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Pm narendra modi ne statue of unity ka kiya udghatan

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन कर पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ये न्यू इंडिया की अभिव्यक्ति

देश को एक सूत्र में बांधने वाले आजाद भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की आज 143वीं जयंती है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को देश को समर्पित किया। सरदार पटेल की इस मूर्ति की ऊंचाई 182 मीटर है, जो दुनिया में सबसे ऊंची है।

मूर्ति का अनावरण होने के बाद वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने यहां फ्लाईपास्ट किया, इसके अलावा मिग हेलिकॉप्टरों के द्वारा मूर्ति पर फूल भी बरसाए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मूर्ति के पास पहुंच कर यहां पूजा-अर्चना की।


सरदार पटेल की इस मूर्ति के अलावा आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वैली ऑफ फ्लोवर्स’, टेंट सिटी का भी उद्घाटन किया। इस दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत कई बड़े नेता भी मौजूद।

मूर्ति का अनावरण करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज पूरा देश राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहा है। किसी भी देश के इतिहास में ऐसे अवसर आते हैं, जब वो पूर्णता का अहसास कराते हैं। आज वही पल है जो देश के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो जाता है, जिसे मिटा पाना मुश्किल है।

PM मोदी ने कहा कि हम आजादी के इतने साल तक एक अधूरापन लेकर चल रहे थे, लेकिन आज भारत के वर्तमान ने सरदार के विराट व्यक्तित्व को उजागर करने का काम किया है। आज जब धरती से लेकर आसमान तक सरदार साहब का अभिषेक हो रहा है, तो ये काम भविष्य के लिए प्रेरणा का आधार है।


उन्होंने कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे सरदार साहब की इस विशाल प्रतिमा को देश को समर्पित करने का अवसर किया है। जब मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर इसकी कल्पना की थी, तो कभी अहसास नहीं था कि प्रधानमंत्री के तौर पर मुझे ये पुण्य काम करने का मौका मिलेगा। इस काम में जो गुजरात की जनता ने मेरा साथ दिया है, उसके लिए मैं बहुत आभारी हूं।


कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं जिस मिट्टी में पला बढ़ा, जिनके बीच में मैं बढ़ा हुआ उन्होंने ने ही मुझे सम्मान पत्र दिया। ये वैसा ही जैसे कोई मां अपने बेटे की सिर पर हाथ रखती है। उन्होंने कहा कि मुझे लोहा अभियान के दौरान मिले, लोहे का पहला टुकड़ा भी दिया गया है। हमने इस अभियान में लोगों से मिट्टी भी मांगी थी। देश के लाखों किसानों ने खुद आगे बढ़कर इस शुभ काम के लिए लोहा और मिट्टी दी।

पहाड़ को तराशकर मूर्ति बनाना चाहता था

प्रधानमंत्री बोले कि आज मुझे वो पुराने दिन याद आ रहे हैं, जी भरकर बहुत कुछ कहने का मन भी कर रहा है। किसानों ने इन प्रतिमा के निर्माण को आंदोलन बना दिया। जब मैंने ये विचार आगे रखा था, तो शंकाओं का वातावरण बना था। जब ये कल्पना मन में चल रही थी, तब मैं सोच रहा था कि यहां कोई ऐसा पहाड़ मिल जाए जिसे तराशकर मूर्ति बना दी जाए। लेकिन वो संभव नहीं हो पाया, फिर इस रूप की कल्पना की गई।

सिर्फ सरदार में दिखती थी आशा

उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने उस समय खंडित पड़े देश को एक सूत्र में बांधा, तब मां भारती 550 से अधिक विरासतों में बंटी हुई थी। दुनिया में भारत के भविष्य के प्रति बहुत निराशा था, तब भी कई निराशावादी थे। उन्हें लगता था कि भारत अपनी विविधताओं की वजह से बिखर जाएगा। तब सभी को सिर्फ एक ही किरण दिखती थी, ये किरण थी सरदार वल्लभभाई पटेल।

