Monthly Archives: January 2018

murti artist sachin sanghe ne pm modi ko mitti ki kalakrati bhet ki

मूर्ति कलाकार ने प्रधानमंत्री मोदी को चॉक से बनी कलाकृति भेंट की

मूर्ति कलाकार (माइक्रो स्कल्पचर कलाकार) सचिन सांघे ने प्रधानमंत्री मोदी मुलाकात कर उन्हें अपने द्वारा बनाई गई कलाकृतियां भेंट की। सांघे CHALKruthi कलाकार है। चॉक से बनी कला को CHALKruthi कहते हैं। उन्होंने पीएम मोदी को योग की मुद्रा वाली चॉक कलाकृति के साथ प्रधानमंत्री के अपनी मां के साथ वाली चॉक कलाकृति भेंट की।

pm modi ko thread artist arun kumar ne kalakrti bhet ki

पटियाला के धागा कलाकार ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने द्वारा बनाई गई कलाकृतियां भेंट की

कुछ दिनों पहले पटियाला के धागा कलाकार (थ्रेड वर्क आर्टिस्ट) अरुण कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी को अपनी कुछ कलाकृतियां भेंट की।

pm modi ko artist narayan singh ne kalakrti bhet ki

कलाकार ने प्रधानमंत्री मोदी को पेपर-क्लोथ से बनी सरकारी योजनाओं के विवरण वाली कलाकृति भेंट की

कलाकार रूप नारायण सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को 100 मीटर के पेपर-क्लोथ पर बनी कई सरकारी योजनाओं के विवरण वाली कलाकृति भेंट की।

PM Modi and Narayan Singh

Image Source=”narendramodi.in”

PM Narendra Modi and Artist Narayan Singh

Image Source=”narendramodi.in”

विज्ञान संबंधी संवाद में भारतीय भाषाओं का प्रयोग करें – पीएम नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों से कहा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विज्ञान संबंधी संवाद में ‘‘बड़े पैमाने’’ पर भारतीय भाषाओं का इस्तेमाल करने की वकालत की है। ताकि युवाओं में ‘‘विज्ञान के लिए प्रेम’’ विकसित किया जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि भाषा को कठोर नहीं बल्कि प्रेरक बनना चाहिए। कोलकाता में प्रोफेसर सत्येन्द्र नाथ बोस की 125वीं जयंती समारोह से पूर्व आयोजित कार्यक्रम को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बोस भारतीय भाषाओं में विज्ञान की शिक्षा देने वाले महान व्यक्ति थे और उन्होंने बांग्ला भाषा में एक विज्ञान पत्रिका की शुरुआत भी की थी।

नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ‘‘युवाओं के बीच विज्ञान की समझ और उसके प्रति प्रेम बढ़ाने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम विज्ञान से जुड़े संवाद को बड़े पैमाने में प्रोत्साहित करें। इस संबंध में भाषा को कठोर नहीं, बल्कि इसे बढ़ावा देने वाला बनना चाहिए.’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों से कहा कि वह अपने मूल ज्ञान का प्रयोग जनता की रोजमर्रा की जिन्दगी को बेहतर बनाने के लिए करें।

उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति में यह महत्वपूर्ण है कि किसी भी नई खोज या अध्ययन के परिणाम को उसके माध्यम से गरीबों के जीवन पर पड़े अच्छे प्रभाव के आधार पर आंका जा सकता है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या आपके नई खोज के जरिए किसी गरीब का जीवन आसान हो रहा है, क्या मध्यम वर्ग की परेशानियां कम हो रही हैं?’’ मोदी ने वैज्ञानिकों से कहा कि वे लोग देश के समक्ष मौजूद सामाजिक आर्थिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अपने अनुसंधान का विषय तय करें।

एक जनवरी, 1894 को जन्मे बोस 1920 के दशक में क्वांटम मैकेनिक्स के क्षेत्र में अपने कार्य के लिए जाने जाते हैं। अल्बर्ट आइंस्टिन के साथ काम कर चुके बोस ने बोसॉन कण की खोज की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद करेंगे कृषि योजना की निगरानी, आने वाले बजट में दिखेगा असर

