मेरे प्यारे देशवासियो ! नमस्कार | आज पूरा देश रक्षाबंधन का त्योंहार मना रहा है | सभी देशवासियों को इस पावन पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ | रक्षाबंधन का पर्व बहन और भाई के आपसी प्रेम और विश्वास का प्रतीक माना जाता है | यह त्यौहार सदियों से सामाजिक सौहार्द का भी एक बड़ा उदाहरण रहा है | देश के इतिहास में अनेक ऐसी कहानियाँ हैं, जिनमें एक रक्षा सूत्र ने दो अलग-अलग राज्यों या धर्मों से जुड़े लोगों को विश्वास की डोर से जोड़ दिया था | अभी कुछ ही दिन बाद जन्माष्टमी का पर्व भी आने वाला है | पूरा वातावरण हाथी, घोड़ा, पालकी – जय कन्हैयालाल की, गोविन्दा-गोविन्दा की जयघोष से गूँजने वाला है | भगवान कृष्ण के रंग में रंगकर झूमने का सहज आनन्द अलग ही होता है | देश के कई हिस्सों में और विशेषकर महाराष्ट्र में दही-हाँडी की तैयारियाँ भी हमारे युवा कर रहे होंगे | सभी देशवासियों को रक्षाबन्धन एवं जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ |
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रक्षा बंधन का पर्व बहन और भाई के आपसी प्रेम और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार सदियों से सामाजिक सौहार्द का भी एक बड़ा उदाहरण रहा है : पीएम मोदी #MannKiBaat pic.twitter.com/TGYEZIcat8
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‘प्रधानमन्त्रि – महोदय! नमस्कारः | अहं चिन्मयी, बेंगलुरु-नगरे विजयभारती-विद्यालये दशम-कक्ष्यायां पठामि | महोदय अद्य संस्कृत-दिनमस्ति | संस्कृतं भाषां सरला इति सर्वे वदन्ति | संस्कृतं भाषा वयमत्र वह: वह: अत्र: सम्भाषणमअपि कुर्मः | अतः संस्कृतस्य महत्व: – विषये भवतः गह: अभिप्रायः इति रुपयावदतु |’
भगिनी ! चिन्मयि !!
भवती संस्कृत – प्रश्नं पृष्टवती |
बहूत्तमम् ! बहूत्तमम् !!
अहं भवत्या: अभिनन्दनं करोमि |
संस्कृत – सप्ताह – निमित्तं देशवासिनां
सर्वेषां कृते मम हार्दिक-शुभकामना:
मैं बेटी चिन्मयी का बहुत बहुत आभारी हूँ कि उसने यह विषय उठाया | साथियो ! रक्षाबन्धन के अलावा श्रावण पूर्णिमा के दिन संस्कृत दिवस भी मनाया जाता है | मैं उन सभी लोगों का अभिनन्दन करता हूँ, जो इस महान धरोहर को सह्ज़ने, सँवारने और जन सामान्य तक पहुँचाने में जुटे हुए हैं | हर भाषा का अपना माहात्म्य होता है. भारत इस बात का गर्व करता है कि तमिल भाषा विश्व की सबसे पुरानी भाषा है और हम सभी भारतीय इस बात पर भी गर्व करते हैं कि वेदकाल से वर्तमान तक संस्कृत भाषा ने भी ज्ञान के प्रचार-प्रसार में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है |
जीवन के हर क्षेत्र से जुड़ा ज्ञान का भण्डार संस्कृत भाषा और उसके साहित्य में है | चाहे वह विज्ञान हो या तंत्रज्ञान हो, कृषि हो या स्वास्थ्य हो, astronomy हो या architecture हो, गणित हो या management हो, अर्थशास्त्र की बात हो या पर्यावरण की हो, कहते हैं कि global warming की चुनौतियों से निपटने के मन्त्र हमारे वेदों में विस्तार से उल्लेख है | आप सबको जानकार हर्ष होगा कि कर्नाटक राज्य के शिवमोगा जिले के मट्टूर गाँव के निवासी आज भी बातचीत के लिए संस्कृत भाषा का ही प्रयोग करते हैं |
