NSG मामले पर पीएम मोदी ने खासी कोशिश की, रुस से लेकर यूएस तक फोन किए गए मदद के लिए. मैक्सिकों ने अपना वादा निभाया तो वहीं चीन ने वैसा ही किया जैसी उम्मीद थी. सिय़ोल में हुई बैठक के साथ चीन के साथ कुछ और देशों ने भारत की सदस्यता का विरोध किया और भारत का सपना टूट गया.
लेकिन अब एक बार फिर से NSG में जाने की उम्मीद जगी है. मिसाइल टेक्नॉलोजी कंट्रोल रिजीम में भारत की एंट्री से एक ऐसा ही मौका मिला है. दरअसल चीन MTCR ग्रुप का सदस्य है नहीं. भारत ने इस ग्रुप में आवेदन किया था. जिसे स्वीकार किया जा चुका है जिससे भारत के लिए ग्रुप में रास्ता खुल गया है. ऐसे में चीन को इसकी सदस्यता के लिए भारत की ओर देखना होगा.
ये हालात बिल्कुल वैसे ही होंगे जैसे NSG के लिए भारत के थे. जिस तरीके से भारत चीन के रोड़े से परेशान था ठीक उसी तरह चीन को अब भारत के असहमति से परेशान हो सकती है. ऐसे में कूटनीति के हिसाब से देखे तो भारत अब चीन से सौदेबाजी कर सकता है कि भारत चीन के लिए MTCR में जगह बनाएगा तो चीन को भारत के लिए NSG में जगह बनानी होगी.
हालांकि ये जितना कहना या पढ़ना आसान है, वास्तिवकता में उससे बिल्कुल अलग है, लेकिन एक संभावना के तौर पर देखें तो ऐसा सोचना बिल्कुल गलत नहीं होगा. क्योकि चीन को MTCR में सदस्यता की दरकार है. दरअसल चीन ने इस ग्रुप की सदस्यता के लिए 2004 में कोशिश की थी.