सभी रजवाड़ों को एक साथ लाए थे पटेल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 5 जुलाई 1947 में रियासतों को कहा था कि विदेशी आक्रांताओं के सामने हमारे आपसी झगड़े, आपसी दुश्मनी, बैर का भाव हमारी हार की बड़ी वजह थी। अब हमें इस गलती को नहीं दोहराना है और ना ही किसी का गुलाम होना है। देखते ही देखते भारत एक हो गया, सरदार साहब के कहने पर सभी रजवाड़े एक साथ आए।

उन्होंने कहा कि मेरा एक सपना भी है, इसी स्थान के साथ जोड़कर सभी रजवाड़ों का एक वर्चुअल म्यूज़ियम तैयार हो। वरना आज तो कोई तहसील का अध्यक्ष भी अपना पद नहीं छोड़ सकता है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल में कौटिल्य की कूटनीति और शिवाजी के शौर्य का समावेश था।

..तो सोमनाथ मंदिर के लिए लेना पड़ता वीज़ा

पीएम मोदी ने कहा कि चाहे जितना दबाव, मतभेद क्यों ही ना हो लेकिन प्रशासन में गवर्नेंस को किस तरह स्थापित किया जाता है, ये सरदार साहब ने करके दिखाया है। अगर सरदार साहब ने संकल्प नहीं किया होता तो आज गिर के शेर को देखने के लिए और शिवभक्तों के लिए सोमनाथ की पूजा करने के लिए, हैदराबाद में चारमिनार को देखने के लिए वीजा लेना पड़ता।

उन्होंने कहा कि अगर सरदार साहब ना होते तो सिविल सेवा जैसा प्रशासनिक ढांचा खड़ा करने में हमें बहुत मुश्किल होती। सरदार के संकल्प से ही कश्मीर से कन्याकुमारी तक ट्रेन चल पाती है। प्रधानमंत्री बोले कि ये प्रतिमा भारत के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों को ये याद दिलाने के लिए है कि ये राष्ट्र शाश्वत था, शाश्वत है और शाश्वत रहेगा।

सरदार को मिला हक का सम्मान

PM मोदी ने कहा कि इस प्रतिमा के निर्माण से जुड़े सभी मजदूरों, शिल्पकारों का मैं धन्यवाद देता हूं। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जो लोग इस काम से जुड़े हैं, वह भी इतिहास का हिस्सा बन गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि 31 अक्टूबर, 2010 को मैंने इसका विचार दुनिया के सामने रखा था, करोड़ों भारतीयों की तरह मेरे मन में एक ही भावना था कि जिस महापुरुष ने देश को एक करने के लिए इतना बड़ा काम किया उसे वो सम्मान मिलना चाहिए जिसका वो हकदार है।

आदिवासियों को मिलेगा रोजगार

PM मोदी बोले कि इस प्रतिमा के निर्माण से आदिवासियों को रोजगार मिलेगा, यहां अब टूरिस्ट आएंगे तो गरीबों के लिए रोजगार लाएंगे। आज का सहकार आंदोलन जो देश के अनेक गांवों की अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार बन चुका है, ये सरदार साहब की ही देन है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी हमारे देश की इंजीनियरिंग और तकनीक के सामर्थ्य का उदाहरण है, यहां एक एकता नर्सरी भी बननी चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यहां के चावल से बने ऊना मांडा, तहला मांडा, ढोकला मांडा यहां आने वाले पर्यटकों को पसंद आएंगे। सरदार साहब के दर्शन करने आने वाले टूरिस्ट सरदार सरोवर डैम, सतपुड़ा और विंध्य के पर्वतों के दर्शन भी कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि ये मूर्ति न्यू इंडिया की अभिव्यक्ति है।

हमारी मुहिम को राजनीति के चश्मे से देख रहे हैं लोग

पीएम मोदी बोले कि देश में कुछ लोग हमारी इस मुहिम को राजनीति के चश्मे से देख रहे हैं, देश के सपूतों की प्रशंसा करने के लिए हमारी आलोचना की जाती है। जैसे हमने कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया हो, हमारी कोशिश है कि भारत के हर राज्य को सरदार पटेल के विजन को आगे बढ़ाने में कोशिश करनी चाहिए।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बारे में खास बातें।।।

