Monthly Archives: May 2017

Modi@3: नोटबंदी है मास्टरस्ट्रोक, अर्थव्यवस्था को हुआ 5 लाख करोड़ का फायदा

कालेधन पर लगाम और डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों का चलन बंद करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कदम से देश की अर्थव्यवस्था को करीब 5 लाख करोड़ का लाभ हुआ है. सरकार की एक उच्च स्तरीय आंतरिक आंकलन रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

हमारे सहयोगी अखबार मेल टुडे को इस रिपोर्ट की कॉपी मिली है, जिसमें बताया गया है कि पिछले साल 8 नवंबर को प्रधानमंत्री के अचानक लिए इस फैसले के वक्त हमारी अर्थव्यवस्था में करीब 17.77 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट चलन में थे. वहीं मई, 2017 आते-आते उपयोग किए जा रहे बैंक नोटों का मूल्य करीब 19.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया.

हालांकि, यहां गौर करने वाली बात यह है कि इस अप्रैल के अंत में भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, कुल 14.2 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि इस वक्त अर्थव्यवस्था में नकदी की मौजूगी नोटबंदी न किए जाने की हालत के मुकाबले करीब 5 लाख करोड़ रुपये कम है.

इससे यह भी पता चलता है कि लोगों के पास रखी नकदी की संख्या में भी कमी आई है. चूंकि इस तरह घर में पड़े पैसों का अर्थव्यवस्था के विकास में कोई योगदान नहीं होता, ऐसे में इसकी संख्या में कमी देश के फायदेमंद है.

रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के दूसरे फायदों में टैक्स आधार का बढ़ना, डिजिटल लेनेदेन में इजाफा, बैंक जमा में बढ़ोतरी और हाउसिंग सेक्टर में मजबूती भी शामिल है.

बता दें कि 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों का चलन अचानक बंद किए जाने के फैसले के बाद नए नोटों की उस रफ्तार से पूर्ति नहीं होने के कारण देश की लाखों जनता को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. प्रधानमंत्री ने इस ऐलान के वक्त कहा था कि नोटबंदी का कदम कालेधन और जाली नोटों पर लगाम लगाने के साथ भारत को निशाना बनाने वाले आतंकियों की फंडिंग खत्म करने के लिए जरूरी कदम था.

सरकार की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में इस वक्त 14.2 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में हैं, जो कि सारी ट्रांजैक्शन जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी हैं. इसमें यह भी अनुमान लगाया गया है कि नोटबंदी की वजह से भारत का कुल निजी आयकर राजस्व भी अगले दो वर्षों में बढ़कर दोगुना हो जाएगा और इसके कुछ लाभ अभी से दिखने भी लगे हैं.

वित्त वर्ष 2016-17 के लिए सेल्फ टैक्स असेसमेंट फॉर्म भरने वाले लोगों की संख्या में 23.8 फीसदी का उछाल देखा गया है. सरकार का मानना है कि इस 23.8 फीसदी में से कम से कम 10 फीसदी का बढ़ोतरी को नोटबंदी की वजह से ही देखने को मिली है.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी का एक सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि लोग डिजिटल लेनदेन की तरफ आकर्षित हुए हैं. वित्त वर्ष 2016-17 में कुल 300 करोड़ डिजिटल ट्रांजैक्शन दर्ज की गई. वहीं सरकार का अनुमान है कि वित्तवर्ष 2017-18 के शुरुआती हफ्तों का चलन आगे भी जारी रहा तो इस साल डिजिटल ट्रांजैक्शन की संख्या बढ़कर 2,500 करोड़ तक जा सकती है.

