प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को बरेली में किसानों की एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि वह आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर यानी 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करना चाहते हैं। उन्होंने किसानों की एक सभा में अपने शासनकाल के दौरान किसानों के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताया।
‘किसानों को भगवान के बाद सरकार से ही उम्मीदें’
पीएम मोदी ने कहा कि अधिकतर सरकारें चुनाव नजदीक आने पर किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाओं और प्रोत्साहनों की घोषणा करती हैं, लेकिन उनकी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ऐसा नहीं करती है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘किसानों को भगवान के बाद सरकार से ही उम्मीदें होती हैं और यह हमारी जिम्मेदारी है कि उनका ध्यान रखें।’ उन्होंने कहा, मैं सभी राज्य सरकारों से अनुरोध करता हूं कि वे अपनी कार्य योजनाएं तैयार करें और मुझे भरोसा है कि हमारा और आपका सपना पूरा होगा।’
खेती के साथ-साथ पशुपालन पर भी जोर
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘खेती के साथ-साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन पर जोर देना होगा। पहले खेती के लिए पंजाब और हरियाणा का नाम आता था, लेकिन बाद में मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार आने के बाद खेती पर काम शुरू हुआ। किसानों के लिए योजनाएं बनाई गईं।’ उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश का नाम खेती के लिए काफी पीछे थे, लेकिन अब यह प्रदेश खेती के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ता जा रहा है। वहां के किसान कृषि में काफी आगे हो गए हैं।
पीएम मोदी ने अपना सपना साझा करते हुए कहा कि 2022 में जब भारत आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहा होगा, उस समय तक किसानों की आय दोगुनी हो जानी चाहिए। उन्होंने इसके बाद किसानों से पूछा कि क्या उनका सपना पूरा होगा। मोदी ने कहा कि यह लक्ष्य कठिन नहीं है।
लक्षण कठिन, लेकिन असंभव नहीं
पीएम मोदी ने कहा कि किसानों के सामने चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन इनके साथ आगे बढ़ना असंभव नहीं। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों को अवसर में बदला जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘किसानों के सामने चुनौतियां हैं। परिवार बढ़ रहा है, जमीन के टुकड़े हो रहे हैं। परिवार के सदस्यों के हिस्से में बहुत ही कम जमीन आ रही है। ऐसे में किसान की पैदावार भी घट रही है।’ उन्होंने कहा कि जमीन कम होती है तो पैदावार भी घटती है। ऐसे में किसान देश का पेट कैसे भरेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनौतियों को अवसर में तब्दील किया जा सकता है। अगर किसान और राज्य सरकारें साथ दें तो इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है।