मूर्ति की लंबाई 182 मीटर है और यह इतनी बड़ी है कि इसे 7 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है। बता दें कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ ऊंचाई में अमेरिका के ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ (93 मीटर) से दोगुना है।

इस मूर्ति में दो लिफ्ट भी लगी है, जिनके माध्यम से आप सरदार पटेल की छाती पहुंचेंगे और वहां से आप सरदार सरोवर बांध का नजारा देख सकेंगे और खूबसूरत वादियों का मजा ले सकेंगे। सरदार की मूर्ति तक पहुंचने के लिए पर्यटकों के लिए पुल और बोट की व्यवस्था की जाएगी।

आपको बता दें, यह स्टैच्यू 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी स्थिर खड़ा रहेगा। यह 6।5 तीव्रता के भूकंप को भी सह सकता है। इस मूर्ति के निर्माण में भारतीय मजदूरों के साथ 200 चीन के कर्मचारियों ने भी हाथ बंटाया है। इन लोगों ने सितंबर 2017 से ही दो से तीन महीनों तक अलग-अलग बैचों में काम किया।

बता दें, इसके लिए मूर्ति के 3 किलोमीटर की दूरी पर एक टेंट सिटी भी बनाई गई है। जो 52 कमरों का श्रेष्ठ भारत भवन 3 स्टार होटल है। जहां आप रात भर रुक भी सकते हैं। वहीं स्टैच्यू के नीचे एक म्यूजियम भी तैयार किया गया है, जहां पर सरदार पटेल की स्मृति से जुड़ी कई चीजें रखी जाएंगी।

Sankalp shakti wale gatisheel sardar Patel pm narendra modi ka lekh

संकल्प शक्ति वाले गतिशील सरदार पटेल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लेख

वर्ष 1947 के पहले छह महीने भारत के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण थे। साम्राज्यवादी शासन के साथ-साथ भारत का विभाजन भी अपने अंतिम चरण में था। तब यह तस्वीर पूरी तरह से साफ नहीं थी कि क्या देश का एक से अधिक बार विभाजन होगा? कीमतें आसमान पर पहुंच गई थीं, खाद्य पदार्थों की कमी आम बात थी। लेकिन सबसे बड़ी चिंता भारत की एकता को लेकर थी।

इस पृष्ठभूमि में ‘गृह विभाग’ का गठन वर्ष 1947 के जून महीने में किया गया। इस विभाग का प्रमुख लक्ष्य उन 550 से भी अधिक रियासतों से भारत के साथ उनके रिश्तों के बारे में बातचीत करना था, जिनके आकार, आबादी, भू-भाग अथवा आर्थिक स्थितियों में काफी भिन्नताएं थीं। उस समय महात्मा गांधी ने कहा था कि ‘राज्यों की समस्या इतनी ज्यादा विकट है कि सिर्फ ‘आप’ ही इसे सुलझा सकते हैं।’ यहां पर ‘आप’ से आशय सरदार वल्लभभाई पटेल से है, जिनकी जयंती आज हम मना रहे हैं।

समय कम था और जवाबदेही बहुत बड़ी थी। लेकिन इसे अंजाम देने वाली शख्सियत कोई साधारण व्यक्ति नहीं, बल्कि सरदार पटेल थे, जो इस बात के लिए दृढ़-प्रतिज्ञ थे कि वह किसी भी सूरत में राष्ट्र को झुकने नहीं देंगे। उन्होंने और उनकी टीम ने एक-एक करके सभी रियासतों से बातचीत की। सभी रियासतों को ‘आजाद भारत’ का अभिन्न हिस्सा बनाना सुनिश्चित किया। उनकी बदौलत ही आधुनिक भारत का वर्तमान एकीकृत मानचित्र हम देख रहे हैं।