पेटीएम, एसबीआई बडी और फ्रीचार्ज आदि मोबाइल वॉलेट के जरिये अभी ही रोजाना करीब 200 करोड़ रुपये का लेनदेन हो रहा है. वहीं BHIM ऐप के लॉन्च होने के पांच महीनों के अंदर करीब दो करोड़ लोगों ने इसे डाउनलोड किया है. इस अध्ययन के मुताबिक, BHIM और UPI पेमेंट गेटवे के जरिये अभी ही करीब रोजाना 140 करोड़ रुपये का लेनदेन हो रहा है. वहीं डेजिट कार्ड का भी इस्तेमाल नोटबंदी के बाद से काफी बढ़ा है. वर्ष 2015-16 में जहां डेबिट कार्ड से करीब 117 करोड़ ट्रांजैक्शन हुआ, जो कि करीब 1.58 लाख करोड़ मूल्य का था. वहीं 2016-17 में यह बढ़कर 240 करोड़ डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन हो गया, जिसका कुल मूल्य 3.3 लाख करोड़ रुपये था.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड में पीड़ितों के लिए घोषित की 2-2 लाख की सहायता राशि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में बस दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की बुधवार को मंजूरी दी.प्रधान मंत्री मोदी ने दुर्घटना में गंभीर रूप से घायलों में से प्रत्येक को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 50 हजार रूपये देने की मंजूरी दी.उत्तरकाशी जिले में मंगलवार शाम नलूपानी के नजदीक भागीरथी नदी में बस गिरने से मध्य प्रदेश के 21 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी. हादसे में आठ लोग घायल हो गए थे

यह दुर्घटना तब हुई जब तीर्थयात्री हिमालय स्थित गंगोत्री से लौट रहे थे.मोदी ने कहा, ‘मेरी प्राथनाएं उत्तरकाशी में दुखद बस दुर्घटना में अपने प्रियजनों को खोने वाले लोगों के साथ हैं. घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं ‘.

अमित शाह ने कहा: जो सभी सरकारों ने 70 साल में नहीं किया, वह मोदी सरकार ने तीन साल में कर दिखाया

भाजपा प्रमुख अमित शाह ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गईं कल्याण एवं विकास योजनाओं को रेखांकित करते हुए बुधवार (24 मई) को कहा कि इस सरकार के प्रदर्शन पर सवाल उठाने वालों को पहले यह जवाब देना चाहिए कि दशकों तक सत्ता में रहने के दौरान उन्होंने क्या किया. उन्होंने कहा कि उनके पास तीन साल पहले केंद्र में सत्ता में आने के बाद से राजग सरकार द्वारा शुरू की गई 106 योजनाओं की सूची है. लगभग हर 15 दिनों में एक योजना लागू की गई.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा नीत सरकार से यह पूछा था कि वह सत्ता में तीन साल तक रहने के बाद किस बात का जश्न मना रही है क्योंकि उसके पास दिखाने के लिए अब ‘टूटे वादे’ और ‘खराब प्रदर्शन’ के सिवाय कुछ नहीं है. राहुल गांधी के इस बयान का स्पष्ट जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि लोग यह जानना चाहते हैं कि उन्होंने 70 साल क्या किया.

इस बीच तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने राज्य को केंद्र द्वारा दी गयी निधियों के संबंध में दिये गये बयान को लेकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से आज माफी मांगने को कहा. उन्होंने कहा कि यदि शाह द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़े सही साबित होते हैं तो वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. शाह ने मंगलवार (23 मई) को कहा था कि राजग सरकार विभिन्न मदों के तहत तेलंगाना को वार्षिक आधार पर अतिरिक्त 20000 करोड़ रुपए दे रही है.

मोदी की लोकप्रियता बढ़ी, फिर आएंगे सत्ता में: NBT सर्वे

पिछले 3 सालों में एक-दो अपवादों को छोड़कर चुनाव-दर-चुनाव BJP और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर मुहर लगती रही है। कुछ ऐसी ही तस्वीर नवभारत टाइम्स और टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड की 9 अन्य वेबसाइट्स पर किए गए महापोल में भी सामने आई है। सर्वे में भाग लेने वाले करीब 10 लाख पाठकों ने सरकार के कामकाज को लेकर संतोष जताया है और ज्यादातर का मानना है कि अभी चुनाव हुए तो मोदी सरकार बिना किसी मुश्किल के सत्ता में वापसी करेगी।

