आज Saturday है, सरकार का स्वभाव छुट्टी का होता है और 6 बजने का बाद तो सवाल ही नहीं उठता है। अगर कोई आपको पूछे कि फर्क क्या है, तो फर्क यही है। मैं भी कभी सोचता हूं कि मुझे भी आप जैसी कोई ताकत दी होती। जब रितेश को सुन रहा था तो मुझे विचार आ रहा था कि एक चाय बेचने वाले ने Hotel Chain का विचार क्यों नहीं किया लेकिन हो सकता है कि मेरे नसीब में, नरेंद्र मोदी चाय बेचने वाला कुछ कर पाए या न कर पाए लेकिन देश के करोड़ों नौजवान कुछ कर पाएं ये उम्मीद तो मेरे दिल में भरी हुई है। जब मैंने 15 अगस्त को लालकिले से कहा Start-Up India, Stand-Up India तो ऐसे ही हवा के झोंके की तरह बात आई और चली गई, कहीं Registry नहीं हुई लेकिन आज शायद सौ, सवा सौ दिन के बाद अब ये Register होगी कि Start-Up India है क्या.
Seeing is believing आज देशभर के IIT’s में नौजवान आपको देख रहे हैं। देश के कई स्थानों पर युवा सुबह से इस कार्यक्रम को, वे भी आपके साथ हिस्सेदार है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि सरकार ये करेगी तो ये होगा, सरकार ये करेगी तो ये होगा। मेरी सोच थोड़ी अलग है। मेरी सोच है कि सरकार ये न करेगी तो इतना सारा होगा और इसलिए आज आप सबको इसलिए आपको इकट्ठा किया है कि आप हमें बताइए कि क्या-क्या नहीं करना है। 70 साल तक बहुत कुछ किया हमने और हम कहां पहुंचे और मैं कहता हूं कि एक बार हम न करने का निर्णय करें तो ये लोग 10 साल में देश को कहां से कहां पहुंचा सकते हैं। देश के हर इंसान के दिल में एक ख्वाब होता है, उस ख्वाब के साथ उसके दिल में कुछ विचार भी होता है, ideas भी होते हैं। कुछ लोगों को ideas हर दिन होते हैं और शाम होते-होते बाल मृत्यु हो जाता है। लेकिन कुछ लोग होते हैं जो ideas के साथ involve हो जाते हैं, वो उससे बाहर नहीं निकलते हैं और पूरा परिवार परेशान हो जाता है कि ये कुछ करता नहीं है, बस इसी में लगा रहता है, किसी से बात नहीं करता है, यार-दोस्तों से नहीं मिल रहा है, क्या हो गया है इसको, कहीं पागल तो नहीं हो गया है लेकिन वही एक दिन कुछ कमाल करके दिखा देता है। तब पूरे परिवार को लगता है नहीं-नहीं साहब इसमें तो पहले से ही ऐसा था। आपके सबके जीवन में से एक अनुभव आया होगा। जो सर्वनाश आपने सुना किसी मां ने कहा हो या न कहो लेकिन कम-अधिक मात्रा में सबको अनुभव आया ही होगा क्योंकि ज्यादातर ये first generation entrepreneur है whole Start-Up और जब कुछ सोचोगे तो नहीं बेटे, अपना काम नहीं तू कहीं नौकरी कर ले। शुरू में जब दोस्तों ने सुना होगा बहुत मजाक उड़ाया होगा, उपहास किया होगा, जाते-आते आपको उसी नाम से सुनाते होंगे, ये कुछ करने वाला है, ये कुछ करने वाला है फिर एक पल आया होगा सारी ओर विरोध हुआ होगा, सब दूर, परिवार के लोगों ने विरोध किया होगा, ये नहीं करना है, जाओ, कमाओ, नौकरी कर लो, देखो उसका पहचान है, वो नेताजी को जानते हैं, जाओ उसको मिल लो। उस विरोध के बावजूद भी जो टिके होंगे, आज सब लोग कहते होंगे यार, इसने तो कमाल कर दिया, कुछ ऐसा मुझे भी करना है। हर किसी के Start-Up की जिंदगी की यही कहानी है। एक भीतर से ऊर्जा होती है , भीतर से सपने होते हैं, भीतर से उसके साथ खप जाने का इरादा होता है तब जाकर के परिस्थितयां पलटती हैं और दुनिया में हर किसी ने यही किया होगा। कभी आज हम सोचें कि उन्होंने 1423, I think 1423 है, कोलंबस जब निकला होगा क्या मिलने वाला था लेकिन उसको लगा होगा कोई एक नया route मुझको खोजना है, विश्व को मुझे जोड़ना है और वो चल पड़ा, चलने से पहले उसने ढेर सारी चीजों का अध्ययन किया होगा। Technology develop की होगी और नया एक spice route दुनिया को दिया होगा। आज, आज जो space में काम कर रहे हैं, शुरू जब हुआ होगा तो लोग मजाक उड़ाते होंगे, यार ये क्या कर रहे हैं। हर चीज की कहीं शुरूआत होती है तो जो करता है, उसी को दिखता है, क्या होने वाला है औरों को वही दिखता है कि ये पागल है और इसलिए जिन्हों।ने यह सफलता पाई है, वे सिर्फ entrepreneur नहीं है। एक प्रकार से adventure उनकी प्रकृति का हिस्साल है तब जाकर के होता है। Start-up की success सिर्फ entrepreneurship की quality से नहीं है। risk taking capacity, adventure करने का इरादा ये उसके साथ जुड़ता है और तब जाकर के हम दुनिया को कुछ दे सकते हैं।