Monthly Archives: June 2017

पीएम मोदी के आध्यात्मिक गुरु स्वामी आत्मस्थानंद महाराज का निधन, प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत नुकसान बताया

रामकृष्ण मठ और मिशन के प्रमुख एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आध्यात्मिक गुरु स्वामी आत्मस्थानंद महाराज (98) का रविवार शाम लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. उनका फरवरी 2015 से ही आयु संबंधी बीमारियों का इलाज चल रहा था. वह दक्षिण कोलकाता स्थित रामकृष्ण मिशन सेवा प्रतिष्ठान में भर्ती थे, जहां शाम साढे पांच बजे उनका निधन हो गया.

पीएम ने ‘व्यक्तिगत नुकसान’ बताया

एक बयान में कहा गया है कि उनका अंतिम संस्कार सोमवार रात साढ़े नौ बजे बेलूर मठ में किया जाएगा. मठ के द्वार उनके अंतिम संस्कार तक खुले रहेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए इसे ‘व्यक्तिगत नुकसान’ बताया है. मोदी ने ट्विटर पर लिखा कि मैं अपनी जिंदगी के महत्वूपर्ण क्षण में उनके साथ रहा था.

युवावस्था में बेलूर मठ गए थे मोदी

मोदी अपनी युवावस्था में संन्यासी बनने के लिए बेलूर मठ गए थे लेकिन उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया गया था और कहा गया था कि उनकी कहीं अन्य स्थान पर जरूरत है. बाद में उन्हें राजकोट, गुजरात में स्वामी आत्मास्थानंद का आध्यात्मिक मार्गदर्शन मिला.

ममता बनर्जी ने शोक जताया

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वामी आत्मस्थानंद महाराज के निधन पर शोक व्यक्त किया है. शनिवार सुबह से उनकी हालत काफी बिगड़ गई थी और उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था. उनका डायलिसिस चल रहा था. उनकी खराब स्थिति की खबर पाकर मुख्यमंत्री उन्हें देखने अस्पताल पहुंची थीं.

मेडिकल बोर्ड में 16 डॉक्टर थे

उनके इलाज के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था, जिसमें 16 डॉक्टर शामिल थे. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके निधन पर ट्विटर पर अपने शोक संदेश में कहा-‘स्वामी आत्मस्थानंद महाराज का निधन मानवता के लिए क्षति है. उन्होंने अपना सारा जीवन सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों को समर्पित कर दिया.’

गौरतलब है कि स्वामी आत्मस्थानंद महाराज 22 वर्ष की उम्र में बेलूरमठ स्थित रामकृष्ण मिशन से जुड़े थे. मई, 2015 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता आए थे तो उन्होंने अस्पताल जाकर आत्मस्थानंद महाराज से मुलाकात की थी.

पीएम मोदी के आदर्श गांव में हौसले को उड़ान देने के हुनर सीख रहीं बेटियां

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदर्श गांव नागेपुर की बेटियां आत्मनिर्भर बनकर अपने हौसले को उड़ान देने के लिए तत्पर हैं। इसके लिए वे सिलाई-कढ़ाई, ब्यूटीशियन, इंग्लिश स्पीकिंग और कंप्यूटर के साथ बाइक चलाने का हुनर सीख रही हैं।

नागेपुर और आसपास के गांवों की युवतियों के इनके सपनों को साकार करने में मददगार की भूमिका निभा रही है सामाजिक संस्था लोक समिति। संस्था की ओर से नागेपुर में आयोजित समर कैंप में युवतियां आत्मनिर्भर बनने के गुर सीख रही हैं।

बाइक ड्राइविंग सीख रही रवीना सिंह का कहना है कि वह स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद शहर में नौकरी करना चाहती है। बाइक चलाना सीख लूंगी तो आने-जाने के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

बीएससी की छात्रा पूनम मौर्या और सोनी बानो कहती हैं कि कॉलेज, बाजार अथवा कहीं भी जाने के लिए घर के पुरुषों पर निर्भर रहना पड़ता है। ड्राइविंग सीखने के बाद वे कहीं भी जा सकेंगी।

लोक समिति संयोजक नंदलाल मास्टर ने बताया कि 15 मई से चल रहे किशोरी समर कैंप में 80 युवतियां प्रशिक्षण ले रही हैं। हमारा उद्देश्य गांव की युवतियों को हुनरमंद बनाना है ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें।