3 साल पूरे होने पर देशभर की जनता का मूड जानने के लिए 7 सवालों के साथ हमने एक सर्वे कराया। ज्यादातर सवालों पर मिलीं प्रतिक्रियाएं जहां सरकार के लिए राहत भरी हैं, वहीं कुछ मुद्दों पर लोग सरकार से संतुष्ट नहीं हैं। सर्वे में भाग लेने वालों ने आतंकवाद, कश्मीर और नक्सलवाद जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सरकार के कामकाज को लेकर नाखुशी जताई है, वहीं कई नई योजनाओं को भरपूर नंबर भी दिए हैं।

NBT के सर्वे में भाग लेने वाले 74% लोगों का मानना है कि 3 साल का कार्यकाल बीत जाने के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता लगातार बढ़ी है। इस मामले में हमारी तमिल समयम साइट के रीडर्स एकमात्र अपवाद हैं, जिनमें से ज्यादातर ने माना है कि मोदी की लोकप्रियता या तो पहले जैसी है या घटी है। सर्वे में एक अन्य सवाल के जवाब में 71% लोगों ने मोदी के कार्यकाल को बढ़िया बताया है, जबकि 18% की नजर में ये 3 साल कामचलाऊ रहे हैं। 11% लोगों ने PM मोदी के कार्यकाल को बेकार बताया है।

नोटबंदी सुपरहिट फैसला रहा

सर्जिकल स्ट्राइक से सरकार की वाहवाही हुई तो नोटबंदी की वजह से सरकार लगातार जनता के एक तबके और विपक्ष के निशाने पर रही। फिर भी हमारे सर्वे में 56% लोगों की नजर में नोटबंदी ही सरकार का सबसे बड़ा फैसला रहा, जबकि सिर्फ 13% लोगों की नजर में सर्जिकल स्ट्राइक सबसे बड़ा फैसला रहा। 7% लोगों ने माना कि जनधन खाते खुलवाने और सब्सिडी सीधे खाते में ट्रांसफर करने जैसी योजनाएं मौजूदा सरकार के सबसे बड़े फैसले रहे।

आजादी के बाद सबसे बड़े टैक्स सुधार के रूप में प्रचारित किए जा रहे GST को भी 15% लोगों का समर्थन मिला है। हालांकि, इसके साथ ही पाठकों की राय में यह कसक भी दिखी कि नोटबंदी को और बेहतर तरीके से लागू किया जाता तो परिणाम ज्यादा अच्छा होता और ब्लैक मनी पर भी अंकुश लगाने में मदद मिलती।

आतंकवाद पर जागे सरकार

सर्वे में हमने यह जानने की भी कोशिश की कि सरकार किस मोर्चे पर सबसे ज्यादा विफल रही। इस सवाल के जवाब में 45% लोगों ने माना कि आतंकवाद पर लगाम कसने में सरकार फ्लॉप रही है। 33% लोगों की नजर में सरकार नई नौकरियां पैदा नहीं कर पा रही है और 4% लोगों ने माना है कि सरकार खेती और किसानों की दशा में सुधार नहीं कर पाई है। आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर लोग नक्सलवाद को एक चुनौती मानते हैं और कई लोगों ने माना कि इस पर अभी बहुत कुछ करना होगा।

हालांकि, इस सवाल के जवाब में हमारी अलग-अलग साइटों पर स्थानीय मुद्दे छाए रहे। तमिल समयम की साइट पर वोट करने वाले 44% पाठकों का मानना है कि खेती और किसानों की दशा में कोई सुधार नहीं हुआ है और यह NDA सरकार की सबसे बड़ी असफलता है। मराठी, कन्नड़ और तेलुगू के भी एक-चौथाई से ज्यादा पाठकों ने माना कि खेती-किसानी की स्थिति में सुधार न होना सरकार की सबसे बड़ी असफलता है।

