pm narendra modi ne london ke westminster hall me kahi ye khaas baaten

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल में अपने संबोधन में कही ये खास बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार शाम को लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल में ‘भारत की बात, सबके साथ’ कार्यक्रम में दुनिया भर से आए भारतीयों से बात की। इस दौरान उन्होंने कवि और गीतकार प्रसून जोशी के सवालों के जवाब दिए। जानिए, इस दौरान उन्होंने क्या बड़ी बातें कहीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खास बातें

रेलवे स्टेशन मेरी जिंदगी और मेरे संघर्ष का स्वर्णिम पृष्ठ है। रेल की पटरियों और आवाज से बहुत कुछ सीखा है।


आदिशंकर के अद्वैत सिद्धांत को जानता हूं- जहां मैं नहीं तू ही तू है। जहां द्वय नहीं है, वहां द्वंद्व नहीं है। इसलिए मैं अपने भीतर के नरेंद्र मोदी को लेकर जाता हूं तो देश के साथ अन्याय होगा। देश के साथ न्याय के लिए मुझे अपने आप को भुलाना होगा। वट वृक्ष को पनपाने वाला बीज भी आखिरकार खप ही जाता है।

संतोष के भाव से विकास नहीं होता है। मकसद गति देता है नहीं है तो जिंदगी रूक जाती है। बेसब्री तरुणाई की पहचान है और यह आपमें नहीं है तो आप बुजुर्ग हो चुके हैं। बेसब्री ही विकास का बीज बोता है। बेसब्री को मैं बुरा नहीं मानता।


आज सवा सौ करोड़ देशवासियों के मन में उत्साह है। एक कालखंड था कि लोगों के मन में ऐसा विचार था कि अब कुछ होने वाला नहीं। हमने ऐसा माहौल बनाया कि लोग हमसे ज्यादा उम्मीद करने लगे हैं।


पहले अकाल की स्थिति पैदा होती थी तो लोग सरकारी दफ्तर में जाकर कहते थे कि हमारे गांवों में मिट्टी खोदने का काम दीजिएगा ताकि कुछ रोजगार मिले और सड़क भी बन जाए।

रेलवे में सीनियर सिटिजन को छूट मिलती है। मैंने कहा कि आप रिजर्वेशन फॉर्म में लिखिए कि लोग अपनी सब्सिडी छोड़ें। जबकि मैंने प्रधानमंत्री के पद से अपील भी नहीं की थी। इसके बावजूद एसी कोच में सफर करने वाले 40 लाख लोगों ने सब्सिडी छोड़ी। अगर मैं कानूनन ऐसा करता तो जुलूस निकलता, पुतले जलते और लोग कहते कि मोदी की पॉपुलैरिटी गिर जाती। लेकिन देश के लोगों के भीतर मानवीयता की भावना है, उन्होंने खुद ऐसा किया।

विपक्ष की सत्ता हासिल करने के सवाल पर मोदी ने कहा कि आलोचना लोकतंत्र की खूबसूरती है। मैं मानता हूं कि मोदी सरकार की भरपूर आलोचना होनी चाहिए। आलोचना से ही लोकतंत्र पनपता है और सरकारों को भी सतर्क रखती है। इसलिए अगर कोई आलोचना करता है, तो मैं इसे सौभाग्य मानता हूं। लेकिन आलोचना करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है, अब आज ऐसी आपाधापी का समय है कि लोगों के पास ही नहीं है। लोगों ने आलोचना के बजाए आरोप लगाना सीख लिया है। ये स्वस्थ लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। आलोचना होनी चाहिए लेकिन आरोपों से बचना चाहिए। मैं हमेशा आलोचना का स्वागत करता हूं। बहुत लोगों ने मुझे बनाया है। लोगों की मेहनत को मैं मिट्टी में नहीं मिलने दूंगा।


मोदी केयर के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तीन बातों पर मेरा जोर रहा है। मैं बड़ी बातें नहीं करता हूं। बच्चों को पढ़ाई, युवा को कमाई, बुजुर्ग को दवाई, ये चीजें हैं जो स्वस्थ समाज के लिए होनी चाहिए। अच्छे खासे परिवार में भी अगर एक बीमारी आ जाए तो सभी योजनाएं, बेटी की शादी की तैयारी धरी की धरी रह जाती है। ऑटो रिक्शा चलाने वाला बीमार हो जाए तो पूरा परिवार बीमार हो जाता है।


मेरे भीतर एक विद्यार्थी है। मैंने उसे कभी मरने नहीं दिया और मुझे जो दायित्व मिलता है। उसे सीखने की कोशिश करता हूं। मेरे पास अनुभव नहीं है। मुझसे गलतियां हो सकती हैं, लेकिन बुरे इरादे से गलत कभी नहीं करूंगा। लंबे समय तक मुख्यमंत्री के रूप में काम किया। प्रधानसेवक का तमगा मुझे मिला है। लेकिन गलत इरादे से कोई काम नहीं करूंगा, मैंने कभी ये नहीं सोचा कि मैं देश बदल दूंगा। लेकिन सोचता हूं कि अगर देश में लाखों समस्याएं हैं, तो सवा सौ करोड़ समाधान हैं।


आयुष्मान भारत में हम देश में करीब डेढ़ लाख से ज्यादा वेलनेस सेंटर बनाना चाहते हैं। एक सेंटर से 12-15 गांवों को फायदा मिले। दूसरा- योग, पोषण मिशन से प्रिवेंटिव हेल्थ को बल मिले। दुनिया के कई देशों में मातृत्व अवकाश के लिए उतनी उदारता नहीं है, जितनी हमारे यहां है। हमने 26 हफ्ते का अवकाश दिया है। भारत की आधी आबादी यानी 50 लाख लोगों को 5 लाख रुपये तक का बीमा सरकार देगी। टीयर-टू और थ्री सिटी में अच्छे प्राइवेट अस्पतालों का नेटवर्क खड़ा होगा। नई चेन बनेगी। 1 हजार से ज्यादा अच्छे और नए अस्पताल बनने की संभावना है।


Prabhat Sharma
By Prabhat Sharma , April 19, 2018

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