कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के आंकड़ों के अनुसार 1800 से ज्यादा आईएएस अधिकारियों ने नियत समयावधि के अंदर सरकार को अपनी अचल संपत्तियों का ब्योरा नहीं दिया है. भारतीय प्रशासकीय सेवा के सभी अधिकारियों को जनवरी अंत तक पिछले साल का अचल संपत्ति रिटर्न जमा करना जरूरी है. ऐसा नहीं करने पर उन्हें पदोन्नति और एंपैनेलमेंट से वंचित किया जा सकता है. डीओपीटी के आंकड़ों के अनुसार 1856 आईएएस अधिकारियों ने 2016 के लिए अपना रिर्टिन दाखिल नहीं किया है.
जबकि राजस्थान के 153 और मध्य प्रदेश के 118 अधिकारियों ने भी रिटर्न दाखिल नहीं किया है. पश्चिम बंगाल के 109 और अरूणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम-केन्द्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के आईएएस अधिकारियों ने भी अपने रिटर्न दाखिल नहीं किए हैं.
डीओपीटी के आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक काडर के 82, आंध्रप्रदेश के 81, बिहार के 74, ओडिशा, असम एव मेघालय के 72-72, पंजाब के 70, महाराष्ट्र के 67, मणिपुर-त्रिपुरा के 64 और हिमाचल प्रदेश के 60 आईएएस अधिकारियों ने भी अपने र्टि दाखिल नहीं किए हैं. नियमत:, माना जाता है कि सिविल सेवा अधिकारी अपनी संपत्तियों और देनदारियों का ब्योरा सरकार को देंगे.
भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने आईएएस अधिकारियों के लिए कई नियम बनाए हैं. इसके तहत अधिकारियों को 5 हजार रुपये तक का उपहार स्वीकार करने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है. इसके अलावा यदि वे अपने रिश्तेदारों, दोस्तों से 25 हजार रुपये तक के गिफ्ट लेने के लिए सरकार को सूचना देनी पड़ती है. मोदी सरकार ने भी रिश्वतखोरी पर रोक लगाने के लिए इन कानूनों को सख्ती से लागू करने की बात की थी लेकिन IAS अधिकारियों पर उनकी सख्ती का कोई असर होता नहीं दिख रहा. 2015 में 1527 और 2014 में 1537 अधिकारियों ने अचल संपत्ति से जुड़ी अपनी जानकारी देने से इनकार कर दिया था.