भ्रष्टाचार पर और कदम उठाने की जरूरत

मोदी सरकार ने नोटबंदी को भ्रष्टाचार खत्म करने की राह का सबसे बड़ा फैसला करार दिया। सर्वे में भी 65% भागीदारों ने यह माना है कि सरकार ने भ्रष्टाचार को रोकने की दिशा में अच्छा काम किया है, लेकिन इन लोगों का यह भी मानना है कि सरकार को इस मोर्चे पर अभी और काम करने की जरूरत है। 16% की नजर में भ्रष्टाचार रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है और 19% का मानना है कि सरकार ने अपर्याप्त कदम उठाए हैं।

तीन साल बाद भी देश में मोदी की लहर, अभी चुनाव हुए तो NDA को मिल सकता है पूर्ण बहुमत : सर्वे

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल पूरा होने के मौके पर एबीपी न्यूज-सीएसडीएस-लोकनीति ने सर्वे कराया है और केंद्र सरकार को लेकर लोगों का मूड जानने का कोशिश की है. सर्वे के मुताबिक देश में अब भी मोदी लहर कायम है और अगर अभी लोकसभा चुनाव होते हैं तो एनडीए को पूर्ण बहुमत मिल सकता है. मोदी सरकार के कार्यकाल का तीन साल 26 मई को पूरा हो रहा है.

अभी चुनाव होने पर दोबारा केंद्र में मोदी सरकार की संभावना

सर्वे के मुताबिक तीन साल बाद भी लोगों ने नरेंद्र मोदी की अगुआई में केंद्र सरकार का समर्थन किया है. सर्वे के मुताबिक अभी अगर लोकसभा के चुनाव होते हैं तो फिर से केंद्र में मोदी सरकार की संभावना है. एबीपी न्यूज-सीएसडीएस-लोकनीति सर्वे के अनुसार अभी चुनाव होने पर एनडीए को 331 सीटें मिल सकती है. हालांकि 2014 की तुलना में एनडीए को 4 सीट का नुकसान होने की संभावना है. 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी की अगुआई में एनडीए को 335 सीटें मिली थीं. सर्वे के अनुसार राहुल गांधी की अगुआई में यूपीए के लिए भी राहत की खबर है. सर्वे के अनुसार अभी चुनाव हुए तो यूपीए को 104 सीटें मिल सकती है.

NDA गठबंधन को कुल 543 सीटों में से 331 सीटें मिलने का अनुमान

सर्वे की मदद से यह पता लगाने की कोशिश की गई है कि अगर आज चुनाव होते हैं तो कौन-सी पार्टी सरकार बनाने में कामयाब रहती है. सर्वे के मुताबिक अगर आज चुनाव होते हैं तो बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए (NDA) गठबंधन को कुल 543 सीटों में से 331 सीटें मिलने का अनुमान है. इस लिहाज से एनडीए को फिर से पूर्ण बहुमत मिल सकता है. सर्वे में यूपीए को 104 सीटें और अन्य को 108 सीटें मिलने का अनुमान है. आंकड़े के मुताबिक एनडीए को 4 सीटों का नुकसान, यूपीए को 44 सीटों का फायदा और अन्य को 40 सीटों का नुकसान होते हुए दिख रहा है. 2014 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले बीजेपी को वोट बैंक के लिहाज से फायदा हो रहा है. एनडीए के वोट शेयर में करीब 7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. एनडीए को 45 प्रतिशत, यूपीए तो 27 प्रतिशत और अन्य को 22 प्रतिशत वोट मिल सकता है.

पीएम के लिए मोदी सबसे पसंदीदा

सर्वे के मुताबिक प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी सबसे लोकप्रिय हैं. मोदी जनता की पहली पसंद हैं. 44 प्रतिशत लोगों ने पीएम के रूप में मोदी को पसंद किया है. 9 फीसदी लोगों ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को, 3 प्रतिशत लोगों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को और 2 प्रतिशत लोगों ने मनमोहन सिंह को पीएम पद के लिए पसंद किया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 2 फीसदी और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को 1 फीसदी वोट मिले.

