भारत में मोबाइल हैंडसेट मैन्यूफैकचरिंग से देश ने 3 लाख करोड़ रुपये की बचत की है। पिछले चार वर्षों में भारत में हो रही मोबाइल हैंडसेट्स की असेंबलिंग और मैन्युफैक्चरिंग ने पूरी तरह से बिल्ट यूनिट्स के आयात को खत्म कर दिया है। इसका सीधा मतलब यह है कि जिन बिल्ट यूनिट्स को पहले दूसरे देशों से आयात किया जाता था उन्हें अब भारत में ही असेंबल किया जा रहा है। इस बात की जानकारी इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) ने दी है। आपको बता दें कि भारत में मोबाइल हैंडसेट्स की असेंबलिंग और मैन्युफैक्चरिंग मेक इन इंडिया के तहत होती है।
2018-19 में भारत में करीब 29 करोड़ मोबाइल फोन का होगा उत्पादन:
ICEA की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2017-18 में भारत में 22.5 करोड़ मोबाइल हैंडसेट्स का उत्पादन किया गया। यह आंकड़ा भारत के बाजार की जरुरत का करीब 80 फीसद है। साथ ही ICEA ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2018-19 में लोकल मोबाइल हैंडसेट मैन्युफैक्चरिंग से करीब 1,65,000 करोड़ रुपये वैल्यू के मोबाइल फोन बनाए जाएंगे। ऐसे में इस अवधि में करीब 29 करोड़ हैंडसेट बनेंगे।
भारत सरकार की मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया पहल ने आज भारत में टेक्नोलॉजी और टेलिकॉम इंडस्ट्री में विकास के नए रास्ते खोल दिए हैं। पिछले 4 साल में ही भारत के मोबाइल हैंडसेट और कंपोनेंट मैन्युफैक्चिरंग इंडस्ट्री में 120 नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगी हैं। यहां से कई राज्यों के 4.5 लाख लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।
मेक इन इंडिया के तहत मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में पिछले तीन साल में ही जिस तरह का उछाल आया है वैसा पहले कभी नहीं देखा गया था। भारत साल 2014-15 तक कुल डिमांड का 80 फीसद तक हैंडसेट दूसरे देशों से आयात करता था। लेकिन मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में लगातार कोशिशों का नतीजा यह है कि आज चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल हैंडसेट निर्माता देश बन गया है।
मोबाइल फोन के आयात में आएगी तेज गिरावट:
ICEA के मुताबिक, वर्ष 2018-19 की पहली दो तिमाही में घरेलू स्तर पर बनाए जाने वाले हैंडेसेट्स की कुल कीमत करीब 75,000 करोड़ रुपये होगी। इसके अलावा हैंडसेट का टर्नओवर वॉल्यूम करीब 13 करोड़ यूनिट रहने का अनुमान है। ICEA के चेयरमैन और नेशनल प्रेसिडेंट पंकज मोहिंद्रू ने कहा है, “ज्यादातर ग्लोबल हैंडसेट ब्रांड्स और कंपनियों की नजर भारत पर है, जो कि दुनिया का सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाला स्मार्टफोन मार्केट है. भारत ने पिछले साल अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है और यह चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन मार्केट बन गया है।” रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल के आयात में तेज गिरावट आ सकती है।