रक्षाबंधन के अलावा श्रावण पूर्णिमा के दिन संस्कृत दिवस भी मनाया जाता है। मैं उन सभी लोगों का अभिनन्दन करता हूं जो इस महान धरोहर को सहजने, संवारने और जन सामान्य तक पहुंचाने में लगे हैं : पीएम मोदी #MannKiBaat pic.twitter.com/l8FT9PesHx
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There is a strong link between knowledge and Sanskrit. #MannKiBaat pic.twitter.com/iuJzlloYWl
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आपको एक बात जानकर के आश्चर्य होगा कि संस्कृत एक ऐसी भाषा है, जिसमें अनंत शब्दों की निर्मिती संभव है | दो हज़ार धातु, 200 प्रत्यय, यानी suffix, 22 उपसर्ग, यानी prefix और समाज से अनगिनत शब्दों की रचना संभव है और इसलिए किसी भी सूक्ष्म से सूक्ष्म भाव या विषय को accurately describe किया जा सकता है और संस्कृत भाषा की एक विशेषता रही है, आज भी हम कभी अपनी बात को ताकतवर बनाने के लिए अंग्रेजी quotations का उपयोग करते हैं | कभी शेर-शायरी का उपयोग करते हैं लेकिन जो लोग संस्कृत शुभाषितों से परिचित हैं, उन्हें पता है कि बहुत ही कम शब्दों में इतना सटीक बयान संस्कृत शुभाषितों से होता है और दूसरा वो हमारी धरती से, हमारी परम्परा से जुड़े हुए होने के कारण समझना भी बहुत आसान होता है |
जैसे जीवन में गुरु का महत्व समझाने के लिए कहा गया है –
एकमपि अक्षरमस्तु, गुरुः शिष्यं प्रबोधयेत् |
पृथिव्यां नास्ति तद्-द्रव्यं, यद्-दत्त्वा ह्यनृणी भवेत् ||
अर्थात कोई गुरु अपने शिष्य को एक भी अक्षर का ज्ञान देता है तो पूरी पृथ्वी में ऐसी कोई वस्तु या धन नहीं, जिससे शिष्य अपने गुरु का वह ऋण उतार सके | आने वाले शिक्षक दिवस को हम सभी इसी भाव के साथ मनाएँ | ज्ञान और गुरु अतुल्य है, अमूल्य है, अनमोल है | माँ के अतिरिक्त शिक्षक ही होते हैं, जो बच्चों के विचारों को सही दिशा देने का दायित्व उठाते हैं और जिसका सर्वाधिक प्रभाव भी जीवन भर नज़र आता है | शिक्षक दिवस के मौक़े पर महान चिन्तक और देश के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को हम हमेशा याद करते हैं | उनकी जन्म जयन्ती को ही पूरा देश शिक्षक दिवस के रूप में मनाता है | मैं देश के सभी शिक्षकों को आने वाले शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ देता हूँ . साथ ही विज्ञान, शिक्षा और छात्रों के प्रति आपके समर्पण भाव का अभिनन्दन करता हूँ |
ज्ञान और गुरु अतुल्य है, अमूल्य है, अनमोल है। माँ के अतिरिक्त शिक्षक ही होते हैं जो बच्चों के विचारों को सही दिशा देने का दायित्व उठाते हैं और जिसका सर्वाधिक प्रभाव भी जीवन भर नज़र आता है : पीएम मोदी #MannKiBaat pic.twitter.com/jTONrLabQR
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Sanskrit Subhashitas help articulating things. Here is how a Guru has been described in Sanskrit.
