प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वियतनाम की द्विपक्षीय यात्रा पर रवाना होंगे और चीन के हांगझोउ शहर में जी-20 देशों के सालाना शिखर-सम्मेलन में भाग लेने जाएंगे, जहां भारत आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम लगाने और कर चोरी पर कार्रवाई करने के लिए ठोस कदमों की वकालत कर सकता है.
पीएम मोदी का पहला पड़ाव वियतनाम में होगा जहां से वह 3 सितंबर को हांगझोउ के लिए रवाना होंगे और चार-पांच सितंबर को वहां जी-20 के सम्मेलन में भाग लेंगे. प्रधानमंत्री 5 सितंबर को भारत लौटेंगे और फिर वार्षिक भारत-आसियान और पूर्वी एशिया सम्मेलन में शामिल होने के लिए दो दिन की लाओस यात्रा पर जाएंगे.
वियतनाम में मोदी इस संसाधन संपन्न देश के शीर्ष नेतृत्व के साथ व्यापक वार्ता करेंगे जिनमें रक्षा, सुरक्षा और व्यापार के क्षेत्रों में संबंध गहरे करना और तेल निकालने में भारत की सहभागिता बढ़ाना शामिल है.
भारत का ओएनजीसी विदेश लिमिटेड तीन दशक से अधिक समय से वियतनाम में तेल निकालने की परियोजनाओं में शामिल है और द्विपक्षीय यात्रा के दौरान क्षेत्र में नई परियोजनाओं की घोषणा हो सकती है जो 15 साल के अंतराल के बाद हो रही है.
जी-20 सम्मेलन में भारत आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने और कर चोरी रोकने समेत कई मुद्दे उठा सकता है.
सम्मेलन से इतर मोदी चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे और ब्रिक्स के नेताओं की एक बैठक में हिस्सा लेंगे. विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) सुजाता मेहता ने संवाददाताओं से कहा कि कुछ अन्य द्विपक्षीय बैठक कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया जा रहा है.
सुजाता मेहता ने कहा कि वैश्विक कर सुधार, जलवायु हितैषी वित्तपोषण और एंटीबायोटिक्स की बाजार तक पहुंच बनाने जैसे मुद्दों पर इन बैठकों में चर्चा हो सकती है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया जी-20 के लिए भारत के शेरपा हैं और सम्मेलन से पहले कुछ मुद्दों पर बातचीत की जा चुकी है. उन्होंने कहा कि जी 20 सम्मेलन में आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम लगाने पर विचार-विमर्श होगा.
प्रधानमंत्री की वियतनाम यात्रा के दौरान दोनों देश तेल निकालने की नयी परियोजनाओं की घोषणा कर सकते हैं जिसके लिए बातचीत चल रही है. दक्षिण चीन सागर का मुद्दा भी बातचीत में आ सकता है.
चीन चाहता है कि भारत वियतनाम के ब्लॉकों में तेल निकालने के काम से दूरी बनाकर रखे ताकि दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता बनी रहे.
8 सितंबर को आयोजित 14वें भारत-आसियान शिखर-सम्मेलन में मोदी इस प्रभावशाली समूह के देशों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करने और समग्र सहयोग को बढ़ाने की वकालत कर सकते हैं. भारत-आसियान व्यापाक और निवेश संबंध क्रमिक तरीके से बढ़ रहे हैं और आसियान नयी दिल्ली का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है.