कहा जाता है कि वीपी मेनन ने स्वतंत्रता मिलने पर सरकारी सेवा से अवकाश लेने की इच्छा व्यक्त की। इस पर सरदार पटेल ने उनसे कहा कि समय आराम करने या सेवा निवृत्त होने का नहीं है। मेनन विदेश विभाग के सचिव बनाए गए। उन्होंने अपनी पुस्तक द स्टोरी ऑफ द इंटीग्रेशन ऑफ इंडियन स्टेट्स में लिखा है कि किस तरह सरदार पटेल ने इस मुहिम में अग्रणी भूमिका निभाई और अपने नेतृत्व में पूरी टीम को परिश्रम से काम करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने लिखा है कि सरदार पटेल के लिए सबसे पहले भारत की जनता के हित थे, जिस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

हमने 15 अगस्त, 1947 को नए भारत के उदय का उत्सव मनाया। लेकिन राष्ट्र निर्माण का कार्य अधूरा था। स्वतंत्र भारत के प्रथम गृह मंत्री के रूप में उन्होंने प्रशासनिक ढांचा बनाने का काम प्रारंभ किया, जो आज भी जारी है- चाहे यह दैनिक शासन संचालन का मामला हो तथा लोगों, विशेषकर गरीबों और वंचितों के हितों की रक्षा का मामला हो।

सरदार पटेल एक अनुभवी प्रशासक थे। प्रशासन में उनका अनुभव विशेषकर 1920 के दशक में अहमदाबाद नगरपालिका में उनकी सेवा का अनुभव, स्वतंत्र भारत के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत बनाने में सहायक साबित हुआ। उन्होंने अहमदाबाद में स्वच्छता कार्य को आगे बढ़ाने में सराहनीय कार्य किए। उन्होंने पूरे शहर में स्वच्छता और जल निकासी प्रणाली सुनिश्चित की। उन्होंने सड़क, बिजली तथा शिक्षा जैसी शहरी अवसंरचना के अन्य पहलुओं पर भी जोर दिया। आज यदि भारत जीवंत सहकारिता क्षेत्र के लिए जाना जाता है, तो इसका श्रेय सरदार पटेल को जाता है। ग्रामीण समुदायों, विशेषकर महिलाओं को सशक्त बनाने का उनका विजन अमूल परियोजना में दिखता है। यह सरदार पटेल ही थे, जिन्होंने सहकारी आवास सोसायटी के विचार को लोकप्रिय बनाया और इस प्रकार अनेक लोगों के लिए सम्मान और आश्रय सुनिश्चित किया।

सरदार पटेल निष्ठा और ईमानदारी के पर्याय रहे। भारत के किसानों की उनमें प्रगाढ़ आस्था थी। वह किसान पुत्र थे, जिन्होंने बारदोली सत्याग्रह के दौरान अगली कतार से नेतृत्व किया। श्रमिक वर्ग उनमें आशा की किरण देखता था, एक ऐसा नेता देखता था, जो उनके लिए बोलेगा। व्यापारी और उद्योगपतियों ने उनके साथ इसलिए काम करना पसंद किया, क्योंकि वे समझते थे कि सरदार पटेल भारत के आर्थिक और औद्योगिक विकास के विजन वाले दिग्गज नेता हैं।

उनके राजनीतिक मित्र भी उन पर भरोसा करते थे। आचार्य कृपलानी का कहना था कि जब कभी वह किसी दुविधा में होते और यदि बापू का मार्गदर्शन नहीं मिल पाता था, तो वह सरदार पटेल का रुख करते थे। साल 1947 में जब राजनीतिक समझौते के बारे में विचार-विमर्श अपने चरम पर था, तब सरोजिनी नायडू ने उन्हें ‘संकल्प शक्ति वाले गतिशील व्यक्ति’ की संज्ञा दी थी। उनके शब्दों और उनकी कार्य-प्रणाली पर सभी को पूरा विश्वास था।