बिहार में आज पीएम मोदी के काम को गिनाएंगे सीएम योगी आदित्यनाथ

अपनी कर्मस्थली गोरखपुर में दो दिन के प्रवास के बाद आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिहार का रुख करेंगे। बिहार के दरभंगा में आज एक जनसभा में योगी आदित्यनाथ पीएम नरेंद्र मोदी के तीन वर्ष के काम का बखान करेंगे। उनके साथ उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा व केशव प्रसाद मौर्य भी रहेंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कल से दो दिन के प्रवास पर गोरखपुर में हैं। आज दौरे के दूसरे दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वहां साप्ताहिक योग शिविर का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद वह बिहार के दरभंगा के लिए उड़ान भरेंगे। दरभंगा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक जनसभा को संबोधित करेंगे। जनसभा में वह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की तीन वर्ष की सभी उपलब्धियों को गिनाएंगे।

उनके साथ जनसभा में उप-मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा व केशव प्रसाद मौर्य भी रहेंगे। दरभंगा दौरे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ केंद्र सरकार की नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों को गिनाएंगे। केंद्र में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं।

गोरखपुर में आज भी व्यस्त रहे सीएम योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज भी गोरखपुर में अपनी दिनचर्या तड़के तीन बजे से शुरू की। मुख्यमंत्री योगी अदित्यानाथ ने अपनी दिनचर्या रोजाना की तरह तीन बजे उठकर की। जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी ने पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ गोरखधाम मंदिर की गौशाला भी गए।

कोच्चि मेट्रो को हरी झंडी दिखाएंगे पीएम मोदी, नहीं दिखेंगे मेट्रो मैन श्रीधरन

केरल के कोच्चि में पहली बार शुरू हो रहे मेट्रो परिवहन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। प्रधानमंत्री के उद्घाटन कार्यक्रम की घोषणा बीते बुधवार को ही हो गई थी। वे आगामी शनिवार को कोच्चि मेट्रो को हरी झंडी दिखाएंगे।

लेकिन इस उद्घाटन समारोह में वो चेहरा नहीं दिखेगा जिसने भारत में मेट्रो परिचालन के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई है। हम बात कर रहे हैं मेट्रो मैन कहे जाने वाले नामी इंजीनियर ई श्रीधरन की। कोच्चि मेट्रो के उद्घाटन सारोह में शामिल किए जाने वाले विशेष गेस्ट की लिस्ट पीएमओ को भेजी गई थी। इसके बाद पीएमओ ने आमंत्रितों की फाइनल लिस्ट भेजी है। पीएमओ से भेजी गई लिस्ट में ई श्रीधरन का नाम नहीं है। इस लिस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गवर्नर पी सतशिवम, सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू और मुख्यमंत्री पनारयी विजयन का नाम है।

आमंत्रितों की लिस्ट के बारे में यह जानकारी कोच्चि मेट्रो रेल कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक जॉर्ज ने दी है। ई श्रीधरन के अलावा विपक्षी नेता रमेश चेन्निथला, पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चंडी, स्थानीय एमपी केवी थॉमस और स्थानीय विधायक पीटी थॉमस को भी अामंत्रितों की लिस्ट से बाहर रखा गया है। आमंत्रितों की लिस्ट से ई श्रीधरन को बाहर रखने पर विधायक पीटी थॉमस ने कहा, “यह भाजपा के अहंकार को दर्शाता है।”

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कोच्चि मेट्रो की आधारशिला रखी थी। तब आमंत्रितों में सभी को शामिल किया गया था। कोच्चि मेट्रो केरल का ड्रीम प्रोजेक्ट है और अब इस प्रोजेक्ट से जुड़े प्रमुख लोगों को दर्शकों में बिठा दिया गया है। यह पूरी तरह से अनुचित है। उन्होंने कहा कि 2012 में चांडी सरकार ने इस परियोजना को दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन को सौंपने के बाद कोच्चि मेट्रो पर काम शुरू किया था, इसके मुख्य सलाहकार श्रीधरन ने इसकी देखरेख की थी।

नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों को दी राहत, इस साल भी मिलता रहेगा सस्ता कर्ज

केंद्रीय कैबिनेट ने तीन लाख तक का कर्ज लेने वाले किसानों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार की ब्याज सब्सिडी स्कीम को एक साल और बढ़ाने का फैसला किया है. इस योजना के तहत तीन लाख तक का कर्ज लेने वाले किसानों के ब्याज का बोझ कम करने के लिए सरकार 5 फीसदी ब्याज के बोझ का वहन करती है.

इसके अलावा किसानों को फसल कटाई के बाद अपनी उपज के भंडारण के लिए भी सात फीसदी की सस्ती दर पर कर्ज उपलब्ध होगा. यह व्यवस्था छह माह के लिए होगी.