कृषि क्षेत्र में सुधार को गति देने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कड़ी नजर है। खेती को रफ्तार देने और किसानों की माली हालत को मजबूत बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री कार्यालय की पहल पर गहन विचार विमर्श के लिए एग्रीकल्चर – 2022 का आयोजन किया जा रहा है। इसमें कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक के साथ ही साथ निजी निवेश बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है। कृषि क्षेत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस रुझान का असर आगामी आम बजट में देखने को मिल सकता है।

इसमें सभी राज्यों के साथ देश के कृषि विशेषज्ञों और किसान प्रतिनिधियों को इसमें हिस्सा लेने का मौका मिलेगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में शुरु की गई विभिन्न योजनाओं की कड़ी समीक्षा की जाएगी। नीतिगत सुधार के लिए राज्यों का सहयोग जरूरी है, जिसके लिए राज्यों को सम्मेलन में बुलाया गया है।

‘एग्रीकल्चर – 2022’ के नाम से इसी माह के आखिरी सप्ताह में एक मैराथन बैठक होगी। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मौजूद होंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसमें हिस्सा लेने वाले लोगों का चयन भी ठोंक बजाकर किया जा रहा है। ताकि इस बैठक की सिफ़ारिशें जमीनी तौर पर लागू किया जा सके।

इसका आयोजन प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ मिलकर केंद्रीय कृषि मंत्रालय कर रहा है। इसमें कृषि क्षेत्र से जुड़े देशभर के प्रमुख निजी क्षेत्रों को आमंत्रित किया जा रहा है। इस दौरान कृषि क्षेत्र में कानूनी सुधार को लेकर सरकार तैयार है। इसके लिए सात बड़े क्षेत्रों को चुना गया है। जिसमें विकास के रास्ते तलाशे जाएंगे।

कृषि की विकास दर को रफ्तार देने के लिए पशुधन, डेयरी, पॉल्ट्री और मत्स्य पालन को खूब प्रोत्साहन देने पर विचार किया जाएगा। कुल सात चिन्हित क्षेत्रों के विशेषज्ञों को इसमें बुलाया गया है। सबसे पहला क्षेत्र कृषि नीति के साथ किसानों की आमदनी को बढ़ाकर दोगुना करने के लिए नीतिगत सुधार पर विचार किया जाएगा। जबकि दूसरा सबसे प्रमुख क्षेत्र मार्केटिंग, एग्रो लॉजिस्टिक और एग्रो वैल्यू सिस्टम को मजबूत बनाना है। जबकि कृषि उत्पादकता बढ़ाने के कृषि क्षेत्र में स्टार्ट अप को प्रोत्साहित करने के लिहाज से साइंस व टेक्नोलॉजी के ऊपर  जोर दिया जाएगा। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को बुलाया गया है।

सबसे अहम क्षेत्र खेती बाड़ी में पूंजी निवेश की भूमिका और किसानों को संस्थागत कृषि ऋण के प्रवाह जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशेषज्ञों के बीच बैठ कर उनकी राय जानेंगे। सम्मेलन में सभी राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ किसान संगठनों, बैंक प्रतिनिधियों, सिविल सोसाइटी, उद्योग और औद्योगिक संगठनों के लोगों को न्यौता भेजा जाएगा। सम्मेलन के दौरान आने वाले विचारों के आधार पर सिफारिशें तैयार करने के लिए सरकार से बाहर के लोगों को दायित्व सौंपा जाएगा।

सम्मेलन की तैयारियां एक महीने पहले से ही चालू हो चुकी हैं। जिसके लिए वर्चुअल विचार-विमर्श, ई-नेटवर्क के सहारे वीडियो कांफ्रेसिंग लगातार विचारों का आदान प्रदान हो रहा है। प्रत्येक थीम पर बैक ग्राउंड पेपर तैयार किये गये है।

lalu prasad yadav ki kamjor kadii chara ghotala

लालू यादव की कमजोर कड़ी “चारा घोटाला”

70 के दशक में इंदिरा सरकार की तानाशाही के खिलाफ बिहार की धरती से उपजे जयप्रकाश नारायण (जेपी) की अगुआई वाले देशव्यापी आंदोलन जिसे सम्पूर्ण क्रांति भी कहा जाता है ने देश को कई बड़े नेता दिए जो आगे चल कर प्रखर नेता बने। उन्ही नेताओं की लम्बी फेहरिस्त में एक थे गोपालगंज बिहार में जन्मे लालू प्रसाद यादव। इस आंदोलन की भट्टी से तप कर निकले लालू यादव आगे चल के बिहार के मुख्यमंत्री और देश के रेलमंत्री भी बने।

Ex CM Lalu Prasad Yadav

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लालू जी को मिले इस राजनितिक सफलता को आगे चल के वो सम्हाल के नहीं रख पाए। जातिवादी राजनीति, बेतुके बयानों और घोटालों में संलिप्तता ने उनकी छवि को धूमिल कर दिया।

क्या है चारा घोटाला ?