बीजेपी के वोट बैंक में इजाफा

2014 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले बीजेपी के वोट बैंक में पिछले तीन सालों में आठ प्रतिशत का इजाफा हुआ है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 31 फीसदी वोट मिले थे जो सर्वे के मुताबिक, 2017 में 39 फीसदी हो गया है. वहीं बीजेपी सहयोगियों के वोट प्रतिशत में सिर्फ एक फीसदी का इजाफा हुआ है. सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस के वोट बैंक में भी दो फीसदी का इजाफा हुआ है. 2014 में कांग्रेस को 19 फीसदी वोट मिला था जबकि सर्वे के मुताबिक अभी चुनाव हुए तो कांग्रेस को 21 फीसदी फोटो मिलेंगे. यूपीए के वोट बैंक में एक फीसदी का इजाफा हुआ है.

चीन के OBOR के जवाब में मोदी ने की एशिया-अफ्रीका विकास गलियारा की वकालत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार (23 मई) को जापान और भारत के समर्थन से ‘एशिया- अफ्रीका विकास गलियारा’ बनाये जाने पर जोर दिया. चीन की महत्वकांक्षी ‘वन बेल्ट, वन रोड’ पहल के कुछ ही दिन बाद प्रधानमंत्री की तरफ से यह आह्वान किया गया है. मोदी ने कहा, ‘भारत की अफ्रीका के साथ भागीदारी सहयोग के मॉडल पर आधारित है. यह अफ्रीकी देशों की जरूरतों के अनुरूप है.’ प्रधानमंत्री ने यहां अफ्रीकी विकास बैंक समूह की 52वीं वार्षिक आम बैठक का उद्घाटन करने के मौके पर यह बात कही. यह बैठक भारत में पहली बार हो रही है. अफ्रीका और एशियाई देशों के बीच आर्थिक वृद्धि का गलियारा बनाये जाने पर जोर देते हुये उन्होंने कहा कि उनकी हाल की जापान यात्रा के दौरान इस बारे में बातचीत हुई थी.

भारत की तरफ से यह मुद्दा ऐसे समय उठाया गया है जब चीन ने अरबों डॉलर की वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) योजना की पहल की है. यह परियोजना चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग की पसंदीदा योजनाओं में है. इसके जरिये यूरोप एशिया भूभाग को हिन्द-प्रशांत समुद्री मार्ग से जोड़ने का कार्यक्रम है. मोदी ने कहा, ‘मेरी जापान यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री शिंजो अबे के साथ मेरी बैठक में, मैं प्रसन्नता के साथ यह कहना चाहूंगा कि हमारे संयुक्त घोषणापत्र में हमने एशिया-अफ्रीका विकास गलियारा को भी शामिल किया था और इसके लिये हमारे अफ्रीका के भाईयों एवं बहिनों के साथ आगे बातचीत का प्रस्ताव रखा गया था.’

मोदी ने कहा कि इस विकास गलियारे को आगे कैसे बढ़ाया जायेगा इसके लिये ‘भारत और जापान के शोध संस्थानों ने अफ्रीकी शोध संस्थाओं के साथ विचार विमर्श कर इसके लिये दृष्टिकोण दस्तावेज तैयार किया है.’ उन्होंने कहा कि इस दृष्टिकोण पत्र को बाद में बोर्ड की बैठक में प्रस्तुत किया जायेगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके पीछे यही विचार है कि भारत, जापान और दूसरे भागीदारी कौशल, ढांचागत सुविधाओं, विनिर्माण और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में संयुक्त तौर पर की जाने वाली पहल के लिये आगे आयें. उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि के मामले में अफ्रीका को भारत की प्राथमिकता सूची में सबसे शीर्ष पर रखा गया है.

मोदी ने 3,000 प्रतिनिधियों जिनमें ज्यादातर अफ्रीकी देशों से यहां पहुंचे हैं, की उपस्थिति में कहा, ‘वर्ष 2014 में सत्ता संभालने के बाद मैंने भारत की विदेश और आर्थिक नीतियों के मामले में अफ्रीका को शीर्ष प्राथमिकता दी है.’ बैठक में कई अफ्रीकी देशों के वरिष्ठ अधिकारी और शीर्ष नेता भी पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि अफ्रीका में निवेश करने वाला भारत पांचवां बड़ा निवेशक है. भारत ने पिछले 20 साल के दौरान अफ्रीका में 54 अरब डॉलर का निवेश किया है.