I also convey greetings on Teacher’s Day: PM @narendramodi during #MannKiBaat pic.twitter.com/gPza5eIwsu
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मेरे प्यारे देशवासियो ! कठिन परिश्रम करने वाले यह हमारे किसानों के लिए मानसून नयी उम्मीदें लेकर आता है | भीषण गर्मी से झुलसते पेड़-पौधे, सूखे जलाशयोँ को राहत देता है लेकिन कभी-कभी यह अतिवृष्टि और विनाशकारी बाढ़ भी लाता है | प्रकृति की ऐसी स्थिति बनी है कि कुछ जगहों में दूसरी जगहों से ज्यादा बारिश हुई | अभी हम सब लोगों ने देखा | केरल में भीषण बाढ़ ने जन-जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है | आज इन कठिन परिस्थितियों में पूरा देश केरल के साथ खड़ा है | हमारी संवेदनाएँ उन परिवारों के साथ हैं, जिन्होंने अपनों को गँवाया है, जीवन की जो क्षति हुई है, उसकी भरपाई तो नहीं हो सकती लेकिन मैं शोक-संतप्त परिवारों को विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि सवा-सौ करोड़ भारतीय दुःख की इस घड़ी में आपके साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े हैं | मेरी प्रार्थना है कि जो लोग इस प्राकृतिक आपदा में घायल हुए हैं, वे जल्द से जल्द स्वस्थ जो जाएँ| मुझे पूरा विश्वास है कि राज्य के लोगों के जज़्बे और अदम्य साहस के बल पर केरल शीघ्र ही फिर से उठ खड़ा होगा |
आपदाएँ अपने पीछे जिस प्रकार की बर्बादी छोड़ जाती हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण हैं लेकिन आपदाओं के समय मानवता के भी दर्शन हमें देखने को मिलते हैं | कच्छ से कामरूप और कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर कोई अपने-अपने स्तर पर कुछ-न-कुछ कर रहा है ताकि जहाँ भी आपत्ति आई हो ; चाहे केरल हो या हिंदुस्तान के और ज़िले हों और इलाके हो, जन-जीवन फिर से सामान्य हो सके | सभी age group और हर कार्य क्षेत्र से जुड़े लोग अपना योगदान दे रहे हैं | हर कोई सुनिश्चित करने में लगा है कि केरल के लोगों की मुसीबत कम-से-कम की जा सके, उनके दुःख को हम बाँटें | हम सभी जानते हैं कि सशस्त्र बलों के जवान केरल में चल रहे बचाव कार्य के नायक हैं | उन्होंने बाढ़ में फँसे लोगों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी | Air force हो, Navy हो, Army हो, BSF, CISF, RAF, हर किसी ने राहत और बचाव अभियान में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है | मैं NDRF के जांबाजों के कठिन परिश्रम का भी विशेष उल्लेख करना चाहता हूँ | संकट के इस क्षण में उन्होंने बहुत ही उत्तम कार्य किया है |
कच्छ से कामरूप और कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर कोई अपने-अपने स्तर पर कुछ-न-कुछ कर रहा है ताकि जहाँ भी आपत्ति आई; चाहे केरल हो या हिन्दुस्तान के और जिले हों, वहां जन-जीवन फिर से सामान्य हो सके : पीएम मोदी #MannKiBaat pic.twitter.com/kFDcql0ldU
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India stands shoulder to shoulder with the people of Kerala in this hour of grief : PM Modi #MannKiBaat pic.twitter.com/4bsuQN8awm
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PM @narendramodi appreciates our forces and various teams that are working towards relief work in Kerala. #MannKiBaat pic.twitter.com/ZIRF0LHmQi
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NDRF की क्षमता उनके commitment और त्वरित निर्णय करके परिस्थिति को सँभालने का प्रयास हर हिन्दुस्तानी के लिए एक नया श्रद्धा का केंद्र बन गया है | कल ही ओणम का पर्व था, हम प्रार्थना करेंगे कि ओणम का पर्व देश को और ख़ासकर केरल को शक्ति दे ताकि वो इस आपदा से जल्द से जल्द उबरें और केरल की विकास यात्रा को अधिक गति मिले | एक बार फिर मैं सभी देशवासियों की ओर से केरल के लोगों को और देशभर के अन्य हिस्सों में जहाँ-जहाँ आपदा आई है, विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि पूरा देश संकट की इस घड़ी में उनके साथ है |
