Monthly Archives: May 2017

नर्मदा संरक्षण के लिए जारी किया गया रोडमैप भविष्य के विजन के लिए ‘परफेक्ट डॉक्युमेंट’ : PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नर्मदा संरक्षण के लिए सोमवार को जारी किये गये रोडमैप को भविष्य के विजन के लिए ‘परफेक्ट डॉक्युमेंट’ बताया है और मध्यप्रदेश सरकार से कहा है कि वह इसे देश के अन्य राज्यों को भी साझा करे, ताकि वे भी अपने-अपने राज्यों में नदियों के संरक्षण के लिए ऐसी ही पहल शुरू कर सकें. यहां 148 दिनों तक चली ‘नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा’ के समापन समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘यह डॉक्युमेंट मुझे पहले ही भेज दिया गया था और मैंने इसे पूरी तरह से पढ़ा है. इसमें वह सभी ब्योरे दिये गये हैं, जिन-जिन कामों को किया जाना है, किसके द्वारा किया जाना है और किस समय तक किया जाना है. मेरे विचार में यह रोडमैप भविष्य के विजन के लिए ‘परफेक्ट डॉक्युमेंट’ है.’’

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जनभागीदारी से नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए चलाये जा रहे अभियान की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि नक्शे में देश में कई नदियां है, लेकिन इनमें पानी नहीं है. मोदी ने मंच पर मौजूद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से आहवान किया कि इस डॉक्युमेंट को देश के अन्य राज्यों के साथ साझा करें, ताकि वे भी अपने-अपने राज्यों में नदियों के संरक्षण के लिए ऐसी ही पहल शुरू कर सकें.

इस यात्रा को शुरू करने के लिए प्रदेश की जनता एवं विशेष रूप से चौहान को बधाई देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘नर्मदा संरक्षण का अभियान चलाकर मध्यप्रदेश ने नदी, मानवता एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए बहुत बड़ा काम किया है.’’ मोदी ने कहा, ‘‘गुजरात के लोग पानी की एक-एक बूंद के महत्व को जानते हैं. मैं गुजरात, राजस्थान एवं महाराष्ट्र के नागरिकों की ओर से इस अभियान को चलाने के लिए मुख्यमंत्री चौहान एवं मध्यप्रदेश की जनता का अभिनंदन करता हूं.’’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘नर्मदा के संरक्षण के लिए चलाये जा रहे ऐसे महान कार्य को हम समझ नहीं सके. यदि यही अभियान दुनिया के किसी देश में 150 दिनों तक चला होता, तो मीडिया एवं अन्य लोग वहां दौड़ पड़ते. लेकिन यह हमारा दुर्भाग्य है कि हम ऐसे मौके गवां देते हैं.’’ इस संबंध में उन्होंने विश्व के किसी भी भाग में सोलर प्लांट लगाये जाने के महत्व का उदाहरण देते हुए कहा कि इसकी चर्चा पूरी दुनिया में होने लगती है.

मोदी ने हाल ही में मध्यप्रदेश के दो शहरों इंदौर एवं भोपाल को देश का क्रमश: पहला एवं दूसरा स्वच्छ शहर मिलने का जिक्र करते हुए कहा कि यह मध्यप्रदेश के लिए गर्व का विषय है. देश के 100 सबसे अधिक स्वच्छ शहरों की रेटिंग में प्रदेश के 22 शहरों ने स्थान पाया है.

जिस अमरकंटक यात्रा ने इंदिरा गांधी-उमा भारती सहित 5 नेताओं से छीनी सत्ता, वहां जा रहे हैं पीएम नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को एक दिवसीय प्रवास पर मध्य प्रदेश पहुंचे. वह यहां अमरकंटक में आयोजित नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा के समापन समारोह में हिस्सा लेंगे. मध्‍य प्रदेश सरकार ने 11 दिसंबर को नर्मदा उद्गम स्थल अमरकंटक से नमामि देवी नर्मदे नाम से नर्मदा सेवा यात्रा की शुरू की थी. 15 मई को अमरकंटक में ही इसका समापन होगा. 615 ग्राम पंचायत, 1093 गांव और 51 विकास खंड से गुजरते हुए इस यात्रा ने  3334 किलोमीटर की दूरी तय कर ली है.