‘पिछले 15 साल के दौरान अफ्रीका-भारत का व्यापार कई गुणा बढ़ गया है. पिछले पांच साल के दौरान यह दोगुना होकर 2014-15 में 72 अरब डॉलर पर पहुंच गया.’ मोदी ने इस अवसर पर भारत और अफ्रीका के बीच सदियों पुराने सहयोग को भी याद किया. उन्होंने विशेषकर भारत के पश्चिमी राज्यों जैसे गुजरात का अफ्रीकी देशों के साथ व्यापारिक समुदायों के सहयोग का भी जिक्र किया.

जल संकट से निपटने के लिए PM मोदी ने नई पीढ़ी को बताई ये तरकीब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार रात कहा कि अगली पीढ़ी को विवेकपूर्ण ढंग से पानी का इस्तेमाल करना सिखाया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने किसानों को सिंचाई के लिए बूंद-बूंद (ड्रिप) और छिड़काव (स्प्रिंकलर) प्रणाली का इस्तेमाल करने की सलाह दी.

मोदी ने कहा कि गुजरात में सरकारों ने कई वर्षों तक पर्याप्त संख्या में धन खर्च किया ताकि राज्य के सूखाग्रस्त इलाके में भी लोगों को पानी मिल सके. मोदी नर्मदा नहर नेटवर्क की कच्छ शाखा पर तीसरे पम्पिंग स्टेशन के उद्घाटन समारोह में मौजूद लोगों को संबोधित कर रहे थे. यह पम्पिंग स्टेशन दक्षिण गुजरात में बहने वाली नर्मदा नदी से पानी को करीब 600 किलोमीटर दूर अंजार तालुक में स्थित टप्पर बांध ले जाएगा.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अन्य राज्य के लोगों का मानना है कि गुजरात एक संपन्न राज्य है. हालांकि वह यह नहीं समझते कि यहां सरकार लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए हर साल बड़ी संख्या में धन खर्च करती है.’ सौराष्ट्र, कच्छ और उत्तरी हिस्सों की तरह राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पेयजल की समस्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि गुजरात में हर साल कई गांवों और शहरों में टैंकरों के जरिए पीने का पानी मुहैया कराने पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए.

उन्होंने कहा कि 1998 में केशुभाई पटेल के नेतृत्व में राज्य में भाजपा की सरकार आने से लेकर मुख्यमंत्री विजय रुपानी के नेतृत्व वाली सरकार तक गुजरात में पानी की समस्या का स्थायी समाधान लाने के लिए इंतजामों पर ध्यान केंद्रित किया है. वर्ष 2001 से 2014 के बीच गुजरात के मुख्यमंत्री रहे मोदी ने उत्तरी गुजरात, कच्छ और सौराष्ट्र को पानी मुहैया कराने के लिए नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर परियोजना को पूरा करने पर भी ध्यान केंद्रित किया था.

उन्होंने कहा, ‘अब मां नर्मदा हम तक पहुंच गई है तो मैं आपसे इसका विवेकपूर्ण ढंग से इस्तेमाल करने का आग्रह करंगा. ना केवल आप को, बल्कि अगली पीढ़ी को बुद्धिमानी से पानी का इस्तेमाल करना सिखाना चाहिए. किसानों को अपनी फसल को पानी देने के लिए बूंद-बूंद और छिड़काव तरीके से सिंचाई करनी चाहिए.’