मेरे प्यारे देशवासियो ! इस बार मैं ‘मन की बात’ के लिए आये सुझावों को देख रहा था | तब देशभर के लोगों ने जिस विषय पर सबसे अधिक लिखा, वह विषय है – ‘हम सब के प्रिय श्रीमान् अटल बिहारी वाजपेयी’ | गाज़ियाबाद से कीर्ति, सोनीपत से स्वाति वत्स, केरल से भाई प्रवीण, पश्चिम बंगाल से डॉक्टर स्वप्न बैनर्जी, बिहार के कटिहार से अखिलेश पाण्डे, न जाने कितने अनगिनत लोगों ने Narendra Modi Mobile App पर और Mygov पर लिखकर मुझे अटल जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बात करने का आग्रह किया है | 16 अगस्त को जैसे ही देश और दुनिया ने अटल जी के निधन का समाचार सुना, हर कोई शोक में डूब गया | एक ऐसे राष्ट्र नेता, जिन्होंने 14 वर्ष पहले प्रधानमंत्री पद छोड़ दिया था | एक प्रकार से गत् 10 वर्ष से वे सक्रिय राजनीति से काफ़ी दूर चले गए थे | ख़बरों में कहीं दिखाई नहीं देते थे, सार्वजनिक रूप से नज़र नहीं आते थे |
16 अगस्त को जैसे ही देश और दुनिया ने अटल जी के निधन का समाचार सुना, हर कोई शोक में डूब गया था : पीएम मोदी #MannKiBaat pic.twitter.com/MrcoCeoCkj
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10 साल का अन्तराल बहुत बड़ा होता है लेकिन 16 अगस्त के बाद देश और दुनिया ने देखा कि हिन्दुस्तान के सामान्य मानवी (मानव) के मन में ये दस साल के कालखंड ने एक पल का भी अंतराल नहीं होने दिया | अटल जी के लिए जिस प्रकार का स्नेह, जो श्रद्धा और जो शोक की भावना पूरे देश में उमड़ पड़ी, वो उनके विशाल व्यक्तित्व को दर्शाती है | पिछले कई दिनों से अटल जी के उत्तम से उत्तम पहलू देश के सामने आ ही गए हैं | लोगों ने उन्हें उत्तम सांसद, संवेदनशील लेखक, श्रेष्ठ वक्ता, लोकप्रिय प्रधानमंत्री के रूप में याद किया है और करते हैं | सुशासन यानी good governance को मुख्य धारा में लाने के लिए यह देश सदा अटल जी का आभारी रहेगा लेकिन मैं आज अटल जी के विशाल व्यक्तित्व का एक और पहलू, उसे सिर्फ स्पर्श करना चाहता हूँ और यह अटल जी ने भारत को जो political culture दिया, political culture में जो बदलाव लाने का प्रयास किया, उसको व्यवस्था के ढांचे में ढालने का प्रयास किया और जिसके कारण भारत को बहुत लाभ हुआ हैं और आगे आने वाले दिनों में बहुत लाभ होने वाला है | ये भी पक्का है | भारत हमेशा 91वें संशोधन अधिनियम two thousand three के लिए अटल जी का कृतज्ञ रहेगा | इस बदलाव ने भारत की राजनीति में दो महत्वपूर्ण परिवर्तन किये |
पहला ये कि राज्यों में मंत्रिमंडल का आकार कुल विधानसभा सीटों के 15% तक सीमित किया गया |
दूसरा ये कि दल-बदल विरोधी क़ानून के तहत तय सीमा एक-तिहाई से बढ़ाकर दो-तिहाई कर दी गयी | इसके साथ ही दल-बदल करने वालों को अयोग्य ठहराने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश भी निर्धारित किये गए |
अटल जी के जिस प्रकार का स्नेह, जो श्रद्धा और शोक की भावना पूरे देश में उमड़ पड़ी, वो उनके विशाल व्यक्तित्व को दर्शाती है : पीएम मोदी #MannKiBaat pic.twitter.com/yKf5hbyZxW
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सुशासन यानी good governance को मुख्य धारा में लाने के लिए यह देश सदा अटल जी का आभारी रहेगा : पीएम मोदी #MannKiBaat pic.twitter.com/wWw8RVvMkf
