केंद्र सरकार गुरुवार से देश के मुस्लिम बहुल इलाकों में ‘प्रोग्रेस पंचायत’ शुरू करने जा रही है, जिसका मकसद समाज के सबसे निचले पायदान तक विकास का लाभ पहुंचाना है.
केरल के कोझिकोड में बीते शनिवार को आयोजित रैली में पीएम मोदी ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय को बस ‘वोट की मंडी का माल’ नहीं समझना चाहिए, बल्कि उन्हें सशक्त बनाया जाना चाहिए.
बीजेपी को देश के मुस्लिम समुदाय में बहुत कम ही समर्थन प्राप्त है, ऐसे में पीएम मोदी का भाषण और फिर केंद्र की यह योजना पार्टी के राजनीतिक रुख में बड़े बदलाव की तरह देखी जा रही है.
पीएम मोदी ने कोझिकोड रैली में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के हवाले से कहा था, ‘मुसलमानों को न पुरस्कृत करो और न ही तिरस्कृत करो. उन्हें सशक्त बनाओ. वे न तो वोट मंडी की वस्तु हैं और न ही घृणा के पात्र. उन्हें अपना समझो.’
उनके इस कथन ने इस नए मंत्र की नींव रखी- अगर मुस्लिम सरकार और बीजेपी से दूरी बनाकर रखते हैं, तो फिर वे मुस्लिमों के पास जाएंगे.
वहीं एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, ‘सरकार इस योजना का नाम ‘मुस्लिम पंचायत’ नहीं रखना चाहती थी, क्योंकि इसका मकसद उन मुद्दों को सुलझाना है, जो इस समुदाय की प्रगति और उन्हें मुख्यधारा में आने से रोक रहे हैं.’
इस ‘प्रोगेस पंचायत’ की शुरुआत अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी करेंगे. इसका मकसद आम लोगों को अल्पसंख्यक मंत्रालय की योजनाओं की जानकारी देना और विकास के लिए धन के इस्तेमाल के बारे में उनकी राय लेना होगा.
नकवी ने एनडीटीवी से कहा, ‘यह पिछली सारी योजनाओं से बिल्कुल अलग है. यह वोट के लिए नहीं है. हम उन तक पहुंचेंगे और स्कूल, नर्सिंग होम्स और लड़कियों के लिए हॉस्टल जैसे मुद्दों को हल करेंगे.’
देश में पहली ‘प्रोग्रेस पंचायत’ हरियाणा के मेवात में गुरुवार को आयोजित होगी. इसके बाद अगले दो पंचायत राजस्थान और महाराष्ट्र में आयोजित होंगे और फिर देश भर में यह पंचायत लगाई जाएगी, जिसमें दक्षिण भारत के राज्य भी शामिल है.
यह कदम ऐसे समय आया है, जब बीजेपी उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटी है, जहां मुस्लिमों का वोट करीब 18 फीसदी है. पार्टी को लगता है कि ऐसे कदम से अगर मुस्लिमों के वोट ना भी मिले, तो भी इससे अहम संदेश जाएगा.