मोदी के स्वागत की तैयारियां जोरों पर हैं और प्रदेश से हजारों लोग अनूपपुर जिले के अमरकंटक पहुंच रहे हैं. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तय कार्यक्रम में बदलाव किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब सीधे हेलिकॉप्टर से अमरकंटक उतरने की बजाए डिंडौरी जिले में उतरेंगे. वहां से वे सड़क मार्ग से अमरकंटक जाएंगे. यहां गौर करने वाली बात यह है कि अमरकंटक को लेकर राजनेताओं के बीच एक मिथक है. ऐसे में सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या डिजिटल इंडिया की बात करने वाली प्रधानमंत्री मोदी भी इस मिथक के फेर में फंसकर अपनी यात्रा के रूट में परिवर्तन कराया है?

सत्ता गंवाने से जुड़ा है यह मिथक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि जिस राजनेता ने भी नर्मदा नदी को लांघा है, उसे अपनी सत्ता गंवानी पड़ी है. भारतीय राजनीति के इतिहास पर नजर डालें तो सत्ता गंवाने वालों में तात्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के अलावा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा, उमा भारती, सुंदरलाल पटवा, श्यामाचरण शुक्ल, केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, पूर्व राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने नर्मदा नदी को लांघा था, जिसके बाद उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी थी. वहीं अमरकंटक के बारे में मिथक है कि नर्मदा के उद्गम स्थल के आठ किमी के दायरे में जो भी हेलिकॉप्टर से आया, उसने सत्ता गंवाई. इलाके में चर्चा है कि इसी मिथक के चलते पीएम मोदी के लिए डिंडोरी जिले में अमरकंटक से आठ किमी की दूरी पर हेलीपेड बनाया गया है.

विवाद
आरोप है नर्मदा से सबसे ज्यादा रेत उत्खनन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पहले निर्वाचन क्षेत्र बुधनी में हो रहा है, एक अनुमान के मुताबिक वहां एक दिन में डेढ़ हजार से अधिक ट्रकों और डंपरों से रेत ढोई जाती है. यानी हर रोज करीब 75 लाख रुपये की रेत ओवर लोड कर अवैध तरीके से निकाली जा रही है. नर्मदा के कछार क्षेत्र में 21 जिले आते हैं, लगभग 4 करोड़ की आबादी यहां रहती है. अवैध रेत उत्खनन के सबसे ज्यादा तेरह हजार मामले साल 2015-2016 में दर्ज किए गए हैं. हर ज़िले से भीड़ जुटाने बसें बुलाई जा रही हैं, कांग्रेस का आरोप है कि भीड़ जुटाने, उनके ठहरने, खाने-पीने के लिये करोड़ों रुपये सरकारी खज़ाने और दूसरे योजना मदों से लुटाये जा रहे हैं.

ये हैं वे 5 राजनेता जिन्होंने गंवाई कुर्सी
1. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 1982 में हेलिकॉप्टर से अमरकंटक आई थीं. उसके बाद उनकी 1984 में हत्या हो गई.
2. पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत राष्ट्रपति चुनाव से पहले अमरकंटक हेलिकॉप्टर से आए, लेकिन उसके बाद उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी.
3. एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा बाबरी मस्जिद ध्वंस से पहले हेलिकॉप्टर से अमरकंटक आए थे, लेकिन उसके बाद उन्हें भी कुर्सी गंवानी पड़ी.
4. एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री रहते हुए हेलिकॉप्टर से अमरकंटक आए थे, लेकिन उसके बाद उन्हें कांग्रेस पार्टी से अलग होकर नई पार्टी बनानी पड़ी.
5. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती सीएम रहते हुए 2004 में हेलिकॉप्टर से आई थीं. उसके बाद इन्हें भी कुर्सी गंवानी पड़ी. इसके बाद उमा भारती हमेशा सड़क मार्ग से अमरकंटक जाती हैं.