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कई वर्षों तक भारत में भारी भरकम मंत्रिमंडल गठित करने की राजनीतिक संस्कृति ने ही बड़े-बड़े जम्बो मंत्रिमंडल कार्य के बँटवारे के लिए नहीं बल्कि राजनेताओं को खुश करने के लिए बनाए जाते थे | अटल जी ने इसे बदल दिया | उनके इस कदम से पैसों और संसाधनों की बचत हुई | इसके साथ ही कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी हुई | यह अटल जी जैसे दीर्घदृष्टा ही थे, जिन्होंने स्थिति को बदला और हमारी राजनीतिक संस्कृति में स्वस्थ परम्पराएं पनपी | अटल जी एक सच्चे देशभक्त थे | उनके कार्यकाल में ही बजट पेश करने के समय में परिवर्तन हुआ | पहले अंग्रेजों की परम्परा के अनुसार शाम को 5 बजे बजट प्रस्तुत किया जाता था क्योंकि उस समय लन्दन में पार्लियामेंट शुरू होने का समय होता था | वर्ष 2001 में अटल जी ने बजट पेश करने का समय शाम 5 बजे से बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया | ‘एक और आज़ादी’ अटल जी के कार्यकाल में ही Indian Flag Code बनाया गया और 2002 में इसे अधिकारित कर दिया गया | इस कोड में कई ऐसे नियम बनाए गए हैं, जिससे सार्वजनिक स्थलों पर तिरंगा फहराना संभव हुआ | इसी के चलते अधिक से अधिक भारतीयों को अपना राष्ट्रध्वज फहराने का अवसर मिल पाया | इस तरह से उन्होंने हमारे प्राणप्रिय तिरंगे को जनसामान्य के क़रीब लाया | आपने देखा ! किस तरह अटल जी ने देश में चाहे चुनाव प्रक्रिया हो और जनप्रतिनिधियों से सम्बंधित जो विकार आए थे, उनमें साहसिक कदम उठाकर बुनियादी सुधार किए | इसी तरह आजकल आप देख रहे हैं कि देश में एक साथ केंद्र और राज्यों के चुनाव कराने के विषय में चर्चा आगे बढ़ रही है | इस विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में लोग अपनी-अपनी बात रख रहे हैं | ये अच्छी बात है और लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत भी | मैं जरुर कहूँगा स्वस्थ लोकतंत्र के लिए, उत्तम लोकतंत्र के लिए अच्छी परम्पराएं विकसित करना, लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास करना, चर्चाओं को खुले मन से आगे बढ़ाना, यह भी अटल जी को एक उत्तम श्रद्धांजलि होगी | उनके समृद्ध और विकसित भारत के सपने को पूरा करने का संकल्प दोहराते हुए मैं हम सबकी ओर से अटल जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ |
अटल जी के कार्यकाल में ही देश को ‘Indian Flag Code’ के रूप में एक और आजादी मिली थी जिसके फलस्वरूप ही आज सार्वजानिक स्थलों पर तिरंगा फहराना संभव हुआ : पीएम मोदी #MannKiBaat pic.twitter.com/6MFT0xqerF
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अटल जी के समय में ही देश का बजट पेश करने के समय में परिवर्तन हुआ। पहले अंग्रेजों की परंपरा के अनुसार शाम को 5 बजे बजट प्रस्तुत किया जाता था क्योंकि उस समय लन्दन पार्लियामेंट शुरू होने का समय होता था। वर्ष 2001 में अटल जी ने बजट पेश करने का समय शाम 5 बजे से बदलकर सुबह 11 किया था। pic.twitter.com/fXG5pKxkeE
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मेरे प्यारे देशवासियों ! संसद की आजकल चर्चा जब होती है तो अक्सर रुकावट, हो-हल्ला और गतिरोध के विषय में ही होती है लेकिन यदि कुछ अच्छा होता है तो उसकी चर्चा इतनी नहीं होती | अभी कुछ दिन पहले ही संसद का मानसून सत्र समाप्त हुआ है | आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि लोकसभा की productivity 118% और राज्यसभा की 74% रही | दलहित से ऊपर उठकर सभी सांसदों ने मानसून सत्र को अधिक से अधिक उपयोगी बनाने का प्रयास किया और इसी का परिणाम है कि लोकसभा ने 21 विधेयक और राज्यसभा ने 14 विधेयकों को पारित किया | संसद का ये मानसून सत्र सामाजिक न्याय और युवाओं के कल्याण के सत्र के रूप में हमेशा याद किया जाएगा | इस सत्र में युवाओं और पिछड़े समुदायों को लाभ पहुँचाने