Exit Poll के नतीजों पर भले ही लोगों में मत-भिन्नता हो लेकिन इस बार के पोल से एक खास चीज यह उभर कर आई है कि लगभग सभी ने एक सुर में यह माना है कि यूपी समेत अधिकांश जगहों पर बीजेपी ही सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर आएगी. विशेष रूप से यूपी में यदि ऐसा होता है तो यह अपने आप में बड़ी बात इस मायने में होगी क्योंकि एक तो यूपी के सियासी बियाबान में पिछले 14 साल से भटक रही बीजेपी एक बार फिर सत्ता में लौटेगी. दूसरी बड़ी बात यह है कि पिछले दिनों सत्तारूढ़ सपा परिवार के कलह में हुई घमासान के बाद जिस तरह ब्रांड अखिलेश उभर कर के सामने आए उससे अक्टूबर-नवंबर के महीने में जो भी ओपिनियन पोल आए उसमें अखिलेश सबसे पसंदीदा नेता बनकर उभरे. उसके बाद कांग्रेस के साथ गठबंधन को उनका ‘मास्टर स्ट्रोक’ करार दिया गया. उधर बीजेपी ने कोई अपना मुख्यमंत्री घोषित नहीं किया था. टिकट बंटवारे को लेकर भी सबसे ज्यादा पार्टी में असंतोष दिखा और चुनाव शुरू होने से ऐन पहले यह माना जाने लगा कि अखिलेश सबसे पर भारी पड़ सकते हैं.
लेकिन यूपी चुनाव शुरू होने के साथ पूरा माहौल बदलना शुरू हो गया. चुनाव प्रचार का जिम्मा उन्होंने खुद उठाया. रिकॉर्डतोड़ रैलियां करनी शुरू कर दीं और अपने तरकश से नित नए तीर निकालकर विरोधियों पर हमले करने लगे. विपक्षी पीएम नरेंद्र मोदी की गति, ऊर्जा को देखकर हैरान रह गए. दरअसल सपा और बसपा को लगता था कि संभवतया बिहार से सबक लेते हुए बीजेपी शायद यूपी में उनको उस तरह से प्रचार के लिए नहीं उतारे लेकिन विरोधियों को हैरान करते हुए पीएम मोदी ने चुनावी कमान को पूरी से अपने हाथों में ले लिया और नेतृत्व करने लगे. देखते ही देखते तीसरे चरण के चुनाव से माहौल बदलने लगा और अंतिम चरण से पहले तो पूर्वांचल की धुरी बनारस में तीन दिन तक रोड शो और रैलियां कर उन्होंने विरोधियों को हांफने पर मजबूर कर दिया.
ऐसे में यदि बीजेपी जीतती है या सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती है तो उसका पूरा श्रेय पार्टी को नहीं बल्कि पीएम मोदी को जाएगा. जिस तरह से उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के साथ इस बार का यूपी चुनाव लड़ा है, उससे मीडिया में भी यह कहा जाने लगा कि ऐसा लग रहा है कि यह भारतीय राजनीति का अंतिम चुनाव है. ऐसा चुनाव प्रदेश की राजनीति में पहले कभी नहीं लड़ा गया. इस लिहाज से 11 तारीख को नतीजे आने के बाद भी इस चुनाव में मोदी के अनोखे अंदाज को लंबे समय तक सियासी बिसात पर याद रखा जाएगा.
दरअसल पीएम मोदी के बारे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वह पूरी तरह से जन भावना को समझते हैं और उसके अनुरूप ही फैसले लेते हैं. इसके चलते जनता के जेहन में इस दौर में वह पूरी तरह से हावी हो चुके हैं. शायद यही कारण है कि नोटबंदी जैसे सख्त फैसले लेने के बाद भी लोगों का अपार समर्थन उनको हासिल हो जाता है और सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक जैसे फैसले लेकर जनता का दिल जीत लेते हैं.