प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 26 मई 2014 सत्ता संभालने के साथ ही केंद्र सरकार ने आम भारतीयों की जिंदगी में सुधार के लिए अनेकों फैसले किए। केंद्र सरकार अपनी योजनाओं को आम जन तक पहुंचाने के लिए जहां सोशल मीडिया का सहारा ले रही है। वहीं पार्टी की तरफ से सरकार की कामयाबी को बताने के लिए देशभर में 200 कार्यक्रमों को आयोजित करने का फैसला किया है। आइए आप को बताते हैं कि पिछले दो सालों में मोदी सरकार ने कौन-कौन से महत्वपूर्ण फैसले लिए।
डिजिटल भारत
21 अगस्त 2014 को डिजिटल भारत अभियान शुरु किया गया था। इस अभियान के पीछे मकसद था कि भारत को एक इलेक्ट्रिाॅनिक अर्थव्यवस्था में बदला जाए। इस कार्यक्रम के तहत भारत सरकार की मंशा है कि सभी सरकारी विभाग और भारत की जनता एक दूसरे से डिजिटल रुप से या इलेक्ट्रिाॅनिक तौर पर जुड़ें ताकि प्रभावी प्रशासन चलाया जा सके। इसका एक लक्ष्य कागज़ी कार्रवाई कम से कम करके सभी सरकारी सेवाओं को जनता तक इलेक्ट्रिाॅनिकली पहुंचाना है। सभी गांवों और ग्रामीण इलाकों को इंटरनेट नेटवर्क से भी जोड़ने की योजना है। डिजिटल भारत के तीन प्रमुख घटक हैं। डिजिटल बुनियादी सुविधाएं, डिजिटल साक्षरता और सेवाओं का डिजिटल वितरण। सरकार की योजना है कि इस कार्यक्रम को पांच सालों में पूरा कर लिया जाए। उम्मीद है कि 2019 तक डिजिटल भारत परियोजना पूरी तरह से काम करने में सक्षम हो जाएगी।
प्रधानमंत्री जन धन योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री जन धन योजना की शुरुआत की। इस योजना की घोषणा उन्होंने 15 अगस्त 2014 को अपने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण में की थी। यह एक वित्तीय समावेशन कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के शुरु होने के पहले दिन ही डेढ़ करोड़ बैंक खाते खोले गए थे और हर खाता धारक को 1,00,000 रुपये का बीमा कवर दिया गया। इस योजना के तहत अब तक 3.02 करोड़ खाते खोले गए और उनमें करीब 1,500 करोड़ रुपये जमा किये गए। इस योजना के अनुसार कोई भी व्यक्ति शून्य बैलेंस राशि के साथ खाता खोल सकता है।
स्वच्छ भारत अभियान
प्रधानमंत्री ने 24 सितंबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान को मंजूरी दी जो कि पिछली सरकार द्वारा शुरु किये गए निर्मल भारत कार्यक्रम का संशोधित स्वरुप था। स्वच्छ भारत अभियान को औपचारिक रुप से महात्मा गांधी की जयंती पर 2 अक्टूबर 2014 को शुरु किया गया। इसका लक्ष्य था कि साल 2019 तक यानि महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती तक भारत को स्वच्छ बनाया जा सके। योजना है कि ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों तक शौचालय और साफ-सफाई की सुविधाएं पहुंचाईं जाएं और जनता में सफाई के लिए, साफ सड़कों और गलियों के लिए, अतिक्रमण हटाने के लिए जागरुकता पैदा की जाए जिससे भारत दुनिया का सबसे साफ देश बन सके।
मेक इन इंडिया
यह एक नारा है जिसे नरेन्द्र मोदी ने शुरु किया था जिससे भारत में वैश्विक निवेश और विनिर्माण आकर्षित किया जा सके। उसके बाद यह एक अंतर्राष्ट्रीय मार्केटिंग अभियान बन गया। मेक इन इंडिया अभियान इसलिए शुरु किया गया जिससे भारत में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा हों और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिले। मेक इन इंडिया की कोशिश है कि भारत एक आत्मनिर्भर देश बने। इसका एक उद्देश्य देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अनुमति देना और घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों की हालत दुरुस्त करना है। मेक इन इंडिया अभियान पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधीन है और सरकार ने ऐसे 25 सेक्टरों की पहचान की है जिनमें वैश्विक लीडर बनने की क्षमता है।
सांसद आदर्श ग्राम योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2014 को सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की। इस योजना के अनुसार हर सांसद को साल 2019 तक तीन गांवों को विकसित करना होगा। इसका विचार यह है कि भारत के गांवों को भौतिक और संस्थागत बुनियादी ढांचे के साथ पूरी तरह विकसित किया जा सके। इस योजना के लिए कुछ दिशा निर्देश हैं जिन्हें ग्रामीण विकास विभाग ने तैयार किया है। प्रधानमंत्री ने 11 अक्टूबर 2014 को इन दिशा निर्देर्शों को जारी किया और सभी सांसदों से अपील की कि वे 2016 तक अपने संसदीय क्षेत्र में एक माॅडल गांव और 2019 तक दो और गांव तैयार करें।