Modi@3: मोस्ट स्टाइलिश पीएम ऑफ द वर्ल्ड, देखें जानदार ‘Look’

आपको स्टाइल में बने रहने के लिए किसी किलर लुक या फिर लंबी चौड़ी कद-काठी की जरूरत नहीं होती। आप कितने स्टाइलिश हैं ये आपके व्यक्तित्व से ही झलकता है। जैसे की देश के पीएम मोदी।

मोदी हमेशा स्टाइल में बने रहते हैं। मोदी जहां जाते हैं वहीं के हो जाते हैं। तीन साल की सत्ता में लोगों ने मोदी के कई रूप देखें। आइए आगे की स्लाइड्स में देखें पीएम मोदी के अलग-अलग स्टाइल भरे अंदाज।

मोदी ने इस फोटो में डेनिम ट्राउजर के साथ टेक्सन हैट पहनी हुई है।

सरकार के 3 साल : मोदी-शाह के तिलिस्‍मी दांव, ‘सुनामी’ में तब्‍दील होती ‘लहर’

आमतौर पर सियासत में देखा जाता है कि किसी ‘लहर’ के दम पर चुनाव जीतने के बाद समय गुजरने के साथ उसका असर कम होता जाता है लेकिन ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सियासी दस्‍तूर को बदल दिया है. सरकार के तीन साल होने के बावजूद ‘मोदी लहर’ बदस्‍तूर जारी है. तमाम सर्वे बता रहे हैं कि यदि आज चुनाव हो जाए तो बीजेपी आराम से फिर से सत्‍ता में वापसी कर लेगी. इसकी बानगी इस बात से भी समझी जा सकती है कि इन तीन वर्षों में 13 राज्‍यों में चुनाव हुए हैं और बीजेपी ने उनमें से नौ में जीत हासिल की है. सिर्फ इतना ही नहीं, बहुमत की परिभाषा भी बदल दी गई है. यूपी और उत्‍तराखंड चुनाव में तीन चौथाई बहुमत हासिल कर बीजेपी ने एक सियासी लकीर खींच दी है. कभी महज दो सीटों का प्रतिनिधित्‍व करने वाली बीजेपी में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी के नेतृत्‍व का ही नतीजा है कि इस वक्‍त बीजेपी के पूरे देश में करीब 1300 विधायक और सवा तीन सौ सांसद हैं. राजनीतिक विश्‍लेषक इसके पीछे कई ऐसे कारण बता रहे हैं जिनके दम पर नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी ने ऐतिहासिक सियासी कामयाबी हासिल की है :

संगठन और सरकार

भारतीय राजनीति में अक्‍सर ऐसा देखा गया है कि सत्‍ता में आने के बाद सरकार और पार्टी के बीच एक दूरी उत्‍पन्‍न हो जाती है. पार्टी पीछे छूट सी जाती है लेकिन पीएम मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने इस मामले में नई परिभाषा रची है. इन दोनों नेताओं के नेतृत्‍व ने सरकार और संगठन के बीच जबर्दस्‍त कदमताल मिलाने में कामयाबी हासिल की है. सरकार के फैसलों को संगठन जमीन के स्‍तर तक प्रचारित करने में कोई कसर नहीं छोड़ता और पार्टी के मंसूबों और संकल्‍प पत्र को सरकार अमलीजामा पहनाने में कोई कसर नहीं छोड़ती. इसके अलावा कहीं भी चुनाव होने की स्थिति में अमित शाह जहां एक कार्यकर्ता की तरह बूथ स्‍तर तक उतर जाते हैं वहीं पीएम मोदी संगठन के सिपाही की तरह अपनी व्‍यस्‍तताओं के बावजूद पार्टी प्रचार में उतरने से गुरेज नहीं करते.

स्‍वर्ण काल कहने से परहेज

इतनी जबर्दस्‍त कामयाबी के बावजूद अमित शाह अभी इस दौर को बीजेपी का स्‍वर्ण काल कहने से परहेज करते हैं. उन्‍होंने नए सियासी लक्ष्‍यों को रखते हुए पंचायत से लेकर संसद तक जीत का लक्ष्‍य निर्धारित किया है. इसके लिए बीजेपी ने ऐसे माइक्रो मैनेजमेंट का तानाबाना तैयार किया है जिसमें बीजेपी के लिए हर सीट एक जैसी ही है- यानी उसके लिए अब कोई सीट मजबूत या कमजोर नहीं है. हर सीट पर जीतना ही पार्टी का अब लक्ष्‍य है.

