फ्रांस के राष्ट्रपति चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाले एमैनुएल मैक्रों का भारत को लेकर नजरिया काफी सकारात्मक है. वह मोदी सरकार की तरह ‘सबका साथ सबका विकास’ की बात करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर मैक्रों को जीत की बधाई दी है. साथ ही कहा कि वह भारत-फ्रांस के रिश्तों को और मजबूत बनाने के लिए के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मैक्रों के साथ मिलकर करने का इंतजार कर रहे हैं.
I look forward to working closely with President-elect @EmmanuelMacron to further strengthen India-France ties.
— Narendra Modi (@narendramodi) 8 May 2017
अगर विशेषज्ञों की माने, तो वह न सिर्फ यूरोपीय संघ (ईयू) बल्कि भारत समेत पूरी दुनिया के लिए बेहतर साबित होंगे. 39 वर्षीय मैक्रों अपनी प्रतिद्वंदी और धुर दक्षिणपंथी नेता मरीन ली पेन से उलट नजरिया रखते हैं. जहां ली पेन सिर्फ राष्ट्रवाद की बाद करती हैं, तो वहीं मैक्रों वैश्विकीकरण की बात करते हैं. वह अमेरिकी इतिहास में सबसे युवा उदारवादी नेता हैं.
मैक्रों फ्रांस को यूरोपीय संघ में बनाए रखने के पक्षधर हैं, जबकि मरीन इसके खिलाफ हैं. फ्रांस राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम से दुनिया के ज्यादातर देश खुश हैं. कई देशों ने इसे लोकतंत्र की जीत करार दिया है. खासकर मैक्रों की जीत मुसलमानों के लिए बड़ी राहत है. क्योंकि मरीन ने चुनाव जीतने पर फ्रांस की सभी मस्जिदों पर ताला लगवाने की बात कर रही थीं.
Congratulations to @EmmanuelMacron for an emphatic victory in the French Presidential election. #Presidentielle2017
— Narendra Modi (@narendramodi) 8 May 2017
इसके अलावा मैक्रों बैंकर और देश के वित्तमंत्री रह चुके हैं, जिसके चलते उनको आर्थिक मामलों की अच्छी समझ है. उनकी जीत की खबर आते ही यूरो में जबरदस्त उछाल देखा गया, जो इस बात का साफ संकेत था कि अब फ्रांस यूरोपीय संघ में बना रहेगा. इससे यूरोपीय संघ को कर्ज से उभरने में मदद मिलेगी. अगर मरीन जीततीं, तो फ्रांस भी ब्रिटेन और अमेरिका की राह चल पड़ता. इसका खामियाजा यूरोपीय संघ के साथ पूरी दुनिया को उठाना पड़ता.
इसके अतिरिक्त मैक्रों का नजरिया मोदी सरकार की तरह विकासवादी है, जो सबका साथ और सबका विकास की बात करते हैं. ऐसे में भारत के लिए मैक्रो बेहतर साबित होंगे. उनके नेतृत्व में भारत-फ्रांस के रिश्ते नई ऊंचाइयों को छुएंगे. माना जा रहा है कि मैक्रों के आने से दोनों देशों के बीच व्यापार में भी इजाफा होगा. इसके साथ ही उनकी जीत ने फ्रांस में लोकतंत्र की नींव को और मजबूत कर दिया है.