मालूम हो कि आधिकारिक कार्यक्रम के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशेष विमान से नई दिल्ली से दोपहर 12.25 बजे जबलपुर के डुमना विमानतल पहुंचेंगे. यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनकी अगवानी करेंगे.

प्रधानमंत्री जबलपुर से हेलीकॉप्टर से रवाना होकर 1.35 बजे अनूपपुर जिले के अमरकंटक पहुंचेंगे और दोपहर दो बजे कार्यक्रम स्थल पहुंचेंगे. वहां नर्मदा की पूजा-अर्चना करने के बाद दोपहर 2.15 बजे से 3.30 की अवधि में ‘नमामि देवी नर्मदे’ सेवा यात्रा के कार्यक्रम में शामिल होंगे. निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी सायं चार बजे हेलीकॉप्टर से प्रस्थान करेंगे और सायं 5.05 बजे जबलपुर विमानतल पहुंचेंगे. यहां से सायं 5.10 बजे वह नई दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे.

उनके आगमन को लेकर अमरकंटक में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात हैं. नर्मदा नदी के किनारों पर भी सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है.

नर्मदा सेवा यात्रा 11 दिसंबर, 2016 को उद्गम स्थल अमरकंटक से शुरू हुई थी. 148 दिन में लगभग साढ़े तीन हजार किलोमीटर का रास्ता तय करके यात्रा वापस अमरकंटक पहुंची है, जिसका समापन सोमवार को हो रहा है.

तो क्या पीएम नरेंद्र मोदी को भी था अनहोनी का डर, जो वह कार से पहुंचे अमरकंटक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को अमरकंटक में थे, यहां उन्होंने नदी नर्मदा के संरक्षण के लिए रोडमैप जारी किया, लेकिन पीएम मोदी यहां पर एक डर से खुद को नहीं रोक पाए. अमरकंटक को लेकर ऐसी मान्यता है कि कोई बड़ी शख्सियत हवाई मार्ग से अमरकंटक पहुंचता है तो उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- 8 किलोमीटर दूर एक गांव में उनका हेलीकॉप्टर उतारा गया. पीएम मोदी वहां से कार के द्वारा अमरकंटक पहुंचे.

सत्ता गंवाने से जुड़ा है यह मिथक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि जिस राजनेता ने भी नर्मदा नदी को लांघा है, उसे अपनी सत्ता गंवानी पड़ी है. पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के अलावा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा, उमा भारती, सुंदरलाल पटवा, श्यामाचरण शुक्ल, केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, पूर्व राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने नर्मदा नदी को लांघा था, जिसके बाद उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी थी. वहीं अमरकंटक के बारे में मिथक है कि नर्मदा के उद्गम स्थल के आठ किमी के दायरे में जो भी हेलीकॉप्टर से आया, उसने सत्ता गंवाई. इलाके में चर्चा है कि इसी मिथक के चलते पीएम मोदी के लिए डिंडोरी जिले में अमरकंटक से आठ किमी की दूरी पर हेलीपेड बनाया गया है. बाकी की यात्रा उन्होंने कार से की.

ये हैं वे 5 राजनेता, जिन्होंने गंवाई कुर्सी
1. पूर्व उप-राष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत राष्ट्रपति चुनाव से पहले अमरकंटक हेलीकॉप्टर से आए, लेकिन उसके बाद उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी.
2. एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा बाबरी मस्जिद ध्वंस से पहले हेलीकॉप्टर से अमरकंटक आए थे, लेकिन उसके बाद उन्हें भी कुर्सी गंवानी पड़ी.
3. एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री रहते हुए हेलीकॉप्टर से अमरकंटक आए थे, लेकिन उसके बाद उन्हें कांग्रेस पार्टी से अलग होकर नई पार्टी बनानी पड़ी.
4. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती सीएम रहते हुए 2004 में हेलीकॉप्टर से आई थीं. उसके बाद इन्हें भी कुर्सी गंवानी पड़ी. इसके बाद उमा भारती हमेशा सड़क मार्ग से अमरकंटक जाती हैं.

