प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लाओस के प्रधानमंत्री थोंगलोउन सिसोउलिथ के साथ द्विपक्षीय वार्ता में दक्षिण चीन सागर के मुद्दे समेत विभिन्न क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की.
विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि दोनों पक्षों ने दक्षिण चीन सागर पर एक ही नजरिया सामने रखा. आसियान-भारत सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने समुद्री मार्गों को ‘वैश्विक व्यापार की जीवन रेखाएं’ बताते हुए कहा कि समुद्रों की सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी है.
उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र के समुद्री कानून समझौते (यूएनसीएलओएस) के अनुरूप नौवहन की स्वतंत्रता का समर्थन करता है.
भारत की ओर से ये टिप्पणियां चीन द्वारा विवादित दक्षिण चीन सागर में अपनी दबंगई दिखाए जाने और ‘उभरती क्षेत्रीय चुनौतियों’ के बीच की गई हैं. दक्षिण चीन सागर के क्षेत्र पर स्वामित्व को लेकर बीजिंग का फिलीपीन, वियतनाम, ताइवान, मलेशिया और ब्रुनेई के साथ विवाद चल रहा है. दक्षिण चीन सागर एक व्यस्त जलमार्ग है, और भारत का 50 प्रतिशत व्यापार इसी मार्ग से होता है
इससे पहले चीन ने भारत के ओएनजीसी (ऑयल एंड नेचुरल गैस कमीशन) द्वारा वियतनाम के निमंत्रण पर दक्षिण चीन सागर में खनन शुरू करने पर भी आपत्ति जताई थी. माना जाता है कि दक्षिण चीन सागर की गहराईयों में तेल एवं गैस का बड़ा संग्रह मौजूद है.