प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने दो दिन के लिए कश्मीर जाएंगे। इस यात्रा के दौरान वह किशनगंगा पनबिजली परियोजना का उद्घाटन करेंगे और लद्दाख के आध्यात्मिक गुरु कुशक बकुला की 100वीं जयंती के कार्यक्रम में शामिल होंगे। वह एक यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में भी शामिल हो सकते हैं। किशनगंगा वही परियोजना है जिसके निर्माण पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई थी।
बिजनेस लाइन के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे की अभी आधिकारिक रूप से घोषणा नहीं की गई है। लेकिन उनके 19 मई को कश्मीर जाने की संभावना है। इस दिन वह राष्ट्र को 330 मेगावॉट की किशनगंगा पनबिजली परियोजना सौंपेंगे। इसका निर्माण कार्य PMO की निगरानी में हुआ है। अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू के एक विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हो सकते हैं।
किशनगंगा प्रोजेक्ट उत्तर कश्मीर के बांदीपुर में है। किशनगंगा नदी की धारा को मोड़कर एक 23.25 किमी लंबी सुरंग के द्वारा भूमिगत पावर हाउस बनाया गया है जिससे हर साल 171.3 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन होगा।
किशनगंगा प्रोजेक्ट की शुरुआत साल 2007 में ही हुई थी, लेकिन 17 मई 2010 को पाकिस्तान इसके निर्माण के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में चला गया था। पाकिस्तान ने सिंधु जल समझौते का हवाला देते हुए इस पर आपत्ति जताई थी। लेकिन हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने साल 2013 में भारत के पक्ष में फैसला किया था। अदालत ने कहा था कि सिंधु जल समझौते के तहत भारत को यह अधिकार है कि वह किशनगंगा में बिजली उत्पादन के लिए जलधारा को मोड़ सके।
19 मई को ही संभवत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लेह चले जाएंगे जहां वह कुशक बकुला की 100वीं जयंती के कार्यक्रम में शामिल होंगे। बकुला की प्रेरणा से इस इलाके में कई राजनीतिक आंदोलन हुए हैं और उनकी दुनिया भर में प्रतिष्ठा है। उनका जन्म 21 मई 1917 को माथो में हुआ था और शिक्षा-दीक्षा तिब्बत की राजधानी ल्हासा में हुई थी। वह स्पितुक गोम्पा के मुख्य पुजारी थे। साल 2003 में उनका निधन हो गया।