कृषि क्षेत्र में सुधार को गति देने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कड़ी नजर है। खेती को रफ्तार देने और किसानों की माली हालत को मजबूत बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री कार्यालय की पहल पर गहन विचार विमर्श के लिए एग्रीकल्चर – 2022 का आयोजन किया जा रहा है। इसमें कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक के साथ ही साथ निजी निवेश बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है। कृषि क्षेत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस रुझान का असर आगामी आम बजट में देखने को मिल सकता है।
इसमें सभी राज्यों के साथ देश के कृषि विशेषज्ञों और किसान प्रतिनिधियों को इसमें हिस्सा लेने का मौका मिलेगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में शुरु की गई विभिन्न योजनाओं की कड़ी समीक्षा की जाएगी। नीतिगत सुधार के लिए राज्यों का सहयोग जरूरी है, जिसके लिए राज्यों को सम्मेलन में बुलाया गया है।
‘एग्रीकल्चर – 2022’ के नाम से इसी माह के आखिरी सप्ताह में एक मैराथन बैठक होगी। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मौजूद होंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसमें हिस्सा लेने वाले लोगों का चयन भी ठोंक बजाकर किया जा रहा है। ताकि इस बैठक की सिफ़ारिशें जमीनी तौर पर लागू किया जा सके।
इसका आयोजन प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ मिलकर केंद्रीय कृषि मंत्रालय कर रहा है। इसमें कृषि क्षेत्र से जुड़े देशभर के प्रमुख निजी क्षेत्रों को आमंत्रित किया जा रहा है। इस दौरान कृषि क्षेत्र में कानूनी सुधार को लेकर सरकार तैयार है। इसके लिए सात बड़े क्षेत्रों को चुना गया है। जिसमें विकास के रास्ते तलाशे जाएंगे।
कृषि की विकास दर को रफ्तार देने के लिए पशुधन, डेयरी, पॉल्ट्री और मत्स्य पालन को खूब प्रोत्साहन देने पर विचार किया जाएगा। कुल सात चिन्हित क्षेत्रों के विशेषज्ञों को इसमें बुलाया गया है। सबसे पहला क्षेत्र कृषि नीति के साथ किसानों की आमदनी को बढ़ाकर दोगुना करने के लिए नीतिगत सुधार पर विचार किया जाएगा। जबकि दूसरा सबसे प्रमुख क्षेत्र मार्केटिंग, एग्रो लॉजिस्टिक और एग्रो वैल्यू सिस्टम को मजबूत बनाना है। जबकि कृषि उत्पादकता बढ़ाने के कृषि क्षेत्र में स्टार्ट अप को प्रोत्साहित करने के लिहाज से साइंस व टेक्नोलॉजी के ऊपर जोर दिया जाएगा। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को बुलाया गया है।
सबसे अहम क्षेत्र खेती बाड़ी में पूंजी निवेश की भूमिका और किसानों को संस्थागत कृषि ऋण के प्रवाह जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशेषज्ञों के बीच बैठ कर उनकी राय जानेंगे। सम्मेलन में सभी राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ किसान संगठनों, बैंक प्रतिनिधियों, सिविल सोसाइटी, उद्योग और औद्योगिक संगठनों के लोगों को न्यौता भेजा जाएगा। सम्मेलन के दौरान आने वाले विचारों के आधार पर सिफारिशें तैयार करने के लिए सरकार से बाहर के लोगों को दायित्व सौंपा जाएगा।
सम्मेलन की तैयारियां एक महीने पहले से ही चालू हो चुकी हैं। जिसके लिए वर्चुअल विचार-विमर्श, ई-नेटवर्क के सहारे वीडियो कांफ्रेसिंग लगातार विचारों का आदान प्रदान हो रहा है। प्रत्येक थीम पर बैक ग्राउंड पेपर तैयार किये गये है।