वाले कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया गया | आप सबको पता है कि दशकों से SC/ST Commission की तरह ही OBC Commission बनाने की माँग चली आ रही थी | पिछड़े वर्ग के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए देश ने इस बार OBC आयोग बनाने का संकल्प पूरा किया और उसको एक संवैधानिक अधिकार भी दिया | यह कदम सामाजिक न्याय के उद्देश्य को आगे ले जाने वाला सिद्ध होगा | अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए संशोधन विधेयक को भी पास करने का काम इस सत्र में हुआ | यह कानून SC और ST समुदाय के हितों को और अधिक सुरक्षित करेगा | साथ ही यह अपराधियों को अत्याचार करने से रोकेगा और दलित समुदायों में विश्वास भरेगा |
देशवासियों को यह जानकार प्रसन्नता होगी कि लोकसभा की productivity 118% और राज्यसभा की 74% रही। दलहित से ऊपर उठकर सभी सांसदों ने मानसून सत्र को अधिक से अधिक उपयोगी बनाने का प्रयास किया जिसके परिणाम स्वरुप लोकसभा में 21 और राज्यसभा में 14 विधेयकों को पारित किया गया: पीएम #MannKiBaat pic.twitter.com/kNrPzxDpzt
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अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए संशोधन विधेयक को भी इस मानसून सत्र में पास करने का काम किया गया : पीएम मोदी #MannKiBaat pic.twitter.com/0yqSZdSXXX
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Fulfilling the aspirations of the OBC communities. #MannKiBaat pic.twitter.com/fIJaoqJpUg
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देश की नारी शक्ति के खिलाफ़ कोई भी सभ्य समाज किसी भी प्रकार के अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर सकता | बलात्कार के दोषियों को देश सहन करने के लिए तैयार नहीं है, इसलिए संसद ने आपराधिक कानून संशोधन विधेयक को पास कर कठोरतम सज़ा का प्रावधान किया है | दुष्कर्म के दोषियों को कम-से-कम 10 वर्ष की सज़ा होगी, वहीँ 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से रेप करने पर फाँसी की सज़ा होगी | कुछ दिन पहले आपने अख़बारों में पढ़ा होगा मध्य प्रदेश के मंदसौर में एक अदालत ने सिर्फ़ दो महीने की सुनवाई के बाद नाबालिग़ से रेप के दो दोषियों को फाँसी की सज़ा सुनाई है | इसके पहले मध्य प्रदेश के कटनी में एक अदालत ने सिर्फ़ पाँच दिन की सुनवाई के बाद दोषियों को फाँसी की सज़ा दी | राजस्थान ने भी वहाँ की अदालतों ने भी ऐसे ही त्वरित निर्णय किये हैं | यह कानून महिलाओं और बालिकाओं के खिलाफ़ अपराध के मामलों को रोकने में प्रभावी भूमिका निभायेगा | सामाजिक बदलाव के बिना आर्थिक प्रगति अधूरी है | लोकसभा में triple तलाक़ बिल को पारित कर दिया गया; हालाँकि राज्यसभा के इस सत्र में संभव नहीं हो पाया है | मैं मुस्लिम महिलाओं को विश्वास दिलाता हूँ कि पूरा देश उन्हें न्याय दिलाने के लिए पूरी ताक़त से साथ खड़ा है | जब हम देशहित में आगे बढ़ते हैं तो ग़रीबों, पिछड़ों, शोषितों और वंचितों के जीवन में बदलाव लाया जा सकता है | मानसून सत्र में इस बार सबने मिलकर एक आदर्श प्रस्तुत कर दिखाया है | मैं देश के सभी सांसदों को सार्वजनिक रूप से आज हृदय पूर्वक आभार व्यक्त करता हूँ |
देश की नारी शक्ति के खिलाफ कोई भी सभ्य समाज किसी भी प्रकार के अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर सकता। बलात्कार के दोषियों को देश सहन करने के लिए तैयार नहीं है, इसीलिए संसद ने आपराधिक कानून संशोधन विधेयक को पास कर कठोरतम सजा का प्रावधान किया है : पीएम मोदी #MannKiBaat pic.twitter.com/Iin4u2NITd