प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को राहत पहुंचाने के लिये सरकार ने उनकी पुनर्गठित कर्ज राशि पर पहले साल के ब्याज पर दो प्रतिशत ब्याज सहायता देने का फैसला किया है.

ये सभी फैसले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए. सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को भी फसल ऋण से जोड़ा गया है, इसलिए किसासनों को सरकार द्वारा शुरू की गई इन दोनों योजनाओं का लाभ मिलेगा.

कम अवधि वाले क्रोप लोन पर किसानों को 9 फीसदी की दर पर फसली ऋण मिलता है. इसमें 5 फीसदी का बोझ सरकार उठाती है और 4 फीसदी किसानों को देना पड़ता है. इस स्कीम को 2017-18 के लिए भी लागू रखने पर 20, 339 करोड़ का वित्तीय बोझ सरकार को उठाना पड़ेगा.

ऐसे वक्त पर जब किसान मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं, इससे उन छोटे किसानों को विशेष तौर पर मदद मिलेगी, जिन्होंने 3 लाख तक का लोन लिया है. यह स्कीम 2006-07 में शुरू की गई. पिछले 10 साल से पूरे देश में लागू है. इसे आरबीआई और NABARD लागू करेंगे.

स्वामीनाथन ने की मोदी सरकार की तारीफ, कहा- सरकार ने लागू कीं कृषि आयोग की कई सिफारिशें

कृषि वैज्ञानिक और किसानों के राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष एमएस स्वामीनाथन ने केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार की कृषि नीतियों की सराहना की. उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि आयोग की कई सिफारिशें लागू की हैं.

एक के बाद एक ट्वीट में उन्होंने मोदी सरकार की सराहना करते हुए कहा कि केंद्र ने किसानों के आयोग की कई सिफारिशें लागू की हैं. मोदी सरकार ने किसान आयोग की बेहतर बीज, सॉयल हेल्थ कार्ड, बीमा, सिंचित क्षेत्र की वृद्धि को लागू किया है. स्वामीनाथन ने मोदी सरकार द्वारा कृषि विश्वविद्यालयों और निजी क्षेत्र के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं के कौशल को बढ़ावा देने के प्रयासों की भी सराहना की. ग्रामीण महिलाओं ने 50% कृषि कार्य में योगदान दिया है. कृषि विश्वविद्यालयों और निजी क्षेत्र के माध्यम से अपने बाजार कौशल को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं.

यूपीए की सरकार के दौरान स्वामीनाथन आयोग ने किसानों की हालत को सुधारने के लिए कई अहम उपायों की सिफारिश की थी, जिसमें भूमि सुधार, कृषि को समवर्ती सूची में डाले जाने के साथ कृषि कर्ज की ब्याज दर को 4 फीसदी किए जाने की सिफारिश की थी.

स्वामीनाथन ने इसके साथ ही कहा कि अल्पकाल में कृषि ऋण माफी जरूरी है क्योंकि फिलहाल किसान कृषि उत्पादों की कीमतों में गिरावट आने के कारण कर्ज का भुगतान करने में असमर्थ है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि हालांकि दीर्घकाल में ऋण माफी योजना सुरिक्षत कर्ज प्रणाली उपलब्ध नहीं कराती क्योंकि इससे कृषि बुनियादी ढांचा विकास के लिये पर्याप्त कोष नहीं बचेगा.

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट सरकारों ने कृषि ऋण माफी योजना की घोषणा की. वहीं मध्य प्रदेश में भी किसान यही मांग कर रहे है,. हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन ने कहा, हालांकि अस्थायी रूप से ऋण माफी जरूरी है लेकिन यह दीर्घकालीन कर्ज व्यवस्था को उपलब्ध नहीं कराती. इसका मतलब है कि बैंकों को होने वाले नुकसान की भरपाई सरकार करेगी. ऋण माफी का मतलब है कि कृषि बुनियादी ढांचा के लिये पर्याप्त कोष उपलब्ध नहीं होगा. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से अच्छी बारिश नहीं होने, पिछले कुछ साल से भीषण सूखे के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

हालांकि इस साल फसल अच्छी है, पर किसान खरीद मूल्य से अप्रसन्न हैं और संस्थागत तथा निजी तौर पर लिये कर्ज का भुगतान करने में असमर्थ हैं. स्वामीनाथन ने कहा कि कर्ज का पुनर्भुगतान नहीं करने से किसानों को खरीफ के लिये नया कर्ज नहीं मिलेगा. इसीलिए वे कर्ज माफी के साथ-साथ उचित खरीद मूल्य चाहते हैं.