चारा घोटाला बिहार राज्य का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है। इसमें मवेशियों को खिलाये जाने वाले चारे के नाम पर सरकारी खज़ाने से 950 करोड़ रूपये भर्जीवाड़ा कर के निकाल लिए गए थे। इस बड़े फर्जीवाड़े में कई लोग शामिल थे जिनमे से एक थे बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव जी। इस घोटाले में नाम आने के कारण लालू जी को मुख्यमंत्री पद इस्तीफ़ा तक देना पड़ा।

Lalu Prasad Yadav and Rabri Devi

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साल 1997 में सीबीआई ने लालू यादव के खिलाफ चारा घोटाले के मामले में चार्जशीट जारी की, और इसी कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा।अपनी पत्नी श्रीमती राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री पद सौंप कर लालू जी खुद राष्ट्रिय जनता दल के राष्ट्रिय अध्यक्ष बनकर परोक्ष रूप से सरकार खुद चलाते रहे। चारा घोटाला मामले में तब लालू जी को जेल भी जाना पड़ा और वे कई महीने तक जेल में भी रहे।

चारा घोटाले से जुड़ी कानूनी कार्यवाइयां।

साल 1994 में बिहार पुलिस ने तत्कालीन बिहार के गुमला, रांची, पटना डोरंडा और लोहरदग्गा आदि जैसे कई कोषागारों से फर्जीवाड़े के जरिये करोड़ो रुपयों की अवैध निकासी के एफआईआर दर्ज किये । पशुपालन और कोषागार विभाग के कई कर्मचारियों को रातों रात गिरफ्तार कर लिया गया, सप्लायरों और ठेकेदारों को भी हिरासत में लिया गया। राज्य भर में करीब दर्जन भर मुकदमे दर्ज किये गए।

सीबीआई को सौंपी गई जांच की बागडोर।

Investigations Submitted to CBI

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ये बात यहीं खत्म नहीं हुई, तब के विपक्षी पार्टियों ने घोटाले के बृहत् होने और सरकार के इसमें मिलीभगत होने के कारण मांग उठाई की इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। केंद्र ने विपक्षी दलों की मांग को मानते हुए घोटाले कीं जांच की बागडोर सीबीआई को सौंप दी और सीबीआई ने इस मामले की जांच के लिए अपने संयुक्त निदेशक यू० एन० विश्वास को नियुक्त कर दिया, यहीं से इस घोटाले की जांच का रुख बिलकुल बदल गया।

सीबीआई ने अपनी आरंभिक जाँच के बाद बताया कि चारा घोटाला का ये मामला उतना भी सीधा नहीं है जितना उसे बिहार सरकार बता रही है। सीबीआई ने कहा कि चारा घोटाले में शामिल सभी बड़े आरोपियों के रिश्ते राष्ट्रीय जनता दल व दूसरी अलग अलग पार्टियों के प्रमुख नेताओं से रहे हैं और इस बात के उनके पास पर्याप्त सबूत भी हैं कि घोटाले से मिले काली कमाई का हिस्सा कई नेताओं के पास भी पहुंचा है।

सीबीआई के मुताबिक़, राज्य के सरकारी ख़ज़ाने से पैसा कुछ इसी तरह निष्कासित किया गया। पशुपालन विभाग के कर्मचारियों ने चारे और पशुओं की दवा की सप्लाई के नाम पर करोड़ों रुपये के जाली बिल कोषागारों से कई वर्षों तक भुनाते रहे ।

सीबीआई अधिकारीयों को जांच के दौरान पता लगा की बिहार के मुख्य लेखा परीक्षक ने इस निरंतर चल रहे फर्जीवाड़े की सुचना समय समय पर कई बार राज्य सरकार को भेजी थी पर सरकार ने इस पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं समझी। वित्तीय अनियमितताओं का ये हाल था की कई वर्ष तो राज के विधान सभा में बजट भी पारित नहीं हुआ और राज्य का सारा काम-काज वित्तीय लेखा अनुदान के मार्फ़त चलता रहा।

