प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इण्डिया प्रोग्राम के तहत भारतीय रेलवे नये-नये आयाम पा रहा है जहाँ अब सिर्फ तीन प्रतिशत पुर्जे ही आयात किए जा रहे हैं। वहीं लोको पायलट को सहूलियत के लिए बायो टायलेट व एसी चेम्बर वाले इंजनों का भी निर्माण किया जा रहा है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए वाराणसी स्थित डीएलडब्लू ने रिमोट से चलने वाला इंजन बनाया है, इस इंजन में लोको पायलट नहीं होगा। इससे न केवल संसाधनों की बचत होगी बल्कि लम्बी दूरी तक चलाए जाने वाली गुड्स ट्रेनों का संचालन आसान हो जाएगा।
3 किलोमीटर लम्बी गुड्स ट्रेन के एक ही इंजन में होगा लोको पायलट
रेलवे ने एक और नई खास तकनीक ईजाद की है। इस तकनीक से भारतीय रेलवे का काम और आसान होगा | इस खास तकनीक में जिन ट्रेनों में तीन इंजन लगाने पड़ते थे और अलग-अलग टीम काम करती थी, उनमें अब आगे चलने वाले इंजन में ही पायलट होंगे। । यह तकनीक तीन किलोमीटर लंबी ट्रेनों में इस्तेमाल होने वाले संसाधनों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। यह तकनीक फिलहाल उन गुड ट्रेनों के लिए है जिनकी लंबाई तीन किलोमीटर की होती है। इसका ढाई किलोमीटर लंबी गुड्स ट्रेन में ट्रॉयल भी किया जा चुका है।
डीएलडब्लू ने रचा इतिहास
वाराणसी स्थित डीजल लोकोमोटिव वर्क्स ने हर दिन एक से ज्यादा रेल इंजन बनाकर इतिहास रच दिया है । डीएलडब्लू ने गत वर्ष 2015-16 में लक्ष्य के सापेक्ष 330 रेल इंजनों का प्रोडक्शन किया था जो 24 प्रतिशत अधिक है। रेलवे द्वारा यात्रियों की सुविधा व प्रोडक्शन क्षेत्र में प्रोत्साहन के लिए आयोजित हमसफर सप्ताह के अंतिम दिन संचार दिवस के मौके पर बुधवार को डीएलडब्लू के जनरल मेनेजर अशोक कुमार हरित ने डीएलडब्लू के पिछले दो वर्षों का लेखा-जोखा और विकास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डीएलडब्लू के लिए पिछले दो वर्ष 2014-15 व 2015-16 काफी अच्छा रहा जिसमें प्रोडक्शन बढ़ाने के साथ डीएलडब्लू के एक्सपेंशन का काम भी शुरू हुआ।
उन्होंने बताया कि डीएलडब्लू में प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया व डिजीटल इंडिया पर काफी जोर दिया जा रहा है। वहीं रेल मंत्रालय व रेलवे बोर्ड द्वारा डीएलडब्लू को अगले तीन सालों का भी लक्ष्य तय कर दिया गया है इसमें अगले तीन साल में डीएलडब्लू को हर साल 320 रेल इंजनों का प्रोडक्शन करना है। महाप्रबंधक ने बताया कि डीएलडब्लू के विस्तारीकरण योजना पर काम चल रहा है। 394 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना का उद्धघाटन दिसंबर 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस परियोजना को दो फेज में पूरा किया जाना है।