इस्राइल के साथ भारत के मजबूत संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन दिवसीय दौरे पर 4 जुलाई को इस यहूदी राष्ट्र में पहुंचेंगे. यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला इस्राइल दौरा होगा. तेल अवीव में भरोसेमंद सूत्रों ने पीटीआई को बताया- पीएम मोदी 4 जुलाई को इस्राइल पहुंचेंगे और उसी शाम वह प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात कर सकते हैं.
पीएम मोदी का यह दौरा दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के 25 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में हो रहा है. प्रधानमंत्री अगले दिन तेल अवीव में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करेंगे जहां लोगों के बड़ी संख्या में मौजूद रहने की उम्मीद है. भारतीय समुदाय ने पीएम मोदी के इस कार्यक्रम को लेकर वेबसाइट शुरू की है. इस्राइल में करीब 80,000 भारतीय यहूदी रहते हैं.
भारतीय यहूदी समुदाय अब भी भारत की सांस्कृतिक परंपराओं को बरकरार रखे हुए और अपने मूल का बड़े गर्व के साथ जिक्र करते हुए वे कहते हैं कि भारत दुनिया का एक इकलौता ऐसा देश है जहां कोई यहूदी विरोधी भावना नहीं है. पीएम मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से यहां काफी उत्साह पैदा हुआ है क्योंकि गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान तेल अवीव के साथ नजदीकी रिश्ते बरकरार रखने को लेकर वह यहां लोकप्रिय हैं. वह अक्तूबर, 2006 में इस्राइल आए थे.
इस्राइली मीडिया में एक और चीज की चर्चा होती है और वह पीएम मोदी और नेतन्याहू के बीच का ‘नजदीकी तालमेल’ है. दोनों नेता संयुक्त राष्ट्र संबंधित कार्यक्रमों से इतर विदेशी सरजमीं पर दो बार मुलाकात कर चुके हैं और कहा जाता है कि वे फोन पर एक दूसरे के संपर्क में बने रहते हैं.
पीएम मोदी का यह दौरा इस्राइल तक सीमित है और इसमें फिलस्तीन का दौरा शामिल नहीं है. इसे कुछ लोग बड़ा संदेश मान रहे हैं लेकिन फिलस्तीनी प्राधिकरण का कहना है कि भारत को इस्राइल के साथ संबंधों का निर्माण करने का अधिकार है लेकिन यह फिलस्तीनी मकसद को नई दिल्ली के ठोस समर्थन की ‘कीमत’ पर नहीं होना चाहिए. फिलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने मई महीने में भारत का दौरा किया था.