प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को सबसे गंभीर चुनौती बताया, जिसका मानवता सामना कर रही है. उन्होंने इस बुराई से निपटने के लिए यूरोप से संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में एक प्रभावी वैश्विक भूमिका विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभाने का अनुरोध किया.
पीएम मोदी चार देशों – जर्मनी, स्पेन, रूस और फ्रांस की छह दिन की यात्रा के प्रथम पड़ाव पर बर्लिन पहुंचे. उन्होंने जर्मन अखबार ‘हांदेलस्ब्लात’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘आतंकवाद से यूरोप बुरी तरह प्रभावित हुआ है.’ उन्होंने कहा, ‘हमारे मुताबिक, आतंकवाद सबसे गंभीर चुनौती है, जिसका मानवता सामना कर रही है. यूरोप को इस बुराई से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में एक प्रभावी वैश्विक प्रतिक्रिया विकसित करने में अवश्य ही एक अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए.’
मोदी की यह टिप्पणी काफी मायने रखती है क्योंकि यह जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और स्वीडन जैसे यूरोपीय देशों में हाल ही में हुए आतंकी हमलों के मद्देनजर आई है. ब्रिटेन के मैनचेस्टर में एक कंसर्ट में हुए ताजा आतंकी हमले ने यूरोप को दहला कर रख दिया है, जहां एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट कर उड़ा दिया. इस हमले में 22 लोग मारे गए थे.
देश के प्रमुख बिजनेस अखबार से बात करते हुए पीएम मोदी ने संरक्षणवाद (अर्थव्यवस्था में) की दिशा में बढ़ाए जाने वाले कदमों के खिलाफ भी चेतावनी दी और यूरोप से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए खुली रहे और निवेश तथा लोगों का मुक्त प्रवाह हो.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘संरक्षणवादियों और दुनिया में प्रवासी विरोधी भावनाओं के बारे में हमारी चिंताएं हैं. हमें उम्मीद है कि उनका समाधान कर लिया जाएगा.’ उन्होंने कहा, ‘हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जो आपस में जुड़ी हुई है. सीमाओं के आर-पार वस्तुओं, पूंजी और लोगों का आवागमन हमारी सामूहिक प्रगति के लिए तथा वैश्विकरण के फायदों को साकार करने के लिए जरूरी है.’ पीएम मोदी ने जर्मनी के लिए भारत की अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि यह ‘सबसे खुली’ और ‘दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं’ में शामिल है.
प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में सुधार की भी अपील की, ताकि आज के समय की वैश्विक वास्तविकताएं प्रदर्शित हो सके. उन्होंने कहा, ‘भारत कुछ समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग कर रहा है. सुरक्षा परिषद का विस्तार करने की फौरन जरूरत है.’ उन्होंने कहा कि विस्तारित सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के लिए भारत के पास सभी विशेषताएं हैं.
मोदी ने भारत-जर्मनी संबंध पर कहा कि जर्मनी को भारत मेक इन इंडिया, कौशल भारत, स्टार्ट अप इंडिया, स्वच्छ भारत और स्मार्ट सिटी के राष्ट्रीय महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों में एक अहम साझेदार के तौर पर देखता है. एक विस्तृत यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के ईयू से निकलने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘यूरोपीय संघ वैश्विक स्तर पर एक अहम भूमिका निभाता है. इसकी स्थिरता का शांति एवं सुरक्षा सहित वैश्विक घटनाक्रमों पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है.’ उन्होंने कहा कि ब्रिटेन और ईयू, दोनों के साथ भारत अपने मजबूत और बहुआयामी संबंध को अहमियत देता है तथा यह दोनों रणनीतिक साझेदारों के साथ अपने संबंध मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है. ‘हम इस रुख को जारी रखेंगे.’
अखबार ने दावा किया है कि भारत और चीन में जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल एक साझेदारी की संभावना देखती हैं जो जलवायु परिवर्तन को रोकने में और मुक्त व्यापार को प्रोत्साहित करने में मदद करेगा. प्रधानमंत्री की जर्मन यात्रा को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय बताया गया है.
पीएम मोदी ने अपनी यात्रा की पूर्व संध्या पर एक फेसबुक पोस्ट में कहा था, ‘मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि यह यात्रा जर्मनी के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय खोलेगी और हमारी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करेगी.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी और मर्केल की योजना व्यापार एवं निवेश, सुरक्षा और आतंकवाद निरोध, नवोन्मेष, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, कौशल विकास, शहरी ढांचा, रेलवे, नागर विमानन, स्वच्छ उर्जा, विकास सहयोग, स्वास्थ्य और वैकल्पिक औषधि पर जोर देते हुए सहयोग के लिए भविष्य की रूपरेखा तय करने की है. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करने वाले देशों के मामले में जर्मनी सातवां सबसे बड़ा निवेशक है. भारत में कुल 1800 जर्मन कंपनियां संचालित हो रही हैं.