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मेरे प्यारे देशवासियो ! इन दिनों करोड़ों देशवासियों का ध्यान जकार्ता में हो रहे एशियन गेम्स पर लगा हुआ है | हर दिन सुबह लोग सबसे पहले अख़बारों में, टेलीविजन में, समाचारों पर, सोशल मीडिया पर नज़र डालते हैं और देखते हैं कि किस भारतीय खिलाड़ी ने मेडल जीता है | एशियन गेम्स अभी भी चल रहे हैं | मैं देश के लिए मेडल जीतने वाले सभी खिलाड़ियों को बधाई देना चाहता हूँ | उन खिलाड़ियों को भी मेरी बहुत-बहुत शुभकामना है, जिनकी स्पर्धाएँ अभी बाकी हैं | भारत के खिलाड़ी विशेषकर Shooting और Wrestling में तो उत्कृष्ट प्रदर्शन कर ही रहे हैं लेकिन हमारे खिलाड़ी उन खेलों में भी पदक ला रहे हैं, जिनमें पहले हमारा प्रदर्शन इतना अच्छा नहीं रहा है, जैसे Wushu और Rowing जैसे खेल- ये सिर्फ़ पदक नहीं हैं – प्रमाण हैं – भारतीय खेल और खिलाड़ियों के आसमान छूते हौसलों और सपनों का | देश के लिए मेडल जीतने वालों में बढ़ी संख्या में हमारी बेटियाँ शामिल हैं और ये बहुत ही सकारात्मक संकेत है – यहाँ तक कि मेडल जीतने वाले युवा खिलाड़ियों में 15-16 साल के हमारे युवा भी हैं | यह भी एक बहुत ही अच्छा संकेत है कि जिन खिलाड़ियों ने मेडल जीते हैं, उनमें से अधिकतर छोटे कस्बों और गाँव के रहने वाले हैं और इन लोगों ने कठिन परिश्रम से इस सफ़लता को अर्जित किया है |
We are proud of the medal winners in the 2018 Asian Games and wish those whose events are left the very best : PM @narendramodi #MannKiBaat pic.twitter.com/3iXYoCP8E8
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29 अगस्त को हम ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ मनायेंगे इस अवसर पर मैं सभी खेल प्रेमियों को शुभकामनाएँ देता हूँ, साथ ही हॉकी के जादूगर महान खिलाड़ी श्री ध्यानचंद जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ |
मैं देश के सभी नागरिकों से निवेदन करता हूँ कि वे ज़रूर खेलें और अपनी fitness का ध्यान रखें क्योंकि स्वस्थ भारत ही संपन्न और समृद्ध भारत का निर्माण करेगा | जब India fit होगा तभी भारत के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण होगा | एक बार फिर मैं एशियन गेम्स में पदक विजेताओं को बधाई देता हूँ साथ ही बाकी खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन की कामना करता हूँ | सभी को राष्ट्रीय खेल दिवस की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ |
मैं देश के सभी नागरिकों से निवेदन करता हूं कि वे जरुर खेले और अपनी फिटनेस का ध्यान रखें क्योकि स्वस्थ भारत ही संपन्न और समृद्ध भारत का निर्माण करेगा : पीएम मोदी #MannKiBaat pic.twitter.com/nyVAkbQXt2
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“प्रधानमंत्री जी नमस्कार ! मैं कानपुर से भावना त्रिपाठी एक इंजीनियरिंग की छात्रा बात कर रही हूँ | प्रधानमंत्री जी पिछले मन की बात में आपने कॉलेज जाने वाले छात्र – छात्राओं से बात की थी, और उससे पहले भी आपने डॉक्टरों से, चार्टेड एकाउंटेंट्स से उनसे बातें करीं | मेरी आपसे एक प्रार्थना है कि आने वाले 15 सितम्बर को जो कि एक Engineers Day के तौर पर मनाया जाता है, उस उपलक्ष्य में अगर आप हम जैसे इंजीनियरिंग के छात्र – छात्राओं से कुछ बातें करें, जिससे हम सबका मनोबल बढ़ेगा और हमें बहुत खुशी होगी और आगे आने वाले दिनों में हम अपने देश के लिए कुछ करने का हमें प्रोत्साहन भी मिलेगा, धन्यवाद |”