मोदी- अक्षय से प्रभावित, आर्टिस्ट ने टॉयलेट पर किया ऐसा प्रयोग!

जयपुर के एक आर्टिस्ट को कुछ ऐसा सूझा कि उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के सपने को नया रूप दे दिया। इस आर्टिस्ट ने अपनी कला के प्रदर्शन के लिए चुना मोबाइल टॉयलेट्स को।

कलाकार हिमांशु जांगिड ने अपनी इस अनोखी पहल में राजस्थानी कला का सहारा लिया। हिमांशु ने मोबाइल टॉयलेट्स को पेंट करना शुरू किया। इसमें वे अपनी कला के जरिए टेराकोटा, सांगानेरी बगरु प्रिंट, कठपुतली आर्ट, वुडन वर्क, कुंदन मीनाकारी, मेटल वर्क से सजा रहे हैं।

हिमांशु बताते हैं कि वे इस कदम को उठाने के लिए अभिनेता अक्षय कुमार की आने वाली फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा से प्रेरित हुए हैं। इसके तहत शहर के अलग अलग इलाकों में पांच लोकल आर्टिस्ट दस मोबाइल टॉयलेट्स को सजाएंगे। इससे लोग खुले में शौच की बजाय इन टॉयलेट्स का इस्तेमाल करें। इसके तहत हवामहल, अल्बर्ट हॉल, अमरजवान ज्योति, वर्ल्ड ट्रेड पार्क, शहीद स्मारक, अमर जवान ज्योति की तस्वीरें इन मोबाइल टॉयलेट्स पर बनाई जाएंगी।

वे कहते हैं कि देश भर में स्वच्छ भारत अभियान चल रहा है। अक्षय कुमार खुद इस अभियान से प्रेरित हैं, तो हम भी इस अभियान के केंद्र में रखकर यह काम कर रहे हैं। हम अपनी कला के माध्यम से इसे समर्थन दे रहे हैं।

PM मोदी की सिक्योरिटी में लगे अफसर ने खोला ये राज

केदारनाथ धाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिक्योरिटी में लगे एक अफसर ने पीएम मोदी का एक राज खोल दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ में पूजा-अर्चना के साथ कुछ समय घाटी की यादों को संजोने में भी बिताया। मंदिर के हिस्सों के अलावा बर्फीली वादियों बैकग्राउंड में कई एंगल से फोटोग्राफी कराई। सरकारी कैमरामैन ने उनकी पसंद के हिसाब से घाटी के खूबसूरत नजारों को कैद किया।

मोदी सरकार के तीन साल : काशी से क्योटो की ओर बढ़ता प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र

विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री ने बनारस में कहा था, वह इस शहर को ऐसी स्मार्ट सिटी बनाना चाहते हैं जिससे इस शहर मूल स्वरुप प्रभावित न हो। इसीलिए पीएम मोदी ने काशी के विकास के लिए जापान सरकार से सहयोग मांगा। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे काशी आए। अब बनारस का जापान के प्राचीन शहर क्योटो की तर्ज पर विकास किया जा रहा है।

कुछ इस अंदाज में श्रीलंकाई क्रिकेटर मुथैया मुरलीधरन के मुरीद हुए प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को श्रीलंका और भारत में तमिल लोगों के योगदान की तारीफ करते हुए कहा कि इस समुदाय ने दुनिया को महान क्रिकेटर मुथैया मुरलीधरन और राष्ट्रीय नायक ‘पुराच्ची तलाइवर’ एमजीआर जैसे तोहफे दिए हैं. श्रीलंका में भारतीय मूल के तमिल समुदाय को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वे दुनिया की सबसे पुरानी मौजूद भाषाओं में से एक बोलते हैं और यह गर्व की बात है कि उनमें से कई सिंहाला भी बोलते हैं.

