पिछले कुछ सालों से भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो अनंत अंतरिक्ष में अपनी कामयाबी के परचम लहरा रहा है। इस दौरान किये गए ज़बरदस्त कार्यों से इसरो ने विश्व के अग्रणी देशों के अंतरिक्ष एजेंसियों को पीछे छोड़ दिया है। चंद्रयान हो या मंगलयान या फिर पिछले साल एक ही प्रक्षेपण में एक साथ 103 सेटेलाइट अंतरिक्ष में भेजने का कारनामा करना हो, इसरो ने हर बार अपनी महत्ता विश्व पटल पर साबित की है और भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी देश बना दिया है। इसी कड़ी में इसरो ने बुधवार को एक और सफलता हासिल करते हुए GSAT-7A के प्रक्षेपण में सफलता प्राप्त की है।
बुधवार की शाम को जब घड़ी में 4 बजकर 10 मिनट हुए तब आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSAT-7A को सफलता पूर्वक लॉन्च कर दिया गया। बता दें की यह इसरो द्वारा किया गया इस साल का 17वां मिशन है जिसे भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने सफल बनाया है। GSAT-7A नाम के इस 2250 किलोग्राम वजनी सेटेलाइट को जीएसएलवी-एफ11 रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजा गया है। इस सैटलाइट की लागत 500-800 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इसमें 4 सोलर पैनल लगाए गए हैं, जिनके जरिए यह अपने लिए करीब 3.3 किलोवॉट बिजली पैदा कर पायेगा और अगले आठ साल तक चलेगा।
#WATCH: Communication satellite GSAT-7A on-board GSLV-F11 launched at Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota. pic.twitter.com/suR92wNBAL
— ANI (@ANI) December 19, 2018
इस सेटेलाइट को पूरी तरह से इसरो के वैज्ञानिकों ने बनाया है और यह अपनी सेवायें लगातार आठ सालों तक देता रहेगा। यह सैटेलाइट भारतीय क्षेत्र में केयू-बैंड के उपभोक्ताओं को संचार संबंधित क्षमताएं मुहैया कराने का कार्य करेगा। इसके माध्यम से खास कर के वायुसेना को अपना संपर्क और बेहतर बनाने में सहायता मिलेगी। यह सैटेलाइट वायुसेना के विमान, हवा में मौजूद अर्ली वार्निंग कंट्रोल प्लेटफॉर्म, ड्रोन तथा ग्राउंड स्टेशनों को आपस में जोड़ने में मदद करेगा। इस सेटेलाइट के माध्यम से एक सेंट्रलाइज्ड नेटवर्क तैयार हो जाएगा जो कनेक्शन स्थापित करने में मदद करेगा।
इसी महीने 14 दिन पहले 5 दिसंबर को इसरो का बनाया गया सबसे भारी (5854 किलोग्राम) उपग्रह जीसैट-11 फ्रेंच गुयाना से लॉन्च किया गया था। यह 16 गीगाबाइट प्रति सेकंड की रफ्तार से डेटा भेजने में मददगार है। इसके अलावा अगले महीने बहुप्रतीक्षित चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग प्रस्तावित है। चंद्रयान-2 को 31 जनवरी 2019 को लॉन्च किया जाना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के द्वारा किये जा रहे कार्यों को हमेशा प्रोत्साहित किया है और बढ़ावा दिया है। ये सही है की इसरो की सफलता के पीछे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत है पर 2014 में पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद से जिस प्रकार से इसरो को प्रोत्साहन मिला है उससे इसरो विश्व पटल पर लगातार सफलता के झंडे लहरा रहा है। ये पीएम मोदी का सपना है की भारत 2022 तक अंतरिक्ष में इंसान भेजे और मोदी जी के इस सपने को पूरा करने में इसरो के सभी वैज्ञानिक लगे हुए हैं।
बहरहाल आज लांच किये गए सेटेलाइट के प्रक्षेपण के बाद इसरो के चेयरमैन डॉक्टर सिवन ने सभी वैज्ञानिकों को बधाइयाँ देते हुए बताया की यह ख़ुशी की बात है की इस साल इसरो ने 17 सफल प्रक्षेपण किये हैं और अगले साल हम इससे भी दो कदम आगे बढ़ेंगे और 32 प्रक्षेपण करेंगे। इसरो के चेयरमैन डॉक्टर सीवन की ये बातें बताती हैं की इसरो आत्मविश्वास से लबरेज है और आने वाले सालों में अपनी सफलता को और बढ़ाने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ है।