अमेरिका की प्रसिद्ध पत्रिका ‘टाइम’ द्वारा हर साल दिए जाने वाले ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ खिताब के लिए हो रही ऑनलाइन वोटिंग में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिलहाल अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति बराक ओबामा, अमेरिका के ही नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों के जाने-माने दिग्गजों को पछाड़कर सबसे आगे चल रहे हैं.
‘टाइम’ पत्रिका हर साल उस शख्स को इस खिताब से नवाज़ती है, जिसने उनके हिसाब से पिछले साल में ख़बरों तथा दुनिया को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया, भले ही वह अच्छे के लिए हो या बुरे के लिए. पिछले साल यह खिताब जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल को दिया गया था.
लगातार चौथे साल इस दौड़ में बने रहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक ‘हां’ वाले कुल वोटों का 21 फीसदी लेकर सबसे आगे चल रहे हैं, और फिलहाल उनके आसपास भी कोई नज़र नहीं आ रहा है… ऑनलाइन डाले गए इन वोटों का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि दूसरे नंबर पर कोई नेता नहीं, बल्कि विकीलीक्स के विवादास्पद संस्थापक जूलियान असांजे हैं, जिन्हें आठ फीसदी वोट हासिल हुए हैं.
इस समय नंबर तीन पर अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति बराक ओबामा हैं, जिन्हें सात फीसदी वोटरों का समर्थन हासिल हुआ है, जबकि उनकी पत्नी तथा अमेरिका की मौजूदा फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा को भी पांच फीसदी वोट हासिल हुए हैं.
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन इस समय तक बराक ओबामा से पीछे हैं, और उन्हें छह-छह फीसदी वोट प्राप्त हो पाए हैं, जबकि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव हारने वाली डेमोक्रेट प्रत्याशी हिलेरी क्लिंटन को चार फीसदी वोट मिले हैं, और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को सिर्फ एक फीसदी लोगों का ही समर्थन मिल पाया है.
इस पोल में दावेदार के तौर पर कुल 30 शख्सियतों (और ग्रुपों) को शामिल किया गया है, जिनमें व्हिसलब्लोअरों से लेकर खिलाड़ी और पॉप गायक तक शामिल हैं. सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक के संस्थापक मार्क ज़करबर्ग को दो फीसदी लोगों ने समर्थन दिया है, जबकि एप्पल के सीईओ टिम कुक, लोकप्रिय गायिका बियॉन्से नॉलेस तथा ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे को एक-एक फीसदी वोट ही अब तक मिल पाए हैं.
हर साल ‘टाइम’ का संपादक मंडल ही अंतिम निर्णय लेता है कि ‘टाइम पर्सन ऑफ द ईयर’ का खिताब किसे दिया जाए, लेकिन वे अपने पाठकों को भी वोट करने का विकल्प देते हैं, जो पत्रिका के मुताबिक खिताब का विजेता तय करने में ‘काफी महत्वपूर्ण भूमिका’ निभाता है.