गणतंत्र दिवस के 70 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि जब देश में एक साथ दस देशों के प्रतिनिधियों को विशिष्ठ अतिथि बनाया गया। इस गणतंत्र दिवस के मौके पर सभी आसियान देशों के 27 अखबारों में 10 भाषाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लेख प्रकाशित किया गया है।
विदेशी अखबारों में इस मौके को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चौथाई दुनिया की दोस्ती बताया है। इसके साथ ही लेख में पीएम मोदी ने भारत और आसियान देशों की दोस्ती को बेहद खास और महत्वपूर्व बताया है। इस बात की जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल में ट्वीट कर दी है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि 69वां गणतंत्र दिवस यादगार मौका रहा।
इस दौरान सभी देशों की साझा संस्कृति और सभ्यतागत संबंधों के जरिए विकसित दोस्ती का असाधारण रूप दिखाई दिया। बताते चलें कि अपने लेख में पीएम ने एक साथ दस देशों के राष्ट्राध्यक्षों का गणतंत्र दिवस के मौके पर आना देश के लिए सम्मान की बात कही है।
पीएम मोदी के इस लेख का शीर्षक ‘साझा मूल्य, एक मंजिल’ था। इसमें पीएम ने लिखा कि आसियान देशों के साथ साझेदारी भले ही 25 साल पुरानी है, लेकिन भारत के दक्षिणपूर्व एशिया के साथ संबंध दो सदी से ज्यादा पुराने हैं। म्यांमार टाइम्स, वियतनाम न्यूज, जकार्ता पोस्ट, पोस्ट टुडे, बिजनस टाइम्स, तमिल मुरासू और द स्टार जैसे अखबारों में पीएम मोदी के इस लेख को छापा गया है।
27 newspapers in 10 languages in 10 ASEAN countries! Op-Ed by PM @narendramodi on the historic occasion of 69th Republic Day & Asean-India Commemorative Summit. Exceptional gesture of friendship nurtured by shared culture & civilizational linkages! List at https://t.co/gzhB5n1lIf pic.twitter.com/A4rpI0caZS
— Raveesh Kumar (@MEAIndia) January 26, 2018
गौरतलब है कि गुरुवार यानी 25 जनवरी को पीएम मोदी ने चीन को कड़ा संदेश देते हुए आसियान देशों के साथ दक्षिण चीन सागर विवाद पर आपस में प्रभावी तालमेल के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया साथ ही सभी देशों ने संवेदनशील समुद्री गलियारे में सागर सुरक्षा और नौपरिवहन की आजादी पर जोर दिया।
भारत ने अपनी शक्ति और विश्व में अपनी हैसियत का नजारा तब भी दिखाया था जब पिछले साल पाक में होने जा रहे सार्क सम्मेलन का ऐसा बहिष्कार कि एक – एक कर सभी सार्क देशों ने इसका बहिष्कार किया और आखिरकार पाक सम्मेलन नहीं कर सका था। अब बारी चीन को सबक सिखाने की है।