पीएम मोदी के ‘न्यू इंडिया विजन’ से अमेरिका में पैदा होंगी नौकरियां

व्हाइट हाउस प्रवक्ता सीन स्पाइसर जिस वक्त संवाददाताओं को नरेंद्र मोदी और ट्रंप की मुलाकात के बारे में जानकारी दे रहे थे तभी उन्होंने यह भी कहा कि भारत के लिए मोदी का नजरिया अमेरिका में भी रोजगार के लिए नए अवसर मुहैया कराएगा।

जब उनसे पूछा गया कि ट्रंप की बाय अमेरिकन हायर अमेरिकन नीति के कारण भारत में चिंता पैदा हुई है तब सीन ने कहा कि अमेरिकी ऊर्जा, तकनीकी व प्राकृतिक गैस मोदी के नए भारत के निर्माण में सहयोग कर रहा है और इसकी वजह से अमेरिका में भी कई हजारों नौकरियों के अवसर पैदा हो रहे हैं। स्पाइसर ने भारत की अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने का हवाला देते हुए कहा कि इसी वजह से भविष्य के लिए उम्मीदें जगीं हैं।

मोदी की अमेरिका यात्रा से भारत को हैं पांच बड़ी उम्‍मीदें, क्या ट्रंप कर पांएंगे पूरी

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 25 से 27 जून तक अमेरिका की यात्रा पर जाने वाले हैं। ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद मोदी की पहली अमेरिकी यात्रा पर बहुत सी निगाहें टिकी हैं, और इन निगाहों में उम्‍मीदें भी बहुत हैं।

हालांकि पिछले कुछ समय में अमेरिका और भारत के संबंधों में जो ठंडापन आया है वैसे में बहुत ज्यादा उम्‍मीदें भी बेमानी ही दिखाई देती हैं। लेकिन यह भी नहीं माना जा सकता कि मोदी अमेरिका जैसे मजबूत साझीदार देश के साथ द्विपक्षीय बातचीत में यूं ही खाली हाथ लौट आएंगे।

ऐसे में चार बड़े मुद्दे हैं जिन पर मोदी और ट्रंप की मुलाकात के दौरान बातचीत हो सकती है और वो पिछले कुछ समय से दोनों देशों के संबंधों पर बढ़ती जा रही बर्फ को पिघलाने का काम कर सकती है। आइए डालते हैं ऐसे ही चार मुद्दों पर एक निगाह।

एच1 बी वीजा पर हो सकती है बातचीत

राष्ट्रपति चुने जाने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने एच1बी वीजा को लेकर जिस तरह का सख्त रुख दिखाया है उसने पूरी दुनिया को चौंका कर रख दिया है। विदेशी पेशेवरों के अमेरिका जाकर काम करने को लेकर जिस तरह से ट्रंप लगातार नियमों को सख्त कर रहे हैं उसका खामियाजा भारत को भी भुगतना पड़ रहा है।

अमेरिका में काम करने वाली देश की प्रमुख आईटी कंपनियों टीसीएस और इन्फोसिस ने अब अमेरिकों को नौकरियां देने के ज्यादा रास्ते खोल दिए हैं इसके अलावा भारतीय युवाओं को दिए गए वीजा में भी कटौती कर दी है। आने वाले समय में दूसरी कंपनियां भी इसी राह पर चलेंगी। अमेरिका में विदेशी पेशेवरों के मामले में चीन के बाद भारत का दूसरा नंबर है। ऐसे में पूरी संभावना है कि पीएम मोदी इस मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति से बात करके कोई बीच का रास्ता निकालने की पहल करें। ट्रंप के अनिश्चित रुख को देखकर ये ज्यादा मुश्किल भी नहीं दिखता।

एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए दोबारा पैरवी

भारत लंबे समय से न्यूक्लियर सप्लायर देशों के समूह यानि NSG में प्रवेश के लिए हाथ पैर मार रहा है। इस मुहिम में उसका सबसे बड़ा समर्थक अमेरिका ही रहा है, पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा तो निजी तौर पर भी इसको लेकर प्रयास करते रहे हैं। हालांकि चीन के अडंगे से हर बार बात पटरी से उतर जाती है।

अब पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के सत्ता से बाहर होने के बाद भारत की इस मुहिम का सारा दारोमदार नए राष्ट्रपति ट्रंप के कंधों पर है क्योंकि बिना उनके समर्थन के भारत की एनएसजी में एंट मुश्किल है। ट्रंप से मुलाकात के दौरान मोदी चाहेंगे की ओबामा की छोड़ी उस जिम्मेदारी को ट्रंप उसी तरह आगे बढ़ाएं। भारत के नजरिए से यह थोड़ा मुफीद भी नजर आता है क्योंकि चीन को लेकर लगातार ट्रंप का रुख मुखर रहा है ऐसे में चीन की मुखालफत के लिए भी ट्रंप भारत का समर्थन कर सकते हैं।