उन्होंने तमिल समुदाय को उनकी कड़ी मेहनत और दोनों देशों के लिए योगदान के लिए भी बधाई दी. उन्होंने कहा ,‘‘ हमें आपके पूर्वज याद है जो दृढ़ इच्छाशक्ति और साहस वाले थे, जिन्होंने भारत से तत्कालीन सिलोन तक अपना जीवन सफर शुरू किया.”

उन्होंने कहा, “आधुनिक दौर में तमिल समुदाय ने दुनिया को महान क्रिकेटर मुथया मुरलीधरन और एमजी रामचंद्रन दिए, जिन्हें एमजीआर बुलाया जाता है.’’ श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर मुरलीधरन सर्वाधिक टेस्ट और वनडे विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं. उनका जन्म कैंडी के एक तमिल परिवार में हुआ था. उन्होंने 2005 में चेन्नई की एक लड़की से शादी की थी.

गौरतलब है कि महान क्रिकेटर मुरलीधरन ने पहले वनडे क्रिकेट को अलविदा कहा था, उसके बाद 22 जुलाई 2010 में अपने अंतिम टेस्ट मैच की अपनी अंतिम गेंद पर अपना 800वां और अंतिम विकेट लेकर टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया था. अब वह तमिल यूनियन क्रिकेट और एथलेटिक क्लब के लिए घरेलू क्रिकेट खेलते हैं और इंडियन प्रीमियर लीग के 2010 सीजन तक चेन्नई सुपर किंग्स के साथ जुड़े हुए थे.

मोदी इफेक्ट: चीन कोलंबो में पनडुब्बी रखना चाहता था, श्रीलंका नहीं माना

श्रीलंका ने चीन की एक पनडुब्बी को कोलंबो के बंदरगाह में रखने को लेकर की गई बीजिंग की अपील को खारिज कर दिया है। गुरुवार को नरेंद्र मोदी के श्रीलंका पहुंचने के बाद वहां की सरकार के दो सीनियर ऑफिशियल्स ने यह जानकारी दी। बता दें कि श्रीलंका ने अक्टूबर 2014 में एक चीनी पनडुब्बी को कोलंबो बंदरगाह पर रखने की इजाजत दी थी, जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया था। भारत की चिंताओं को दी तवज्जो…

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, नरेंद्र मोदी 2 दिन के दौरे पर श्रीलंका आए हुए हैं। श्रीलंका सरकार के एक सीनियर ऑफिशियल ने कहा कि कोलंबो में एक चीनी पनडुब्बी को रखने की बीजिंग की अपील को खारिज कर दिया गया है। उन्होंने बताया, “श्रीलंका चीन की पनडुब्बी को किसी भी समय कोलंबो में रखने की अपील से सहमत नहीं था।” इस संबंध में उन्होंने भारत की चिंताओं का भी जिक्र किया। मामले की सेंसिटिविटी को देखते हुए ऑफिशियल ने अपना नाम नहीं बताया।

श्रीलंका की डिफेंस मिनिस्ट्री के एक ऑफिशियल ने भी चीन की पनडुब्बी को कोलंबो के डॉकयार्ड में रखे जाने की अपील को खारिज किए जाने की बात कन्फर्म की। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि फ्यूचर में पनडुब्बी को रखे जाने का फैसला फिलहाल टाल दिया गया है, लेकिन ऐसा बाद में हो सकता है।

चीन ने कुछ दिन पहले मांगी थी इजाजत
डिफेंस मिनिस्ट्री के ऑफिशियल ने बताया कि चीन ने कुछ दिन पहले 16 मई के आसपास पनडुब्बी को बंदरगाह पर रखे जाने के लिए इजाजत मांगी थी। चीन की एम्बेसी के एक करीबी सूत्र ने यह बात कन्फर्म की है कि चीन ने अपनी पनडुब्बी को कोलंबो में रखने के लिए श्रीलंका से अपील की थी, लेकिन उसे अभी श्रीलंका के जवाब का इंतजार है।

मोदी ने गंगारामैया मंदिर में की प्रार्थना, राजपक्षे से मिले
मोदी ने गुरुवार को कोलंबो पहुंचकर गंगारामैया मंदिर में प्रार्थना की। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे से भी मुलाकात की। पीएम यहां शुक्रवार को बौद्ध कैलेंडर के सबसे खास दिन वेसक (वैशाख) दिवस पर होने वाले समारोह में शामिल होंगे। इससे पहले मोदी ने फेसबुक पर अपने दौरे की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मेरी यह यात्रा दोनों देशों के मजबूत रिश्तों को जाहिर करती है।

मोदी के इस दौरे के मायने
भारत सरकार का कहना है कि पीएम के इस दौरे में कोई फॉर्मल बातचीत नहीं होगी। कोई समझौता नहीं होगा। लेकिन इस बातचीत से विदेश मामलों के एक्सपर्ट रहीस सिंह ने कहा कि मैत्रीपाला सिरिसेना के प्रेसिडेंट बनने के बाद भारत-श्रीलंका में नजदीकियां बढ़ी हैं। इस दौरे से इन रिश्तों में और मजबूती आएगी, जो स्ट्रैटजिकली कई मायनों में अहम साबित होगी।

मोदी क्यों गए हैं श्रीलंका?
मोदी बौद्ध कैलेंडर के सबसे खास दिन वेसक दिवस में शामिल होने के लिए कोलंबो गए हैं। इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। वेसक दिवस के समापन पर अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन होगा, जिसमें 100 से ज्यादा देशों के 400 डेलिगेट हिस्सा लेंगे। मोदी श्रीलंका के सेंट्रल प्रोविन्स कैंडी भी जाएंगे, जो सिलोन चाय के लिए मशहूर है।

इस दौरे में क्या कोई समझौता भी होगा?
नहीं। इस दौरे पर कोई फॉर्मल बातचीत या समझौता नहीं होगा, लेकिन विदेश मंत्रालय का कहना है कि मोदी वहां के नेताओं से बातचीत करेंगे। इस दौरान दोनों देशों के रिश्तों का रिव्यू होगा।

मोदी के इस दौरे से क्या श्रीलंका-चीन के रिश्तों पर कोई असर पड़ेगा?
चीन सैन्य रूप से अहम माने जाने वाले श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर अपनी मौजूदगी बढ़ाना चाहता है। उसकी एक कंपनी इसे 99 साल की लीज पर भी लेना चाहती है। यह भारत के लिए चिंता की बात है।

महिंदा राजपक्षे जब श्रीलंका के प्रेसिडेंट थे, तब चीन को भरपूर तवज्जो दी गई। मैत्रीपाला सिरिसेना के प्रेसिडेंट बनने के बाद इसमें कुछ कमी आई, जो फिर एक बार बढ़ती नजर आ रही है। ऐसे में, मोदी का यह दौरा श्रीलंका में चीन के बढ़ते असर को कम करने के लिहाज से अहम माना जा सकता है।

क्या PAK के श्रीलंका में दखल के लिहाज से भी मोदी का यह दौरा खास है?
श्रीलंका में भारत विरोधी लहर का फायदा उठाने से पाकिस्तान भी नहीं चूकता। वह मुस्लिमों और सिंघलियों के बीच हिंदू विरोधी भावना भड़काने में लगा रहता है। 2007-08 में तो उसने इस मकसद से एक अफसर को श्रीलंका भेजा था।

श्रीलंका में रहने वाले तमिलों के हितों के लिए कोई बात होगी?
श्रीलंका ने अपने कॉन्स्टिट्यूशन में 15वें अमेंडमेंट के जरिए जाफना में तमिलों को इंटरनल ऑटोनोमी देने का काफी पहले एलान किया था, लेकिन अब तक नहीं किया है। मोदी के इस दौरे से अटकी हुई वह बात आगे बढ़ने की गुंजाइश है। भारत चाहता है कि तमिलों को उनके अधिकार दिलाए।

क्या मोदी पहली बार श्रीलंका गए हैं?
बतौर पीएम मोदी का यह दूसरा श्रीलंका दौरा है। इससे पहले वो मार्च 2015 में श्रीलंका गए थे। दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों को मजबूती देने के लिए एक समझौता भी हुआ था। उस वक्त 27 साल बाद किसी भारतीय पीएम का श्रीलंका दौरा हुआ था।

श्रीलंका में मोदी का विरोध क्यों हो रहा है?
भारत-श्रीलंका के बीच ट्रिंकोमाली पोर्ट पर तेल भंडार को मिलकर ऑपरेट करने का समझौता हुआ है। अपोजिशन इसके खिलाफ है। ऐसे में, अपोजिशन के नेता और पूर्व प्रेसिडेंट महेंद्रा राजपक्षे के सपोर्टर्स ने मोदी को काले झंडे दिखाने का एलान किया है।

पीएम मोदी ने श्रीलंका को भारत के सहयोग का भरोसा दिलाया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को श्रीलंका को उसकी राष्ट्र निर्माण पहल में भारत के पूर्ण सहयोग का आश्वान देते हुए कहा कि नई दिल्ली उसका मित्र और सहयोगी बना रहेगा. प्रधानमंत्री ने श्रीलंकाई नागरिकों की आर्थिक समृद्धि एवं द्विपक्षीय विकास सहयोग को गहरा बनाने पर जोर दिया.

अंतरराष्ट्रीय बैसाख दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि वह मानते हैं कि सामाजिक न्याय और सतत विश्व शांति की विचारधारा बुद्ध के उपदेशों से मेल खाती है. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही हमारे क्षेत्र का सौभाग्य है कि हमने दुनिया को भगवान बुद्ध और उनकी शिक्षा का तोहफा दिया. भगवान बुद्ध का संदेश आज 21वीं सदी में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना वह ढाई हजार साल पहले था.

श्रीलंका के राष्ट्रनिर्माण पहल में समर्थन का दिया भरोसा
प्रधानमंत्री ने कहा, बौद्ध धर्म और उसके विभिन्न पंथ ‘हमारे प्रशासन, संस्कृति और सिद्धांतों’में गहरी पैठ बनाए हुए हैं. मोदी ने कहा कि दक्षिण, मध्य, दक्षिण पूर्व और पूर्व एशिया को उनके बौद्ध धर्म आधारित संबंधों पर गर्व है जो बुद्ध की धरती से जुड़ी है. प्रधानमंत्री ने श्रीलंका को उसकी राष्ट्र निर्माण पहल में भारत के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया.

मोदी ने कहा वह मानते हैं कि भारत और श्रीलंका अपने संबंधों के महान अवसर के मुहाने पर खड़े हैं. उन्होंने कहा, ‘आप भारत को अपने मित्र, सहयोगी के रूप में पायेंगे जो आपके राष्ट्र निर्माण पहल में आपका सहयोग करेगा.’उन्होंने दोनों देशों को भगवान बुद्ध के शांति, सामंजस्य और करुणा के मूल्यों का नीतियों एवं आचार में समावेश करने पर जोर दिया.

‘दोनों देशों के बीच सहयोग को गहरा बनाने का है लक्ष्य’
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीलंका के साथ भारत का 2.6 अरब डॉलर के विकास सहयोग का मकसद लंका का अपने लोगों के शांतिपूर्ण, समृद्ध और सुरक्षित भविष्य के निर्माण के लिए है. उन्होंने कहा कि भारत का तीव्र विकास सम्पूर्ण क्षेत्र के लिए लाभकारी है विशेष तौर पर श्रीलंका में आधारभूत संरचना, कनेक्टिविटी, परिवहन और ऊर्जा के क्षेत्र में हम सहयोग को आगे बढ़ा रहे हैं. मोदी ने कहा कि भारत, श्रीलंकाई नागरिकों की आर्थिक समृद्धि एवं द्विपक्षीय विकास सहयोग को गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम अपने संबंधों के महान अवसर के समक्ष हैं और हमारे लिये हमारी मित्रता की सफलता का अहम कसौटी हमारी प्रगति और सफलता है. उन्होंने कहा कि करीबी पड़ोसी के रूप में हमारे संबंध बहुस्तरीय हैं . यह बौद्ध धर्म से जुड़े मूल्यों से जुड़ी अनंत संभावनाओं के जरिये हमारे साझे भविष्य की मजबूती से संबंधित है. हमारी मित्रता हमारे लोगों के दिलों में बसती है.

