जम्मू-कश्मीर के विपक्षी दलों के एक संयुक्त शिष्टमंडल ने आज राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उन्हें जमीनी परिस्थितियों की जानकारी दी.इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि वे घाटी में व्याप्त अशांति से निपटने के लिए राजनीतिक रुख अपनाएं.
घाटी में पिछले 45 दिन से कर्फ्यू लगा हुआ है.वहां के मौजूदा हालात के मद्देनजर राज्य के सभी विपक्षी दल दलगत सीमाओं से परे जाकर एकजुट हुए हैं और उन्होंने केंद्र से अनुरोध किया है कि वह राज्य में सभी पक्षों के साथ राजनीतिक वार्ता की शुरुआत करें.
उमर के अलावा इस शिष्टमंडल में प्रदेश कांग्रेस का सात सदस्यीय दल और मुख्य विपक्ष नेशनल कांफ्रेंस का आठ सदस्यीय दल शामिल है.यह शिष्टमंडल राष्ट्रीय राजधानी में है और सरकार एवं विपक्ष के नेताओं से मुलाकात कर रहा है.शिष्टमंडल में कांग्रेस दल का नेतृत्व प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख जी ए मीर कर रहे हैं.नेशनल कॉन्फ्रेंस के दल में इसके प्रांतीय प्रमुख नसीर वानी और देविंदर राणा भी हैं.इनके अलावा माकपा के विधायक एम वाई तरीगामी भी इस शिष्टमंडल में शामिल हैं.
शिष्टमंडल ने घाटी में लोगों की मौतों पर नाराजगी और दुख प्रकट करते हुए और ‘‘हालात से निपटने में राजनीतिक रुख के अभाव पर निराशा जाहिर करते हुए’’ प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा.शिष्टमंडल ने प्रधानमंत्री को बताया कि कश्मीर में राजनीतिक समस्या का निपटान राजनीतिक तरीके से करने के बजाय पहले भी आजमाए जा चुके प्रशासनिक तरीकों से करने के कारण स्थिति और अधिक बिगड़ी है और ‘‘इसके कारण असंतोष और मोहभंग की अभूतपूर्व अनुभूति पैदा हुई है’’.यह भावना विशेष तौर पर युवाओं में पनपी है.