इस वर्ष सरदार की जयंती और अधिक विशेष है। 130 करोड़ भारतीयों के आशीर्वाद से आज ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का उद्घाटन किया जा रहा है। नर्मदा के तट पर स्थित ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमाओं में से एक है। धरती पुत्र सरदार पटेल हमारा सिर गर्व से ऊंचा करने के साथ हमें दृढ़ता
प्रदान करेंगे, हमारा मार्गदर्शन करेंगे और हमें प्रेरणा देते रहेंगे। मैं 31 अक्तूबर, 2013 के उस दिन को याद करता हूं, जब हमने इस महत्वाकांक्षी परियोजना की आधारशिला रखी थी। रिकॉर्ड समय में इतनी बड़ी एक परियोजना तैयार हो गई और प्रत्येक भारतीय को इससे गौरवान्वित होना चाहिए। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि आने वाले समय में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को देखने आएं। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ दिलों की एकता और हमारी मातृभूमि की भौगोलिक एकजुटता का प्रतीक है। यह याद दिलाता है कि आपस में बंटकर शायद हम डटकर मुकाबला नहीं कर पाएं। एकजुट रहकर हम दुनिया का सामना कर सकते हैं और विकास तथा गौरव की नई ऊंचाइयों को छू सकते हैं।

सरदार पटेल ने उपनिवेशवाद के इतिहास को ढहाने के लिए अभूतपूर्व गति से काम किया और राष्ट्रवाद की भावना के साथ एकता के भूगोल की रचना की। उन्होंने भारत को छोटे क्षेत्रों अथवा राज्यों में विभाजित होने से बचाया और राष्ट्रीय ढांचे में सबसे कमजोर हिस्सों को जोड़ा। आज हम 130 करोड़ भारतीय नए भारत का निर्माण करने के लिए कंधे के कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं, जो मजबूत, समृद्ध और समग्र होगा।
हर फैसला यह सुनिश्चित करके किया जा रहा है कि विकास का लाभ भ्रष्टाचार अथवा पक्षपात के बिना समाज के सबसे कमजोर वर्ग तक पहुंचे, जैसा कि सरदार वल्लभभाई पटेल चाहते थे।

Pm narendra modi ko milega is saal ka Seoul peace prize Award

प्रधानमंत्री मोदी को मिलेगा इस साल का सियोल पीस प्राइज़, अवॉर्ड पाने वाले पहले भारतीय

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को सियोल शांति पुरस्कार 2018 के लिए चुना गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सियोल पीस प्राइज पाने वाले 14वें व्यक्ति होंगे। यह सम्‍मान उन्‍हें अंतरराष्‍ट्रीय सहयोग, वैश्विक आर्थिक प्रगति और भारत के लोगों के मानवीय विकास को तेज करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाने पर दिया जा रहा है। सियोल पीस प्राइज कल्‍चरल फाउंडेशन के चेयरमैन ने इसकी घोषणा की है।

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पुरस्कार समिति ने भारतीय और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के विकास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान को सराहा है। अमीरों और गरीबों के बीच सामाजिक और आर्थिक असमानता को कम करने के लिए मोदिनॉमिक्स को भी श्रेय दिया है।


समिति ने पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी और अन्य प्रयासों के जरिए भ्रष्टाचार पर काबू रखने और एक साफ सुथरी सरकार चलाने के लिए सराहना की है। बयान में कहा गया है कि मोदी ने दुनियाभर के देशों के साथ एक सक्रिय विदेशी नीति के माध्यम से क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए काम किया है।

इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए अपना आभार व्यक्त करते हुए और दक्षिण कोरिया के साथ भारत की मजबूत साझेदारी को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी ने पुरस्कार को स्वीकार कर लिया है। सियोल पीस प्राइज फाउंडेशन जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह पुरस्कार सौंपेगा।

सन 1990 में सियोल में आयोजित 24वें ओलंपिक खेलों की सफलता का जश्न मनाने के लिए सियोल पीस प्राइज की स्थापना की गई थी। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के पूर्व अध्यक्ष जुआन एंटोनियो समरंच को सबसे पहले इस सम्मान से नवाजा गया था। इस सम्मान को प्राप्त करने वालों में संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल शामिल हैं।

Pm modi ne kaha Fourth Industrial Revolution se badal jaayegi rojgaar ki prakrati

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, चौथी औद्योगिक क्रांति से बदल जाएगी रोजगार की प्रकृति, बढ़ेंगे अवसर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को प्रौद्योगिकी विकास से रोजगार घटने की आशंका को दरकिनार करते हुए कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति से रोजगार की प्रकृति बदल जाएगी और इससे रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे।

पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के ‘सेंटर फोर दी फोर्थ इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन’ की शुरुआत के मौके पर कहा कि उनकी सरकार चौथी औद्योगिक क्रांति के फायदों का लाभ उठाने के लिए नीतिगत बदलाव को तैयार है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी विविधता, हमारी जनसांख्यिकीय क्षमता, तेजी से बढ़ता बाजार का आकार और डिजिटल संरचना में देश को शोध तथा क्रियान्वयन का वैश्विक केंद्र बनाने की संभावना व्याप्त है।’’


उन्होंने कहा कि पिछली औद्योगिक क्रांतियों से भारत को अलग-थलग रखा गया लेकिन चौथी औद्योगिक क्रांति में देश का योगदान शानदार रहेगा। मोदी ने कहा, ‘‘जब पहली और दूसरी औद्योगिक क्रांति हुई तब भारत आजाद नहीं था। जब तीसरी औद्योगिक क्रांति हुई तब भारत तुरंत मिली आजादी के समक्ष खड़ी चुनौतियों से जूझ रहा था।’’ उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन और बिग डेटा में देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता है।

मोदी ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि दूरसंचार की पहुंच का घनत्व 93 प्रतिशत हो गया है और अब करीब 50 करोड़ भारतीयों के हाथों में मोबाइल है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व में सबसे अधिक मोबाइल इंटरनेट उपभोग करने वाला देश है और दरें भी सबसे कम हैं। उन्होंने कहा कि मोबाइल डेटा उपभोग पिछले चार साल में 30 गुणा बढ़ा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 120 करोड़ से अधिक भारतीयों के पास आधार है। उन्होंने कहा कि सभी ढाई लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने का काम जल्दी ही पूरा कर लिया जाएगा। 2014 में सिर्फ 59 पंचायत ऑप्टिकल फाइबर से जुड़े थे जबकि अभी एक लाख पंचायत इससे जुड़े हुए हैं।

Pm narendra modi ne sir choturam ki pratima ka anavaran kiya

पीएम मोदी ने सर छोटूराम की प्रतिमा का किया अनावरण, कहा- वह किसानों, मजदूरों, वंचितों की आवाज़ थे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के रोहतक में जिले में किसान नेता सर छोटू राम की 64 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। पीएम मोदी ने कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे किसानों की आवाज, किसानों के मसीहा चौधरी छोटू राम जी की इतनी भव्य और विशाल प्रतिमा का अनावरण करने का मौका मिला। इसी महीने 31 अक्टूबर को सरदार बल्लभ भाई पटेल की दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा के अनावरण करने का मौका भी मिलेगा। पीएम ने कहा कि मैं हरियाणा, राजस्थान और पंजाब के साथ-साथ पूरे देश के सभी जागरूक नागरिकों को बधाई देता हूं। हमारे देश में समय-समय पर ऐसी महान विभूतियां जन्म लेती रही हैं। कितनी ही गरीबों हो, आभाव हो, कितनी ही मुश्किलें हो, संघर्ष हो, ऐसे व्यक्ति समाज को मजबूत करते रहे हैं। ये हम सभी के लिए गौरव की बात है कि हरियाणा की धरती पर चौधरी छोटूराम जी का जन्म हुआ है। छोटू राम जी देश के उन समाज सुधारकों में से एक थे, जिन्होंने भारत के निर्माण में अहम भूमिक निभाई।


पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज सर छोटू राम जी की आत्मा जहां कही भी होगी यह देखकर खुश हो रही होगी कि आज ही के दिन सोनीपत में रेल कोच कारखाने का शिलान्यास भी हुआ है। करीब-करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से इस कारखाने का निर्माण किया जाएगा। पीएम मोदी ने कहा कि इस रेल कोच फैक्ट्री में हर साल पैसेंजर ट्रेन के ढाई सौ डिब्बों की मरम्मत और उन्हें आधुनिक बनाने का काम किया जाएगा। इस कोच फैक्ट्री के बनने के बाद यात्री डिब्बों के रखरखाव के लिए डिब्बों को अब दूर की फैक्ट्रियों में भेजने की मजबूरी समाप्त हो जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये कारखाना सिर्फ सोनीपत ही नहीं, बल्कि हरियाणा के औद्योगिक विकास को बढ़ाने में मदद करेगा। कोच की मरम्मत के लिए जो भी सामान की आवश्यकता होगी, उसकी पूर्ति से यहां के छोटे उद्यमियों को भी बड़ा लाभ होगा।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि छोटू राम जी की इसी दूर-दृष्टि को देखते हुए चक्रवर्ती राजगोपालाचारी जी ने कहा था कि ‘चौधरी छोटू राम जी न सिर्फ ऊंचे लक्ष्य तय करना जानते हैं बल्कि उन लक्ष्यों को हासिल कैसे किया जाए इसका मार्ग भी उन्हें अच्छी तरह पता था। उन्होंने कहा कि भाखड़ा बांध की असली सोच चौधरी साहब की ही थी। इस बांध का पंजाब-हरियाणा-राजस्थान के लोगों को, किसानों को, जो लाभ आज भी मिल रहा है, वो हम सभी देख रहे हैं। सोचिए, कितना बड़ा विजन था उनका, कितनी दूरदृष्टि थी उनकी।

Un ne pm narendra modi ko ChampionsOfTheEarth ke khitaab se sammanit kiya

संयुक्‍त राष्‍ट्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ’ के खिताब से किया सम्मानितपर्यावरण में बदलाव लाने के लिए लोगों को किया प्रोत्साहित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज चैंपियंस ऑफ द अर्थ के पुरस्कार से नवाजा गया है। राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पुरस्कार से नवाजा। चैंपियंस ऑफ द अर्थ के पुरस्कार से नवाजे जाने के बाद पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चैंपियंस ऑफ द अर्थ का सम्मान पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भारत की जनता की प्रतिबद्धता का परिणाम है।


पीएम मोदी के संबोधन की कुछ खास बातें…

ये भारत की उस महान नारी का सम्मान है, जिसके लिए सदियों से रेस्क्यू और रिसाइकल रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा रहा है।

जो पौधे में भी परमात्मा का रूप देखती है।जो तुलसी की पत्तियां भी तोड़ती है, तो गिनकर। जो चींटी को भी अन्न देना पुण्य मानती है।


ये भारत के आदिवासी भाई-बहनों का सम्मान है, जो अपने जीवन से ज्यादा जंगलों से प्यार करते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि ये सम्मान देश के हर उस मछुआरे को समर्पित है, जो समंदर से सिर्फ उतना ही लेते हैं जितना अर्थ उपार्जन के लिए आवश्यक होता है।


आज भारत दुनिया के उन देशों में है जहां सबसे तेज़ गति से शहरीकरण हो रहा है। ऐसे में अपने शहरी जीवन को Smart और Sustainable बनाने पर भी बल दिया जा रहा है। Infrastructure को Sustainable Environment and Inclusive Growth के लक्ष्य के साथ बनाया जा रहा हैं।


पर्यावरण क्षेत्र में दिए जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों को संयुक्त रूप से संयुक्त राष्ट्र का पर्यावरण क्षेत्र में दिये जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और पर्यावरणीय कार्रवाई की दिशा में नए क्षेत्रों को प्रोत्साहन की दोनों नेताओं की पहल पर यह सम्मान देने की घोषणा की गई थी।

पर्यावरण में बदलाव लाने के लिए लोगों को किया प्रोत्साहित

पीएम मोदी और मैक्रों दुनिया के उन छह प्रबुद्ध लोगों में हैं जिन्हें पर्यावरण में बदलाव लाने के लिए ‘चैंपियंस आफ द अर्थ अवॉर्ड’ देने की घोषणा की गई थी। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने कहा, ‘‘इस साल सम्मान पाने वालों ने साहसी, नवोन्मेषी तथा जमकर हमारे समय के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए काम किया।’’