अटल पेंशन योजना
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने फरवरी 2015 के बजट भाषण में कहा था कि दुखद है कि जब हमारी युवा पीढ़ी बूढ़ी होगी उसके पास भी कोई पेंशन नहीं होगी। प्रधानमंत्री जन धन योजना की सफलता से प्रोत्साहित होकर वो सभी भारतीयों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली के सृजन का प्रस्ताव करता हैं। इससे ये सुनिश्चित होगा कि किसी भी भारतीय नागरिक को बीमारी, दुर्घटना या वृद्धावस्था में अभाव की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। इसे आदर्श बनाते हुए राष्ट्रीय पेंशन योजना के तौर पर अटल पेंशन योजना एक जून 2015 से प्रभावी हो गई है। इस योजना का उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के लोगों को पेंशन फायदों के दायरे में लाना है। इससे उन्हें हर महीने न्यूनतम भागीदारी के साथ सामाजिक सुरक्षा का लाभ उठाने की अनुमति मिलेगी।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
जन-धन योजना, मेक इन इंडिया और स्वच्छ भारत अभियान के सफल कामयाबी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी को हरियाणा के पानीपत में एक और योजना शुरू की। <span style=” medium;”>100 करोड़ रुपए के शुरुआती कॉर्पस के साथ यह योजना देशभर के 100 जिलों में शुरू की गई। हरियाणा में जहां बाल लिंगानुपात (सीएसआर) बेहद कम है। इस योजना का लक्ष्य लड़कियों को पढ़ाई के जरिए सामाजिक और वित्तीय तौर पर आत्मनिर्भर बनाना है। सरकार के इस नजरिए से महिलाओं की कल्याण सेवाओं के प्रति जागरूकता पैदा करने और निष्पादन क्षमता में सुधार को बढ़ावा मिलेगा।
पीएम कौशल विकास योजना
सरकार ने गरीबी के खिलाफ लड़ाई के तहत यह अभियान शुरू किया है। पीएम ने कहा कि अगर देश के लोगों की क्षमता को समुचित और बदलते समय की आवश्यकता के अनुसार कौशल का प्रशिक्षण दे कर निखारा जाता है तो भारत के पास दुनिया को 4 से 5 करोड़ कार्यबल उपलब्ध करा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस पहलू पर ध्यान दे रही है। दुनिया और प्रौद्योगिकी में तेजी से बदलाव को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें भविष्य को ध्यान में रखकर अगले 10 साल के लिये योजना तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने उद्योग तथा प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों के बीच नियमित रूप से बातचीत की जरूरत की वकालत की। पीएम ने कहा कि अगर चीन दुनिया का विनिर्माण कारखाना है तो भारत को दुनिया का मानव संसाधन का प्रमुख केंद्र बनना चाहि। यही हमारा मकसद होना चाहिए और हमें इस पर जोर देने की जरूरत है।
स्टैंड अप इंडिया स्कीम
5 अप्रैल 2016 को नोएडा के सैक्टर 62 में पीएम मे स्टैंड अप इंडिया स्कीम की शुरुआत की। इस योजना के लिए उन्होंने एक वेब पोर्टल शुरू किया। इस स्कीम को लेकर भारत के उद्यमी वर्ग में खासा उत्साह है। इसके अंतर्गत नये उद्यमियों को स्थापित करने में मदद की जायेगी, जिससे देश भर में रोजगार बढ़ेगा। स्टैंड अप इंडिया स्कीम केंद्र सरकार की एक योजना है जिसके अंतर्गत 10 लाख रुपये से 100 लाख रुपये तक की सीमा में ऋणों के लिए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति और महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को प्रोत्साहन दिया जायेगा। इस योजना से ऐसे उद्यमियों को बड़ी संख्या में लाभ मिलने की संभावना है।
स्टैंड अप इंडिया की खासियत
- नये उद्यम स्थापित करने के लिए कार्यशील पूंजी घटक के समग्र के तौर पर 10 लाख रुपये से 100 लाख रुपये तक के बीच के संयुक्त ऋण।
- कार्यशील पूंजी के आहरण के लिए डेबिड कार्ड
- ऋण प्राप्तकर्ता का ऋण इतिहास तैयार किया जाएगा।
- 10 हजार करोड़ रुपये की प्रारंभिक धनराशि के साथ भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के माध्यम से पुन: वित्त सुविधा।
- एनसीजीटीसी के माध्यम से ऋण गारंटी के लिए 5000 करोड़ रुपये के कोष का निर्माण।