सरकारी विभागों से करप्शन को कम करने के लिए मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार अफसरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार के लिए सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रही है। सरकार ने निर्णय लिया है कि भ्रष्टाचार के मामले में दोषी या आरोपी अधिकारियों को पासपोर्ट नहीं दिया जाएगा या रोक दिया जाएगा।
खबर के अनुसार, यदि किसी अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में कोई जांच चल रही है या वह दोषी पाया गया है, अथवा उसके खिलाफ इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज की गई है, तो उसे पासपोर्ट नहीं दिया जाएगा। सरकार ने पासपोर्ट के लिए जो संशोधित गाइडलाइन जारी किया है उसके मुताबिक ऐसे अधिकारियों को पासपोर्ट जारी करने के लिए सतर्कता मंजूरी नहीं दी जाएगी।
उस अधिकारी के खिलाफ भी सतर्कता मंजूरी रोकी जा सकती है, जिस पर किसी मामले में संदेह हो, जिसके खिलाफ चार्जशीट जारी तो हो गया हो, लेकिन अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित हो।
गौरतलब है कि किसी अधिकारी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला चल रहा हो तो उसका पासपोर्ट रोक देने का नियम पहले से है, लेकिन अब भ्रष्टाचार के मामले में भी ऐसा किया जा रहा है।
नए नियम में कहा गया है कि यदि किसी अधिकारी के खिलाफ कोई निजी एफआईआर दर्ज किया गया है तो किसी सक्षम एजेंसी द्वारा चार्जशीट दाखिल हुआ हो तो ही उसे पासपोर्ट देने से इंकार किया जाएगा।
कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी नए नियमों से सिर्फ उन्हीं अधिकारियों को छूट मिल सकती है, जिनको खुद के या अपने करीबी परिजन के मेडिकल इमरजेंसी के लिए विदेश जाने की सख्त जरूरत हो।