सीबीआई ने बाद में कहा की उसके पास इस बात के ठोस सबूत है की तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू जी को भी इस फर्जीवाड़े की पूरी जानकारी थी और उन्होंने कई बार इस तरह के फर्जी निकासी के लिए वित्त मंत्रालय के प्रभारी को अनुमति भी दी। जांच में सीबीआई ने दावा किया की लालू जी और उनकी धर्मपत्नी राबड़ी देवी जी अपनी आय से अधिक सम्पत्ति रखने के भी दोषी हैं।

सीबीआई ने इसे सामान्य भ्रष्टाचार के बजाय व्यापक षड्यंत्र कहा क्यूंकि इसमें पशुपालन विभाग के कर्मचारी, राज्य के नेता और व्यापारी वर्ग सब सामान रूप से सहभागी थे। इस मामले में सीबीआई के कमान सम्हालते हीं कई गिरफ्तारियां हुईं और अलग अलग जगह पे छापे मारे गए। लालू जी के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट जारी की और उन्हें जेल जाना पड़ा। उच्चतम न्यायलय से जमानत मिलने से पहले कई महीनों तक उन्हें जेल में रहना पड़ा।

इस मामले के शीघ्र निपटारे में बहुत सी रूकाबटें आईं। इसी बहस में बहुत समय जाया कर दिया गया की अलग होकर बने नए राज्य झारखंड के मामलों की सुनवाई पटना उच्च न्यायलय में हो या रांची उच्च न्यायलय में। कई बाधाओं को झेलती हुई इस मुद्दे पर निर्णय आने में सत्रह साल लग गए।

क्या है वर्तमान स्थिति !

Lalu Prasad Yadav at Present Situation

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लम्बी कानूनी प्रक्रिया के बाद पिछले 23 दिसम्बर को रांची की सीबीआई कोर्ट ने इस मुकदमे में निर्णय देते हुए लालू यादव समेत कुल 16 आरोपियों को दोषी ठहराया। वहीं इसी मामले में आरोपी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र समेत 6 आरोपियों को बरी कर दिया गया। दोषी साबित होते हीं लालू यादव को पुलिस कस्टडी में ले कर रांची के विरसा मुंडा जेल भेज दिया गया।

राजनैतिक नफा नुक्सान !

इस निर्णय के बाद के राजनैतिक नफा नुक्सान पे भी राजनैतिक पंडितों की नज़र है। निर्णय के बाद जहाँ लालू जी के कुंवे ने इस मुद्दे को जातीय रंग देते हुए कहा की एक अगड़ी जाती का आरोपी इसी मामले में बरी कर दिया गया और मुझे पिछड़ी जाती का होने के कारण जेल जाना पर रहा है। साफ़ है की लालू जी का कुनबा इसे जातीय रंग दे कर अपने पक्ष में इस्तेमाल करना चाहता है।

वहीं अगर बात भाजपा और उनके घटक दलों की करें तो उनके लिए ये निर्णय कहीं न कही अच्छा संकेत है, ख़ास कर के तब जब 2जी घोटाले के दोनों मुख्य आरोपी ए राजा और कनिमोझी के बरी हो जाने से सरकार पर जो सवाल उठे थे, उन सवालों को ये निर्णय जरूर दबा देगी।

भविष्य की संभावनाएं।

बहरहाल 3 जनवरी को इस मामले पे सजा के ऐलान के बाद भी इस मामले में अभी थोड़ा और वक़्त तो लगेगा हीं। लालू जी ऊपर की अदालतों में अपील करेंगे और जमानत पे फिर बाहर आ जायेंगे। ऊपर की अदालतों में फिर ये मामला कुछ साल चलेगा। पर ये तो साफ़ है की इस निर्णय के बाद लालू जी की पार्टी को और नुक्सान होगा। चुनाव तो लालू जी 2013 से हीं नहीं लड़ सकते पर पार्टी प्रचार में वो बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं, देखना दिलचस्प होगा की अब भी उनके समर्थक उनके साथ रहेंगे या अब उनका मोहभंग हो जायेगा।