मोदी सरकार ब्लैक मनी पर बड़े एक्शन की तैयारी कर रही है। ये एक्शन बजट में हो सकता है। सरकार ब्लैक मनी पर शिकंजा कसने के लिए नकदी रखने की सीमा तय कर सकती है। इसके अलावा और कदम भी सामने आ सकते हैं। तय सीमा से ज्यादा रकम रखने पर पाबंदी जैसी व्यवस्था यूरोप के कई देशों में है। नकदी लाने-जाने पर भी पाबंदी संभव है। शाह कमेटी की 10-15 लाख रुपये की अधिकतम सीमा की सिफारिश है। हालांकि वित्त मंत्रालय इस सीमा को बढ़ाने के पक्ष में है। माना जा रहा है कि कारोबारियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सीमा तय होगी।
बजट में स्कूल, कॉलेजों में नकद डोनेशन पर पाबंदी लग सकती है और डोनेशन अकाउंट पेई चेक से देना जरूरी हो सकता है। जस्टिस शाह ने अपनी रिपोर्ट में ये सिफारिश की हैं। सूत्रों के मुताबिक बजट में जस्टिस शाह कमेटी की कई सिफारिशें स्वीकार की जा सकती हैं। हालांकि बजट में धार्मिक और दूसरे संस्थानों को दान पर सख्ती की संभावना कम ही है।
काला धन रोकने की समय-समय पर सरकार कोशिश करती रही है। लेकिन अभी तक बहुत ही मामूली सफलता उसे हाथ लगी है। सरकार ने काले धन पर रोक लगाने के लिए ब्लैक मनी बिल पास कराया और इससे जुड़े अलग-अलग कानून बनाए तो लगा कि वाकई अब काले धन का धंधा मंदा पड़ने वाला है लेकिन ऐसा हुआ नहीं। एक रिपोर्ट के मुताबिक एक साल में 12 हजार करोड़ रुपये के काले धन का लेनदेन सिर्फ डोनेशन के तौर पर होता है। ये डोनेशन एमबीबीएस या अन्य पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन को लेकर ज्यादा होता है लेकिन प्रोफेशनल कोर्स चलाने वाले संस्थानों का राजनीति से इतना गहरा रिश्ता होता है कि कोई इस पर शिकंजा कसने को तैयार नहीं होता।