श्रीलंका की आर्थिक समृद्धि के प्रति भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए मोदी ने कहा, ‘मेरे श्रीलंकाई भाइयों एवं बहनों, हम हमारे विकास सहयोग को गहरा बनाने एवं सकारात्मक बदलाव लाने के लिए निवेश जारी रखेंगे.’ उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि कारोबार, निवेश, प्रौद्योगिकी और विचारों का प्रवाह सीमाओं से परे होता है और हमारे लिए साझा लाभ प्रदान करने वाला होता है.’ उल्लेखनीय है कि भारत और श्रीलंका सामरिक रूप से महत्वपूर्ण त्रिंकोमाली बंदरगाह पर तेल टैंकों का परिचालन संयुक्त रूप से करने पर बात कर रहे हैं. इस बारे में समझौते की अभी घोषणा होना बाकी है. इसका कुछ विपक्षी दल और मजदूर संघ विरोध कर रहे हैं.

मोदी ने हालांकि कहा, ‘आधारभूत संरचना, कनेक्टिविटी, परिवहन और ऊर्जा के क्षेत्र में हमारा सहयोग बढ़ेगा.’उन्होंने कहा कि हिन्द महासागर क्षेत्र में चाहे जमीन हो या जल, हमारे समाजों की सुरक्षा सर्वोपरि है.

हिंद महासागर में चीन की नजर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी ऐसे समय में महत्वपूर्ण मानी जा रही है जब श्रीलंका में चीन के पैर जमाने का प्रयास करने के कारण हिन्द महसागर और सुरक्षा का विषय महत्वपूर्ण हो गया है. श्रीलंका हंबनतोता बंदरगाह का 80 प्रतिशत हिस्सा 99 वर्ष के पट्टे पर चीन को देने की योजना को अंतिम रूप दे रहा है. इस संबंध में चीन की पनडुब्बी के 2014 में श्रीलंका के बंदरगार पर लंगर डालने का मुद्दा भी अहम है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बाद में भारतीय मूल के तमिलों को संबोधित करते हुए कहा कि विविधता उत्सव मनाने का विषय है, संघर्ष का नहीं और भारत मध्य लंका में तमिलों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए श्रीलंका की ओर से उठाये गए सक्रिय कदमों का पूरा समर्थन करता है.

मोदी ने किया ऐलान- कोलंबो, वाराणसी के बीच एयर इंडिया की सीधी उड़ान अगस्त से

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वाराणसी से कोलंबो के बीच सीधी उड़ान सेवा शुरू किए जाने की घोषणा की. अगस्त से शुरू होने वाली इस उड़ान सेवा का परिचालन सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया करेगी. अपनी दो दिन की श्रीलंका यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय बैसाख दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने यह घोषणा की. बैसाख दिवस को बौद्धों का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है.

उन्होंने कहा कि यह उड़ान सेवा ‘मेरे तमिल भाई-बहनों’ को काशी विश्वनाथ की नगरी वाराणसी जाने की सुविधा देगी. उल्लेखनीय है कि वाराणसी से 10 किलोमीटर की दूरी पर सारनाथ पड़ता है जो बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थों में से एक है.
माना जाता है कि बिहार के बोधगया में ‘ज्ञान की प्राप्ति’ के बाद गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था जिसे ‘महा धर्मचक्र परिवर्तन’ कहा जाता है. सीधी उड़ान सेवा से बौद्ध बहुल श्रीलंका के तीर्थयात्रियों को सारनाथ घूमने में आसानी होगी. वाराणसी मोदी का संसदीय क्षेत्र है.