंबित फाइलों के ब्रेकअप को फिर 15 दिन, 15 दिन से एक महीना और एक महीना से तीन महीने में बांटा गया है।