अगर कोई ऐसा कानून बन जाए, जिससे बैंकों में रखे आपके पैसे पर आपका अधिकार ही न हो तो क्या होगा। ऐसा ही एक बिल है FRDI बिल, इसके लागू होने से बैंक में जमा पैसे पर आपका हक खत्म हो सकता है। लेकिन, अब मोदी सरकार ने इस बिल को खारिज कर दिया है। इससे आपका पैसा बैंकों में सुरक्षित रहेगा और उस पर हक भी आपका ही रहेगा। दरअसल, मोदी सरकार के एक विशेष कानून में बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। अब पैसा ज्यादा सुरक्षित होगा क्योंकि, सरकार बैंक में जमा आपके पैसों की गारंटर है। कानून के तहत बैंक और सरकार दोनों ही आपके पैसों की सुरक्षा के लिए बाध्य हैं।
दरअसल, सरकार ने फाइनेंशियल रेजोल्युशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस (FRDI) बिल-2017 को टालने का फैसला किया है। यह वही बिल है जिसे लेकर पिछले दिनों कई तरह की खबरें मीडिया में थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर यह बिल पास हो जाता तो सरकार की बैंकों के गैरंटर के तौर पर जिम्मेदारी पूरी तरह से खत्म हो जाती। आपको बता दें कि इस बिल से बैंकों की फाइनेंशियल हालत खराब होने पर उन्हें पैसा लौटाने से इनकार करने का अधिकार मिल जाता। साथ ही, बैंक इसके बदले शेयर और बॉन्ड ऑफर कर सकते थे।
मौजूदा समय में बैंकों में जमा पर सुरक्षा डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कार्पोरेशन (DICGC) की तरफ से उपलब्ध कराई जाती है। बैंकों के मामले में DICGC एक कस्टमर के अधिकतम सिर्फ 1 लाख रुपए की ही गारंटी देता है, यह नियम बैंकों की हर ब्रांच के लिए लागू है।
बैंक में किसी भी अकाउंट होल्डर की सिर्फ 1 लाख रुपए की जमा ही सुरक्षित होती है। इसमें मूलधन और ब्याज दोनों को शामिल किया जाता है। इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि अगर आपका मूलधन और ब्याज जोड़कर 1 लाख रुपए है तब तो रकम सुरक्षित है, लेकिन अगर सिर्फ मूलधन 1 लाख रुपए या ज्यादा है तो यह सुरक्षित नहीं है।
अगर आप अपने पैसे को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो बैंक में जमा कराने से पहले तय करें कि कितना अमाउंट आपको जमा कराना है। क्योंकि, 1 लाख से ऊपर होने पर आपका पैसा सुरक्षित नहीं रहता। मसलन, अगर आप अपना सुरक्षित रखना चाहते हैं तो अलग-अलग बैंकों में पैसा रखना चाहिए। किसी एक बैंक में 1 लाख रुपए से ज्यादा अमाउंट न रखें। हर अकाउंट में 90 हजार या 99 हजार तक निवेश करने का फायदा यह है कि आपकी पूरी रकम सुरक्षित रहेगी।
सरकार ने यह बिल बैंकों के डिफॉल्ट करने की स्थिति से निपटने के लिए तैयार किया था। इसके तहत जब बैंक डिफॉल्ट कर जाता तो उस स्थिति में बैंक में जमा पैसे पर आपसे से ज्यादा बैंक का अधिकार हो जाता है। वह अपनी स्थिति सुधरने तक आपके पैसे लौटाने से इनकार कर सकता था। साथ ही पैसों के बदले आपको बॉन्ड, सिक्योरिटीज और शेयर दे दे। बिल में ‘बेल इन’ का प्रस्ताव दिया गया था. बेल-इन का मतलब है कि अपने नुकसान की भरपाई कर्जदारों और जमाकर्ताओं के पैसे से की जाए। बिल में बेल-इन से बैंकों को भी यह अधिकार मिल जाता।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया है। क्योंकि, देशभर में बिल के प्रति लोगों में गलतफहमी फैल रही थी। लोगों को ऐसा लग रहा था कि बिल पास होकर अगर कानून बनता है, तो बैंकों के डिफॉल्ट करने पर उनका जमा पैसा भी डूब जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, बिल को लेकर बैंक यूनियनों और पीएसयू बीमा कंपनियों ने विरोध किया था।