Pm modi ne kaha vishwa ko swachh banane ke liye 4P jaruri

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, विश्व को स्वच्छ बनाने के लिए 4P जरूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि आजादी की लड़ाई लड़ते हुए गांधी जी ने एक बार कहा था कि वो स्वतंत्रता और स्वच्छता में से स्वच्छता को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने साल 1945 में प्रकाशित अपने ‘रचनात्मक कार्यक्रम’ में जिन जरूरी बातों का जिक्र किया था, उनमें ग्रामीण स्वच्छता भी एक महत्वपूर्ण सेक्शन था। उन्‍होंने कहा कि अगर आप बहुत बारीकी से गौर करेंगे, मनन करेंगे, तो पाएंगे कि जब हम अस्वच्छता को दूर नहीं करते तो वही अस्वच्छता हम में परिस्थितियों को स्वीकार करने की प्रवृत्ति पैदा करने लगती है।


कोई चीज गंदगी से घिरी हुई है और वहां पर उपस्थित व्यक्ति अगर उसे बदलता नहीं है, सफाई नहीं करता है, तो फिर वो उस गंदगी को स्वीकार करने लगता है। कुछ समय बाद ऐसी स्थिति हो जाती है कि वो गंदगी उसे गंदगी लगती ही नहीं। यानि एक तरह से अस्वच्छता व्यक्ति कि चेतना को जड़ कर देती है। जब व्यक्ति गंदगी को स्वीकार नहीं करता, उसे साफ करने के लिए प्रयत्न करता है, तो उसकी चेतना भी चलायमान हो जाती है। उसमें एक आदत आती है कि वो परिस्थितियों को ऐसे ही स्वीकार नहीं करेगा।


आज मैं आपके सामने स्वीकार करता हूं कि अगर मैंने गांधी जी को, उनके विचारों को, इतनी गहराई से नहीं समझा होता, तो हमारी सरकार की प्राथमिकताओं में भी स्वच्छता अभियान कभी नहीं आ पाता। मुझे पूज्य बापू से ही प्रेरणी मिली, और उन्हीं के मार्गदर्शन से स्वच्छ भारत अभियान भी शुरू हुआ। आज मुझे गर्व है कि गांधी जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए सवा सौ करोड़ भारतवासियों ने स्वच्छ भारत अभियान को दुनिया का सबसे बड़ा जन आंदोलन बना दिया है।


इसी जनभावना का परिणाम है कि 2014 से पहले ग्रामीण स्वच्छता का जो दायरा लगभग 38 प्रतिशत था, आज 94 प्रतिशत हो चुका है। भारत में खुले में शौच से मुक्त- ODF गांवों की संख्या 5 लाख को पार कर चुकी है। भारत के 25 राज्य खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर चुके हैं।


चार साल पहले, खुले में शौच करने वाली वैश्विक आबादी का 60% हिस्सा भारत में था, आज ये 20% से भी कम हो चुका है। इन चार वर्षों में सिर्फ शौचालय ही नहीं बने, गांव-शहर ODF ही नहीं बने बल्कि 90% से अधिक शौचालयों का नियमित उपयोग भी हो रहा है।


आज जब मैं सुनता हूं, देखता हूं, कि स्वच्छ भारत अभियान ने भारत के लोगों का मिज़ाज बदल दिया है, किस तरह से भारत के गांवों में बीमारियां कम हुई हैं, इलाज पर होने वाला खर्च कम हुआ है, तो बहुत संतोष मिलता है।


समृद्ध दर्शन, पुरातन प्रेरणा, आधुनिक तकनीक और प्रभावी कार्यक्रमों के सहारे आज भारत के सतत विकास लक्ष्योंके लक्ष्यों को हासिल करने की तरफ भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। हमारी सरकार पर स्वच्छता के साथ ही पोषण पर भी समान रूप से बल दे रही है।


साथियों, मैं इस बात के लिए आपको बधाई देना चाहता हूं कि चार दिन के इस सम्मलेन के बाद, हम सब इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि, विश्व को स्वच्छ बनाने के लिए 4P आवश्यक हैं। ये चार मंत्र हैं: राजनीतिक नेतृत्व (Political Leadership), जनता से चंदा (Public Funding), साझेदारी (Partnerships), लोगों का सहयोग (People’s participation) जरूरी है।