भविष्‍य की राह…

अगले एक साल के भीतर गुजरात, हिमाचल, कर्नाटक और त्रिपुरा में चुनाव होने जा रहे हैं. गुजरात में पिछले 15 वर्षों में पहली बार पार्टी पीएम मोदी के बिना चुनाव में उतरेगी. लेकिन पार्टी के आत्‍मविश्‍वास का ही नतीजा है कि पार्टी ने जीत के लिए 150 सीटें जीतने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है. त्रिपुरा जैसे राज्‍य में बीजेपी की स्थिति परंपरागत रूप से कमजोर रही है लेकिन पार्टी इस बार पूरे दमखम से वहां चुनाव लड़ने के मूड में दिखती है. इससे बीजेपी के आत्‍मविश्‍वास की झलक दिखती है.

अफ्रीकन डेवलेपमेंट बैंक की बैठक में मोदी बोले- पिछले 5 साल में दोगुना हुआ व्यापार

गुजरात के दो दिवसीय दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अफ्रीकन डेवलेपमेंट बैंक की 42वीं सालाना बैठक का उद्घाटन किया. गांधीनगर के महात्मा मंदिर सेंटर में आयोजित बैठक में पीएम ने बोला कि केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद अफ्रीकन देशों से भारत का व्यापार बढ़ा है.

साथ ही पीएम मोदी ने बोला कि अफ्रीकी देशों के साथ हमारे संबंध मजबूत हुए है. उन्होंने कहा कि साल 2014 में पद संभालने के बाद अफ्रीका को शीर्ष प्राथमिकता दी गई है. पिछले 15 सालों में अफ्रीका और भारत के बीच व्यापार कई गुना बढ़ा है.

पीएम ने बताया कि पिछले 15 सालों में भारत और अफ्रीका के बीच व्यापार में भारी बढ़ोतरी हुई है. जबकि पिछले 5 सालों में व्यापार दोगुना हो गया है.

पीएम ने कहा कि अफ्रीका के साथ शिक्षा और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग पर भारत को गर्व है. वहीं पीएम मोदी ने ये भी कहा कि अगले साल से भारत का कोई भी गांव बिजली के बिना नहीं रहेगा.

इससे पहले सोमवार को दो दिवसीय दौरे के तहत गुजरात के कांडला पहुंचे प्रधानमंत्री ने पोर्ट के ओवरब्रिज के साथ 900 करोड़ के विकास कार्य का लोकार्पण किया. साथ ही प्रधानमंत्री ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को कांडला पोर्ट का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल पोर्ट करने का भी सुझाव दिया.

अपने भाषण की शुरुआत स्थानीय भाषा (कच्छी) में करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कच्छ के लोग बिना पानी जिंदगी गुजारते रहे. पानी का महत्व क्या होता है. ये कच्छ के लोग अच्छी तरह जानते हैं. विराट समंदर, मरुभूमि, पहाड़ और गौरवपूर्ण इतिहास, पांच हजार साल पुरानी संस्कृति के सबूत.. कच्छ के पास क्या नहीं है. उन्होंने कहा कि कच्छ के पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है.

मोदी ने कहा कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा का अगर ला भ उठाना है, भारत के पास बेहतरीन बंदरगाहों का होना बहुत जरुरी है. इतने कम समय में कांडला पोर्ट का जिस तरह विकास हुआ है, इसने एशिया के प्रमुख बंदरगाहों में अपनी जगह बना ली है. पोर्ट सेक्टर में काम करने वाले समझते हैं कि कांडला की उपलब्धि क्या है. कांडला दुनिया के वित्तीय बाजार में अंगद की तरह पैर जमाएगा.

उन्होंने कहा कि कांडला पोर्ट के पास भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की पूरी क्षमता है. बता दें कि पिछले 10 महीने में यह 11वां मौका होगा, जब पीएम मोदी अपने गृह राज्य गुजरात पहुंचे हैं.