नमस्ते भावना जी, मैं आपकी भावना का आदर करता हूँ | हम सभी ने ईंट-पत्थरों से घरों और ईमारतों को बनते देखा है लेकिन क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि लगभग बारह-सौ साल पहले एक विशाल पहाड़ को जो कि सिर्फ single stone वाला पहाड़ था, उसे एक उत्कृष्ट, विशाल और अद्भुत मंदिर का स्वरूप दे दिया गया – शायद कल्पना करना मुश्किल हो, लेकिन ऐसा हुआ था और वो मंदिर है-महाराष्ट्र के एलोरा में स्थित कैलाशनाथ मंदिर | अगर कोई आपको बताए कि लगभग हज़ार वर्ष पूर्व granite का 60 मीटर से भी लम्बा एक स्तंभ बनाया गया और उसके शिखर पर granite का क़रीब 80 टन वज़निक एक शिलाखंड रखा गया – तो क्या आप विश्वास करेंगे ! लेकिन, तमिलनाडु के तंजावुर का बृहदेश्वर मंदिर वह स्थान है, जहाँ स्थापत्य कला और इंजीनियरिंग के इस अविश्वनीय मेल को देखा जा सकता है | गुजरात के पाटण में 11वीं शताब्दी की रानी की वाव देखकर हर कोई आश्चर्यचकित रह जाता है | भारत की भूमि इंजीनियरिंग की प्रयोगशाला रही है | भारत में कई ऐसे इंजीनियर हुये, जिन्होनें अकल्पनीय को कल्पनीय बनाया और इंजीनियरिंग की दुनिया में चमत्कार कहे जाने वाले उदाहरण प्रस्तुत किए हैं | महान इंजीनियर्स की हमारी विरासत में एक ऐसा रत्न भी हमें मिला, जिसके कार्य आज भी लोगों को अचम्भित कर रहे हैं और वह थे भारत रत्न डॉ. एम. विश्वेश्वरय्या (Dr. M. Vishveshwarya) | कावेरी नदी पर उनके बनाए कृष्णराज सागर बाँध से आज भी लाखों की संख्या में किसान और जन-सामान्य लाभान्वित हो रहे हैं | देश के उस हिस्से में तो वह पूज्यनीय है हीं, बाकी पूरा देश भी उन्हें बहुत ही सम्मान और आत्मीयता के साथ याद करता है |
उन्हीं की याद में 15 सितम्बर को Engineers Day के रूप में बनाया जाता है | उनके पद चिन्हों पर चलते हुए हमारे देश के इंजीनियर पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं | इंजीनियरिंग की दुनिया के चमत्कारों की बात जब मैं करता हूँ, तब मुझे आज 2001 में गुज़रात में कच्छ में जो भयंकर भूकंप आया था, तब की एक घटना याद आती है | उस समय मैं एक volunteer के रूप में वहाँ काम करता था तो मुझे एक गाँव में जाने का मौका मिला और वहाँ मुझे 100 साल से भी अधिक आयु की एक माँ से मिलने का मौका मिला और वह मेरी तरफ देखकर के हमारा उपहास कर रही थी, और वह कह रही थी, देखो यह मेरा मकान है – कच्छ में उसको भूंगा कहते हैं – बोली, इस मेरे मकान ने 3-3 भूकंप देखे हैं | मैनें स्वयं ने 3 भूकंप देखे हैं | इसी घर में देखे हैं | लेकिन कहीं पर आपको कोई भी नुकसान नज़र नहीं आया | ये घर हमारे पूर्वजों ने यहाँ की प्रकृति के अनुसार, यहाँ के वातावरण के अनुसार बनाए थे और यह बात वह इतने गर्व से कह रही थी तो मुझे यही विचार आया कि सदियों पहले भी हमारे उस कालखंड के इंजीनियरों ने स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार कैसी रचनाएं की थी कि जिसके कारण जन-सामान्य सुरक्षित रहता था | अब जब हम Engineers Day मनाते हैं तो हमें भविष्य के लिए भी सोचना चाहिए | स्थान-स्थान पर workshops करने चाहिए | बदले हुए युग में हमनें किन-किन नई चीज़ों को सीखना होगा ? सिखाना होगा ? जोड़ना होगा ? आजकल disaster management एक बहुत बड़ा काम हो गया है | प्राकृतिक आपदाओं से विश्व जूझ रहा है | ऐसे में structural engineering का नया रूप क्या हो ? उसके courses क्या हों ? students को क्या सिखाया जाए ? Construction निर्माण eco-friendly कैसे हो ? local materials का value addition कर के construction को कैसे आगे बढ़ाया जाए ? zero waste यह हमारी प्राथमिकता कैसे बने ? ऐसी अनेक बातें जब Engineers Day मनाते हैं तो ज़रूर हमने सोचनी चाहिए |
मेरे प्यारे देशवासियो ! उत्सवों का माहौल है और इसके साथ ही दीवाली की तैयारियाँ भी शुरू हो जाती हैं | ‘मन की बात’ में मिलते रहेंगे, मन की बातें करते रहेंगे और अपने मन से देश को आगे बढ़ाने में भी हम जुटते रहेंगे | इसी एक भावना के साथ आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ | धन्यवाद | फिर मिलेंगे