कितने दिन में फाइल बढ़ाई, पीएमओ ने मंत्रियों से मांगा तीन साल का रिपोर्ट कार्ड

सरकार के तीन साल पूरा होने पर विभिन्न मंत्रालयों के अपनी उपलब्धियां गिनाने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय कैबिनेट मंत्रियों के प्रदर्शन की बारीकी से पड़ताल करने जा रहा है। पीएमओ ने मंत्रियों से गत तीन साल के दौरान फाइलों को आगे बढ़ाने के बारे में जानकारी देने को कहा है। खास तौर पर यह पूछा गया है कि कोई फाइल उनके कार्यालय में कितने समय तक अटकी रही।

पीएमओ ने उन पत्रों पर भी कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है, जो प्रधानमंत्री को उनकी ई-मेल आईडी या पीएमओ के लोक शिकायत पोर्टल या उनके कार्यालय को लिखे गए थे और जिन्हें संबद्ध मंत्रालयों को भेजा गया था। कई मंत्रालय इसे कैबिनेट में फेरबदल से पहले की कवायद के तौर पर देख रहे हैं। ऐसी संभावना है कि राष्ट्रपति चुनाव के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है।

मंत्रियों से कहा गया है कि वे पहली जून 2014 से 31 मई, 2017 के बीच अपने कार्यालयों में मिली फाइलों का ब्योरा सौंपें। यह अवधि मोदी सरकार के कार्यभार ग्रहण करने के पांच दिन बाद से शुरू होती है। पीएमओ ने जानना चाहा है कि किस अवधि के भीतर फाइलों को मंजूरी दी गई। साथ ही उन फाइलों का ब्योरा भी मांगा गया है, जो 31 मई 2017 तक लंबित थीं। ऐसा समझा जाता है कि प्रधानमंत्री ने हालिया कैबिनेट बैठक में यह निर्देश दिया है, जिसके बाद फॉर्म संबंधित मंत्रियों को भेजे गए थे।

पांच कॉलम में बंटा है फार्म

फाइलों का ब्यौरा देने के लिए जो फार्म दिया गया है, इसके विभिन्न उप शीर्षक हैं – मसलन, ओपनिंग बैलेंस, अवधि के दौरान मिली फाइलें, कुल फाइल, निस्तारण, अवधि खत्म होने पर लंबित फाइल और लंबित फाइलों का ब्रेकअप। यही नहीं, लंबित फाइलों के ब्रेकअप को फिर 15 दिन, 15 दिन से एक महीना और एक महीना से तीन महीने में बांटा गया है।

डोनाल्ड ट्रंप के बुलावे पर अमेरिका जाएंगे पीएम मोदी, 26 जून को दोनों नेताओं की पहली बैठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25-26 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के न्योते पर वाशिंगटन डीसी का दौरा करेंगे. दोनों नेता 26 जून को अपनी पहली द्विपक्षीय वार्ता करेंगे.

पिछले हफ्ते अमेरिकी विदेश विभाग ने पुष्टि की थी कि पीएम मोदी इस महीने के आखिर तक वाशिंगटन का दौरा करेंगे. ट्रंप प्रशासन के सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी का यह पहला अमेरिका दौरा होगा. हालांकि दोनों नेताओं के बीच कम से कम तीन बार फोन पर बात हो चुकी है.

विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री की 25 जून से शुरू होने वाली अमेरिका यात्रा की घोषणा करते हुए सोमवार को कहा कि मोदी-ट्रंप के बीच बातचीत गहरे द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा प्रदान करेगी. मंत्रालय ने कहा, ‘प्रधानमंत्री 26 जून को राष्ट्रपति ट्रंप के साथ आधिकारिक वार्ता करेंगे. उनकी चर्चा पारस्परिक हित के मुद्दों पर गहरे द्विपक्षीय संबंधों और भारत और अमेरिका के बीच बहुआयामी रणनीतिक भागीदारी को मजबूत बनाने के लिए नई दिशा प्रदान करेगी.’

पूर्ववर्ती ओबामा प्रशासन के दौरान पीएम मोदी की बराक ओबामा से रिकार्ड आठ बार मुलाकात हुई थी. पीएम मोदी ने वाशिंगटन का तीन बार दौरा किया था, जबकि साल 2015 में ओबामा की ऐतिहासिक भारत यात्रा हुई थी, जिसमें वह गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे.